deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ताज़ा समाचार

जिंदल ग्रुप 2025 तक विकसित करेगा 4,500 टन प्रति वर्ष की ग्रीन हाइड्रोजन क्षमता

by
September 16, 2024
in ताज़ा समाचार
0
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से सोमवार को ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश के लिए साझेदारी का ऐलान किया गया।

देश की स्टील इंडस्ट्री में दोनों कंपनियों की ओर से डी-कार्बोनाइजेशन और ग्रीन एनर्जी में लीडरशीप के लिए यह एमओयू साइन किया है। जिंदल स्टील की योजना ग्रीन हाइड्रोजन को ओडिशा के अंगुल में स्थित उसके डायरेक्ट रेड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) यूनिट्स में एकीकृत करना है।

READ ALSO

पश्चिम बंगाल: हुगली में नवरात्रि के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता, बड़े पैमाने पर पुलिस बल तैनात

बांसवाड़ा में प्रधानमंत्री मोदी का किसानों से संवाद, पीएम-कुसुम योजना के प्रभाव पर जताई प्रसन्नता

कंपनी की ओर से कहा गया कि पहले चरण में जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से 4,500 टन प्रति वर्ष की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी। इसे शुरू करने की डेडलाइन दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। इस प्रोजेक्ट में प्रति वर्ष 36,000 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति भी शामिल होगी जिसका उपयोग अंगुल स्टील वर्क्स में किया जाएगा।

जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से जिंदल स्टील यूनिट्स को 3 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी की भी आपूर्ति की जाएगी। इसके जरिए जिंदल स्टील की कोशिश अगले 2 से 3 वर्षों में कोयले पर निर्भरता को 50 प्रतिशत तक घटाना है।

जिंदल स्टील के स्ट्रेटजी और कॉरपोरेट मामलों के निदेशक संजय सिंह का कहा, “उत्पादन के प्रोसेस में ग्रीन एनर्जी और ग्रीन हाइड्रोजन का एकीकरण करके, हम न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे हैं, बल्कि भारत की स्टील इंडस्ट्री के लिए नए बेंचमार्क सेट कर रहे हैं। यह साझेदारी सतत विकास और नवाचार के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

इस करार के तहत जिंदल स्टील की ओर से जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा। जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूएबल एनर्जी सुविधाओं के विकास और ऑपरेशन को संभाला जाएगा।

इस साझेदारी के जरिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत में ही नहीं कमी आएगी, बल्कि इससे अगले 25 वर्षों के लिए लंबी अवधि के सतत बिजनेस मॉडल का रास्ता सुनिश्चित करना है।

जिंदल स्टील, पूरे विश्व में 12 अरब डॉलर के निवेश के साथ लगातार अपनी क्षमता और संचालन को किफायती बनाने को लेकर काम करता रहता है। साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान दे रहा है।

जिंदल रिन्यूएबल का उद्देश्य भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में अग्रणी बनना है। मौजूदा समय में करीब 3 गीगावट की रिन्यूएबल क्षमता विकसित कर रहा है।

कंपनी का उद्देश्य 2030 तक 12 गीगावाट से ज्यादा की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करना है।

–आईएएनएस

एबीएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से सोमवार को ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश के लिए साझेदारी का ऐलान किया गया।

देश की स्टील इंडस्ट्री में दोनों कंपनियों की ओर से डी-कार्बोनाइजेशन और ग्रीन एनर्जी में लीडरशीप के लिए यह एमओयू साइन किया है। जिंदल स्टील की योजना ग्रीन हाइड्रोजन को ओडिशा के अंगुल में स्थित उसके डायरेक्ट रेड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) यूनिट्स में एकीकृत करना है।

कंपनी की ओर से कहा गया कि पहले चरण में जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से 4,500 टन प्रति वर्ष की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी। इसे शुरू करने की डेडलाइन दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। इस प्रोजेक्ट में प्रति वर्ष 36,000 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति भी शामिल होगी जिसका उपयोग अंगुल स्टील वर्क्स में किया जाएगा।

जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से जिंदल स्टील यूनिट्स को 3 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी की भी आपूर्ति की जाएगी। इसके जरिए जिंदल स्टील की कोशिश अगले 2 से 3 वर्षों में कोयले पर निर्भरता को 50 प्रतिशत तक घटाना है।

जिंदल स्टील के स्ट्रेटजी और कॉरपोरेट मामलों के निदेशक संजय सिंह का कहा, “उत्पादन के प्रोसेस में ग्रीन एनर्जी और ग्रीन हाइड्रोजन का एकीकरण करके, हम न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे हैं, बल्कि भारत की स्टील इंडस्ट्री के लिए नए बेंचमार्क सेट कर रहे हैं। यह साझेदारी सतत विकास और नवाचार के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

इस करार के तहत जिंदल स्टील की ओर से जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा। जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूएबल एनर्जी सुविधाओं के विकास और ऑपरेशन को संभाला जाएगा।

इस साझेदारी के जरिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत में ही नहीं कमी आएगी, बल्कि इससे अगले 25 वर्षों के लिए लंबी अवधि के सतत बिजनेस मॉडल का रास्ता सुनिश्चित करना है।

जिंदल स्टील, पूरे विश्व में 12 अरब डॉलर के निवेश के साथ लगातार अपनी क्षमता और संचालन को किफायती बनाने को लेकर काम करता रहता है। साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान दे रहा है।

