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Home अर्थजगत

जीसीसी देशों का भारत में निवेश बीते एक दशक में कई गुना बढ़ा

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December 22, 2024
in अर्थजगत
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जीसीसी देशों का भारत में निवेश बीते एक दशक में कई गुना बढ़ा
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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों द्वारा भारत में किए जाने वाले निवेश में बीते एक दशक में बड़ा उछाल देखने को मिला है। इसकी वजह देश में स्थिर राजनीतिक हालात और अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को माना जा रहा है।

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उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2024 के बीच जीसीसी देशों द्वारा भारत में 27.5 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। इसमें 24.5 अरब डॉलर (89 प्रतिशत) का निवेश बीते एक दशक से अधिक समय यानी सितंबर 2013 से सितंबर 2024 के बीच आया है।

वहीं, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2013 तक करीब 3 अरब डॉलर का निवेश जीसीसी द्वारा भारत में किया गया था।

जीसीसी मध्य पूर्व के छह देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है। इसमें सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और ओमान शामिल हैं।

केंद्र सरकार की आर्थिक सुधारों के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बीते 10 वर्षों में तेजी से बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 600 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआई आया है।

डीपीआईआईटी और आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, देश में 1991 के निजीकरण के बाद से जून 2024 तक कुल 1,059 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। इसमें से 689 अरब डॉलर यानी 65 प्रतिशत 2014 से जून 2024 के बीच आया है, जबकि 370 अरब डॉलर यानी 35 प्रतिशत 1991 से 2014 बीच आया था।

भारत में चालू वित्त वर्ष (2024-25) में भी एफडीआई मजबूत रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर की अवधि में 29.79 अरब डॉलर का एफडीआई भारत में आया है, जो पिछले साल समान अवधि के आंकड़े 20.48 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में सबसे अधिक 7.5 अरब डॉलर का निवेश सिंगापुर से, 5.3 अरब डॉलर का निवेश मॉरीशस से, 3.5 अरब डॉलर का निवेश नीदरलैंड से, यूएई से 3.4 अरब डॉलर, 2.5 अरब डॉलर का निवेश अमेरिका से, जापान से 1.1 अरब डॉलर और साइप्रस से 808 मिलियन डॉलर निवेश आया था।

इस दौरान सबसे ज्यादा 5.6 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश सर्विस सेक्टर में आया है। कंप्यूटर और हार्डवेयर सेक्टर में 4.1 अरब डॉलर, गैर-पारंपरिक एनर्जी सेक्टर में 2.096 अरब डॉलर, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में 1.3 अरब डॉलर, ट्रेडिंग में 2.7 अरब डॉलर और टेलीकम्युनिकेशन में 670 मिलियन डॉलर का निवेश आया है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में एफडीआई हासिल करने में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा और तेलंगाना शीर्ष राज्यों में शामिल थे।

–आईएएनएस

एबीएस/

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों द्वारा भारत में किए जाने वाले निवेश में बीते एक दशक में बड़ा उछाल देखने को मिला है। इसकी वजह देश में स्थिर राजनीतिक हालात और अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को माना जा रहा है।

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2024 के बीच जीसीसी देशों द्वारा भारत में 27.5 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। इसमें 24.5 अरब डॉलर (89 प्रतिशत) का निवेश बीते एक दशक से अधिक समय यानी सितंबर 2013 से सितंबर 2024 के बीच आया है।

वहीं, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2013 तक करीब 3 अरब डॉलर का निवेश जीसीसी द्वारा भारत में किया गया था।

जीसीसी मध्य पूर्व के छह देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है। इसमें सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और ओमान शामिल हैं।

केंद्र सरकार की आर्थिक सुधारों के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बीते 10 वर्षों में तेजी से बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 600 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआई आया है।

डीपीआईआईटी और आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, देश में 1991 के निजीकरण के बाद से जून 2024 तक कुल 1,059 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। इसमें से 689 अरब डॉलर यानी 65 प्रतिशत 2014 से जून 2024 के बीच आया है, जबकि 370 अरब डॉलर यानी 35 प्रतिशत 1991 से 2014 बीच आया था।

भारत में चालू वित्त वर्ष (2024-25) में भी एफडीआई मजबूत रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर की अवधि में 29.79 अरब डॉलर का एफडीआई भारत में आया है, जो पिछले साल समान अवधि के आंकड़े 20.48 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में सबसे अधिक 7.5 अरब डॉलर का निवेश सिंगापुर से, 5.3 अरब डॉलर का निवेश मॉरीशस से, 3.5 अरब डॉलर का निवेश नीदरलैंड से, यूएई से 3.4 अरब डॉलर, 2.5 अरब डॉलर का निवेश अमेरिका से, जापान से 1.1 अरब डॉलर और साइप्रस से 808 मिलियन डॉलर निवेश आया था।

