लखनऊ, 26 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा कि जिस पुलिस और प्रदेश को सबसे फिसड्डी मान लिया गया था, आज वह देश के विकास का इंजन बन रहा है, कानून-व्यवस्था का मॉडल प्रस्तुत कर रहा है।
रिजर्व पुलिस लाइंस में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने हानि-लाभ की चिंता के बिना कर्म को प्रधान माना। अब प्रदेश में हर ओर सुख, शांति और सद्भावना है। सभी 1,585 थानों, 75 पुलिस लाइंस, 90 से अधिक जेलों में भव्यता से यह आयोजन हो रहा है, लेकिन 10 साल पहले यह संभव नहीं था। सरकारें डरती थीं कि आयोजन करेंगे तो क्या लाभ होगा।
इससे पहले उन्होंने दीप प्रज्वलित कर और भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद भी लिया।
सीएम ने कहा कि श्रीमद्भगवतगीता में भगवान श्रीकृष्ण भी अर्जुन से यही कहते हैं कि ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन…’। यानि हे अर्जुन, तुम कर्म करो, फल की चिंता मत करो। उन्होंने कहा कि हम अक्सर कर्म से पहले लाभ-हानि की चिंता करते हैं। ऐसा करने से हम उसके पुण्य से वंचित हो जाते हैं। अच्छा करेंगे तो अच्छा होगा, बुरा करेंगे तो पाप से कोई मुक्त नहीं कर सकता। लोककल्याण का कार्य किया है तो उसके पुण्य से कोई ताकत वंचित नहीं कर सकती। कर्म की प्रेरणा महत्वपूर्ण है।
सीएम योगी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण श्री हरि विष्णु के अवतार के रूप में मान्य हैं। भारत के शास्त्रों की मान्यता के अनुसार, यह वर्ष लीलाधारी भगवान श्रीकृष्ण के 5,251वें जन्मोत्सव का है। उनकी लीलाओं का क्रम जन्म से ही प्रारंभ हुआ। इस धराधाम पर 125 वर्ष 8 महीने व्यतीत करने के बाद अपनी लीला को उन्होंने विश्राम दिया। अलग-अलग कार्यक्रमों के माध्यम से लंबे समय तक उनकी लीलाओं को हम लोग प्रमाण के रूप में प्रयोग करते हैं।
सीएम योगी ने कहा कि श्रीमद्भगवतगीता दुनिया का एकमात्र ऐसा पावन ग्रंथ है, जिसका अमर ज्ञान उन्होंने युद्ध भूमि में अर्जुन को दिया। घर-घर में ग्रंथ के रूप में श्रीमद्भगवतगीता की हम लोग पूजा करते हैं तो भारत की न्यायपालिका भी उस ग्रंथ के प्रति उतनी ही श्रद्धा का भाव रखती है, जितना सनातन धर्मावलंबी रखता है। श्रीमद्भगवतगीता को मोक्ष ग्रंथ भी माना गया है।
सीएम योगी ने कहा कि मनुष्य के जीवन में चार महत्वपूर्ण पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) हैं। आधारशिला धर्म से प्रारंभ होती है। वह कर्मों के माध्यम से अर्थ का उपार्जन करता है। जब कामनाओं की सिद्धि में उसका उपभोग करता है तो मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। यह सामान्य मान्यता है, लेकिन श्रीमद्भगवतगीता के महत्वपूर्ण उपदेश आज भी हर भारतवासी को नई प्रेरणा प्रदान करते हैं।
–आईएएनएस
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