रांची, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि झारखंड में मंदिरों पर हमले और आदिवासी धर्मस्थलों पर कब्जे की घटनाएं लगातार हो रही हैं, लेकिन ऐसी घटनाओं से बेखबर राज्य की सरकार को सिर्फ चर्च की सुरक्षा की चिंता है।
मरांडी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि सिमडेगा में चर्च की सुरक्षा के लिए डीसी, एसपी और अन्य प्रशासनिक अधिकारी ईसाई धर्मगुरुओं के साथ बैठक करने जा रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि सरकार केवल एक समुदाय विशेष के धार्मिक स्थलों को लेकर चिंतित है।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में झारखंड के कई इलाकों में आदिवासियों के सरना स्थल, मसना स्थल, जाहिर थान, मांझी थान और हड़गड़ी की जमीनों पर कब्जे और अतिक्रमण की घटनाएं लगातार हो रही हैं। मंदिरों पर हमले हुए हैं, देवी-देवताओं की प्रतिमाएं खंडित की गई हैं, लेकिन इन स्थलों की सुरक्षा को लेकर सरकार ने कभी कोई बैठक नहीं बुलाई।
उन्होंने कहा, “क्या कभी राज्य सरकार ने मंदिरों, सरना या गुरुद्वारों की सुरक्षा पर समाज के धर्मगुरुओं के साथ बैठक की? जवाब है, नहीं!”
मरांडी ने सवाल उठाया कि आखिर चर्च को ही विशेष सुरक्षा की जरूरत क्यों महसूस की जा रही है? क्या यह उन मतांतरण गिरोहों को सुरक्षा देने की तैयारी है, जो ‘चंगाई सभा’ के नाम पर भोले-भाले आदिवासियों को धर्मांतरण करा रहे हैं?
उन्होंने कहा कि चर्च की साजिश और कुछ चर्च-प्रेमी अफसरों की भूमिका के कारण सिमडेगा में अब तक लगभग 51 प्रतिशत आबादी ईसाई धर्म अपना चुकी है। सरकार प्रायोजित इस बैठक के पीछे की मंशा को लेकर लोगों के मन में संदेह स्वाभाविक है।
मरांडी ने मांग की कि अगर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करना चाहते हैं, तो सिर्फ चर्च तक सीमित न रहें। आदिवासियों के सरना, मसना, जाहिर थान, मांझी थान, मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों की सुरक्षा पर भी समान रूप से चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने सिमडेगा में होने वाली बैठक का एजेंडा सार्वजनिक करने या सभी धर्मों और समाजों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित कर समग्र सुरक्षा पर चर्चा करने की मांग की।
–आईएएनएस
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