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जामिया हिंसा : हाईकोर्ट ने शरजील इमाम, 8 अन्य के खिलाफ किए आरोप तय

by
March 28, 2023
in राष्ट्रीय
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जामिया हिंसा : हाईकोर्ट ने शरजील इमाम, 8 अन्य के खिलाफ किए आरोप तय
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नई दिल्ली, 28 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2019 के जामिया हिंसा मामले में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ पुलिस की पुनरीक्षण याचिका पर विभिन्न अपराधों के तहत 11 आरोपियों में से नौ के खिलाफ आरोप तय किए, जिनमें शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा और सफूरा जरगर शामिल हैं।

ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को सुनाए गए एक आदेश में 11 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था।

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न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने नौ आरोपियों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी सभा और अन्य सहित विभिन्न अपराधों के तहत आरोप तय किए।

हालांकि, अदालत ने उन्हें कई अन्य अपराधों से आंशिक रूप से मुक्त कर दिया है।

अदालत ने मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम, शरजील इमाम, चंदा यादव, सफूरा जरगर पर आईपीसी की धारा 143, 147, 149, 186, 353, 427 के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाया है।

न्यायमूर्ति शर्मा ने मोहम्मद शोएब और मोहम्मद अबुजार पर आईपीसी की धारा 143 के तहत आरोप लगाए और अन्य सभी धाराओं से आरोपमुक्त कर दिया।

आसिफ इकबाल तन्हा के मामले में अदालत ने उन्हें धारा 308, 323, 341 और 435 से मुक्त कर दिया लेकिन अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए।

न्यायाधीश शर्मा ने 23 मार्च को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी थी।

सभी 11 आरोपी व्यक्तियों – इमाम, तन्हा, जरगर, अबुजर, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शहजार रजा खान और चंदा यादव को ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को आरोपमुक्त कर दिया था, लेकिन मोहम्मद इलियास के खिलाफ गैरकानूनी असेंबली और दंगे के आरोप तय किए गए थे।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) वर्मा ने आरोपी व्यक्तियों को बरी करते हुए पुलिस को फटकार लगाई थी और कहा था कि पुलिस अपराध करने के पीछे वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ रही, लेकिन निश्चित रूप से इन 11 आरोपियों को बलि का बकरा बनाने में कामयाब रही।

–आईएएनएस

पीके/एसकेपी

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नई दिल्ली, 28 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2019 के जामिया हिंसा मामले में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ पुलिस की पुनरीक्षण याचिका पर विभिन्न अपराधों के तहत 11 आरोपियों में से नौ के खिलाफ आरोप तय किए, जिनमें शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा और सफूरा जरगर शामिल हैं।

ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को सुनाए गए एक आदेश में 11 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने नौ आरोपियों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी सभा और अन्य सहित विभिन्न अपराधों के तहत आरोप तय किए।

हालांकि, अदालत ने उन्हें कई अन्य अपराधों से आंशिक रूप से मुक्त कर दिया है।

अदालत ने मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम, शरजील इमाम, चंदा यादव, सफूरा जरगर पर आईपीसी की धारा 143, 147, 149, 186, 353, 427 के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाया है।

न्यायमूर्ति शर्मा ने मोहम्मद शोएब और मोहम्मद अबुजार पर आईपीसी की धारा 143 के तहत आरोप लगाए और अन्य सभी धाराओं से आरोपमुक्त कर दिया।

आसिफ इकबाल तन्हा के मामले में अदालत ने उन्हें धारा 308, 323, 341 और 435 से मुक्त कर दिया लेकिन अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए।

न्यायाधीश शर्मा ने 23 मार्च को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी थी।

सभी 11 आरोपी व्यक्तियों – इमाम, तन्हा, जरगर, अबुजर, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शहजार रजा खान और चंदा यादव को ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को आरोपमुक्त कर दिया था, लेकिन मोहम्मद इलियास के खिलाफ गैरकानूनी असेंबली और दंगे के आरोप तय किए गए थे।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) वर्मा ने आरोपी व्यक्तियों को बरी करते हुए पुलिस को फटकार लगाई थी और कहा था कि पुलिस अपराध करने के पीछे वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ रही, लेकिन निश्चित रूप से इन 11 आरोपियों को बलि का बकरा बनाने में कामयाब रही।

