रांची, 6 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में तीन पार्टियों जेएमएम, कांग्रेस और राजद की पार्टनरशिप की सरकार चल रही है, लेकिन इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर पार्टनरशिप को बरकरार रखना एक बड़ी चुनौती है।
लोकसभा चुनाव के लिए “इंडिया” की छतरी के नीचे आते ही राज्य में पार्टनर पार्टियों की संख्या तीन से बढ़कर छह हो जाएगी। जेएमएम, कांग्रेस और राजद के अलावा जेडीयू, सीपीआई और सीपीआई (एमएल) की ओर से सीटों को लेकर दावेदारियां सामने आ चुकी हैं।
राज्य में सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर ये पार्टियां अब तक बातचीत की मेज पर नहीं पहुंची हैं और न ही कोई तारीख तय हुई है। इस बीच नए साल की पहली तारीख से राज्य की सरकार को लेकर जिस तरह की आशंकाओं-अनिश्चितताओं और अटकलों का दौर शुरू हुआ है, उसमें लोकसभा सीटों के बंटवारे पर अगले 15-20 दिनों तक बातचीत की संभावना भी कम ही लगती है।
2-3 जनवरी को झारखंड प्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त प्रभारी गुलाम अहमद मीर रांची में थे। उन्होंने कांग्रेस विधायक दल और पार्टी के प्रमुख नेताओं के साथ अलग-अलग बैठक की, जिसमें राज्य में लोकसभा सीटों के लिए दावेदारी पर चर्चा हुई।
इसके बाद 4 जनवरी को नई दिल्ली में इस मुद्दे पर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की ओर से बुलाई गई बैठक में झारखंड से कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने शिरकत की।
सूत्रों के अनुसार इस बैठक में तय हुआ कि पार्टी झारखंड की 14 में से 10 लोकसभा सीटों पर दावेदारी करेगी।
कांग्रेस का मानना है कि झामुमो को प्रदेश की सत्ता में अगुवाई सौंपी गयी है और हेमंत सोरेन की लीडरशिप स्वीकार की गई है, तो बदले में राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस की स्वाभाविक तौर पर बड़ी हिस्सेदारी बनती है।
दिल्ली की बैठक से लौटने के बाद प्रदेश कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम से इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने कहा, “ मुझे नहीं लगता कि झारखंड में लोकसभा सीटों के बंटवारे में कोई दिक्कत है। बगैर किसी विवाद के समय पर सब कुछ तय हो जाएगा।”
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्य की आठ लोकसभा सीटों पर दावेदारी ठोंकी है। बीते 19 दिसंबर को नई दिल्ली में इंडिया के घटक दलों की बैठक में पार्टी की ओर से सांसद विजय हांसदा, महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य और राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने शिरकत की थी और उन्होंने सीटों की दावेदारी पर अपनी बात रखी थी।
झामुमो का कहना है कि राज्य में उसका जनाधार इंडिया के बाकी घटक दलों की तुलना में बड़ा है, इसलिए स्वाभाविक तौर पर कम से कम साठ फीसदी सीटों पर उसका दावा बनता है।
राज्य में गठबंधन की तीसरी पार्टनर पार्टी राजद को भी अपने लिए “ज्यादा” चाहिए। राजद के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि पार्टी राज्य में चार लोकसभा सीटों पलामू, चतरा, कोडरमा और गोड्डा पर चुनाव लड़ना चाहती है। पार्टी की प्रदेश इकाई ने अपनी भावना से राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष को अवगत करा दिया है।
वामपंथी पार्टियों में सीपीआई एक सीट हजारीबाग पर दावा कर रही है, जहां से वर्ष 2004 में इस पार्टी के भुवनेश्वर प्रसाद मेहता सांसद रह चुके हैं। इसी तरह सीपीआई (एमएल) तीन लोकसभा सीटों हजारीबाग, राजमहल और कोडरमा पर दावा ठोंक रही है।
पार्टी की राज्य कमेटी ने राजमहल सीट पर हर हाल में उम्मीदवार उतारने का प्रस्ताव पास किया है। पार्टी ने यहां तक कहा है कि अगर बंटवारे में यह सीट नहीं मिली तो पार्टी दोस्ताना संघर्ष के लिए भी तैयार है।
झारखंड में पिछले एक दशक से नीतीश कुमार की पार्टी जदयू का कोई खास प्रभाव नहीं रहा है, लेकिन, इसके बावजूद पार्टी यहां अपने लिए दो सीटें चाहती हैं। बताते हैं कि इसके लिए वह कोयरी-कुर्मी जाति समूह के वोट बैंक का हवाला देगी। बिहार में इस जाति समूह के वोटरों पर जदयू की खासी पकड़ है।
कुल मिलाकर, सीटों के बंटवारे को लेकर फिलहाल बहुतरफा रस्साकशी की स्थिति है और इसमें सभी घटक दलों के बीच सर्वमान्य फार्मूला बना पाना बेहद मुश्किल है।
–आईएएनएस
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