इस दौरान सबसे ज्यादा 5.6 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश सर्विस सेक्टर में आया है। कंप्यूटर और हार्डवेयर सेक्टर में 4.1 अरब डॉलर, गैर-पारंपरिक एनर्जी सेक्टर में 2.096 अरब डॉलर, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में 1.3 अरब डॉलर, ट्रेडिंग में 2.7 अरब डॉलर और टेलीकम्युनिकेशन में 670 मिलियन डॉलर का निवेश आया है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में एफडीआई हासिल करने में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा और तेलंगाना शीर्ष राज्यों में शामिल थे।

–आईएएनएस

एबीएस/

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों द्वारा भारत में किए जाने वाले निवेश में बीते एक दशक में बड़ा उछाल देखने को मिला है। इसकी वजह देश में स्थिर राजनीतिक हालात और अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को माना जा रहा है।

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2024 के बीच जीसीसी देशों द्वारा भारत में 27.5 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। इसमें 24.5 अरब डॉलर (89 प्रतिशत) का निवेश बीते एक दशक से अधिक समय यानी सितंबर 2013 से सितंबर 2024 के बीच आया है।

वहीं, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2013 तक करीब 3 अरब डॉलर का निवेश जीसीसी द्वारा भारत में किया गया था।

जीसीसी मध्य पूर्व के छह देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है। इसमें सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और ओमान शामिल हैं।

केंद्र सरकार की आर्थिक सुधारों के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बीते 10 वर्षों में तेजी से बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 600 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआई आया है।

डीपीआईआईटी और आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, देश में 1991 के निजीकरण के बाद से जून 2024 तक कुल 1,059 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। इसमें से 689 अरब डॉलर यानी 65 प्रतिशत 2014 से जून 2024 के बीच आया है, जबकि 370 अरब डॉलर यानी 35 प्रतिशत 1991 से 2014 बीच आया था।

भारत में चालू वित्त वर्ष (2024-25) में भी एफडीआई मजबूत रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर की अवधि में 29.79 अरब डॉलर का एफडीआई भारत में आया है, जो पिछले साल समान अवधि के आंकड़े 20.48 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में सबसे अधिक 7.5 अरब डॉलर का निवेश सिंगापुर से, 5.3 अरब डॉलर का निवेश मॉरीशस से, 3.5 अरब डॉलर का निवेश नीदरलैंड से, यूएई से 3.4 अरब डॉलर, 2.5 अरब डॉलर का निवेश अमेरिका से, जापान से 1.1 अरब डॉलर और साइप्रस से 808 मिलियन डॉलर निवेश आया था।

इस दौरान सबसे ज्यादा 5.6 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश सर्विस सेक्टर में आया है। कंप्यूटर और हार्डवेयर सेक्टर में 4.1 अरब डॉलर, गैर-पारंपरिक एनर्जी सेक्टर में 2.096 अरब डॉलर, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में 1.3 अरब डॉलर, ट्रेडिंग में 2.7 अरब डॉलर और टेलीकम्युनिकेशन में 670 मिलियन डॉलर का निवेश आया है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में एफडीआई हासिल करने में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा और तेलंगाना शीर्ष राज्यों में शामिल थे।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों द्वारा भारत में किए जाने वाले निवेश में बीते एक दशक में बड़ा उछाल देखने को मिला है। इसकी वजह देश में स्थिर राजनीतिक हालात और अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को माना जा रहा है।

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2024 के बीच जीसीसी देशों द्वारा भारत में 27.5 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। इसमें 24.5 अरब डॉलर (89 प्रतिशत) का निवेश बीते एक दशक से अधिक समय यानी सितंबर 2013 से सितंबर 2024 के बीच आया है।

वहीं, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2013 तक करीब 3 अरब डॉलर का निवेश जीसीसी द्वारा भारत में किया गया था।

जीसीसी मध्य पूर्व के छह देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है। इसमें सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और ओमान शामिल हैं।

केंद्र सरकार की आर्थिक सुधारों के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बीते 10 वर्षों में तेजी से बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 600 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआई आया है।

डीपीआईआईटी और आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, देश में 1991 के निजीकरण के बाद से जून 2024 तक कुल 1,059 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। इसमें से 689 अरब डॉलर यानी 65 प्रतिशत 2014 से जून 2024 के बीच आया है, जबकि 370 अरब डॉलर यानी 35 प्रतिशत 1991 से 2014 बीच आया था।

भारत में चालू वित्त वर्ष (2024-25) में भी एफडीआई मजबूत रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर की अवधि में 29.79 अरब डॉलर का एफडीआई भारत में आया है, जो पिछले साल समान अवधि के आंकड़े 20.48 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में सबसे अधिक 7.5 अरब डॉलर का निवेश सिंगापुर से, 5.3 अरब डॉलर का निवेश मॉरीशस से, 3.5 अरब डॉलर का निवेश नीदरलैंड से, यूएई से 3.4 अरब डॉलर, 2.5 अरब डॉलर का निवेश अमेरिका से, जापान से 1.1 अरब डॉलर और साइप्रस से 808 मिलियन डॉलर निवेश आया था।