जिंदल रिन्यूएबल का उद्देश्य भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में अग्रणी बनना है। मौजूदा समय में करीब 3 गीगावट की रिन्यूएबल क्षमता विकसित कर रहा है।

कंपनी का उद्देश्य 2030 तक 12 गीगावाट से ज्यादा की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करना है।

–आईएएनएस

एबीएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से सोमवार को ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश के लिए साझेदारी का ऐलान किया गया।

देश की स्टील इंडस्ट्री में दोनों कंपनियों की ओर से डी-कार्बोनाइजेशन और ग्रीन एनर्जी में लीडरशीप के लिए यह एमओयू साइन किया है। जिंदल स्टील की योजना ग्रीन हाइड्रोजन को ओडिशा के अंगुल में स्थित उसके डायरेक्ट रेड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) यूनिट्स में एकीकृत करना है।

कंपनी की ओर से कहा गया कि पहले चरण में जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से 4,500 टन प्रति वर्ष की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी। इसे शुरू करने की डेडलाइन दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। इस प्रोजेक्ट में प्रति वर्ष 36,000 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति भी शामिल होगी जिसका उपयोग अंगुल स्टील वर्क्स में किया जाएगा।

जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से जिंदल स्टील यूनिट्स को 3 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी की भी आपूर्ति की जाएगी। इसके जरिए जिंदल स्टील की कोशिश अगले 2 से 3 वर्षों में कोयले पर निर्भरता को 50 प्रतिशत तक घटाना है।

जिंदल स्टील के स्ट्रेटजी और कॉरपोरेट मामलों के निदेशक संजय सिंह का कहा, “उत्पादन के प्रोसेस में ग्रीन एनर्जी और ग्रीन हाइड्रोजन का एकीकरण करके, हम न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे हैं, बल्कि भारत की स्टील इंडस्ट्री के लिए नए बेंचमार्क सेट कर रहे हैं। यह साझेदारी सतत विकास और नवाचार के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

इस करार के तहत जिंदल स्टील की ओर से जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा। जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूएबल एनर्जी सुविधाओं के विकास और ऑपरेशन को संभाला जाएगा।

इस साझेदारी के जरिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत में ही नहीं कमी आएगी, बल्कि इससे अगले 25 वर्षों के लिए लंबी अवधि के सतत बिजनेस मॉडल का रास्ता सुनिश्चित करना है।

जिंदल स्टील, पूरे विश्व में 12 अरब डॉलर के निवेश के साथ लगातार अपनी क्षमता और संचालन को किफायती बनाने को लेकर काम करता रहता है। साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान दे रहा है।

जिंदल रिन्यूएबल का उद्देश्य भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में अग्रणी बनना है। मौजूदा समय में करीब 3 गीगावट की रिन्यूएबल क्षमता विकसित कर रहा है।

कंपनी का उद्देश्य 2030 तक 12 गीगावाट से ज्यादा की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करना है।

–आईएएनएस

एबीएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से सोमवार को ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश के लिए साझेदारी का ऐलान किया गया।

देश की स्टील इंडस्ट्री में दोनों कंपनियों की ओर से डी-कार्बोनाइजेशन और ग्रीन एनर्जी में लीडरशीप के लिए यह एमओयू साइन किया है। जिंदल स्टील की योजना ग्रीन हाइड्रोजन को ओडिशा के अंगुल में स्थित उसके डायरेक्ट रेड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) यूनिट्स में एकीकृत करना है।

कंपनी की ओर से कहा गया कि पहले चरण में जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से 4,500 टन प्रति वर्ष की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी। इसे शुरू करने की डेडलाइन दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। इस प्रोजेक्ट में प्रति वर्ष 36,000 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति भी शामिल होगी जिसका उपयोग अंगुल स्टील वर्क्स में किया जाएगा।

जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से जिंदल स्टील यूनिट्स को 3 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी की भी आपूर्ति की जाएगी। इसके जरिए जिंदल स्टील की कोशिश अगले 2 से 3 वर्षों में कोयले पर निर्भरता को 50 प्रतिशत तक घटाना है।

जिंदल स्टील के स्ट्रेटजी और कॉरपोरेट मामलों के निदेशक संजय सिंह का कहा, “उत्पादन के प्रोसेस में ग्रीन एनर्जी और ग्रीन हाइड्रोजन का एकीकरण करके, हम न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे हैं, बल्कि भारत की स्टील इंडस्ट्री के लिए नए बेंचमार्क सेट कर रहे हैं। यह साझेदारी सतत विकास और नवाचार के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

इस करार के तहत जिंदल स्टील की ओर से जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा। जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूएबल एनर्जी सुविधाओं के विकास और ऑपरेशन को संभाला जाएगा।

इस साझेदारी के जरिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत में ही नहीं कमी आएगी, बल्कि इससे अगले 25 वर्षों के लिए लंबी अवधि के सतत बिजनेस मॉडल का रास्ता सुनिश्चित करना है।

जिंदल स्टील, पूरे विश्व में 12 अरब डॉलर के निवेश के साथ लगातार अपनी क्षमता और संचालन को किफायती बनाने को लेकर काम करता रहता है। साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान दे रहा है।

जिंदल रिन्यूएबल का उद्देश्य भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में अग्रणी बनना है। मौजूदा समय में करीब 3 गीगावट की रिन्यूएबल क्षमता विकसित कर रहा है।

कंपनी का उद्देश्य 2030 तक 12 गीगावाट से ज्यादा की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करना है।

