पटना, 30 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) देश में जातीय जनगणना को लेकर अब मुखर है। राज्य में जातीय गणना के बाद आरक्षण बढ़ाए जाने को लेकर राजद खुद अपनी पीठ थपथपा रहा है। अब पार्टी पूरे देश में जातीय गणना को लेकर आंदोलन के मूड में नजर आ रही है। कहा यह भी जा रहा है कि राजद एनडीए के घटक दलों पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत ऐसा कर रहा है।
दरअसल, राजद को मालूम है कि देश में जातीय जनगणना को लेकर एनडीए में शामिल लोजपा (रामविलास) और जनता दल यूनाइटेड खुद को अलग नहीं कर सकते। ऐसे में राजद दावा कर रहा है कि बिहार में उसके सत्ता में आने के साथ ही जातीय गणना करवाई गई। हालांकि इसका निर्णय एनडीए सरकार में ही हो गया था।
बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। राजद अब इसी जातीय गणना को मुद्दा बनाने में जुटा है। राजद का बिहार को छोड़कर किसी अन्य राज्य में कोई बड़ा आधार नहीं माना जाता है। इसके बावजूद जातीय गणना और उसके आधार पर आरक्षण बढ़ाने की मांग को लेकर वह केंद्र सरकार को घेर रहा है। हालांकि बिहार में जातीय गणना के आधार पर बढ़ाए गए आरक्षण के दायरे पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। राज्य सरकार इस फैसले के विरुद्ध न्यायालय भी पहुंच गई है।
राजद अब इसी मामले को लेकर आगामी रविवार को सभी जिला मुख्यालयों पर एक दिवसीय धरना देगा। पटना में होने वाले धरना कार्यक्रम में खुद विरोधी दल के नेता तेजस्वी यादव भी शामिल होंगे।
राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि बिहार सरकार ने कैबिनेट से पास करके बिहार में आरक्षण का दायरा 65 प्रतिशत तक बढ़ाया था। तेजस्वी यादव के 17 महीने के छोटे से कार्यकाल में बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाया गया। केंद्र की सरकार के पास नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन आज तक यह मामला अटका हुआ है।
राजद इसी मुद्दे को हवा देने में जुटा है। इधर, भाजपा के प्रवक्ता प्रभाकर मिश्र कहते हैं कि राजद का यह धरना कार्यक्रम मात्र ढकोसला है। तेजस्वी यादव सिर्फ लोगों की सहानुभूति लेना चाहते हैं। उन्हें अपने मां-पिता से पूछना चाहिए कि बिहार में 15 साल सत्ता भोगने के दौरान कितनों को आरक्षण दिया? दरअसल, तेजस्वी यादव राजद की खोई जमीन तलाशने में लगे हुए हैं। ऐसे में यह उनका सिर्फ शिगूफा है।
–आईएएनएस
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