नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार से न केवल दवाइयां किफायती हो जाएंगी, बल्कि इससे देश के फार्मा मार्केट को भी बड़ा बूस्ट मिलेगा। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई।
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त में फार्मा सेक्टर ने 8.7 प्रतिशत की मूल्य वृद्धि दर्ज की। आने वाले समय में इस क्षेत्र में मूल्य निर्धारण, पहुंच और रोगियों की संख्या में व्यापक परिवर्तन देखने को मिलेगा।
ईवाई इंडिया के टैक्स पार्टनर सुरेश नायर ने कहा, “फार्मा क्षेत्र में जीएसटी परिषद द्वारा किया गया कर सुधार स्वास्थ्य सेवा के लिए परिवर्तनकारी है।”
नायर ने कहा, “सभी दवाओं पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने और 36 महत्वपूर्ण जीवन रक्षक दवाओं पर शून्य दर देने से, रोगियों के खर्च में काफी कमी आएगी और आवश्यक उपचारों तक उनकी पहुंच में सुधार होगा।”
इस महीने की शुरुआत में जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में सरकार ने अप्रत्यक्ष कर ढांचे को युक्तिसंगत बनाते हुए मौजूदा चार स्लैब को घटाकर दो (5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत) कर दिया है, जबकि 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की दरें समाप्त कर दी गई हैं।
सरकार ने 33 केंसर और दुर्लभ दवाइयों पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर जीरो कर दिया गया है।
इस कदम से मरीजों पर लागत का बोझ कम होने और उच्च मूल्य वाली चिकित्साओं, विशेषकर ऑन्कोलॉजी और दुर्लभ रोगों के इलाज की मांग में वृद्धि होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सनोफी, नोवार्टिस, जॉनसन एंड जॉनसन, टेकेडा, जीएसके, एमजेन, बायर और बोह्रिंजर इंगेलहाइम की कैंसर-रोधी और दुर्लभ रोगों की चिकित्सा भी सस्ती हो जाएगी, जिससे मरीजों के लिए उनकी पहुंच में सुधार होगा।
जीएसटी दरों में बदलाव 22 सितंबर से लागू होंगे। इसके साथ, उद्योग द्वारा मूल्य निर्धारण रणनीतियों को पुनर्गणित करने, पहुंच कार्यक्रमों का विस्तार करने और नए बाजार सेगमेंट की खोज करने की उम्मीद है।
–आईएएनएस
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