–आईएएनएस

एबीएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से सोमवार को ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश के लिए साझेदारी का ऐलान किया गया।

देश की स्टील इंडस्ट्री में दोनों कंपनियों की ओर से डी-कार्बोनाइजेशन और ग्रीन एनर्जी में लीडरशीप के लिए यह एमओयू साइन किया है। जिंदल स्टील की योजना ग्रीन हाइड्रोजन को ओडिशा के अंगुल में स्थित उसके डायरेक्ट रेड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) यूनिट्स में एकीकृत करना है।

कंपनी की ओर से कहा गया कि पहले चरण में जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से 4,500 टन प्रति वर्ष की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी। इसे शुरू करने की डेडलाइन दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। इस प्रोजेक्ट में प्रति वर्ष 36,000 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति भी शामिल होगी जिसका उपयोग अंगुल स्टील वर्क्स में किया जाएगा।

जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से जिंदल स्टील यूनिट्स को 3 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी की भी आपूर्ति की जाएगी। इसके जरिए जिंदल स्टील की कोशिश अगले 2 से 3 वर्षों में कोयले पर निर्भरता को 50 प्रतिशत तक घटाना है।

जिंदल स्टील के स्ट्रेटजी और कॉरपोरेट मामलों के निदेशक संजय सिंह का कहा, “उत्पादन के प्रोसेस में ग्रीन एनर्जी और ग्रीन हाइड्रोजन का एकीकरण करके, हम न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे हैं, बल्कि भारत की स्टील इंडस्ट्री के लिए नए बेंचमार्क सेट कर रहे हैं। यह साझेदारी सतत विकास और नवाचार के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

इस करार के तहत जिंदल स्टील की ओर से जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा। जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूएबल एनर्जी सुविधाओं के विकास और ऑपरेशन को संभाला जाएगा।

इस साझेदारी के जरिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत में ही नहीं कमी आएगी, बल्कि इससे अगले 25 वर्षों के लिए लंबी अवधि के सतत बिजनेस मॉडल का रास्ता सुनिश्चित करना है।

जिंदल स्टील, पूरे विश्व में 12 अरब डॉलर के निवेश के साथ लगातार अपनी क्षमता और संचालन को किफायती बनाने को लेकर काम करता रहता है। साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान दे रहा है।

जिंदल रिन्यूएबल का उद्देश्य भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में अग्रणी बनना है। मौजूदा समय में करीब 3 गीगावट की रिन्यूएबल क्षमता विकसित कर रहा है।

कंपनी का उद्देश्य 2030 तक 12 गीगावाट से ज्यादा की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करना है।

–आईएएनएस

एबीएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से सोमवार को ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश के लिए साझेदारी का ऐलान किया गया।

देश की स्टील इंडस्ट्री में दोनों कंपनियों की ओर से डी-कार्बोनाइजेशन और ग्रीन एनर्जी में लीडरशीप के लिए यह एमओयू साइन किया है। जिंदल स्टील की योजना ग्रीन हाइड्रोजन को ओडिशा के अंगुल में स्थित उसके डायरेक्ट रेड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) यूनिट्स में एकीकृत करना है।

कंपनी की ओर से कहा गया कि पहले चरण में जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से 4,500 टन प्रति वर्ष की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी। इसे शुरू करने की डेडलाइन दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। इस प्रोजेक्ट में प्रति वर्ष 36,000 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति भी शामिल होगी जिसका उपयोग अंगुल स्टील वर्क्स में किया जाएगा।

जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से जिंदल स्टील यूनिट्स को 3 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी की भी आपूर्ति की जाएगी। इसके जरिए जिंदल स्टील की कोशिश अगले 2 से 3 वर्षों में कोयले पर निर्भरता को 50 प्रतिशत तक घटाना है।

जिंदल स्टील के स्ट्रेटजी और कॉरपोरेट मामलों के निदेशक संजय सिंह का कहा, “उत्पादन के प्रोसेस में ग्रीन एनर्जी और ग्रीन हाइड्रोजन का एकीकरण करके, हम न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे हैं, बल्कि भारत की स्टील इंडस्ट्री के लिए नए बेंचमार्क सेट कर रहे हैं। यह साझेदारी सतत विकास और नवाचार के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

इस करार के तहत जिंदल स्टील की ओर से जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा। जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूएबल एनर्जी सुविधाओं के विकास और ऑपरेशन को संभाला जाएगा।

इस साझेदारी के जरिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत में ही नहीं कमी आएगी, बल्कि इससे अगले 25 वर्षों के लिए लंबी अवधि के सतत बिजनेस मॉडल का रास्ता सुनिश्चित करना है।

जिंदल स्टील, पूरे विश्व में 12 अरब डॉलर के निवेश के साथ लगातार अपनी क्षमता और संचालन को किफायती बनाने को लेकर काम करता रहता है। साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान दे रहा है।

जिंदल रिन्यूएबल का उद्देश्य भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में अग्रणी बनना है। मौजूदा समय में करीब 3 गीगावट की रिन्यूएबल क्षमता विकसित कर रहा है।

कंपनी का उद्देश्य 2030 तक 12 गीगावाट से ज्यादा की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करना है।

–आईएएनएस

एबीएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से सोमवार को ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश के लिए साझेदारी का ऐलान किया गया।

