नई दिल्ली, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। जापान ने चंद्रमा पर दो रात जमने से बचे रहने वाले अपने ‘स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून’ (स्लिम) को एक बार फिर निष्क्रिय कर दिया है। देश की अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा ने सोमवार को यह जानकारी दी।
स्लिम, जिसे जापानी में “मून स्नाइपर” भी कहा जाता है, 20 जनवरी को चंद्रमा की सतह पर उतरा था।
इसकी लैंडिंग योजना के अनुसार लक्ष्य के 100 मीटर के भीतर हुई, हालांकि यह सिर के बल चंद्रमा की सतह पर उतरा। अपने सौर पैनलों के सूर्य की ओर नहीं होने के कारण, लैंडर बिजली उत्पन्न नहीं कर पा रहा है।
मिशन के अधिकारी लैंडर के जम जाने और चंद्रमा की मुश्किल रातों का सामना करने में लैंडर के सक्षम नहीं होने को लेकर चिंतित थे। पृथ्वी के एकमात्र उपग्रह पर तापमान शून्य से 130 डिग्री सेल्सियस नीचे तक लुढ़क जाता है।
जाक्सा ने कहा, 200 किलोग्राम वजनी मानवरहित लैंडर सर्दियों में बच गया, हालांकि “कुछ तापमान सेंसर और अप्रयुक्त बैटरी सेल खराब होने लगे हैं”। इसने नई तस्वीरें भी पृथ्वी पर भेजी हैं।
जाक्सा ने बताया कि लैंडर ने अपना दूसरा रात्रि अभियान सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है और उसे निष्क्रिय कर दिया गया है।
जाक्सा ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “स्लिम ने 30 मार्च के शुरुआती घंटों में अपना दूसरा रात का ऑपरेशन पूरा किया और फिर से निष्क्रिय हो गया।”
इसमें कहा गया है, “इस ऑपरेशन के दौरान, हमने मुख्य रूप से स्विच चालू करके और लोड देकर कई उपकरणों की स्थिति की जांच की। हालांकि एमबीसी के कुछ फंक्शनों में थोड़ी खराबी है, फिर भी यह काम करता है। हम इसकी स्थिति की सावधानीपूर्वक जांच कर रहे हैं।” एमबीसी ‘मल्टी-बैंड कैमरा’ है जिसका उपयोग चंद्रमा के चट्टानों की जांच के लिए किया जाता है।
रूस, अमेरिका, चीन और भारत के बाद जापान चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पांचवां देश है।
–आईएएनएस
एकेजे/
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नई दिल्ली, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। जापान ने चंद्रमा पर दो रात जमने से बचे रहने वाले अपने ‘स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून’ (स्लिम) को एक बार फिर निष्क्रिय कर दिया है। देश की अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा ने सोमवार को यह जानकारी दी।
स्लिम, जिसे जापानी में “मून स्नाइपर” भी कहा जाता है, 20 जनवरी को चंद्रमा की सतह पर उतरा था।
इसकी लैंडिंग योजना के अनुसार लक्ष्य के 100 मीटर के भीतर हुई, हालांकि यह सिर के बल चंद्रमा की सतह पर उतरा। अपने सौर पैनलों के सूर्य की ओर नहीं होने के कारण, लैंडर बिजली उत्पन्न नहीं कर पा रहा है।
मिशन के अधिकारी लैंडर के जम जाने और चंद्रमा की मुश्किल रातों का सामना करने में लैंडर के सक्षम नहीं होने को लेकर चिंतित थे। पृथ्वी के एकमात्र उपग्रह पर तापमान शून्य से 130 डिग्री सेल्सियस नीचे तक लुढ़क जाता है।
जाक्सा ने कहा, 200 किलोग्राम वजनी मानवरहित लैंडर सर्दियों में बच गया, हालांकि “कुछ तापमान सेंसर और अप्रयुक्त बैटरी सेल खराब होने लगे हैं”। इसने नई तस्वीरें भी पृथ्वी पर भेजी हैं।
