शहडोल, देशबन्धु. संभागीय मुख्यालय स्थित स्व. कुशाभाऊ ठाकरे शासकीय जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन का अतिरक्त प्रभार मिलने के बाद जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाक्टर राजेश मिश्रा द्वारा जिला अस्पताल की समीक्षा शुरू की गईं तो गड़बड़ियों एवं कमियों का पुलिंदा बाहर निकलना शुरू हो गया.
समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई कि एक लम्बे समय से अस्पताल में आने वाले अधिकाँश मरीजो विशेषकर सामान्य स्थिति वाली प्रसुताओं को बिना देखें ही उन्हें गंभीर बताकर हायर सेंटर के नाम पर मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया. जबकि मेडिकल कालेज पहुँचने के बाद वहाँ अधिकाँश प्रसुताओं को सामान्य प्रसव हुआ अथवा सामान्य सिजेरियन. कई केसों में तो ऐसा हुआ कि डाक्टर के बिना देखें ही प्रसूति वार्ड में तैनात नर्सों ने प्रसुताओं को हाई रिस्क वाली बताकर मेडिकल कालेज भेज दिया.
अभी हाल ही में चंद दिन पहले एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमे एक प्रसूता को बिना चेकअप किए हुए हाई रिस्क केस बताकर जिला अस्पताल से मेंडिकल कालेज रेफर कर दिया गया था. जहां मेडिकल कालेज के मुख्य द्वार पर ही उस प्रसूता ने बच्चे जो जन्म दे दिया. उसकी स्थति प्रसव के बाद भी बिलकुल सामान्य थी. समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई कि जिला अस्पताल को जिम्मेदार डाक्टर्स एवं नर्सों ने रेफर सेंटर में तब्दील कर रखा है. प्रस्तुति वार्ड के अलावा शिशु, मेडिकल एवं सर्जरी विभाग में भी ऐसे मामले सामने आ रहें है, जब बिना किसी हाई रिस्क के मरीज को गंभीर बताकर उसे मेडिकल कालेज भेज दिया गया.
सीएमएचओ डॉक्टर मिश्रा ने इसे काफी गंभीरता से लिया और अस्पताल के सभी वार्डो के स्टाफ व चिकित्सकों को स्पष्ट शब्दों में हिदायत दी है कि अब आगे ऐसी स्थिति जिला अस्पताल में सामने नहीं आनी चाहिए. विषम परिस्थिति में ही मरीज को यहाँ से रेफर किया जाए. विशेषकर प्रसूति विभाग के डाक्टर व नर्स को चेताया है कि सर्वाधिक मरीज यहाँ से ही रेफर किए जाते हैं. जबकि उनकी स्थिति रेफर करने के लायक नहीं होती फिर भी आप लोग अपने कर्तव्यों से विमुख होकर ऐसा कर रहें है.