इस दौरान सबसे ज्यादा 5.6 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश सर्विस सेक्टर में आया है। कंप्यूटर और हार्डवेयर सेक्टर में 4.1 अरब डॉलर, गैर-पारंपरिक एनर्जी सेक्टर में 2.096 अरब डॉलर, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में 1.3 अरब डॉलर, ट्रेडिंग में 2.7 अरब डॉलर और टेलीकम्युनिकेशन में 670 मिलियन डॉलर का निवेश आया है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में एफडीआई हासिल करने में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा और तेलंगाना शीर्ष राज्यों में शामिल थे।

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों द्वारा भारत में किए जाने वाले निवेश में बीते एक दशक में बड़ा उछाल देखने को मिला है। इसकी वजह देश में स्थिर राजनीतिक हालात और अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को माना जा रहा है।

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2024 के बीच जीसीसी देशों द्वारा भारत में 27.5 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। इसमें 24.5 अरब डॉलर (89 प्रतिशत) का निवेश बीते एक दशक से अधिक समय यानी सितंबर 2013 से सितंबर 2024 के बीच आया है।

वहीं, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2013 तक करीब 3 अरब डॉलर का निवेश जीसीसी द्वारा भारत में किया गया था।

जीसीसी मध्य पूर्व के छह देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है। इसमें सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और ओमान शामिल हैं।

केंद्र सरकार की आर्थिक सुधारों के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बीते 10 वर्षों में तेजी से बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 600 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआई आया है।

डीपीआईआईटी और आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, देश में 1991 के निजीकरण के बाद से जून 2024 तक कुल 1,059 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। इसमें से 689 अरब डॉलर यानी 65 प्रतिशत 2014 से जून 2024 के बीच आया है, जबकि 370 अरब डॉलर यानी 35 प्रतिशत 1991 से 2014 बीच आया था।

भारत में चालू वित्त वर्ष (2024-25) में भी एफडीआई मजबूत रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर की अवधि में 29.79 अरब डॉलर का एफडीआई भारत में आया है, जो पिछले साल समान अवधि के आंकड़े 20.48 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में सबसे अधिक 7.5 अरब डॉलर का निवेश सिंगापुर से, 5.3 अरब डॉलर का निवेश मॉरीशस से, 3.5 अरब डॉलर का निवेश नीदरलैंड से, यूएई से 3.4 अरब डॉलर, 2.5 अरब डॉलर का निवेश अमेरिका से, जापान से 1.1 अरब डॉलर और साइप्रस से 808 मिलियन डॉलर निवेश आया था।

इस दौरान सबसे ज्यादा 5.6 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश सर्विस सेक्टर में आया है। कंप्यूटर और हार्डवेयर सेक्टर में 4.1 अरब डॉलर, गैर-पारंपरिक एनर्जी सेक्टर में 2.096 अरब डॉलर, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में 1.3 अरब डॉलर, ट्रेडिंग में 2.7 अरब डॉलर और टेलीकम्युनिकेशन में 670 मिलियन डॉलर का निवेश आया है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में एफडीआई हासिल करने में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा और तेलंगाना शीर्ष राज्यों में शामिल थे।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों द्वारा भारत में किए जाने वाले निवेश में बीते एक दशक में बड़ा उछाल देखने को मिला है। इसकी वजह देश में स्थिर राजनीतिक हालात और अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को माना जा रहा है।

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2024 के बीच जीसीसी देशों द्वारा भारत में 27.5 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। इसमें 24.5 अरब डॉलर (89 प्रतिशत) का निवेश बीते एक दशक से अधिक समय यानी सितंबर 2013 से सितंबर 2024 के बीच आया है।

वहीं, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2013 तक करीब 3 अरब डॉलर का निवेश जीसीसी द्वारा भारत में किया गया था।

जीसीसी मध्य पूर्व के छह देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है। इसमें सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और ओमान शामिल हैं।

केंद्र सरकार की आर्थिक सुधारों के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बीते 10 वर्षों में तेजी से बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 600 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआई आया है।

डीपीआईआईटी और आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, देश में 1991 के निजीकरण के बाद से जून 2024 तक कुल 1,059 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। इसमें से 689 अरब डॉलर यानी 65 प्रतिशत 2014 से जून 2024 के बीच आया है, जबकि 370 अरब डॉलर यानी 35 प्रतिशत 1991 से 2014 बीच आया था।

भारत में चालू वित्त वर्ष (2024-25) में भी एफडीआई मजबूत रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर की अवधि में 29.79 अरब डॉलर का एफडीआई भारत में आया है, जो पिछले साल समान अवधि के आंकड़े 20.48 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में सबसे अधिक 7.5 अरब डॉलर का निवेश सिंगापुर से, 5.3 अरब डॉलर का निवेश मॉरीशस से, 3.5 अरब डॉलर का निवेश नीदरलैंड से, यूएई से 3.4 अरब डॉलर, 2.5 अरब डॉलर का निवेश अमेरिका से, जापान से 1.1 अरब डॉलर और साइप्रस से 808 मिलियन डॉलर निवेश आया था।

