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Home ताज़ा समाचार

जेएनयू में शिवाजी जयंती पर हंगामा लेफ्ट और एबीवीपी का एक दूसरे पर आरोप

by
February 20, 2023
in ताज़ा समाचार
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जेएनयू में शिवाजी जयंती पर हंगामा लेफ्ट और एबीवीपी का एक दूसरे पर आरोप
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नई दिल्ली, 20 फरवरी (आईएएनएस)। रविवार शाम जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और लेफ्ट छात्र संगठनों के बीच झड़प हुई। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर जेएनयू के छात्रसंघ कार्यालय में एक पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसके बाद उस चित्र को कार्यालय में ही लगे अन्य चित्रों के साथ लगा दिया गया। थोड़ी देर बाद वामपंथी छात्र संगठनों के लोगों ने वहां पहुंचकर शिवाजी की फोटो और फूलमाला उठाकर कचरे में फेक दिया। जब विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने दोबारा दीवार पर फोटो लगाने का प्रयास किया तो उनके साथ लेफ्ट छात्र संगठनों से जुड़े लोगों ने मारपीट की।

वहीं जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ का कहना है कि एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर किया हमला किया है। आयषी घोष के मुताबिक एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर हमला किया है, यहां विश्वविद्यालय परिसर में आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की याद में और उनके पिता के आह्वान पर कैंडल लाइट मार्च किया गया। इसके तुरंत बाद विश्वविद्यालय के छात्रों पर हमला किया गया। छात्र संघ का कहना है कि आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की जातिवादी माहौल द्वारा संस्थागत रूप से हत्या कर दी गई थी। जातिगत भेदभाव के खिलाफ आंदोलन को पटरी से उतारने के लिए एबीवीपी ने एक बार फिर ऐसा किया है।

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वहीं इस झड़प पर एबीवीपी का कहना है कि छात्रसंघ कार्यालय में पहले से ही विदेशी लेनिन, कार्ल मार्क्‍स और कई भारतीय विचार विरोधियों के चित्र सालों पहले से लगे हैं लेकिन जैसे पिछले साल महाराणा प्रताप और अब शिवाजी का फोटो लगाया गया, यह वामपंथी संगठनों को रास नहीं आया और उन्होंने हिंसक विरोध किया।

एबीवीपी जेएनयू अध्यक्ष रोहित कुमार ने कहा कि वामपंथियों का चरित्र ही अराजक है वह अपने अलावा किसी और को सहन नहीं कर सकता जैसे ही जेएनयू में शिवाजी और महाराणा प्रताप के विचारों पर बात हुई ये लोग सहन नहीं कर पाए और हमेशा की तरह हमला करने पर उतारू हो गए। अभाविप जेएनयू का कहना है कि वह जेएनयू में भारतीय महापुरुषों को विचारों के प्रसार तथा उनके सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि लेफ्ट से जुड़े छात्रों को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया कि भारतीय सभ्यता के प्रतीक महाराणा प्रताप और शिवाजी जैसे महापुरुषों का चित्र विश्वविद्यालय में लगाया जाए। छात्र संघ के मुताबिक न केवल वह बल्कि देश के लाखों करोड़ों युवा इन महापुरूषों से प्रेरणा लेते हैं। लेकिन जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इन महापुरुषों के चित्र लगाए गए तो लाइफ से जुड़े छात्रों ने चित्रों को वहां से हटा दिया और तोड़फोड़ की।

–आईएएनएस

जीसीबी/एसकेके

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नई दिल्ली, 20 फरवरी (आईएएनएस)। रविवार शाम जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और लेफ्ट छात्र संगठनों के बीच झड़प हुई। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर जेएनयू के छात्रसंघ कार्यालय में एक पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसके बाद उस चित्र को कार्यालय में ही लगे अन्य चित्रों के साथ लगा दिया गया। थोड़ी देर बाद वामपंथी छात्र संगठनों के लोगों ने वहां पहुंचकर शिवाजी की फोटो और फूलमाला उठाकर कचरे में फेक दिया। जब विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने दोबारा दीवार पर फोटो लगाने का प्रयास किया तो उनके साथ लेफ्ट छात्र संगठनों से जुड़े लोगों ने मारपीट की।

