नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। कश्मीरी हिंदू नरसंहार के मामलों को फिर से खोलने के लिए ग्लोबल कश्मीरी डायस्पोरा (जीकेपीडी) ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है। कश्मीर में 1989-90 में हिंदू नरसंहार हुआ था।
कश्मीर में हिंदू नरसंहार को लेकर पिछले 34 वर्षों से जीकेपीडी शहीदों को न्याय दिलाने के लिए काम कर रही है।
जीकेपीडी ने कहा, “हमने न्यायपालिका से संपर्क करने के लिए अथक प्रयास किए हैं, लेकिन कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। एसआईए को कश्मीरी पंडितों के खिलाफ आतंक से संबंधित मामलों की जांच करने और केंद्रीय एजेंसियों के साथ काम करने के निर्देश की घोषणा से पीड़ित समुदाय को काफी मदद मिलेगी।”
एसआईए जिन घरेलू या विदेशी मास्टरमाइंड साजिशकर्ताओं को जांच के दायरे में लाएगी, जीकेपीडी की उस पर नजर रहेगी।
जीकेपीडी ने कहा, “चौंतीस साल पहले हमारे खिलाफ हिंसा और नरसंहार के बाद हमारे समुदाय को अपनी पैतृक मातृभूमि से जातीय रूप से साफ कर दिया गया था। न्यायमूर्ति नीलकंठ गंजू, पंडित टीका लाल टपलू, पंडित सर्वानंद कौल प्रेमी, पंडित लस्सा कौल, न्यायमूर्ति पी.एन. भट्ट जैसे प्रतिष्ठित सदस्यों की कुछ लोगों ने बेरहमी से हत्या कर दी थी।”
जीकेपीडी ने कहा, “कुल मिलाकर हमारे समुदाय के 1,400 से अधिक सदस्य शहीद हो गए और लगभग लाखों लोग बेघर हो गए। आज तक इन हत्याओं के लिए किसी पर मुकदमा नहीं चलाया गया। अधिकांश मामलों में तो एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई।”
–आईएएनएस
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