देश की स्टील इंडस्ट्री में दोनों कंपनियों की ओर से डी-कार्बोनाइजेशन और ग्रीन एनर्जी में लीडरशीप के लिए यह एमओयू साइन किया है। जिंदल स्टील की योजना ग्रीन हाइड्रोजन को ओडिशा के अंगुल में स्थित उसके डायरेक्ट रेड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) यूनिट्स में एकीकृत करना है।

कंपनी की ओर से कहा गया कि पहले चरण में जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से 4,500 टन प्रति वर्ष की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी। इसे शुरू करने की डेडलाइन दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। इस प्रोजेक्ट में प्रति वर्ष 36,000 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति भी शामिल होगी जिसका उपयोग अंगुल स्टील वर्क्स में किया जाएगा।

जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से जिंदल स्टील यूनिट्स को 3 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी की भी आपूर्ति की जाएगी। इसके जरिए जिंदल स्टील की कोशिश अगले 2 से 3 वर्षों में कोयले पर निर्भरता को 50 प्रतिशत तक घटाना है।

जिंदल स्टील के स्ट्रेटजी और कॉरपोरेट मामलों के निदेशक संजय सिंह का कहा, “उत्पादन के प्रोसेस में ग्रीन एनर्जी और ग्रीन हाइड्रोजन का एकीकरण करके, हम न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे हैं, बल्कि भारत की स्टील इंडस्ट्री के लिए नए बेंचमार्क सेट कर रहे हैं। यह साझेदारी सतत विकास और नवाचार के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

इस करार के तहत जिंदल स्टील की ओर से जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा। जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूएबल एनर्जी सुविधाओं के विकास और ऑपरेशन को संभाला जाएगा।

इस साझेदारी के जरिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत में ही नहीं कमी आएगी, बल्कि इससे अगले 25 वर्षों के लिए लंबी अवधि के सतत बिजनेस मॉडल का रास्ता सुनिश्चित करना है।

जिंदल स्टील, पूरे विश्व में 12 अरब डॉलर के निवेश के साथ लगातार अपनी क्षमता और संचालन को किफायती बनाने को लेकर काम करता रहता है। साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान दे रहा है।

जिंदल रिन्यूएबल का उद्देश्य भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में अग्रणी बनना है। मौजूदा समय में करीब 3 गीगावट की रिन्यूएबल क्षमता विकसित कर रहा है।

कंपनी का उद्देश्य 2030 तक 12 गीगावाट से ज्यादा की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करना है।

–आईएएनएस

एबीएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से सोमवार को ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश के लिए साझेदारी का ऐलान किया गया।

देश की स्टील इंडस्ट्री में दोनों कंपनियों की ओर से डी-कार्बोनाइजेशन और ग्रीन एनर्जी में लीडरशीप के लिए यह एमओयू साइन किया है। जिंदल स्टील की योजना ग्रीन हाइड्रोजन को ओडिशा के अंगुल में स्थित उसके डायरेक्ट रेड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) यूनिट्स में एकीकृत करना है।

कंपनी की ओर से कहा गया कि पहले चरण में जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से 4,500 टन प्रति वर्ष की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी। इसे शुरू करने की डेडलाइन दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। इस प्रोजेक्ट में प्रति वर्ष 36,000 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति भी शामिल होगी जिसका उपयोग अंगुल स्टील वर्क्स में किया जाएगा।

जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से जिंदल स्टील यूनिट्स को 3 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी की भी आपूर्ति की जाएगी। इसके जरिए जिंदल स्टील की कोशिश अगले 2 से 3 वर्षों में कोयले पर निर्भरता को 50 प्रतिशत तक घटाना है।

जिंदल स्टील के स्ट्रेटजी और कॉरपोरेट मामलों के निदेशक संजय सिंह का कहा, “उत्पादन के प्रोसेस में ग्रीन एनर्जी और ग्रीन हाइड्रोजन का एकीकरण करके, हम न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे हैं, बल्कि भारत की स्टील इंडस्ट्री के लिए नए बेंचमार्क सेट कर रहे हैं। यह साझेदारी सतत विकास और नवाचार के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

इस करार के तहत जिंदल स्टील की ओर से जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा। जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूएबल एनर्जी सुविधाओं के विकास और ऑपरेशन को संभाला जाएगा।

इस साझेदारी के जरिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत में ही नहीं कमी आएगी, बल्कि इससे अगले 25 वर्षों के लिए लंबी अवधि के सतत बिजनेस मॉडल का रास्ता सुनिश्चित करना है।

जिंदल स्टील, पूरे विश्व में 12 अरब डॉलर के निवेश के साथ लगातार अपनी क्षमता और संचालन को किफायती बनाने को लेकर काम करता रहता है। साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान दे रहा है।

जिंदल रिन्यूएबल का उद्देश्य भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में अग्रणी बनना है। मौजूदा समय में करीब 3 गीगावट की रिन्यूएबल क्षमता विकसित कर रहा है।

कंपनी का उद्देश्य 2030 तक 12 गीगावाट से ज्यादा की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करना है।

–आईएएनएस

एबीएस/केआर

नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से सोमवार को ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश के लिए साझेदारी का ऐलान किया गया।

देश की स्टील इंडस्ट्री में दोनों कंपनियों की ओर से डी-कार्बोनाइजेशन और ग्रीन एनर्जी में लीडरशीप के लिए यह एमओयू साइन किया है। जिंदल स्टील की योजना ग्रीन हाइड्रोजन को ओडिशा के अंगुल में स्थित उसके डायरेक्ट रेड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) यूनिट्स में एकीकृत करना है।

