नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। देश में इंटरनेट की पहुंच और डिजिटल बैंकिंग के उपयोग में वृद्धि के साथ पिछले कुछ वर्षों में भारत में साइबर हमलों या साइबर सुरक्षा की घटनाओं की संख्या कई गुना बढ़ गई है।
आईएएनएस द्वारा एक्सेस किए गए डेटा में कहा गया है कि विशेष रूप से साल 2022 में सरकारी संस्थानों से संबंधित साइबर सुरक्षा की घटनाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है। सरकारी एजेंसियों, संस्थानों और अंडरटेकिंग्स से संबंधित साइबर सुरक्षा घटनाएं साल 2020 में 54,314, 2021 में 48,285 और 2022 में 1,92,439 देखी गईं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 के दौरान भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-आईएन) द्वारा ट्रैक की गई साइबर सुरक्षा घटनाओं की कुल संख्या 3,94,499 थी, जो 2020 में बढ़कर 11,58,208 हो गई और 2021 में बढ़कर 14,02,809 हो गई। इसी तरह, 2022 में भी 13,91,457 साइबर सुरक्षा घटनाएं देखी गईं।
23 नवंबर को दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को ठप कर देने वाला साइबर हमला ऐसा ही एक उदाहरण था। मुद्दों को हल करने के लिए कई एजेंसियों को शामिल किया गया था। इसी तरह, साइबर हमलावरों ने 1 दिसंबर को जल शक्ति मंत्रालय के ट्विटर हैंडल को संक्षिप्त रूप से हैक कर लिया। एम्स दिल्ली का सर्वर हैक होने के बाद किसी सरकारी साइट पर यह दूसरा बड़ा साइबर हमला था।
एक संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथ, साइबर अपराध दुनियाभर में एक प्रमुख मुद्दे के रूप में उभरे हैं। साइबर अपराध भौगोलिक सीमाओं को लांघ जाते हैं, जिससे अपराधियों को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है।
समिति ने देश में साइबर अपराधों की बढ़ती प्रवृत्ति पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। साइबर अपराध के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को एक ही नाव पर सवार होने की जरूरत है।
इस महीने संसद में पेश की गई पुलिस-प्रशिक्षण, आधुनिकीकरण और सुधार रिपोर्ट में कहा गया है, समिति ने पाया कि साइबर अपराधों से निपटने के लिए पुलिसकर्मियों का पारंपरिक प्रशिक्षण पर्याप्त नहीं है क्योंकि ये अपराधी तकनीक-प्रेमी हैं और नियमित रूप से नए तौर-तरीकों का पालन कर रहे हैं।
रिपोर्ट में समिति ने पाया कि हर दिन साइबर अपराधी साइबर अपराध करने के लिए नए तरीकों और नए तौर-तरीकों का उपयोग कर रहे हैं। इसलिए, पुलिस के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह अपराधियों द्वारा अपनाए जाने वाले नए तौर-तरीकों और तकनीकी ट्रेंड से अपडेट रहे।
रिपोर्ट में कहा गया है, समिति ने सिफारिश की है कि गृह मंत्रालय राज्यों को सभी जिलों में साइबर सेल स्थापित करने की सलाह दे सकता है। राज्यों को साइबर क्राइम हॉटस्पॉट्स को मैप करना चाहिए जो अपराधों का तत्काल पता लगाने और साइबर अपराधों को रोकने के लिए सक्रिय उपाय करने में मदद करेगा।
आईटी मंत्रालय के अनुसार, भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-इन) ने अप्रैल 2022 में ऐसी घटनाओं के नोटिस में आने या नोटिस में लाए जाने के छह घंटे के भीतर सीईआरटी-इन को साइबर घटनाओं की अनिवार्य रिपोटिर्ंग के निर्देश जारी किए थे।
इसके अलावा, सीईआरटी-इन ने साइबर हमलों और साइबर-आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए साइबर संकट प्रबंधन योजना तैयार की है, जिसे केंद्र, राज्य सरकारों और उनके संगठनों और महत्वपूर्ण क्षेत्रों के सभी मंत्रालयों और विभागों द्वारा लागू किया जाएगा। सूचना सुरक्षा सर्वोत्तम प्रथाओं के कार्यान्वयन का समर्थन और आडिट करने के लिए इसने 150 सुरक्षा ऑडिटिंग संगठनों को सूचीबद्ध किया है।
केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों (सीआईएसओ) को उनके संबंधित मंत्रालय या विभाग के साइबर स्वच्छता और सुरक्षा पहलुओं को सुनिश्चित करने के लिए नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है। स्किल वृद्धि कार्यक्रमों के माध्यम से सीआईएसओ को उनकी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों और साइबर सुरक्षा के मुख्य पहलुओं के बारे में संवेदनशील बनाया जा रहा है।
–आईएएनएस
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