वहीं जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ का कहना है कि एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर किया हमला किया है। आयषी घोष के मुताबिक एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर हमला किया है, यहां विश्वविद्यालय परिसर में आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की याद में और उनके पिता के आह्वान पर कैंडल लाइट मार्च किया गया। इसके तुरंत बाद विश्वविद्यालय के छात्रों पर हमला किया गया। छात्र संघ का कहना है कि आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की जातिवादी माहौल द्वारा संस्थागत रूप से हत्या कर दी गई थी। जातिगत भेदभाव के खिलाफ आंदोलन को पटरी से उतारने के लिए एबीवीपी ने एक बार फिर ऐसा किया है।

वहीं इस झड़प पर एबीवीपी का कहना है कि छात्रसंघ कार्यालय में पहले से ही विदेशी लेनिन, कार्ल मार्क्‍स और कई भारतीय विचार विरोधियों के चित्र सालों पहले से लगे हैं लेकिन जैसे पिछले साल महाराणा प्रताप और अब शिवाजी का फोटो लगाया गया, यह वामपंथी संगठनों को रास नहीं आया और उन्होंने हिंसक विरोध किया।

एबीवीपी जेएनयू अध्यक्ष रोहित कुमार ने कहा कि वामपंथियों का चरित्र ही अराजक है वह अपने अलावा किसी और को सहन नहीं कर सकता जैसे ही जेएनयू में शिवाजी और महाराणा प्रताप के विचारों पर बात हुई ये लोग सहन नहीं कर पाए और हमेशा की तरह हमला करने पर उतारू हो गए। अभाविप जेएनयू का कहना है कि वह जेएनयू में भारतीय महापुरुषों को विचारों के प्रसार तथा उनके सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि लेफ्ट से जुड़े छात्रों को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया कि भारतीय सभ्यता के प्रतीक महाराणा प्रताप और शिवाजी जैसे महापुरुषों का चित्र विश्वविद्यालय में लगाया जाए। छात्र संघ के मुताबिक न केवल वह बल्कि देश के लाखों करोड़ों युवा इन महापुरूषों से प्रेरणा लेते हैं। लेकिन जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इन महापुरुषों के चित्र लगाए गए तो लाइफ से जुड़े छात्रों ने चित्रों को वहां से हटा दिया और तोड़फोड़ की।

–आईएएनएस

जीसीबी/एसकेके

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नई दिल्ली, 20 फरवरी (आईएएनएस)। रविवार शाम जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और लेफ्ट छात्र संगठनों के बीच झड़प हुई। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर जेएनयू के छात्रसंघ कार्यालय में एक पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसके बाद उस चित्र को कार्यालय में ही लगे अन्य चित्रों के साथ लगा दिया गया। थोड़ी देर बाद वामपंथी छात्र संगठनों के लोगों ने वहां पहुंचकर शिवाजी की फोटो और फूलमाला उठाकर कचरे में फेक दिया। जब विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने दोबारा दीवार पर फोटो लगाने का प्रयास किया तो उनके साथ लेफ्ट छात्र संगठनों से जुड़े लोगों ने मारपीट की।

वहीं जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ का कहना है कि एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर किया हमला किया है। आयषी घोष के मुताबिक एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर हमला किया है, यहां विश्वविद्यालय परिसर में आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की याद में और उनके पिता के आह्वान पर कैंडल लाइट मार्च किया गया। इसके तुरंत बाद विश्वविद्यालय के छात्रों पर हमला किया गया। छात्र संघ का कहना है कि आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की जातिवादी माहौल द्वारा संस्थागत रूप से हत्या कर दी गई थी। जातिगत भेदभाव के खिलाफ आंदोलन को पटरी से उतारने के लिए एबीवीपी ने एक बार फिर ऐसा किया है।

वहीं इस झड़प पर एबीवीपी का कहना है कि छात्रसंघ कार्यालय में पहले से ही विदेशी लेनिन, कार्ल मार्क्‍स और कई भारतीय विचार विरोधियों के चित्र सालों पहले से लगे हैं लेकिन जैसे पिछले साल महाराणा प्रताप और अब शिवाजी का फोटो लगाया गया, यह वामपंथी संगठनों को रास नहीं आया और उन्होंने हिंसक विरोध किया।