कंपनी की ओर से कहा गया कि पहले चरण में जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से 4,500 टन प्रति वर्ष की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी। इसे शुरू करने की डेडलाइन दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। इस प्रोजेक्ट में प्रति वर्ष 36,000 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति भी शामिल होगी जिसका उपयोग अंगुल स्टील वर्क्स में किया जाएगा।

जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से जिंदल स्टील यूनिट्स को 3 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी की भी आपूर्ति की जाएगी। इसके जरिए जिंदल स्टील की कोशिश अगले 2 से 3 वर्षों में कोयले पर निर्भरता को 50 प्रतिशत तक घटाना है।

जिंदल स्टील के स्ट्रेटजी और कॉरपोरेट मामलों के निदेशक संजय सिंह का कहा, “उत्पादन के प्रोसेस में ग्रीन एनर्जी और ग्रीन हाइड्रोजन का एकीकरण करके, हम न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे हैं, बल्कि भारत की स्टील इंडस्ट्री के लिए नए बेंचमार्क सेट कर रहे हैं। यह साझेदारी सतत विकास और नवाचार के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

इस करार के तहत जिंदल स्टील की ओर से जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा। जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूएबल एनर्जी सुविधाओं के विकास और ऑपरेशन को संभाला जाएगा।

इस साझेदारी के जरिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत में ही नहीं कमी आएगी, बल्कि इससे अगले 25 वर्षों के लिए लंबी अवधि के सतत बिजनेस मॉडल का रास्ता सुनिश्चित करना है।

जिंदल स्टील, पूरे विश्व में 12 अरब डॉलर के निवेश के साथ लगातार अपनी क्षमता और संचालन को किफायती बनाने को लेकर काम करता रहता है। साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान दे रहा है।

जिंदल रिन्यूएबल का उद्देश्य भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में अग्रणी बनना है। मौजूदा समय में करीब 3 गीगावट की रिन्यूएबल क्षमता विकसित कर रहा है।

कंपनी का उद्देश्य 2030 तक 12 गीगावाट से ज्यादा की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करना है।

–आईएएनएस

एबीएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से सोमवार को ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश के लिए साझेदारी का ऐलान किया गया।

देश की स्टील इंडस्ट्री में दोनों कंपनियों की ओर से डी-कार्बोनाइजेशन और ग्रीन एनर्जी में लीडरशीप के लिए यह एमओयू साइन किया है। जिंदल स्टील की योजना ग्रीन हाइड्रोजन को ओडिशा के अंगुल में स्थित उसके डायरेक्ट रेड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) यूनिट्स में एकीकृत करना है।

कंपनी की ओर से कहा गया कि पहले चरण में जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से 4,500 टन प्रति वर्ष की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी। इसे शुरू करने की डेडलाइन दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। इस प्रोजेक्ट में प्रति वर्ष 36,000 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति भी शामिल होगी जिसका उपयोग अंगुल स्टील वर्क्स में किया जाएगा।

जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से जिंदल स्टील यूनिट्स को 3 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी की भी आपूर्ति की जाएगी। इसके जरिए जिंदल स्टील की कोशिश अगले 2 से 3 वर्षों में कोयले पर निर्भरता को 50 प्रतिशत तक घटाना है।

जिंदल स्टील के स्ट्रेटजी और कॉरपोरेट मामलों के निदेशक संजय सिंह का कहा, “उत्पादन के प्रोसेस में ग्रीन एनर्जी और ग्रीन हाइड्रोजन का एकीकरण करके, हम न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे हैं, बल्कि भारत की स्टील इंडस्ट्री के लिए नए बेंचमार्क सेट कर रहे हैं। यह साझेदारी सतत विकास और नवाचार के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

इस करार के तहत जिंदल स्टील की ओर से जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा। जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूएबल एनर्जी सुविधाओं के विकास और ऑपरेशन को संभाला जाएगा।

इस साझेदारी के जरिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत में ही नहीं कमी आएगी, बल्कि इससे अगले 25 वर्षों के लिए लंबी अवधि के सतत बिजनेस मॉडल का रास्ता सुनिश्चित करना है।

जिंदल स्टील, पूरे विश्व में 12 अरब डॉलर के निवेश के साथ लगातार अपनी क्षमता और संचालन को किफायती बनाने को लेकर काम करता रहता है। साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान दे रहा है।

जिंदल रिन्यूएबल का उद्देश्य भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में अग्रणी बनना है। मौजूदा समय में करीब 3 गीगावट की रिन्यूएबल क्षमता विकसित कर रहा है।

कंपनी का उद्देश्य 2030 तक 12 गीगावाट से ज्यादा की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करना है।

–आईएएनएस

एबीएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से सोमवार को ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश के लिए साझेदारी का ऐलान किया गया।

देश की स्टील इंडस्ट्री में दोनों कंपनियों की ओर से डी-कार्बोनाइजेशन और ग्रीन एनर्जी में लीडरशीप के लिए यह एमओयू साइन किया है। जिंदल स्टील की योजना ग्रीन हाइड्रोजन को ओडिशा के अंगुल में स्थित उसके डायरेक्ट रेड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) यूनिट्स में एकीकृत करना है।

