नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)। सीवोटर के एक विशेष राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में 70 प्रतिशत उत्तरदाताओं की राय है कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेशों के बावजूद नफरत फैलाने वाले भाषण के बढ़ते मामलों के लिए राज्य सरकारों की निष्क्रियता जिम्मेदार है।
सर्वेक्षण में 3,350 लोगों की राय ली गई। दिलचस्प बात यह है कि एनडीए और इंडिया ब्लॉक समर्थकों की राय में ज्यादा अंतर नहीं है।
जहां इंडिया ब्लॉक के 68 प्रतिशत समर्थक नफरत भरे भाषणों के बढ़ते ट्रेंड के लिए सरकारों की निष्क्रियता को जिम्मेदार ठहराते हैं, वहीं सत्तारूढ़ एनडीए के करीब 74 प्रतिशत समर्थक भी यही दृष्टिकोण रखते हैं।
नफरत फैलाने वाले भाषण पर विवाद हाल ही में शुरू हुआ था, जब युवा डीएमके नेता और तमिलनाडु के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी।
उदयनिधि स्टालिन ने अपने भाषण में सनातन धर्म की तुलना मच्छर, मलेरिया, डेंगू और कोरोना से की थी। उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि जिस प्रकार उपरोक्त बीमारियों का विरोध नहीं किया जा सकता बल्कि उन्हें ख़त्म किया जा सकता है, उसी प्रकार सनातन धर्म को भी ख़त्म करने की जरूरत है।
उदयनिधि स्टालिन की इस टिप्पणी की देश भर में व्यापक निंदा हुई है। कई लोगों ने जोर देकर कहा है कि स्टालिन जूनियर ‘घृणास्पद भाषण’ में शामिल हैं।
अप्रैल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस को आदेश दिया था कि नफरत फैलाने वाले भाषण में शामिल किसी भी व्यक्ति के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए एफआईआर दर्ज करनी होगी, भले ही कोई शिकायत न हो। आदेशों का पालन नहीं करने पर अवमानना कार्यवाही की चेतावनी दी गई थी।
वरिष्ठ न्यायाधीशों और नौकरशाहों के एक समूह ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को औपचारिक रूप से पत्र लिखकर उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणियों पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया है।
–आईएएनएस
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