एबीवीपी जेएनयू अध्यक्ष रोहित कुमार ने कहा कि वामपंथियों का चरित्र ही अराजक है वह अपने अलावा किसी और को सहन नहीं कर सकता जैसे ही जेएनयू में शिवाजी और महाराणा प्रताप के विचारों पर बात हुई ये लोग सहन नहीं कर पाए और हमेशा की तरह हमला करने पर उतारू हो गए। अभाविप जेएनयू का कहना है कि वह जेएनयू में भारतीय महापुरुषों को विचारों के प्रसार तथा उनके सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि लेफ्ट से जुड़े छात्रों को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया कि भारतीय सभ्यता के प्रतीक महाराणा प्रताप और शिवाजी जैसे महापुरुषों का चित्र विश्वविद्यालय में लगाया जाए। छात्र संघ के मुताबिक न केवल वह बल्कि देश के लाखों करोड़ों युवा इन महापुरूषों से प्रेरणा लेते हैं। लेकिन जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इन महापुरुषों के चित्र लगाए गए तो लाइफ से जुड़े छात्रों ने चित्रों को वहां से हटा दिया और तोड़फोड़ की।

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वहीं जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ का कहना है कि एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर किया हमला किया है। आयषी घोष के मुताबिक एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर हमला किया है, यहां विश्वविद्यालय परिसर में आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की याद में और उनके पिता के आह्वान पर कैंडल लाइट मार्च किया गया। इसके तुरंत बाद विश्वविद्यालय के छात्रों पर हमला किया गया। छात्र संघ का कहना है कि आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की जातिवादी माहौल द्वारा संस्थागत रूप से हत्या कर दी गई थी। जातिगत भेदभाव के खिलाफ आंदोलन को पटरी से उतारने के लिए एबीवीपी ने एक बार फिर ऐसा किया है।

वहीं इस झड़प पर एबीवीपी का कहना है कि छात्रसंघ कार्यालय में पहले से ही विदेशी लेनिन, कार्ल मार्क्‍स और कई भारतीय विचार विरोधियों के चित्र सालों पहले से लगे हैं लेकिन जैसे पिछले साल महाराणा प्रताप और अब शिवाजी का फोटो लगाया गया, यह वामपंथी संगठनों को रास नहीं आया और उन्होंने हिंसक विरोध किया।

एबीवीपी जेएनयू अध्यक्ष रोहित कुमार ने कहा कि वामपंथियों का चरित्र ही अराजक है वह अपने अलावा किसी और को सहन नहीं कर सकता जैसे ही जेएनयू में शिवाजी और महाराणा प्रताप के विचारों पर बात हुई ये लोग सहन नहीं कर पाए और हमेशा की तरह हमला करने पर उतारू हो गए। अभाविप जेएनयू का कहना है कि वह जेएनयू में भारतीय महापुरुषों को विचारों के प्रसार तथा उनके सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि लेफ्ट से जुड़े छात्रों को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया कि भारतीय सभ्यता के प्रतीक महाराणा प्रताप और शिवाजी जैसे महापुरुषों का चित्र विश्वविद्यालय में लगाया जाए। छात्र संघ के मुताबिक न केवल वह बल्कि देश के लाखों करोड़ों युवा इन महापुरूषों से प्रेरणा लेते हैं। लेकिन जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इन महापुरुषों के चित्र लगाए गए तो लाइफ से जुड़े छात्रों ने चित्रों को वहां से हटा दिया और तोड़फोड़ की।

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वहीं जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ का कहना है कि एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर किया हमला किया है। आयषी घोष के मुताबिक एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर हमला किया है, यहां विश्वविद्यालय परिसर में आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की याद में और उनके पिता के आह्वान पर कैंडल लाइट मार्च किया गया। इसके तुरंत बाद विश्वविद्यालय के छात्रों पर हमला किया गया। छात्र संघ का कहना है कि आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की जातिवादी माहौल द्वारा संस्थागत रूप से हत्या कर दी गई थी। जातिगत भेदभाव के खिलाफ आंदोलन को पटरी से उतारने के लिए एबीवीपी ने एक बार फिर ऐसा किया है।