–आईएएनएस

पीके/एसकेपी

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नई दिल्ली, 28 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2019 के जामिया हिंसा मामले में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ पुलिस की पुनरीक्षण याचिका पर विभिन्न अपराधों के तहत 11 आरोपियों में से नौ के खिलाफ आरोप तय किए, जिनमें शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा और सफूरा जरगर शामिल हैं।

ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को सुनाए गए एक आदेश में 11 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने नौ आरोपियों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी सभा और अन्य सहित विभिन्न अपराधों के तहत आरोप तय किए।

हालांकि, अदालत ने उन्हें कई अन्य अपराधों से आंशिक रूप से मुक्त कर दिया है।

अदालत ने मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम, शरजील इमाम, चंदा यादव, सफूरा जरगर पर आईपीसी की धारा 143, 147, 149, 186, 353, 427 के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाया है।

न्यायमूर्ति शर्मा ने मोहम्मद शोएब और मोहम्मद अबुजार पर आईपीसी की धारा 143 के तहत आरोप लगाए और अन्य सभी धाराओं से आरोपमुक्त कर दिया।

आसिफ इकबाल तन्हा के मामले में अदालत ने उन्हें धारा 308, 323, 341 और 435 से मुक्त कर दिया लेकिन अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए।

न्यायाधीश शर्मा ने 23 मार्च को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी थी।

सभी 11 आरोपी व्यक्तियों – इमाम, तन्हा, जरगर, अबुजर, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शहजार रजा खान और चंदा यादव को ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को आरोपमुक्त कर दिया था, लेकिन मोहम्मद इलियास के खिलाफ गैरकानूनी असेंबली और दंगे के आरोप तय किए गए थे।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) वर्मा ने आरोपी व्यक्तियों को बरी करते हुए पुलिस को फटकार लगाई थी और कहा था कि पुलिस अपराध करने के पीछे वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ रही, लेकिन निश्चित रूप से इन 11 आरोपियों को बलि का बकरा बनाने में कामयाब रही।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 28 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2019 के जामिया हिंसा मामले में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ पुलिस की पुनरीक्षण याचिका पर विभिन्न अपराधों के तहत 11 आरोपियों में से नौ के खिलाफ आरोप तय किए, जिनमें शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा और सफूरा जरगर शामिल हैं।

ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को सुनाए गए एक आदेश में 11 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने नौ आरोपियों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी सभा और अन्य सहित विभिन्न अपराधों के तहत आरोप तय किए।

हालांकि, अदालत ने उन्हें कई अन्य अपराधों से आंशिक रूप से मुक्त कर दिया है।

अदालत ने मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम, शरजील इमाम, चंदा यादव, सफूरा जरगर पर आईपीसी की धारा 143, 147, 149, 186, 353, 427 के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाया है।

न्यायमूर्ति शर्मा ने मोहम्मद शोएब और मोहम्मद अबुजार पर आईपीसी की धारा 143 के तहत आरोप लगाए और अन्य सभी धाराओं से आरोपमुक्त कर दिया।

आसिफ इकबाल तन्हा के मामले में अदालत ने उन्हें धारा 308, 323, 341 और 435 से मुक्त कर दिया लेकिन अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए।

न्यायाधीश शर्मा ने 23 मार्च को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी थी।

सभी 11 आरोपी व्यक्तियों – इमाम, तन्हा, जरगर, अबुजर, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शहजार रजा खान और चंदा यादव को ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को आरोपमुक्त कर दिया था, लेकिन मोहम्मद इलियास के खिलाफ गैरकानूनी असेंबली और दंगे के आरोप तय किए गए थे।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) वर्मा ने आरोपी व्यक्तियों को बरी करते हुए पुलिस को फटकार लगाई थी और कहा था कि पुलिस अपराध करने के पीछे वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ रही, लेकिन निश्चित रूप से इन 11 आरोपियों को बलि का बकरा बनाने में कामयाब रही।

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नई दिल्ली, 28 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2019 के जामिया हिंसा मामले में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ पुलिस की पुनरीक्षण याचिका पर विभिन्न अपराधों के तहत 11 आरोपियों में से नौ के खिलाफ आरोप तय किए, जिनमें शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा और सफूरा जरगर शामिल हैं।

ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को सुनाए गए एक आदेश में 11 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने नौ आरोपियों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी सभा और अन्य सहित विभिन्न अपराधों के तहत आरोप तय किए।

हालांकि, अदालत ने उन्हें कई अन्य अपराधों से आंशिक रूप से मुक्त कर दिया है।

अदालत ने मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम, शरजील इमाम, चंदा यादव, सफूरा जरगर पर आईपीसी की धारा 143, 147, 149, 186, 353, 427 के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाया है।

