रांची, 8 फरवरी (आईएएनएस)। झारखंड में मंडी शुल्क के नए कानून की वापसी की मांग को लेकर राज्य के व्यापारियों ने आगामी 15 फरवरी से अनाज का व्यापार पूरी तरह बंद रखने का ऐलान किया है। राज्य के व्यवसायियों और उद्यमियों की सबसे बड़ी संस्था फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (एफजेसीसीआई) के आह्वान पर बुधवार को राज्य के विभिन्न जिलों के खाद्यान्न व्यापारी और राइस-फ्लोर मिलर्स रांची में जुटे। इसमें सरकार की ओर से पारित नए विधेयक को जनविरोधी, कृषक विरोधी और व्यापार विरोधी करार देते हुए तय किया गया कि जब तक यह फैसला वापस नहीं होता, आंदोलन जारी रहेगा।
बुधवार को भी पूरे राज्य की तमाम मंडियों और बाजारों में व्यवसायियों ने अनाज की दुकानें बंद रखीं और काला बिल्ला लगाया। रांची में व्यापारियों की बैठक को संबोधित करते हुए फेडरेशन ऑफ चैंबर के अध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि झारखंड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन विधेयक 2022 व्यापारियों को किसी भी रूप में मंजूर नहीं है। यह कानून भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला है। बिहार और यूपी जैसे राज्यों ने भी कृषि मंडी शुल्क का कानून वापस लिया है। बैठक में जुटे व्यापारियों ने प्रस्ताव पारित कर कहा कि इस विधेयक से राज्य में कृषि उपज के उत्पादन, इसके विपणन, संबंधित प्रसंस्करण उद्योग और व्यापार में भारी कमी आएगी। इससे किसानों की उपज की स्थानीय मांग घटने से उन्हें अपने उत्पाद की कम कीमत प्राप्त होगी। इससे सरकार को कृषि शुल्क और जीएसटी से प्राप्त होनेवाले राशि (राजस्व) में भी कमी आयेगी।
बैठक में विभिन्न जिलों से आए व्यवसायी प्रतिनिधियों ने कहा कि शुल्क प्रभावी होने के बाद यहां का व्यापार पडोसी राज्यों में शिफ्ट होने लगेगा जिससे सरकार को जीएसटी के रूप में भारी नुकसान होगा। झारखंड में बिक्री हेतु तैयार ज्यादातर माल दूसरे राज्यों के आयात किये जाते हैं। ऐसी वस्तुओं पर कृषि शुल्क लागू होने से यह किसी विपणन व्यवस्था की फीस न होकर सीधे एक टैक्स के रूप में प्रभावी होगा, जो जीएसटी के अतिरिक्त डबल टैक्सेशन होगा। अन्य राज्य से आयातित वस्तु पर अधिकतम स्लैब में कृषि शुल्क लगाए जाने से सीधे तौर पर आम उपभोक्ताओं को महंगाई झेलनी पड़ेगी। पूर्व में जब यह शुल्क प्रभावी था, तब यह भ्रष्टाचार का जरिया बन गया था।
बैठक के बाद झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रतिनिधियों ने रांची में रैली निकाली। इस दौरान मोराबादी मैदान में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का पुतला जलाया गया।
बता दें कि पिछले साल मार्च में इस बिल को विधानसभा में पारित करने पर व्यापारियों ने विरोध किया था। इस दौरान अप्रैल माह में खाद्यान्न आयात बंद कर दिया गया था। दो दिनों तक खाद्यान्न आयात बंद होने के बाद ही राज्य सरकार ने व्यापारियों से वार्ता की थी। विधानसभा के बीते सत्र में इस विधेयक को संशोधित रूप में पारित किया गया, लेकिन व्यापारियों का इसपर भी विरोध है। विधयेक पारित होने के बाद से ही चैंबर ने कई स्तरों पर सत्ता पक्ष, अधिकारियों और मंत्रियों से वार्ता की। गत 21 जनवरी को चैंबर प्रतिनिधियों ने राज्यपाल से भी मुलाकात की थी।
–आईएएनएस
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