इस दौरान सबसे ज्यादा 5.6 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश सर्विस सेक्टर में आया है। कंप्यूटर और हार्डवेयर सेक्टर में 4.1 अरब डॉलर, गैर-पारंपरिक एनर्जी सेक्टर में 2.096 अरब डॉलर, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में 1.3 अरब डॉलर, ट्रेडिंग में 2.7 अरब डॉलर और टेलीकम्युनिकेशन में 670 मिलियन डॉलर का निवेश आया है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में एफडीआई हासिल करने में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा और तेलंगाना शीर्ष राज्यों में शामिल थे।

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उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2024 के बीच जीसीसी देशों द्वारा भारत में 27.5 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। इसमें 24.5 अरब डॉलर (89 प्रतिशत) का निवेश बीते एक दशक से अधिक समय यानी सितंबर 2013 से सितंबर 2024 के बीच आया है।

वहीं, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2013 तक करीब 3 अरब डॉलर का निवेश जीसीसी द्वारा भारत में किया गया था।

जीसीसी मध्य पूर्व के छह देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है। इसमें सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और ओमान शामिल हैं।

केंद्र सरकार की आर्थिक सुधारों के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बीते 10 वर्षों में तेजी से बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 600 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआई आया है।

डीपीआईआईटी और आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, देश में 1991 के निजीकरण के बाद से जून 2024 तक कुल 1,059 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। इसमें से 689 अरब डॉलर यानी 65 प्रतिशत 2014 से जून 2024 के बीच आया है, जबकि 370 अरब डॉलर यानी 35 प्रतिशत 1991 से 2014 बीच आया था।

भारत में चालू वित्त वर्ष (2024-25) में भी एफडीआई मजबूत रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर की अवधि में 29.79 अरब डॉलर का एफडीआई भारत में आया है, जो पिछले साल समान अवधि के आंकड़े 20.48 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में सबसे अधिक 7.5 अरब डॉलर का निवेश सिंगापुर से, 5.3 अरब डॉलर का निवेश मॉरीशस से, 3.5 अरब डॉलर का निवेश नीदरलैंड से, यूएई से 3.4 अरब डॉलर, 2.5 अरब डॉलर का निवेश अमेरिका से, जापान से 1.1 अरब डॉलर और साइप्रस से 808 मिलियन डॉलर निवेश आया था।

इस दौरान सबसे ज्यादा 5.6 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश सर्विस सेक्टर में आया है। कंप्यूटर और हार्डवेयर सेक्टर में 4.1 अरब डॉलर, गैर-पारंपरिक एनर्जी सेक्टर में 2.096 अरब डॉलर, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में 1.3 अरब डॉलर, ट्रेडिंग में 2.7 अरब डॉलर और टेलीकम्युनिकेशन में 670 मिलियन डॉलर का निवेश आया है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में एफडीआई हासिल करने में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा और तेलंगाना शीर्ष राज्यों में शामिल थे।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों द्वारा भारत में किए जाने वाले निवेश में बीते एक दशक में बड़ा उछाल देखने को मिला है। इसकी वजह देश में स्थिर राजनीतिक हालात और अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को माना जा रहा है।

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2024 के बीच जीसीसी देशों द्वारा भारत में 27.5 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। इसमें 24.5 अरब डॉलर (89 प्रतिशत) का निवेश बीते एक दशक से अधिक समय यानी सितंबर 2013 से सितंबर 2024 के बीच आया है।

वहीं, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2013 तक करीब 3 अरब डॉलर का निवेश जीसीसी द्वारा भारत में किया गया था।

जीसीसी मध्य पूर्व के छह देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है। इसमें सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और ओमान शामिल हैं।

केंद्र सरकार की आर्थिक सुधारों के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बीते 10 वर्षों में तेजी से बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 600 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआई आया है।

डीपीआईआईटी और आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, देश में 1991 के निजीकरण के बाद से जून 2024 तक कुल 1,059 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। इसमें से 689 अरब डॉलर यानी 65 प्रतिशत 2014 से जून 2024 के बीच आया है, जबकि 370 अरब डॉलर यानी 35 प्रतिशत 1991 से 2014 बीच आया था।

भारत में चालू वित्त वर्ष (2024-25) में भी एफडीआई मजबूत रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर की अवधि में 29.79 अरब डॉलर का एफडीआई भारत में आया है, जो पिछले साल समान अवधि के आंकड़े 20.48 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में सबसे अधिक 7.5 अरब डॉलर का निवेश सिंगापुर से, 5.3 अरब डॉलर का निवेश मॉरीशस से, 3.5 अरब डॉलर का निवेश नीदरलैंड से, यूएई से 3.4 अरब डॉलर, 2.5 अरब डॉलर का निवेश अमेरिका से, जापान से 1.1 अरब डॉलर और साइप्रस से 808 मिलियन डॉलर निवेश आया था।

इस दौरान सबसे ज्यादा 5.6 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश सर्विस सेक्टर में आया है। कंप्यूटर और हार्डवेयर सेक्टर में 4.1 अरब डॉलर, गैर-पारंपरिक एनर्जी सेक्टर में 2.096 अरब डॉलर, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में 1.3 अरब डॉलर, ट्रेडिंग में 2.7 अरब डॉलर और टेलीकम्युनिकेशन में 670 मिलियन डॉलर का निवेश आया है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में एफडीआई हासिल करने में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा और तेलंगाना शीर्ष राज्यों में शामिल थे।