न्यायमूर्ति शर्मा ने मोहम्मद शोएब और मोहम्मद अबुजार पर आईपीसी की धारा 143 के तहत आरोप लगाए और अन्य सभी धाराओं से आरोपमुक्त कर दिया।

आसिफ इकबाल तन्हा के मामले में अदालत ने उन्हें धारा 308, 323, 341 और 435 से मुक्त कर दिया लेकिन अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए।

न्यायाधीश शर्मा ने 23 मार्च को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी थी।

सभी 11 आरोपी व्यक्तियों – इमाम, तन्हा, जरगर, अबुजर, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शहजार रजा खान और चंदा यादव को ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को आरोपमुक्त कर दिया था, लेकिन मोहम्मद इलियास के खिलाफ गैरकानूनी असेंबली और दंगे के आरोप तय किए गए थे।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) वर्मा ने आरोपी व्यक्तियों को बरी करते हुए पुलिस को फटकार लगाई थी और कहा था कि पुलिस अपराध करने के पीछे वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ रही, लेकिन निश्चित रूप से इन 11 आरोपियों को बलि का बकरा बनाने में कामयाब रही।

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नई दिल्ली, 28 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2019 के जामिया हिंसा मामले में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ पुलिस की पुनरीक्षण याचिका पर विभिन्न अपराधों के तहत 11 आरोपियों में से नौ के खिलाफ आरोप तय किए, जिनमें शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा और सफूरा जरगर शामिल हैं।

ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को सुनाए गए एक आदेश में 11 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने नौ आरोपियों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी सभा और अन्य सहित विभिन्न अपराधों के तहत आरोप तय किए।

हालांकि, अदालत ने उन्हें कई अन्य अपराधों से आंशिक रूप से मुक्त कर दिया है।

अदालत ने मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम, शरजील इमाम, चंदा यादव, सफूरा जरगर पर आईपीसी की धारा 143, 147, 149, 186, 353, 427 के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाया है।

न्यायमूर्ति शर्मा ने मोहम्मद शोएब और मोहम्मद अबुजार पर आईपीसी की धारा 143 के तहत आरोप लगाए और अन्य सभी धाराओं से आरोपमुक्त कर दिया।

आसिफ इकबाल तन्हा के मामले में अदालत ने उन्हें धारा 308, 323, 341 और 435 से मुक्त कर दिया लेकिन अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए।

न्यायाधीश शर्मा ने 23 मार्च को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी थी।

सभी 11 आरोपी व्यक्तियों – इमाम, तन्हा, जरगर, अबुजर, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शहजार रजा खान और चंदा यादव को ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को आरोपमुक्त कर दिया था, लेकिन मोहम्मद इलियास के खिलाफ गैरकानूनी असेंबली और दंगे के आरोप तय किए गए थे।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) वर्मा ने आरोपी व्यक्तियों को बरी करते हुए पुलिस को फटकार लगाई थी और कहा था कि पुलिस अपराध करने के पीछे वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ रही, लेकिन निश्चित रूप से इन 11 आरोपियों को बलि का बकरा बनाने में कामयाब रही।

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नई दिल्ली, 28 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2019 के जामिया हिंसा मामले में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ पुलिस की पुनरीक्षण याचिका पर विभिन्न अपराधों के तहत 11 आरोपियों में से नौ के खिलाफ आरोप तय किए, जिनमें शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा और सफूरा जरगर शामिल हैं।

ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को सुनाए गए एक आदेश में 11 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने नौ आरोपियों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी सभा और अन्य सहित विभिन्न अपराधों के तहत आरोप तय किए।

हालांकि, अदालत ने उन्हें कई अन्य अपराधों से आंशिक रूप से मुक्त कर दिया है।

अदालत ने मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम, शरजील इमाम, चंदा यादव, सफूरा जरगर पर आईपीसी की धारा 143, 147, 149, 186, 353, 427 के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाया है।

न्यायमूर्ति शर्मा ने मोहम्मद शोएब और मोहम्मद अबुजार पर आईपीसी की धारा 143 के तहत आरोप लगाए और अन्य सभी धाराओं से आरोपमुक्त कर दिया।

आसिफ इकबाल तन्हा के मामले में अदालत ने उन्हें धारा 308, 323, 341 और 435 से मुक्त कर दिया लेकिन अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए।

न्यायाधीश शर्मा ने 23 मार्च को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी थी।