वहीं इस झड़प पर एबीवीपी का कहना है कि छात्रसंघ कार्यालय में पहले से ही विदेशी लेनिन, कार्ल मार्क्‍स और कई भारतीय विचार विरोधियों के चित्र सालों पहले से लगे हैं लेकिन जैसे पिछले साल महाराणा प्रताप और अब शिवाजी का फोटो लगाया गया, यह वामपंथी संगठनों को रास नहीं आया और उन्होंने हिंसक विरोध किया।

एबीवीपी जेएनयू अध्यक्ष रोहित कुमार ने कहा कि वामपंथियों का चरित्र ही अराजक है वह अपने अलावा किसी और को सहन नहीं कर सकता जैसे ही जेएनयू में शिवाजी और महाराणा प्रताप के विचारों पर बात हुई ये लोग सहन नहीं कर पाए और हमेशा की तरह हमला करने पर उतारू हो गए। अभाविप जेएनयू का कहना है कि वह जेएनयू में भारतीय महापुरुषों को विचारों के प्रसार तथा उनके सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि लेफ्ट से जुड़े छात्रों को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया कि भारतीय सभ्यता के प्रतीक महाराणा प्रताप और शिवाजी जैसे महापुरुषों का चित्र विश्वविद्यालय में लगाया जाए। छात्र संघ के मुताबिक न केवल वह बल्कि देश के लाखों करोड़ों युवा इन महापुरूषों से प्रेरणा लेते हैं। लेकिन जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इन महापुरुषों के चित्र लगाए गए तो लाइफ से जुड़े छात्रों ने चित्रों को वहां से हटा दिया और तोड़फोड़ की।

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वहीं जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ का कहना है कि एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर किया हमला किया है। आयषी घोष के मुताबिक एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर हमला किया है, यहां विश्वविद्यालय परिसर में आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की याद में और उनके पिता के आह्वान पर कैंडल लाइट मार्च किया गया। इसके तुरंत बाद विश्वविद्यालय के छात्रों पर हमला किया गया। छात्र संघ का कहना है कि आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की जातिवादी माहौल द्वारा संस्थागत रूप से हत्या कर दी गई थी। जातिगत भेदभाव के खिलाफ आंदोलन को पटरी से उतारने के लिए एबीवीपी ने एक बार फिर ऐसा किया है।

वहीं इस झड़प पर एबीवीपी का कहना है कि छात्रसंघ कार्यालय में पहले से ही विदेशी लेनिन, कार्ल मार्क्‍स और कई भारतीय विचार विरोधियों के चित्र सालों पहले से लगे हैं लेकिन जैसे पिछले साल महाराणा प्रताप और अब शिवाजी का फोटो लगाया गया, यह वामपंथी संगठनों को रास नहीं आया और उन्होंने हिंसक विरोध किया।

एबीवीपी जेएनयू अध्यक्ष रोहित कुमार ने कहा कि वामपंथियों का चरित्र ही अराजक है वह अपने अलावा किसी और को सहन नहीं कर सकता जैसे ही जेएनयू में शिवाजी और महाराणा प्रताप के विचारों पर बात हुई ये लोग सहन नहीं कर पाए और हमेशा की तरह हमला करने पर उतारू हो गए। अभाविप जेएनयू का कहना है कि वह जेएनयू में भारतीय महापुरुषों को विचारों के प्रसार तथा उनके सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि लेफ्ट से जुड़े छात्रों को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया कि भारतीय सभ्यता के प्रतीक महाराणा प्रताप और शिवाजी जैसे महापुरुषों का चित्र विश्वविद्यालय में लगाया जाए। छात्र संघ के मुताबिक न केवल वह बल्कि देश के लाखों करोड़ों युवा इन महापुरूषों से प्रेरणा लेते हैं। लेकिन जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इन महापुरुषों के चित्र लगाए गए तो लाइफ से जुड़े छात्रों ने चित्रों को वहां से हटा दिया और तोड़फोड़ की।