कंपनी की ओर से कहा गया कि पहले चरण में जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से 4,500 टन प्रति वर्ष की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी। इसे शुरू करने की डेडलाइन दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। इस प्रोजेक्ट में प्रति वर्ष 36,000 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति भी शामिल होगी जिसका उपयोग अंगुल स्टील वर्क्स में किया जाएगा।

जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से जिंदल स्टील यूनिट्स को 3 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी की भी आपूर्ति की जाएगी। इसके जरिए जिंदल स्टील की कोशिश अगले 2 से 3 वर्षों में कोयले पर निर्भरता को 50 प्रतिशत तक घटाना है।

जिंदल स्टील के स्ट्रेटजी और कॉरपोरेट मामलों के निदेशक संजय सिंह का कहा, “उत्पादन के प्रोसेस में ग्रीन एनर्जी और ग्रीन हाइड्रोजन का एकीकरण करके, हम न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे हैं, बल्कि भारत की स्टील इंडस्ट्री के लिए नए बेंचमार्क सेट कर रहे हैं। यह साझेदारी सतत विकास और नवाचार के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

इस करार के तहत जिंदल स्टील की ओर से जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा। जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूएबल एनर्जी सुविधाओं के विकास और ऑपरेशन को संभाला जाएगा।

इस साझेदारी के जरिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत में ही नहीं कमी आएगी, बल्कि इससे अगले 25 वर्षों के लिए लंबी अवधि के सतत बिजनेस मॉडल का रास्ता सुनिश्चित करना है।

जिंदल स्टील, पूरे विश्व में 12 अरब डॉलर के निवेश के साथ लगातार अपनी क्षमता और संचालन को किफायती बनाने को लेकर काम करता रहता है। साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान दे रहा है।

जिंदल रिन्यूएबल का उद्देश्य भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में अग्रणी बनना है। मौजूदा समय में करीब 3 गीगावट की रिन्यूएबल क्षमता विकसित कर रहा है।

कंपनी का उद्देश्य 2030 तक 12 गीगावाट से ज्यादा की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करना है।

–आईएएनएस

एबीएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से सोमवार को ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश के लिए साझेदारी का ऐलान किया गया।

देश की स्टील इंडस्ट्री में दोनों कंपनियों की ओर से डी-कार्बोनाइजेशन और ग्रीन एनर्जी में लीडरशीप के लिए यह एमओयू साइन किया है। जिंदल स्टील की योजना ग्रीन हाइड्रोजन को ओडिशा के अंगुल में स्थित उसके डायरेक्ट रेड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) यूनिट्स में एकीकृत करना है।

कंपनी की ओर से कहा गया कि पहले चरण में जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से 4,500 टन प्रति वर्ष की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी। इसे शुरू करने की डेडलाइन दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। इस प्रोजेक्ट में प्रति वर्ष 36,000 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति भी शामिल होगी जिसका उपयोग अंगुल स्टील वर्क्स में किया जाएगा।

जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से जिंदल स्टील यूनिट्स को 3 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी की भी आपूर्ति की जाएगी। इसके जरिए जिंदल स्टील की कोशिश अगले 2 से 3 वर्षों में कोयले पर निर्भरता को 50 प्रतिशत तक घटाना है।

जिंदल स्टील के स्ट्रेटजी और कॉरपोरेट मामलों के निदेशक संजय सिंह का कहा, “उत्पादन के प्रोसेस में ग्रीन एनर्जी और ग्रीन हाइड्रोजन का एकीकरण करके, हम न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे हैं, बल्कि भारत की स्टील इंडस्ट्री के लिए नए बेंचमार्क सेट कर रहे हैं। यह साझेदारी सतत विकास और नवाचार के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

इस करार के तहत जिंदल स्टील की ओर से जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा। जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूएबल एनर्जी सुविधाओं के विकास और ऑपरेशन को संभाला जाएगा।

इस साझेदारी के जरिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत में ही नहीं कमी आएगी, बल्कि इससे अगले 25 वर्षों के लिए लंबी अवधि के सतत बिजनेस मॉडल का रास्ता सुनिश्चित करना है।

जिंदल स्टील, पूरे विश्व में 12 अरब डॉलर के निवेश के साथ लगातार अपनी क्षमता और संचालन को किफायती बनाने को लेकर काम करता रहता है। साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान दे रहा है।

जिंदल रिन्यूएबल का उद्देश्य भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में अग्रणी बनना है। मौजूदा समय में करीब 3 गीगावट की रिन्यूएबल क्षमता विकसित कर रहा है।

कंपनी का उद्देश्य 2030 तक 12 गीगावाट से ज्यादा की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करना है।

–आईएएनएस

एबीएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से सोमवार को ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश के लिए साझेदारी का ऐलान किया गया।

देश की स्टील इंडस्ट्री में दोनों कंपनियों की ओर से डी-कार्बोनाइजेशन और ग्रीन एनर्जी में लीडरशीप के लिए यह एमओयू साइन किया है। जिंदल स्टील की योजना ग्रीन हाइड्रोजन को ओडिशा के अंगुल में स्थित उसके डायरेक्ट रेड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) यूनिट्स में एकीकृत करना है।

कंपनी की ओर से कहा गया कि पहले चरण में जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से 4,500 टन प्रति वर्ष की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी। इसे शुरू करने की डेडलाइन दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। इस प्रोजेक्ट में प्रति वर्ष 36,000 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति भी शामिल होगी जिसका उपयोग अंगुल स्टील वर्क्स में किया जाएगा।

जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से जिंदल स्टील यूनिट्स को 3 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी की भी आपूर्ति की जाएगी। इसके जरिए जिंदल स्टील की कोशिश अगले 2 से 3 वर्षों में कोयले पर निर्भरता को 50 प्रतिशत तक घटाना है।

जिंदल स्टील के स्ट्रेटजी और कॉरपोरेट मामलों के निदेशक संजय सिंह का कहा, “उत्पादन के प्रोसेस में ग्रीन एनर्जी और ग्रीन हाइड्रोजन का एकीकरण करके, हम न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे हैं, बल्कि भारत की स्टील इंडस्ट्री के लिए नए बेंचमार्क सेट कर रहे हैं। यह साझेदारी सतत विकास और नवाचार के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

इस करार के तहत जिंदल स्टील की ओर से जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा। जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूएबल एनर्जी सुविधाओं के विकास और ऑपरेशन को संभाला जाएगा।

इस साझेदारी के जरिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत में ही नहीं कमी आएगी, बल्कि इससे अगले 25 वर्षों के लिए लंबी अवधि के सतत बिजनेस मॉडल का रास्ता सुनिश्चित करना है।

जिंदल स्टील, पूरे विश्व में 12 अरब डॉलर के निवेश के साथ लगातार अपनी क्षमता और संचालन को किफायती बनाने को लेकर काम करता रहता है। साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान दे रहा है।

जिंदल रिन्यूएबल का उद्देश्य भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में अग्रणी बनना है। मौजूदा समय में करीब 3 गीगावट की रिन्यूएबल क्षमता विकसित कर रहा है।

कंपनी का उद्देश्य 2030 तक 12 गीगावाट से ज्यादा की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करना है।

–आईएएनएस

एबीएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से सोमवार को ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश के लिए साझेदारी का ऐलान किया गया।

देश की स्टील इंडस्ट्री में दोनों कंपनियों की ओर से डी-कार्बोनाइजेशन और ग्रीन एनर्जी में लीडरशीप के लिए यह एमओयू साइन किया है। जिंदल स्टील की योजना ग्रीन हाइड्रोजन को ओडिशा के अंगुल में स्थित उसके डायरेक्ट रेड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) यूनिट्स में एकीकृत करना है।

कंपनी की ओर से कहा गया कि पहले चरण में जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से 4,500 टन प्रति वर्ष की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी। इसे शुरू करने की डेडलाइन दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। इस प्रोजेक्ट में प्रति वर्ष 36,000 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति भी शामिल होगी जिसका उपयोग अंगुल स्टील वर्क्स में किया जाएगा।

जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से जिंदल स्टील यूनिट्स को 3 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी की भी आपूर्ति की जाएगी। इसके जरिए जिंदल स्टील की कोशिश अगले 2 से 3 वर्षों में कोयले पर निर्भरता को 50 प्रतिशत तक घटाना है।

जिंदल स्टील के स्ट्रेटजी और कॉरपोरेट मामलों के निदेशक संजय सिंह का कहा, “उत्पादन के प्रोसेस में ग्रीन एनर्जी और ग्रीन हाइड्रोजन का एकीकरण करके, हम न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे हैं, बल्कि भारत की स्टील इंडस्ट्री के लिए नए बेंचमार्क सेट कर रहे हैं। यह साझेदारी सतत विकास और नवाचार के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

इस करार के तहत जिंदल स्टील की ओर से जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा। जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूएबल एनर्जी सुविधाओं के विकास और ऑपरेशन को संभाला जाएगा।

इस साझेदारी के जरिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत में ही नहीं कमी आएगी, बल्कि इससे अगले 25 वर्षों के लिए लंबी अवधि के सतत बिजनेस मॉडल का रास्ता सुनिश्चित करना है।

जिंदल स्टील, पूरे विश्व में 12 अरब डॉलर के निवेश के साथ लगातार अपनी क्षमता और संचालन को किफायती बनाने को लेकर काम करता रहता है। साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान दे रहा है।

जिंदल रिन्यूएबल का उद्देश्य भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में अग्रणी बनना है। मौजूदा समय में करीब 3 गीगावट की रिन्यूएबल क्षमता विकसित कर रहा है।

कंपनी का उद्देश्य 2030 तक 12 गीगावाट से ज्यादा की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करना है।

–आईएएनएस

एबीएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से सोमवार को ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश के लिए साझेदारी का ऐलान किया गया।

देश की स्टील इंडस्ट्री में दोनों कंपनियों की ओर से डी-कार्बोनाइजेशन और ग्रीन एनर्जी में लीडरशीप के लिए यह एमओयू साइन किया है। जिंदल स्टील की योजना ग्रीन हाइड्रोजन को ओडिशा के अंगुल में स्थित उसके डायरेक्ट रेड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) यूनिट्स में एकीकृत करना है।

कंपनी की ओर से कहा गया कि पहले चरण में जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से 4,500 टन प्रति वर्ष की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी। इसे शुरू करने की डेडलाइन दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। इस प्रोजेक्ट में प्रति वर्ष 36,000 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति भी शामिल होगी जिसका उपयोग अंगुल स्टील वर्क्स में किया जाएगा।

जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से जिंदल स्टील यूनिट्स को 3 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी की भी आपूर्ति की जाएगी। इसके जरिए जिंदल स्टील की कोशिश अगले 2 से 3 वर्षों में कोयले पर निर्भरता को 50 प्रतिशत तक घटाना है।

