जबलपुर. हाईकोर्ट जस्टिस विनय सराफ की एकलपीठ ने अपने अहम आदेश में कहा है कि बिना सामग्री निर्वासन आदेश पारित करना मूल अधिकारों का हनन है. जिला कलेक्टर ने बिना दिमाग लगाए मध्य प्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 5 (बी) के तहत आदेश पारित किया है. एकलपीठ ने सुनवाई पश्चात् अनूपपुर जिला कलेक्टर द्वारा की गई जिला बदर की कार्यवाही को निरस्त कर दिया है.
यह मामला याचिकाकर्ता श्याम सुंदर सेन की ओर से दायर किया गया था. जिसमें कहा गया कि कलेक्टर अनूपपुर द्वारा राज्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 5 (बी) के तहत अप्रैल 2024 को उसके खिलाफ जिला बदर का आदेश पारित किया था. जिसके खिलाफ उसने संभागायुक्त शहडोल के समक्ष अपील दायर की थी.
संभागायुक्त द्वारा अगस्त 2024 में अपील खारिज कर दी गई, जिस पर हाईकोर्ट की शरण ली गई. आवेदक की ओर से तर्क दिया गया कि वर्ष 2022 में उसके खिलाफ राज्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्यवाही की गयी थी. इसके बाद उसके खिलाफ वर्ष 2023 में सिर्फ जुआ एक्ट के तहत अपराध दर्ज हुआ है. पुराने रिकॉर्ड के आधार पर कलेक्टर ने उसके खिलाफ कार्यवाही के आदेश पारित किये है.
याचिका की सुनवाई के बाद एकलपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ जघन्य प्रकृति का एक भी अपराध दर्ज नहीं है. किसी व्यक्ति को उससे जान या संपत्ति का खतरा नहीं है. ऐसी कोई सामग्री उपलब्ध नहीं है, जिससे उसके खिलाफ उक्त अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाये.
एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि कलेक्टर का उक्त आदेश भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों और संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर गंभीर प्रतिबंध लगाता है. सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने कलेक्टर के आदेश को निरस्त कर दिया.