जाक्सा ने बताया कि लैंडर ने अपना दूसरा रात्रि अभियान सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है और उसे निष्क्रिय कर दिया गया है।
जाक्सा ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “स्लिम ने 30 मार्च के शुरुआती घंटों में अपना दूसरा रात का ऑपरेशन पूरा किया और फिर से निष्क्रिय हो गया।”
इसमें कहा गया है, “इस ऑपरेशन के दौरान, हमने मुख्य रूप से स्विच चालू करके और लोड देकर कई उपकरणों की स्थिति की जांच की। हालांकि एमबीसी के कुछ फंक्शनों में थोड़ी खराबी है, फिर भी यह काम करता है। हम इसकी स्थिति की सावधानीपूर्वक जांच कर रहे हैं।” एमबीसी ‘मल्टी-बैंड कैमरा’ है जिसका उपयोग चंद्रमा के चट्टानों की जांच के लिए किया जाता है।
रूस, अमेरिका, चीन और भारत के बाद जापान चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पांचवां देश है।
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नई दिल्ली, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। जापान ने चंद्रमा पर दो रात जमने से बचे रहने वाले अपने ‘स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून’ (स्लिम) को एक बार फिर निष्क्रिय कर दिया है। देश की अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा ने सोमवार को यह जानकारी दी।
स्लिम, जिसे जापानी में “मून स्नाइपर” भी कहा जाता है, 20 जनवरी को चंद्रमा की सतह पर उतरा था।
इसकी लैंडिंग योजना के अनुसार लक्ष्य के 100 मीटर के भीतर हुई, हालांकि यह सिर के बल चंद्रमा की सतह पर उतरा। अपने सौर पैनलों के सूर्य की ओर नहीं होने के कारण, लैंडर बिजली उत्पन्न नहीं कर पा रहा है।
मिशन के अधिकारी लैंडर के जम जाने और चंद्रमा की मुश्किल रातों का सामना करने में लैंडर के सक्षम नहीं होने को लेकर चिंतित थे। पृथ्वी के एकमात्र उपग्रह पर तापमान शून्य से 130 डिग्री सेल्सियस नीचे तक लुढ़क जाता है।
जाक्सा ने कहा, 200 किलोग्राम वजनी मानवरहित लैंडर सर्दियों में बच गया, हालांकि “कुछ तापमान सेंसर और अप्रयुक्त बैटरी सेल खराब होने लगे हैं”। इसने नई तस्वीरें भी पृथ्वी पर भेजी हैं।
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जाक्सा ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “स्लिम ने 30 मार्च के शुरुआती घंटों में अपना दूसरा रात का ऑपरेशन पूरा किया और फिर से निष्क्रिय हो गया।”
इसमें कहा गया है, “इस ऑपरेशन के दौरान, हमने मुख्य रूप से स्विच चालू करके और लोड देकर कई उपकरणों की स्थिति की जांच की। हालांकि एमबीसी के कुछ फंक्शनों में थोड़ी खराबी है, फिर भी यह काम करता है। हम इसकी स्थिति की सावधानीपूर्वक जांच कर रहे हैं।” एमबीसी ‘मल्टी-बैंड कैमरा’ है जिसका उपयोग चंद्रमा के चट्टानों की जांच के लिए किया जाता है।
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जाक्सा ने कहा, 200 किलोग्राम वजनी मानवरहित लैंडर सर्दियों में बच गया, हालांकि “कुछ तापमान सेंसर और अप्रयुक्त बैटरी सेल खराब होने लगे हैं”। इसने नई तस्वीरें भी पृथ्वी पर भेजी हैं।
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स्लिम, जिसे जापानी में “मून स्नाइपर” भी कहा जाता है, 20 जनवरी को चंद्रमा की सतह पर उतरा था।
इसकी लैंडिंग योजना के अनुसार लक्ष्य के 100 मीटर के भीतर हुई, हालांकि यह सिर के बल चंद्रमा की सतह पर उतरा। अपने सौर पैनलों के सूर्य की ओर नहीं होने के कारण, लैंडर बिजली उत्पन्न नहीं कर पा रहा है।
