मुंबई, 27 अगस्त (आईएएनएस)। जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (जी) और सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया (एसपीएनआई) के रूप में काम करने वाली कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड (सीएमईपीएल) अपनी समूह कंपनी बांग्ला एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड (बीईपीएल) के साथ मिलकर एक व्यापक गैर-नकद समझौते पर पहुंच गए हैं, जिसके तहत विलय सहयोग समझौते और व्यवस्था की योजना से संबंधित सभी विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया है। यह जानकारी जी द्वारा जारी एक बयान में दी गई है।
समझौते के एक हिस्से के रूप में, दोनों कंपनियों ने सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र में चल रही मध्यस्थता में एक-दूसरे के खिलाफ सभी संबंधित दावों को वापस लेने तथा राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) और अन्य मंचों में शुरू की गई सभी संबंधित कानूनी कार्यवाहियों को वापस लेने पर पारस्परिक रूप से सहमति व्यक्त की है।
बयान में कहा गया है कि कंपनियां एनसीएलटी से संबंधित व्यवस्था योजनाओं को भी वापस ले लेंगी और संबंधित नियामक अधिकारियों को भी सूचित करेगी।
बयान में कहा गया है कि समझौते की शर्तों के तहत, किसी भी पक्ष का दूसरे पक्ष पर कोई बकाया या देनदारियां नहीं होगी।
मंगलवार को जी के शेयर 15 प्रतिशत की उछाल के साथ 154.90 रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए, तथा बाद में यह घटकर 147.70 रुपये पर आ गए, जो पिछले बंद भाव से 10 प्रतिशत अधिक है।
इस वर्ष जनवरी में, सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया (एसपीएनआई) ने दिसंबर 2021 के समझौते को रद्द करते हुए जी एंटरटेनमेंट के साथ प्रस्तावित 10 बिलियन डॉलर के विलय सौदे को समाप्त कर दिया।
सोनी ने जी एंटरटेनमेंट द्वारा विलय समझौते की शर्तों के कथित उल्लंघन के लिए 90 मिलियन डॉलर का समाप्ति शुल्क भी मांगा।
जी ने 10 अरब डॉलर के विलय से हटने के लिए 23 मई को एसपीएनआई और उसकी इकाई बांग्ला एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड (बीईपीएल) से 90 मिलियन डॉलर का समाप्ति शुल्क भी मांगा था।
जी और सोनी के बीच 10 अरब डॉलर के विलय को इस वर्ष जनवरी में रद्द कर दिया गया था, जब दोनों कंपनियों के बीच इस बात पर विवाद हो गया था कि विलय के बाद बनने वाली इकाई का नेतृत्व कौन करेगा।
पहले जी के एमडी और सीईओ पुनीत गोयनका को कंपनी का कार्यभार संभालने के लिए उम्मीदवार के रूप में चुना गया था, लेकिन सेबी जांच के घेरे में आने के बाद सोनी कथित तौर पर गोयनका को कार्यभार सौंपने के पक्ष में नहीं थी।
इसके बाद दोनों कंपनियां इस मुद्दे पर कानूनी विवादों में उलझ गईं और दोनों ने समझौते की शर्तों के उल्लंघन के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया।
–आईएएनएस
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