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वहीं जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ का कहना है कि एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर किया हमला किया है। आयषी घोष के मुताबिक एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर हमला किया है, यहां विश्वविद्यालय परिसर में आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की याद में और उनके पिता के आह्वान पर कैंडल लाइट मार्च किया गया। इसके तुरंत बाद विश्वविद्यालय के छात्रों पर हमला किया गया। छात्र संघ का कहना है कि आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की जातिवादी माहौल द्वारा संस्थागत रूप से हत्या कर दी गई थी। जातिगत भेदभाव के खिलाफ आंदोलन को पटरी से उतारने के लिए एबीवीपी ने एक बार फिर ऐसा किया है।

वहीं इस झड़प पर एबीवीपी का कहना है कि छात्रसंघ कार्यालय में पहले से ही विदेशी लेनिन, कार्ल मार्क्‍स और कई भारतीय विचार विरोधियों के चित्र सालों पहले से लगे हैं लेकिन जैसे पिछले साल महाराणा प्रताप और अब शिवाजी का फोटो लगाया गया, यह वामपंथी संगठनों को रास नहीं आया और उन्होंने हिंसक विरोध किया।

एबीवीपी जेएनयू अध्यक्ष रोहित कुमार ने कहा कि वामपंथियों का चरित्र ही अराजक है वह अपने अलावा किसी और को सहन नहीं कर सकता जैसे ही जेएनयू में शिवाजी और महाराणा प्रताप के विचारों पर बात हुई ये लोग सहन नहीं कर पाए और हमेशा की तरह हमला करने पर उतारू हो गए। अभाविप जेएनयू का कहना है कि वह जेएनयू में भारतीय महापुरुषों को विचारों के प्रसार तथा उनके सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि लेफ्ट से जुड़े छात्रों को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया कि भारतीय सभ्यता के प्रतीक महाराणा प्रताप और शिवाजी जैसे महापुरुषों का चित्र विश्वविद्यालय में लगाया जाए। छात्र संघ के मुताबिक न केवल वह बल्कि देश के लाखों करोड़ों युवा इन महापुरूषों से प्रेरणा लेते हैं। लेकिन जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इन महापुरुषों के चित्र लगाए गए तो लाइफ से जुड़े छात्रों ने चित्रों को वहां से हटा दिया और तोड़फोड़ की।

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वहीं जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ का कहना है कि एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर किया हमला किया है। आयषी घोष के मुताबिक एबीवीपी ने एक बार फिर छात्रों पर हमला किया है, यहां विश्वविद्यालय परिसर में आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की याद में और उनके पिता के आह्वान पर कैंडल लाइट मार्च किया गया। इसके तुरंत बाद विश्वविद्यालय के छात्रों पर हमला किया गया। छात्र संघ का कहना है कि आईआईटी बॉम्बे के छात्र दर्शन सोलंकी की जातिवादी माहौल द्वारा संस्थागत रूप से हत्या कर दी गई थी। जातिगत भेदभाव के खिलाफ आंदोलन को पटरी से उतारने के लिए एबीवीपी ने एक बार फिर ऐसा किया है।

वहीं इस झड़प पर एबीवीपी का कहना है कि छात्रसंघ कार्यालय में पहले से ही विदेशी लेनिन, कार्ल मार्क्‍स और कई भारतीय विचार विरोधियों के चित्र सालों पहले से लगे हैं लेकिन जैसे पिछले साल महाराणा प्रताप और अब शिवाजी का फोटो लगाया गया, यह वामपंथी संगठनों को रास नहीं आया और उन्होंने हिंसक विरोध किया।

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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि लेफ्ट से जुड़े छात्रों को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया कि भारतीय सभ्यता के प्रतीक महाराणा प्रताप और शिवाजी जैसे महापुरुषों का चित्र विश्वविद्यालय में लगाया जाए। छात्र संघ के मुताबिक न केवल वह बल्कि देश के लाखों करोड़ों युवा इन महापुरूषों से प्रेरणा लेते हैं। लेकिन जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इन महापुरुषों के चित्र लगाए गए तो लाइफ से जुड़े छात्रों ने चित्रों को वहां से हटा दिया और तोड़फोड़ की।

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