मिशन के अधिकारी लैंडर के जम जाने और चंद्रमा की मुश्किल रातों का सामना करने में लैंडर के सक्षम नहीं होने को लेकर चिंतित थे। पृथ्वी के एकमात्र उपग्रह पर तापमान शून्य से 130 डिग्री सेल्सियस नीचे तक लुढ़क जाता है।
जाक्सा ने कहा, 200 किलोग्राम वजनी मानवरहित लैंडर सर्दियों में बच गया, हालांकि “कुछ तापमान सेंसर और अप्रयुक्त बैटरी सेल खराब होने लगे हैं”। इसने नई तस्वीरें भी पृथ्वी पर भेजी हैं।
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जाक्सा ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “स्लिम ने 30 मार्च के शुरुआती घंटों में अपना दूसरा रात का ऑपरेशन पूरा किया और फिर से निष्क्रिय हो गया।”
इसमें कहा गया है, “इस ऑपरेशन के दौरान, हमने मुख्य रूप से स्विच चालू करके और लोड देकर कई उपकरणों की स्थिति की जांच की। हालांकि एमबीसी के कुछ फंक्शनों में थोड़ी खराबी है, फिर भी यह काम करता है। हम इसकी स्थिति की सावधानीपूर्वक जांच कर रहे हैं।” एमबीसी ‘मल्टी-बैंड कैमरा’ है जिसका उपयोग चंद्रमा के चट्टानों की जांच के लिए किया जाता है।
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इसकी लैंडिंग योजना के अनुसार लक्ष्य के 100 मीटर के भीतर हुई, हालांकि यह सिर के बल चंद्रमा की सतह पर उतरा। अपने सौर पैनलों के सूर्य की ओर नहीं होने के कारण, लैंडर बिजली उत्पन्न नहीं कर पा रहा है।
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जाक्सा ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “स्लिम ने 30 मार्च के शुरुआती घंटों में अपना दूसरा रात का ऑपरेशन पूरा किया और फिर से निष्क्रिय हो गया।”
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नई दिल्ली, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। जापान ने चंद्रमा पर दो रात जमने से बचे रहने वाले अपने ‘स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून’ (स्लिम) को एक बार फिर निष्क्रिय कर दिया है। देश की अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा ने सोमवार को यह जानकारी दी।
स्लिम, जिसे जापानी में “मून स्नाइपर” भी कहा जाता है, 20 जनवरी को चंद्रमा की सतह पर उतरा था।
इसकी लैंडिंग योजना के अनुसार लक्ष्य के 100 मीटर के भीतर हुई, हालांकि यह सिर के बल चंद्रमा की सतह पर उतरा। अपने सौर पैनलों के सूर्य की ओर नहीं होने के कारण, लैंडर बिजली उत्पन्न नहीं कर पा रहा है।
मिशन के अधिकारी लैंडर के जम जाने और चंद्रमा की मुश्किल रातों का सामना करने में लैंडर के सक्षम नहीं होने को लेकर चिंतित थे। पृथ्वी के एकमात्र उपग्रह पर तापमान शून्य से 130 डिग्री सेल्सियस नीचे तक लुढ़क जाता है।
जाक्सा ने कहा, 200 किलोग्राम वजनी मानवरहित लैंडर सर्दियों में बच गया, हालांकि “कुछ तापमान सेंसर और अप्रयुक्त बैटरी सेल खराब होने लगे हैं”। इसने नई तस्वीरें भी पृथ्वी पर भेजी हैं।
जाक्सा ने बताया कि लैंडर ने अपना दूसरा रात्रि अभियान सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है और उसे निष्क्रिय कर दिया गया है।
जाक्सा ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “स्लिम ने 30 मार्च के शुरुआती घंटों में अपना दूसरा रात का ऑपरेशन पूरा किया और फिर से निष्क्रिय हो गया।”