सभी 11 आरोपी व्यक्तियों – इमाम, तन्हा, जरगर, अबुजर, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शहजार रजा खान और चंदा यादव को ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को आरोपमुक्त कर दिया था, लेकिन मोहम्मद इलियास के खिलाफ गैरकानूनी असेंबली और दंगे के आरोप तय किए गए थे।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) वर्मा ने आरोपी व्यक्तियों को बरी करते हुए पुलिस को फटकार लगाई थी और कहा था कि पुलिस अपराध करने के पीछे वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ रही, लेकिन निश्चित रूप से इन 11 आरोपियों को बलि का बकरा बनाने में कामयाब रही।

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न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने नौ आरोपियों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी सभा और अन्य सहित विभिन्न अपराधों के तहत आरोप तय किए।

हालांकि, अदालत ने उन्हें कई अन्य अपराधों से आंशिक रूप से मुक्त कर दिया है।

अदालत ने मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम, शरजील इमाम, चंदा यादव, सफूरा जरगर पर आईपीसी की धारा 143, 147, 149, 186, 353, 427 के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाया है।

न्यायमूर्ति शर्मा ने मोहम्मद शोएब और मोहम्मद अबुजार पर आईपीसी की धारा 143 के तहत आरोप लगाए और अन्य सभी धाराओं से आरोपमुक्त कर दिया।

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दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी थी।

सभी 11 आरोपी व्यक्तियों – इमाम, तन्हा, जरगर, अबुजर, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शहजार रजा खान और चंदा यादव को ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को आरोपमुक्त कर दिया था, लेकिन मोहम्मद इलियास के खिलाफ गैरकानूनी असेंबली और दंगे के आरोप तय किए गए थे।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) वर्मा ने आरोपी व्यक्तियों को बरी करते हुए पुलिस को फटकार लगाई थी और कहा था कि पुलिस अपराध करने के पीछे वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ रही, लेकिन निश्चित रूप से इन 11 आरोपियों को बलि का बकरा बनाने में कामयाब रही।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 28 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2019 के जामिया हिंसा मामले में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ पुलिस की पुनरीक्षण याचिका पर विभिन्न अपराधों के तहत 11 आरोपियों में से नौ के खिलाफ आरोप तय किए, जिनमें शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा और सफूरा जरगर शामिल हैं।

ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को सुनाए गए एक आदेश में 11 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने नौ आरोपियों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी सभा और अन्य सहित विभिन्न अपराधों के तहत आरोप तय किए।

हालांकि, अदालत ने उन्हें कई अन्य अपराधों से आंशिक रूप से मुक्त कर दिया है।

अदालत ने मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम, शरजील इमाम, चंदा यादव, सफूरा जरगर पर आईपीसी की धारा 143, 147, 149, 186, 353, 427 के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाया है।

न्यायमूर्ति शर्मा ने मोहम्मद शोएब और मोहम्मद अबुजार पर आईपीसी की धारा 143 के तहत आरोप लगाए और अन्य सभी धाराओं से आरोपमुक्त कर दिया।

आसिफ इकबाल तन्हा के मामले में अदालत ने उन्हें धारा 308, 323, 341 और 435 से मुक्त कर दिया लेकिन अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए।

न्यायाधीश शर्मा ने 23 मार्च को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी थी।

सभी 11 आरोपी व्यक्तियों – इमाम, तन्हा, जरगर, अबुजर, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शहजार रजा खान और चंदा यादव को ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को आरोपमुक्त कर दिया था, लेकिन मोहम्मद इलियास के खिलाफ गैरकानूनी असेंबली और दंगे के आरोप तय किए गए थे।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) वर्मा ने आरोपी व्यक्तियों को बरी करते हुए पुलिस को फटकार लगाई थी और कहा था कि पुलिस अपराध करने के पीछे वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ रही, लेकिन निश्चित रूप से इन 11 आरोपियों को बलि का बकरा बनाने में कामयाब रही।

–आईएएनएस

पीके/एसकेपी

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नई दिल्ली, 28 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2019 के जामिया हिंसा मामले में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ पुलिस की पुनरीक्षण याचिका पर विभिन्न अपराधों के तहत 11 आरोपियों में से नौ के खिलाफ आरोप तय किए, जिनमें शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा और सफूरा जरगर शामिल हैं।

ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को सुनाए गए एक आदेश में 11 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने नौ आरोपियों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी सभा और अन्य सहित विभिन्न अपराधों के तहत आरोप तय किए।

