सतना, देशबन्धु। जिले में एक ऐसी भी ग्राम पंचायत है जिसका क्षेत्रफल 25किमी तक है। यह सुनने में अटपटा लग रहा होगा लेकिन यह सच है। हम बात कर रहे हैं नागौद जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली दुर्गापुर ग्राम पंचायत की। आदिवासी बाहुल्य इस ग्राम पंचायत में कई टोले हैं सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात तो यह है कि 10गांवों के बीच में सिर्फ और सिर्फ एक राशन दुकान है जिसके चलते उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
क्षेत्रफल के हिसाब से जिले की बड़ी पंचायत में सुमार इस ग्राम पंचायत में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। बताया जाता है कि नागौद जप की आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायत दुर्गापुर वही ग्राम पंचायत है जहां पर पूर्व मुख्यमंत्री ने आदिवासी परिवार के यहां भोजन किया था। हालत यह है कि आज भी इन परिवार की स्थित तो ठीक नहीं है लेकिन यह परिवार आज भी सड़क विहीन है। हालत यह है कि आज भी परिवार पगडंडी के सहारे आते जाते हैं।
रसातल पहुंचा भू-जल स्तर
बताया गया है कि इस ग्राम पंचायत का भू-जल स्तर 4 सौ के पार पहुंच गया है। जिसके चलते बस्ती में पेय जलापूर्ति के लिए लगे हैंडपंप पूरी तरह से बंद हो गये हैं। ऐसी स्थिति में जलापूर्ति प्राइवेट बोरो के माध्यम से चल रही है।
राशन दुकान भवन विहीन
यहां पर समस्याओं की गिनती ही नहीं है। बताया गया है कि दस गांवों के बीच में राशन दुकान है। वह भी पंचायत भवन के एक अतरिक्त कक्ष में संचालित हो रही है। सबसे ज्यादा परेशानी राशन लेने वाले हितग्राहियों को होती है। बताया गया है कि आज तक भवन नहीं बन पाया है ।परिणाम स्वरूप पंचायत भवन के अतिरिक्त कक्ष में दूकान संचालित है।
बुनियादी सुविधाओं का अभाव
क्षेत्रफल के हिसाब से जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत में सुमार दुर्गापुर में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। यहां पर स्वास्थ्य, शिक्षा सहित पेय जल और सड़क नहीं है। लोग आजादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी संघर्ष करते हुए नजर आ रहे हैं। लोगों ने इस दिशा में कई बार मांग की लेकिन इस दिशा में कोई सुधार नहीं हुआ है। जिसके चलते समस्या अभी भी बनी हुई है।
अतिथि शिक्षक ही सहारा
बताया गया है कि प्राथमिक शाला झलहा में 1से 5मे 27 बच्चों के नाम दर्ज हैं, मगर प्रतिदिन 5 से 6 बच्चे ही उपस्थित रहते हैं। बताया गया है कि यहां पर स्थाई शिक्षक भी नहीं पदस्थ है। जिसकी वजह से अतिथि शिक्षक के सहारे ही शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह से चल रही है।
इनका कहना है
जब से हमने सुध सम्हाली है तब से लेकर आज तक हमारे गांव के लिए सड़क नहीं बनी है। हम ऐसी ही हालत में गुजर बसर कर रहे हैं। जब भी चुनाव आता है तो बड़े-बड़े वायदे किये जाते हैं इसके बाद सब भूल जाते हैं।
मोती लाल गौड़
जहां पर हम लोग रहते हैं वहां से डेढ़ किमी दूर कूप से पीने का पानी लाते हैं। कुल मिलाकर के यहां पर एक भी हैंडपंप नहीं है। इसी से अंदाजा लगा लीजिए जिस गांव में पेय जल सुविधा नहीं हो वहां पर क्या सुविधा होगी।
हरछठिया गौड़
ढोलबजा से झलहा तक दो किलोमीटर का कच्चा रास्ता ही बन जाय तो आवागमन सुगम हो सकता है। लेकिन इस दिशा में आज तक ध्यान दिया ही नहीं गया तो हम लोग अपनी समस्या किसे सुनाएं।