इसमें कहा गया है, “इस ऑपरेशन के दौरान, हमने मुख्य रूप से स्विच चालू करके और लोड देकर कई उपकरणों की स्थिति की जांच की। हालांकि एमबीसी के कुछ फंक्शनों में थोड़ी खराबी है, फिर भी यह काम करता है। हम इसकी स्थिति की सावधानीपूर्वक जांच कर रहे हैं।” एमबीसी ‘मल्टी-बैंड कैमरा’ है जिसका उपयोग चंद्रमा के चट्टानों की जांच के लिए किया जाता है।
रूस, अमेरिका, चीन और भारत के बाद जापान चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पांचवां देश है।
–आईएएनएस
एकेजे/
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नई दिल्ली, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। जापान ने चंद्रमा पर दो रात जमने से बचे रहने वाले अपने ‘स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून’ (स्लिम) को एक बार फिर निष्क्रिय कर दिया है। देश की अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा ने सोमवार को यह जानकारी दी।
स्लिम, जिसे जापानी में “मून स्नाइपर” भी कहा जाता है, 20 जनवरी को चंद्रमा की सतह पर उतरा था।
इसकी लैंडिंग योजना के अनुसार लक्ष्य के 100 मीटर के भीतर हुई, हालांकि यह सिर के बल चंद्रमा की सतह पर उतरा। अपने सौर पैनलों के सूर्य की ओर नहीं होने के कारण, लैंडर बिजली उत्पन्न नहीं कर पा रहा है।
मिशन के अधिकारी लैंडर के जम जाने और चंद्रमा की मुश्किल रातों का सामना करने में लैंडर के सक्षम नहीं होने को लेकर चिंतित थे। पृथ्वी के एकमात्र उपग्रह पर तापमान शून्य से 130 डिग्री सेल्सियस नीचे तक लुढ़क जाता है।
जाक्सा ने कहा, 200 किलोग्राम वजनी मानवरहित लैंडर सर्दियों में बच गया, हालांकि “कुछ तापमान सेंसर और अप्रयुक्त बैटरी सेल खराब होने लगे हैं”। इसने नई तस्वीरें भी पृथ्वी पर भेजी हैं।
जाक्सा ने बताया कि लैंडर ने अपना दूसरा रात्रि अभियान सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है और उसे निष्क्रिय कर दिया गया है।
जाक्सा ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “स्लिम ने 30 मार्च के शुरुआती घंटों में अपना दूसरा रात का ऑपरेशन पूरा किया और फिर से निष्क्रिय हो गया।”
इसमें कहा गया है, “इस ऑपरेशन के दौरान, हमने मुख्य रूप से स्विच चालू करके और लोड देकर कई उपकरणों की स्थिति की जांच की। हालांकि एमबीसी के कुछ फंक्शनों में थोड़ी खराबी है, फिर भी यह काम करता है। हम इसकी स्थिति की सावधानीपूर्वक जांच कर रहे हैं।” एमबीसी ‘मल्टी-बैंड कैमरा’ है जिसका उपयोग चंद्रमा के चट्टानों की जांच के लिए किया जाता है।
रूस, अमेरिका, चीन और भारत के बाद जापान चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पांचवां देश है।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। जापान ने चंद्रमा पर दो रात जमने से बचे रहने वाले अपने ‘स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून’ (स्लिम) को एक बार फिर निष्क्रिय कर दिया है। देश की अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा ने सोमवार को यह जानकारी दी।
स्लिम, जिसे जापानी में “मून स्नाइपर” भी कहा जाता है, 20 जनवरी को चंद्रमा की सतह पर उतरा था।
इसकी लैंडिंग योजना के अनुसार लक्ष्य के 100 मीटर के भीतर हुई, हालांकि यह सिर के बल चंद्रमा की सतह पर उतरा। अपने सौर पैनलों के सूर्य की ओर नहीं होने के कारण, लैंडर बिजली उत्पन्न नहीं कर पा रहा है।