हालांकि, अदालत ने उन्हें कई अन्य अपराधों से आंशिक रूप से मुक्त कर दिया है।

अदालत ने मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम, शरजील इमाम, चंदा यादव, सफूरा जरगर पर आईपीसी की धारा 143, 147, 149, 186, 353, 427 के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाया है।

न्यायमूर्ति शर्मा ने मोहम्मद शोएब और मोहम्मद अबुजार पर आईपीसी की धारा 143 के तहत आरोप लगाए और अन्य सभी धाराओं से आरोपमुक्त कर दिया।

आसिफ इकबाल तन्हा के मामले में अदालत ने उन्हें धारा 308, 323, 341 और 435 से मुक्त कर दिया लेकिन अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए।

न्यायाधीश शर्मा ने 23 मार्च को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी थी।

सभी 11 आरोपी व्यक्तियों – इमाम, तन्हा, जरगर, अबुजर, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शहजार रजा खान और चंदा यादव को ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को आरोपमुक्त कर दिया था, लेकिन मोहम्मद इलियास के खिलाफ गैरकानूनी असेंबली और दंगे के आरोप तय किए गए थे।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) वर्मा ने आरोपी व्यक्तियों को बरी करते हुए पुलिस को फटकार लगाई थी और कहा था कि पुलिस अपराध करने के पीछे वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ रही, लेकिन निश्चित रूप से इन 11 आरोपियों को बलि का बकरा बनाने में कामयाब रही।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 28 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2019 के जामिया हिंसा मामले में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ पुलिस की पुनरीक्षण याचिका पर विभिन्न अपराधों के तहत 11 आरोपियों में से नौ के खिलाफ आरोप तय किए, जिनमें शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा और सफूरा जरगर शामिल हैं।

ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को सुनाए गए एक आदेश में 11 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने नौ आरोपियों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी सभा और अन्य सहित विभिन्न अपराधों के तहत आरोप तय किए।

हालांकि, अदालत ने उन्हें कई अन्य अपराधों से आंशिक रूप से मुक्त कर दिया है।

अदालत ने मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम, शरजील इमाम, चंदा यादव, सफूरा जरगर पर आईपीसी की धारा 143, 147, 149, 186, 353, 427 के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाया है।

न्यायमूर्ति शर्मा ने मोहम्मद शोएब और मोहम्मद अबुजार पर आईपीसी की धारा 143 के तहत आरोप लगाए और अन्य सभी धाराओं से आरोपमुक्त कर दिया।

आसिफ इकबाल तन्हा के मामले में अदालत ने उन्हें धारा 308, 323, 341 और 435 से मुक्त कर दिया लेकिन अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए।

न्यायाधीश शर्मा ने 23 मार्च को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी थी।

सभी 11 आरोपी व्यक्तियों – इमाम, तन्हा, जरगर, अबुजर, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शहजार रजा खान और चंदा यादव को ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को आरोपमुक्त कर दिया था, लेकिन मोहम्मद इलियास के खिलाफ गैरकानूनी असेंबली और दंगे के आरोप तय किए गए थे।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) वर्मा ने आरोपी व्यक्तियों को बरी करते हुए पुलिस को फटकार लगाई थी और कहा था कि पुलिस अपराध करने के पीछे वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ रही, लेकिन निश्चित रूप से इन 11 आरोपियों को बलि का बकरा बनाने में कामयाब रही।

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ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को सुनाए गए एक आदेश में 11 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने नौ आरोपियों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी सभा और अन्य सहित विभिन्न अपराधों के तहत आरोप तय किए।

हालांकि, अदालत ने उन्हें कई अन्य अपराधों से आंशिक रूप से मुक्त कर दिया है।

अदालत ने मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम, शरजील इमाम, चंदा यादव, सफूरा जरगर पर आईपीसी की धारा 143, 147, 149, 186, 353, 427 के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाया है।

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दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी थी।

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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) वर्मा ने आरोपी व्यक्तियों को बरी करते हुए पुलिस को फटकार लगाई थी और कहा था कि पुलिस अपराध करने के पीछे वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ रही, लेकिन निश्चित रूप से इन 11 आरोपियों को बलि का बकरा बनाने में कामयाब रही।

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ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को सुनाए गए एक आदेश में 11 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने नौ आरोपियों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी सभा और अन्य सहित विभिन्न अपराधों के तहत आरोप तय किए।