–आईएएनएस

एबीएस/

नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों द्वारा भारत में किए जाने वाले निवेश में बीते एक दशक में बड़ा उछाल देखने को मिला है। इसकी वजह देश में स्थिर राजनीतिक हालात और अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को माना जा रहा है।

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2024 के बीच जीसीसी देशों द्वारा भारत में 27.5 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। इसमें 24.5 अरब डॉलर (89 प्रतिशत) का निवेश बीते एक दशक से अधिक समय यानी सितंबर 2013 से सितंबर 2024 के बीच आया है।

वहीं, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2013 तक करीब 3 अरब डॉलर का निवेश जीसीसी द्वारा भारत में किया गया था।

जीसीसी मध्य पूर्व के छह देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है। इसमें सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और ओमान शामिल हैं।

केंद्र सरकार की आर्थिक सुधारों के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बीते 10 वर्षों में तेजी से बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 600 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआई आया है।

डीपीआईआईटी और आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, देश में 1991 के निजीकरण के बाद से जून 2024 तक कुल 1,059 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। इसमें से 689 अरब डॉलर यानी 65 प्रतिशत 2014 से जून 2024 के बीच आया है, जबकि 370 अरब डॉलर यानी 35 प्रतिशत 1991 से 2014 बीच आया था।

भारत में चालू वित्त वर्ष (2024-25) में भी एफडीआई मजबूत रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर की अवधि में 29.79 अरब डॉलर का एफडीआई भारत में आया है, जो पिछले साल समान अवधि के आंकड़े 20.48 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में सबसे अधिक 7.5 अरब डॉलर का निवेश सिंगापुर से, 5.3 अरब डॉलर का निवेश मॉरीशस से, 3.5 अरब डॉलर का निवेश नीदरलैंड से, यूएई से 3.4 अरब डॉलर, 2.5 अरब डॉलर का निवेश अमेरिका से, जापान से 1.1 अरब डॉलर और साइप्रस से 808 मिलियन डॉलर निवेश आया था।

इस दौरान सबसे ज्यादा 5.6 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश सर्विस सेक्टर में आया है। कंप्यूटर और हार्डवेयर सेक्टर में 4.1 अरब डॉलर, गैर-पारंपरिक एनर्जी सेक्टर में 2.096 अरब डॉलर, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में 1.3 अरब डॉलर, ट्रेडिंग में 2.7 अरब डॉलर और टेलीकम्युनिकेशन में 670 मिलियन डॉलर का निवेश आया है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में एफडीआई हासिल करने में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा और तेलंगाना शीर्ष राज्यों में शामिल थे।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों द्वारा भारत में किए जाने वाले निवेश में बीते एक दशक में बड़ा उछाल देखने को मिला है। इसकी वजह देश में स्थिर राजनीतिक हालात और अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को माना जा रहा है।

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2024 के बीच जीसीसी देशों द्वारा भारत में 27.5 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। इसमें 24.5 अरब डॉलर (89 प्रतिशत) का निवेश बीते एक दशक से अधिक समय यानी सितंबर 2013 से सितंबर 2024 के बीच आया है।

वहीं, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2013 तक करीब 3 अरब डॉलर का निवेश जीसीसी द्वारा भारत में किया गया था।

जीसीसी मध्य पूर्व के छह देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है। इसमें सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और ओमान शामिल हैं।

केंद्र सरकार की आर्थिक सुधारों के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बीते 10 वर्षों में तेजी से बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 600 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआई आया है।

डीपीआईआईटी और आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, देश में 1991 के निजीकरण के बाद से जून 2024 तक कुल 1,059 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। इसमें से 689 अरब डॉलर यानी 65 प्रतिशत 2014 से जून 2024 के बीच आया है, जबकि 370 अरब डॉलर यानी 35 प्रतिशत 1991 से 2014 बीच आया था।

भारत में चालू वित्त वर्ष (2024-25) में भी एफडीआई मजबूत रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर की अवधि में 29.79 अरब डॉलर का एफडीआई भारत में आया है, जो पिछले साल समान अवधि के आंकड़े 20.48 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में सबसे अधिक 7.5 अरब डॉलर का निवेश सिंगापुर से, 5.3 अरब डॉलर का निवेश मॉरीशस से, 3.5 अरब डॉलर का निवेश नीदरलैंड से, यूएई से 3.4 अरब डॉलर, 2.5 अरब डॉलर का निवेश अमेरिका से, जापान से 1.1 अरब डॉलर और साइप्रस से 808 मिलियन डॉलर निवेश आया था।

इस दौरान सबसे ज्यादा 5.6 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश सर्विस सेक्टर में आया है। कंप्यूटर और हार्डवेयर सेक्टर में 4.1 अरब डॉलर, गैर-पारंपरिक एनर्जी सेक्टर में 2.096 अरब डॉलर, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में 1.3 अरब डॉलर, ट्रेडिंग में 2.7 अरब डॉलर और टेलीकम्युनिकेशन में 670 मिलियन डॉलर का निवेश आया है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में एफडीआई हासिल करने में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा और तेलंगाना शीर्ष राज्यों में शामिल थे।

