बेंगलुरु, 23 नवंबर (आईएएनएस)। भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री वी. सुनील कुमार ने गुरुवार को कहा कि अगर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया वास्तव में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, तो उन्हें जाति जनगणना रिपोर्ट को जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप देनी चाहिए।
प्रमुख ओबीसी नेता सुनील कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री को जाति जनगणना रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए कैबिनेट उपसमिति बनाने का नाटक बंद करना चाहिए।
सुनील कुमार ने आरोप लगाया, “सिद्धारमैया, पिछड़े वर्गों और दलित समुदायों के साथ आपका यह कैसा विश्वासघात है। ओरिजनल ब्लूप्रिंट गायब है। आप एक जालसाजी रिपोर्ट तैयार करने और राहुल गांधी को प्रभावित करने के लिए तैयार हैं।”
“यदि कोई जाति रिपोर्ट की उलझनों और जटिलताओं से गुजरे तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह एक बड़ा घोटाला है। 162 करोड़ रुपये की लागत से कराई गई जातीय जनगणना का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ तो इसका क्या मतलब है?”
उन्होंने कहा, ऐसे समय में जब इस मुद्दे पर बहस तेज है, पिछड़ा वर्ग समिति के पूर्व अध्यक्ष कंठराज लापता हो गए हैं।
कंथाराज के कार्यकाल के दौरान ही जाति जनगणना कराई गई थी।
उन्होंने बताया कि सदस्य सचिव इस बात पर भी चुप हैं कि उन्होंने तब रिपोर्ट पर अपने हस्ताक्षर क्यों नहीं किये थे।
कुमार ने आगे दावा किया कि इसका मतलब यह है कि वह जाति जनगणना का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि इससे यह भी पता चलता है कि जाति जनगणना रिपोर्ट तैयार करने की अवधि के दौरान बड़ी गड़बड़ी और हेराफेरी हुई थी।
उन्होंने दोहराया कि मुख्यमंत्री को जाति जनगणना रिपोर्ट को अध्ययन के लिए कैबिनेट उपसमिति को सौंपने के बजाय इस मामले की जांच सीबीआई से करानी चाहिए।
इस बीच, पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के. जयप्रकाश हेगड़े ने बुधवार को स्पष्ट किया कि जाति जनगणना के आंकड़े सुरक्षित हैं जबकि कार्यपत्रक गायब हैं।
उन्होंने कहा, ”जाति जनगणना वास्तविक है और रिपोर्ट सौंपी जाएगी।”
उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा था कि जाति जनगणना के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण की विभिन्न समुदायों की मांग पर विचार किया जाना चाहिए।
–आईएएनएस
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