नई दिल्ली, 2 सितंबर (आईएएनएस)। क्या आपने सोचा है कि कोई आपको देखे और बता दे कि आप बीमार हैं। ऐसा आज से सदियों पहले होता था, जब बड़े- बड़े वैद्य इंसान की नब्ज, मुंह या जीभ देखकर बता देते थे कि उस व्यक्ति को क्या बीमारी है। फिर जमाना बदलता चला गया। लोग आधुनिकता की अंधी दौड़ में दौड़ने लगे। समाज दिन प्रतिदिन विकसित होने लगा, इसके साथ हमारे आसपास की चीजें भी धीरे- धीरे बदल गईं। इस विकास की दौड़ में हमने कुछ खोया तो वह था, हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति।
लेकिन अब ऐसी चिकित्सा पद्धति के फिर से हमारे जीवन में लौटने वाली है, इसमें व्यक्ति की जीभ देखकर एक मशीन कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जरिए उसकी बीमारियों का सटीक पता लगा देगी। इससे न सिर्फ बीमारियों को जल्दी पकड़ने में मदद मिलेगी, बल्कि रक्त के जरिए बार-बार टेस्ट करवाने से भी छुट्टी मिलेगी। यह संभव होने वाला है इराक की मिडिल टेक्निकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की शोध की वजह से।
हाल ही में इराक की मिडिल टेक्निकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा एआई मॉडल विकसित किया है, जो जीभ की तस्वीरों से 98 प्रतिशत सटीकता के साथ बीमारियों का पता लगा सकता है। यह तकनीक जीभ की फोटो को रियल टाइम में विश्लेषित कर, तेजी से और सही परिणाम देती है। यदि यह तकनीक पूरी तरह सफल रही, तो बीमारियों का पता लगाना कुछ मिनटों का काम हो जाएगा।
इस तकनीक की नींव प्राचीन चीनी चिकित्सा पद्धतियों पर आधारित है, जहां डॉक्टर जीभ की रंगत और बनावट के आधार पर बीमारियों का अंदाजा लगाते थे। आधुनिक विज्ञान ने इस प्राचीन ज्ञान को एक उन्नत एआई मॉडल के साथ मिलाकर इसे और भी प्रभावी बना दिया है। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया और इराक की मिडिल टेक्निकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मिलकर इस एआई मॉडल को तैयार किया, जिसे 5,260 जीभ की तस्वीरों पर टेस्ट किया गया। इन तस्वीरों को विभिन्न बीमारियों के लेबल के साथ विश्लेषित किया गया।
शोध में पाया गया कि मधुमेह से पीड़ित लोगों की जीभ अक्सर पीली होती है, जबकि कैंसर रोगियों की जीभ बैंगनी रंग की होती है और उस पर मोटी परत होती है। तीव्र स्ट्रोक से प्रभावित व्यक्तियों की जीभ का रंग लाल और आकार अजीब होता है। एआई मॉडल को इस तरह की तस्वीरों के विश्लेषण के लिए प्रशिक्षित किया गया है, इससे यह जल्दी और सटीकता से बीमारी का अनुमान लगा सकता है। यह तकनीक उन बीमारियों को पहचानने में सक्षम है, जिनके लक्षण जीभ पर स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।
यह तकनीक न केवल उच्च सटीकता प्रदान करती है, बल्कि इसे साधारण स्मार्टफोन कैमरों से भी लागू किया जा सकता है। इससे यह तकनीक दूरदराज के इलाकों में भी उपयोगी हो सकती है, जहां परंपरागत चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। प्रारंभिक चरण में बीमारियों का पता लगाकर इस तकनीक से प्रभावी उपचार संभव हो सकता है और महामारी जैसी स्थितियों में तत्काल कदम उठाए जा सकते हैं।
–आईएएनएस
पीएसएम/सीबीटी