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों द्वारा भारत में किए जाने वाले निवेश में बीते एक दशक में बड़ा उछाल देखने को मिला है। इसकी वजह देश में स्थिर राजनीतिक हालात और अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को माना जा रहा है।

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2024 के बीच जीसीसी देशों द्वारा भारत में 27.5 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। इसमें 24.5 अरब डॉलर (89 प्रतिशत) का निवेश बीते एक दशक से अधिक समय यानी सितंबर 2013 से सितंबर 2024 के बीच आया है।

वहीं, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2013 तक करीब 3 अरब डॉलर का निवेश जीसीसी द्वारा भारत में किया गया था।

जीसीसी मध्य पूर्व के छह देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है। इसमें सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और ओमान शामिल हैं।

केंद्र सरकार की आर्थिक सुधारों के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बीते 10 वर्षों में तेजी से बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 600 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआई आया है।

डीपीआईआईटी और आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, देश में 1991 के निजीकरण के बाद से जून 2024 तक कुल 1,059 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। इसमें से 689 अरब डॉलर यानी 65 प्रतिशत 2014 से जून 2024 के बीच आया है, जबकि 370 अरब डॉलर यानी 35 प्रतिशत 1991 से 2014 बीच आया था।

भारत में चालू वित्त वर्ष (2024-25) में भी एफडीआई मजबूत रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर की अवधि में 29.79 अरब डॉलर का एफडीआई भारत में आया है, जो पिछले साल समान अवधि के आंकड़े 20.48 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में सबसे अधिक 7.5 अरब डॉलर का निवेश सिंगापुर से, 5.3 अरब डॉलर का निवेश मॉरीशस से, 3.5 अरब डॉलर का निवेश नीदरलैंड से, यूएई से 3.4 अरब डॉलर, 2.5 अरब डॉलर का निवेश अमेरिका से, जापान से 1.1 अरब डॉलर और साइप्रस से 808 मिलियन डॉलर निवेश आया था।

इस दौरान सबसे ज्यादा 5.6 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश सर्विस सेक्टर में आया है। कंप्यूटर और हार्डवेयर सेक्टर में 4.1 अरब डॉलर, गैर-पारंपरिक एनर्जी सेक्टर में 2.096 अरब डॉलर, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में 1.3 अरब डॉलर, ट्रेडिंग में 2.7 अरब डॉलर और टेलीकम्युनिकेशन में 670 मिलियन डॉलर का निवेश आया है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में एफडीआई हासिल करने में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा और तेलंगाना शीर्ष राज्यों में शामिल थे।

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों द्वारा भारत में किए जाने वाले निवेश में बीते एक दशक में बड़ा उछाल देखने को मिला है। इसकी वजह देश में स्थिर राजनीतिक हालात और अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को माना जा रहा है।

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2024 के बीच जीसीसी देशों द्वारा भारत में 27.5 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। इसमें 24.5 अरब डॉलर (89 प्रतिशत) का निवेश बीते एक दशक से अधिक समय यानी सितंबर 2013 से सितंबर 2024 के बीच आया है।

वहीं, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2013 तक करीब 3 अरब डॉलर का निवेश जीसीसी द्वारा भारत में किया गया था।

जीसीसी मध्य पूर्व के छह देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है। इसमें सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और ओमान शामिल हैं।

केंद्र सरकार की आर्थिक सुधारों के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बीते 10 वर्षों में तेजी से बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 600 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआई आया है।

डीपीआईआईटी और आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, देश में 1991 के निजीकरण के बाद से जून 2024 तक कुल 1,059 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। इसमें से 689 अरब डॉलर यानी 65 प्रतिशत 2014 से जून 2024 के बीच आया है, जबकि 370 अरब डॉलर यानी 35 प्रतिशत 1991 से 2014 बीच आया था।

भारत में चालू वित्त वर्ष (2024-25) में भी एफडीआई मजबूत रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर की अवधि में 29.79 अरब डॉलर का एफडीआई भारत में आया है, जो पिछले साल समान अवधि के आंकड़े 20.48 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में सबसे अधिक 7.5 अरब डॉलर का निवेश सिंगापुर से, 5.3 अरब डॉलर का निवेश मॉरीशस से, 3.5 अरब डॉलर का निवेश नीदरलैंड से, यूएई से 3.4 अरब डॉलर, 2.5 अरब डॉलर का निवेश अमेरिका से, जापान से 1.1 अरब डॉलर और साइप्रस से 808 मिलियन डॉलर निवेश आया था।

इस दौरान सबसे ज्यादा 5.6 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश सर्विस सेक्टर में आया है। कंप्यूटर और हार्डवेयर सेक्टर में 4.1 अरब डॉलर, गैर-पारंपरिक एनर्जी सेक्टर में 2.096 अरब डॉलर, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में 1.3 अरब डॉलर, ट्रेडिंग में 2.7 अरब डॉलर और टेलीकम्युनिकेशन में 670 मिलियन डॉलर का निवेश आया है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में एफडीआई हासिल करने में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा और तेलंगाना शीर्ष राज्यों में शामिल थे।