जिंदल स्टील के स्ट्रेटजी और कॉरपोरेट मामलों के निदेशक संजय सिंह का कहा, “उत्पादन के प्रोसेस में ग्रीन एनर्जी और ग्रीन हाइड्रोजन का एकीकरण करके, हम न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे हैं, बल्कि भारत की स्टील इंडस्ट्री के लिए नए बेंचमार्क सेट कर रहे हैं। यह साझेदारी सतत विकास और नवाचार के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

इस करार के तहत जिंदल स्टील की ओर से जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा। जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूएबल एनर्जी सुविधाओं के विकास और ऑपरेशन को संभाला जाएगा।

इस साझेदारी के जरिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत में ही नहीं कमी आएगी, बल्कि इससे अगले 25 वर्षों के लिए लंबी अवधि के सतत बिजनेस मॉडल का रास्ता सुनिश्चित करना है।

जिंदल स्टील, पूरे विश्व में 12 अरब डॉलर के निवेश के साथ लगातार अपनी क्षमता और संचालन को किफायती बनाने को लेकर काम करता रहता है। साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान दे रहा है।

जिंदल रिन्यूएबल का उद्देश्य भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में अग्रणी बनना है। मौजूदा समय में करीब 3 गीगावट की रिन्यूएबल क्षमता विकसित कर रहा है।

कंपनी का उद्देश्य 2030 तक 12 गीगावाट से ज्यादा की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करना है।

–आईएएनएस

एबीएस/केआर

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से सोमवार को ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश के लिए साझेदारी का ऐलान किया गया।

देश की स्टील इंडस्ट्री में दोनों कंपनियों की ओर से डी-कार्बोनाइजेशन और ग्रीन एनर्जी में लीडरशीप के लिए यह एमओयू साइन किया है। जिंदल स्टील की योजना ग्रीन हाइड्रोजन को ओडिशा के अंगुल में स्थित उसके डायरेक्ट रेड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) यूनिट्स में एकीकृत करना है।

कंपनी की ओर से कहा गया कि पहले चरण में जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से 4,500 टन प्रति वर्ष की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित की जाएगी। इसे शुरू करने की डेडलाइन दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। इस प्रोजेक्ट में प्रति वर्ष 36,000 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति भी शामिल होगी जिसका उपयोग अंगुल स्टील वर्क्स में किया जाएगा।

जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से जिंदल स्टील यूनिट्स को 3 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी की भी आपूर्ति की जाएगी। इसके जरिए जिंदल स्टील की कोशिश अगले 2 से 3 वर्षों में कोयले पर निर्भरता को 50 प्रतिशत तक घटाना है।

जिंदल स्टील के स्ट्रेटजी और कॉरपोरेट मामलों के निदेशक संजय सिंह का कहा, “उत्पादन के प्रोसेस में ग्रीन एनर्जी और ग्रीन हाइड्रोजन का एकीकरण करके, हम न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम कर रहे हैं, बल्कि भारत की स्टील इंडस्ट्री के लिए नए बेंचमार्क सेट कर रहे हैं। यह साझेदारी सतत विकास और नवाचार के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

इस करार के तहत जिंदल स्टील की ओर से जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और सपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा। जिंदल रिन्यूएबल्स की ओर से ग्रीन हाइड्रोजन और रिन्यूएबल एनर्जी सुविधाओं के विकास और ऑपरेशन को संभाला जाएगा।

इस साझेदारी के जरिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत में ही नहीं कमी आएगी, बल्कि इससे अगले 25 वर्षों के लिए लंबी अवधि के सतत बिजनेस मॉडल का रास्ता सुनिश्चित करना है।

जिंदल स्टील, पूरे विश्व में 12 अरब डॉलर के निवेश के साथ लगातार अपनी क्षमता और संचालन को किफायती बनाने को लेकर काम करता रहता है। साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान दे रहा है।

जिंदल रिन्यूएबल का उद्देश्य भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में अग्रणी बनना है। मौजूदा समय में करीब 3 गीगावट की रिन्यूएबल क्षमता विकसित कर रहा है।

कंपनी का उद्देश्य 2030 तक 12 गीगावाट से ज्यादा की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करना है।

–आईएएनएस

एबीएस/केआर

Related Posts

ताज़ा समाचार

पश्चिम बंगाल: हुगली में नवरात्रि के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता, बड़े पैमाने पर पुलिस बल तैनात

September 26, 2025
ताज़ा समाचार

बांसवाड़ा में प्रधानमंत्री मोदी का किसानों से संवाद, पीएम-कुसुम योजना के प्रभाव पर जताई प्रसन्नता

September 26, 2025
ताज़ा समाचार

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ओडिशा बन रहा मजबूत साझेदार: सीएम माझी

September 26, 2025
ताज़ा समाचार

सीएसआईआर स्थापना दिवस: भारत के वैज्ञानिक भविष्य का प्रतीक, नवाचारों से सशक्त भारत का सपना

September 26, 2025
ताज़ा समाचार

तेलंगाना में दो दिनों तक भारी बारिश की आशंका के मद्देनजर अलर्ट जारी

September 26, 2025
ताज़ा समाचार

कोलकाता में करंट से मरने वालों के परिवार को मिलेंगे 5 लाख रुपए: सीईएससी

September 26, 2025
Next Post

केजरीवाल का इस्तीफा देने की पेशकश,अच्छी बात : रणजीत सिंह चौटाला

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

113564
Total views : 6014053
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In