मिशन के अधिकारी लैंडर के जम जाने और चंद्रमा की मुश्किल रातों का सामना करने में लैंडर के सक्षम नहीं होने को लेकर चिंतित थे। पृथ्वी के एकमात्र उपग्रह पर तापमान शून्य से 130 डिग्री सेल्सियस नीचे तक लुढ़क जाता है।
जाक्सा ने कहा, 200 किलोग्राम वजनी मानवरहित लैंडर सर्दियों में बच गया, हालांकि “कुछ तापमान सेंसर और अप्रयुक्त बैटरी सेल खराब होने लगे हैं”। इसने नई तस्वीरें भी पृथ्वी पर भेजी हैं।
जाक्सा ने बताया कि लैंडर ने अपना दूसरा रात्रि अभियान सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है और उसे निष्क्रिय कर दिया गया है।
जाक्सा ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “स्लिम ने 30 मार्च के शुरुआती घंटों में अपना दूसरा रात का ऑपरेशन पूरा किया और फिर से निष्क्रिय हो गया।”
इसमें कहा गया है, “इस ऑपरेशन के दौरान, हमने मुख्य रूप से स्विच चालू करके और लोड देकर कई उपकरणों की स्थिति की जांच की। हालांकि एमबीसी के कुछ फंक्शनों में थोड़ी खराबी है, फिर भी यह काम करता है। हम इसकी स्थिति की सावधानीपूर्वक जांच कर रहे हैं।” एमबीसी ‘मल्टी-बैंड कैमरा’ है जिसका उपयोग चंद्रमा के चट्टानों की जांच के लिए किया जाता है।
रूस, अमेरिका, चीन और भारत के बाद जापान चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पांचवां देश है।
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नई दिल्ली, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। जापान ने चंद्रमा पर दो रात जमने से बचे रहने वाले अपने ‘स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून’ (स्लिम) को एक बार फिर निष्क्रिय कर दिया है। देश की अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा ने सोमवार को यह जानकारी दी।
स्लिम, जिसे जापानी में “मून स्नाइपर” भी कहा जाता है, 20 जनवरी को चंद्रमा की सतह पर उतरा था।
इसकी लैंडिंग योजना के अनुसार लक्ष्य के 100 मीटर के भीतर हुई, हालांकि यह सिर के बल चंद्रमा की सतह पर उतरा। अपने सौर पैनलों के सूर्य की ओर नहीं होने के कारण, लैंडर बिजली उत्पन्न नहीं कर पा रहा है।
मिशन के अधिकारी लैंडर के जम जाने और चंद्रमा की मुश्किल रातों का सामना करने में लैंडर के सक्षम नहीं होने को लेकर चिंतित थे। पृथ्वी के एकमात्र उपग्रह पर तापमान शून्य से 130 डिग्री सेल्सियस नीचे तक लुढ़क जाता है।
जाक्सा ने कहा, 200 किलोग्राम वजनी मानवरहित लैंडर सर्दियों में बच गया, हालांकि “कुछ तापमान सेंसर और अप्रयुक्त बैटरी सेल खराब होने लगे हैं”। इसने नई तस्वीरें भी पृथ्वी पर भेजी हैं।
जाक्सा ने बताया कि लैंडर ने अपना दूसरा रात्रि अभियान सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है और उसे निष्क्रिय कर दिया गया है।
जाक्सा ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “स्लिम ने 30 मार्च के शुरुआती घंटों में अपना दूसरा रात का ऑपरेशन पूरा किया और फिर से निष्क्रिय हो गया।”
इसमें कहा गया है, “इस ऑपरेशन के दौरान, हमने मुख्य रूप से स्विच चालू करके और लोड देकर कई उपकरणों की स्थिति की जांच की। हालांकि एमबीसी के कुछ फंक्शनों में थोड़ी खराबी है, फिर भी यह काम करता है। हम इसकी स्थिति की सावधानीपूर्वक जांच कर रहे हैं।” एमबीसी ‘मल्टी-बैंड कैमरा’ है जिसका उपयोग चंद्रमा के चट्टानों की जांच के लिए किया जाता है।
रूस, अमेरिका, चीन और भारत के बाद जापान चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पांचवां देश है।