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों द्वारा भारत में किए जाने वाले निवेश में बीते एक दशक में बड़ा उछाल देखने को मिला है। इसकी वजह देश में स्थिर राजनीतिक हालात और अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को माना जा रहा है।

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2024 के बीच जीसीसी देशों द्वारा भारत में 27.5 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। इसमें 24.5 अरब डॉलर (89 प्रतिशत) का निवेश बीते एक दशक से अधिक समय यानी सितंबर 2013 से सितंबर 2024 के बीच आया है।

वहीं, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2013 तक करीब 3 अरब डॉलर का निवेश जीसीसी द्वारा भारत में किया गया था।

जीसीसी मध्य पूर्व के छह देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है। इसमें सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और ओमान शामिल हैं।

केंद्र सरकार की आर्थिक सुधारों के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बीते 10 वर्षों में तेजी से बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 600 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआई आया है।

डीपीआईआईटी और आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, देश में 1991 के निजीकरण के बाद से जून 2024 तक कुल 1,059 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। इसमें से 689 अरब डॉलर यानी 65 प्रतिशत 2014 से जून 2024 के बीच आया है, जबकि 370 अरब डॉलर यानी 35 प्रतिशत 1991 से 2014 बीच आया था।

भारत में चालू वित्त वर्ष (2024-25) में भी एफडीआई मजबूत रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर की अवधि में 29.79 अरब डॉलर का एफडीआई भारत में आया है, जो पिछले साल समान अवधि के आंकड़े 20.48 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में सबसे अधिक 7.5 अरब डॉलर का निवेश सिंगापुर से, 5.3 अरब डॉलर का निवेश मॉरीशस से, 3.5 अरब डॉलर का निवेश नीदरलैंड से, यूएई से 3.4 अरब डॉलर, 2.5 अरब डॉलर का निवेश अमेरिका से, जापान से 1.1 अरब डॉलर और साइप्रस से 808 मिलियन डॉलर निवेश आया था।

इस दौरान सबसे ज्यादा 5.6 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश सर्विस सेक्टर में आया है। कंप्यूटर और हार्डवेयर सेक्टर में 4.1 अरब डॉलर, गैर-पारंपरिक एनर्जी सेक्टर में 2.096 अरब डॉलर, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में 1.3 अरब डॉलर, ट्रेडिंग में 2.7 अरब डॉलर और टेलीकम्युनिकेशन में 670 मिलियन डॉलर का निवेश आया है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में एफडीआई हासिल करने में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा और तेलंगाना शीर्ष राज्यों में शामिल थे।

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों द्वारा भारत में किए जाने वाले निवेश में बीते एक दशक में बड़ा उछाल देखने को मिला है। इसकी वजह देश में स्थिर राजनीतिक हालात और अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को माना जा रहा है।

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2024 के बीच जीसीसी देशों द्वारा भारत में 27.5 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। इसमें 24.5 अरब डॉलर (89 प्रतिशत) का निवेश बीते एक दशक से अधिक समय यानी सितंबर 2013 से सितंबर 2024 के बीच आया है।

वहीं, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2013 तक करीब 3 अरब डॉलर का निवेश जीसीसी द्वारा भारत में किया गया था।

जीसीसी मध्य पूर्व के छह देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है। इसमें सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और ओमान शामिल हैं।

केंद्र सरकार की आर्थिक सुधारों के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बीते 10 वर्षों में तेजी से बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 600 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआई आया है।

डीपीआईआईटी और आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, देश में 1991 के निजीकरण के बाद से जून 2024 तक कुल 1,059 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। इसमें से 689 अरब डॉलर यानी 65 प्रतिशत 2014 से जून 2024 के बीच आया है, जबकि 370 अरब डॉलर यानी 35 प्रतिशत 1991 से 2014 बीच आया था।

भारत में चालू वित्त वर्ष (2024-25) में भी एफडीआई मजबूत रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर की अवधि में 29.79 अरब डॉलर का एफडीआई भारत में आया है, जो पिछले साल समान अवधि के आंकड़े 20.48 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में सबसे अधिक 7.5 अरब डॉलर का निवेश सिंगापुर से, 5.3 अरब डॉलर का निवेश मॉरीशस से, 3.5 अरब डॉलर का निवेश नीदरलैंड से, यूएई से 3.4 अरब डॉलर, 2.5 अरब डॉलर का निवेश अमेरिका से, जापान से 1.1 अरब डॉलर और साइप्रस से 808 मिलियन डॉलर निवेश आया था।

इस दौरान सबसे ज्यादा 5.6 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश सर्विस सेक्टर में आया है। कंप्यूटर और हार्डवेयर सेक्टर में 4.1 अरब डॉलर, गैर-पारंपरिक एनर्जी सेक्टर में 2.096 अरब डॉलर, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में 1.3 अरब डॉलर, ट्रेडिंग में 2.7 अरब डॉलर और टेलीकम्युनिकेशन में 670 मिलियन डॉलर का निवेश आया है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में एफडीआई हासिल करने में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा और तेलंगाना शीर्ष राज्यों में शामिल थे।