हालांकि, अदालत ने उन्हें कई अन्य अपराधों से आंशिक रूप से मुक्त कर दिया है।

अदालत ने मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम, शरजील इमाम, चंदा यादव, सफूरा जरगर पर आईपीसी की धारा 143, 147, 149, 186, 353, 427 के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाया है।

न्यायमूर्ति शर्मा ने मोहम्मद शोएब और मोहम्मद अबुजार पर आईपीसी की धारा 143 के तहत आरोप लगाए और अन्य सभी धाराओं से आरोपमुक्त कर दिया।

आसिफ इकबाल तन्हा के मामले में अदालत ने उन्हें धारा 308, 323, 341 और 435 से मुक्त कर दिया लेकिन अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए।

न्यायाधीश शर्मा ने 23 मार्च को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी थी।

सभी 11 आरोपी व्यक्तियों – इमाम, तन्हा, जरगर, अबुजर, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शहजार रजा खान और चंदा यादव को ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को आरोपमुक्त कर दिया था, लेकिन मोहम्मद इलियास के खिलाफ गैरकानूनी असेंबली और दंगे के आरोप तय किए गए थे।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) वर्मा ने आरोपी व्यक्तियों को बरी करते हुए पुलिस को फटकार लगाई थी और कहा था कि पुलिस अपराध करने के पीछे वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ रही, लेकिन निश्चित रूप से इन 11 आरोपियों को बलि का बकरा बनाने में कामयाब रही।

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ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को सुनाए गए एक आदेश में 11 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने नौ आरोपियों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी सभा और अन्य सहित विभिन्न अपराधों के तहत आरोप तय किए।

हालांकि, अदालत ने उन्हें कई अन्य अपराधों से आंशिक रूप से मुक्त कर दिया है।

अदालत ने मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम, शरजील इमाम, चंदा यादव, सफूरा जरगर पर आईपीसी की धारा 143, 147, 149, 186, 353, 427 के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाया है।

न्यायमूर्ति शर्मा ने मोहम्मद शोएब और मोहम्मद अबुजार पर आईपीसी की धारा 143 के तहत आरोप लगाए और अन्य सभी धाराओं से आरोपमुक्त कर दिया।

आसिफ इकबाल तन्हा के मामले में अदालत ने उन्हें धारा 308, 323, 341 और 435 से मुक्त कर दिया लेकिन अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए।

न्यायाधीश शर्मा ने 23 मार्च को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी थी।

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ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को सुनाए गए एक आदेश में 11 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने नौ आरोपियों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी सभा और अन्य सहित विभिन्न अपराधों के तहत आरोप तय किए।

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अदालत ने मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम, शरजील इमाम, चंदा यादव, सफूरा जरगर पर आईपीसी की धारा 143, 147, 149, 186, 353, 427 के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाया है।

न्यायमूर्ति शर्मा ने मोहम्मद शोएब और मोहम्मद अबुजार पर आईपीसी की धारा 143 के तहत आरोप लगाए और अन्य सभी धाराओं से आरोपमुक्त कर दिया।

आसिफ इकबाल तन्हा के मामले में अदालत ने उन्हें धारा 308, 323, 341 और 435 से मुक्त कर दिया लेकिन अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए।

न्यायाधीश शर्मा ने 23 मार्च को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी थी।

सभी 11 आरोपी व्यक्तियों – इमाम, तन्हा, जरगर, अबुजर, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शहजार रजा खान और चंदा यादव को ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को आरोपमुक्त कर दिया था, लेकिन मोहम्मद इलियास के खिलाफ गैरकानूनी असेंबली और दंगे के आरोप तय किए गए थे।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) वर्मा ने आरोपी व्यक्तियों को बरी करते हुए पुलिस को फटकार लगाई थी और कहा था कि पुलिस अपराध करने के पीछे वास्तविक अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ रही, लेकिन निश्चित रूप से इन 11 आरोपियों को बलि का बकरा बनाने में कामयाब रही।

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ट्रायल कोर्ट ने 4 फरवरी को सुनाए गए एक आदेश में 11 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने नौ आरोपियों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी सभा और अन्य सहित विभिन्न अपराधों के तहत आरोप तय किए।

हालांकि, अदालत ने उन्हें कई अन्य अपराधों से आंशिक रूप से मुक्त कर दिया है।

अदालत ने मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम, शरजील इमाम, चंदा यादव, सफूरा जरगर पर आईपीसी की धारा 143, 147, 149, 186, 353, 427 के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाया है।

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दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क उठी थी।

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