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उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2024 के बीच जीसीसी देशों द्वारा भारत में 27.5 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। इसमें 24.5 अरब डॉलर (89 प्रतिशत) का निवेश बीते एक दशक से अधिक समय यानी सितंबर 2013 से सितंबर 2024 के बीच आया है।

वहीं, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2013 तक करीब 3 अरब डॉलर का निवेश जीसीसी द्वारा भारत में किया गया था।

जीसीसी मध्य पूर्व के छह देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है। इसमें सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और ओमान शामिल हैं।

केंद्र सरकार की आर्थिक सुधारों के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बीते 10 वर्षों में तेजी से बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 600 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआई आया है।

डीपीआईआईटी और आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, देश में 1991 के निजीकरण के बाद से जून 2024 तक कुल 1,059 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। इसमें से 689 अरब डॉलर यानी 65 प्रतिशत 2014 से जून 2024 के बीच आया है, जबकि 370 अरब डॉलर यानी 35 प्रतिशत 1991 से 2014 बीच आया था।

भारत में चालू वित्त वर्ष (2024-25) में भी एफडीआई मजबूत रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर की अवधि में 29.79 अरब डॉलर का एफडीआई भारत में आया है, जो पिछले साल समान अवधि के आंकड़े 20.48 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में सबसे अधिक 7.5 अरब डॉलर का निवेश सिंगापुर से, 5.3 अरब डॉलर का निवेश मॉरीशस से, 3.5 अरब डॉलर का निवेश नीदरलैंड से, यूएई से 3.4 अरब डॉलर, 2.5 अरब डॉलर का निवेश अमेरिका से, जापान से 1.1 अरब डॉलर और साइप्रस से 808 मिलियन डॉलर निवेश आया था।

इस दौरान सबसे ज्यादा 5.6 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश सर्विस सेक्टर में आया है। कंप्यूटर और हार्डवेयर सेक्टर में 4.1 अरब डॉलर, गैर-पारंपरिक एनर्जी सेक्टर में 2.096 अरब डॉलर, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में 1.3 अरब डॉलर, ट्रेडिंग में 2.7 अरब डॉलर और टेलीकम्युनिकेशन में 670 मिलियन डॉलर का निवेश आया है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में एफडीआई हासिल करने में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा और तेलंगाना शीर्ष राज्यों में शामिल थे।

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों द्वारा भारत में किए जाने वाले निवेश में बीते एक दशक में बड़ा उछाल देखने को मिला है। इसकी वजह देश में स्थिर राजनीतिक हालात और अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को माना जा रहा है।

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2024 के बीच जीसीसी देशों द्वारा भारत में 27.5 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। इसमें 24.5 अरब डॉलर (89 प्रतिशत) का निवेश बीते एक दशक से अधिक समय यानी सितंबर 2013 से सितंबर 2024 के बीच आया है।

वहीं, अप्रैल 2000 से लेकर सितंबर 2013 तक करीब 3 अरब डॉलर का निवेश जीसीसी द्वारा भारत में किया गया था।

जीसीसी मध्य पूर्व के छह देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है। इसमें सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और ओमान शामिल हैं।

केंद्र सरकार की आर्थिक सुधारों के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बीते 10 वर्षों में तेजी से बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान 600 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआई आया है।

डीपीआईआईटी और आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, देश में 1991 के निजीकरण के बाद से जून 2024 तक कुल 1,059 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। इसमें से 689 अरब डॉलर यानी 65 प्रतिशत 2014 से जून 2024 के बीच आया है, जबकि 370 अरब डॉलर यानी 35 प्रतिशत 1991 से 2014 बीच आया था।

भारत में चालू वित्त वर्ष (2024-25) में भी एफडीआई मजबूत रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर की अवधि में 29.79 अरब डॉलर का एफडीआई भारत में आया है, जो पिछले साल समान अवधि के आंकड़े 20.48 अरब डॉलर से 45 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में सबसे अधिक 7.5 अरब डॉलर का निवेश सिंगापुर से, 5.3 अरब डॉलर का निवेश मॉरीशस से, 3.5 अरब डॉलर का निवेश नीदरलैंड से, यूएई से 3.4 अरब डॉलर, 2.5 अरब डॉलर का निवेश अमेरिका से, जापान से 1.1 अरब डॉलर और साइप्रस से 808 मिलियन डॉलर निवेश आया था।

इस दौरान सबसे ज्यादा 5.6 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश सर्विस सेक्टर में आया है। कंप्यूटर और हार्डवेयर सेक्टर में 4.1 अरब डॉलर, गैर-पारंपरिक एनर्जी सेक्टर में 2.096 अरब डॉलर, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में 1.3 अरब डॉलर, ट्रेडिंग में 2.7 अरब डॉलर और टेलीकम्युनिकेशन में 670 मिलियन डॉलर का निवेश आया है।

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में एफडीआई हासिल करने में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, हरियाणा और तेलंगाना शीर्ष राज्यों में शामिल थे।

–आईएएनएस

एबीएस/

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