deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home Today's Special News

झारखंड में कोर्ट फीस वृद्धि का विवाद गहराया, बार काउंसिल और राज्य सरकार आमने-सामने

by
January 5, 2023
in Today's Special News, अभिमत, इंदौर, उज्जैन, खेल, ग्वालियर, चंबल, जबलपुर, जानकारी, तकनीकी, ताज़ा समाचार, नर्मदापुरम, ब्लॉग, भोपाल, मनोरंजन, रीवा, लाइफ स्टाइल, विचार, शहडोल, सागर
0
झारखंड में कोर्ट फीस वृद्धि का विवाद गहराया, बार काउंसिल और राज्य सरकार आमने-सामने
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

रांची, 5 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलित हैं। इस फैसले पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में बार काउंसिल और स्टेट गवर्नमेंट एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। बार काउंसिल ने एलान किया है कि सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के 35 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ता 6 और 7 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर आगामी 7 जनवरी को राज्य भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों के साथ संवाद के लिए बैठक बुलाई है। बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं से सीएम के संवाद कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है।

गुरुवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपना-अपना स्टैंड रखा। काउंसिल ने एक तरफ कार्य बहिष्कार के निर्णय का एलान किया, तो दूसरी तरफ एडवोकेट जनरल ने इस एलान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया।

READ ALSO

एमएल. कोट्रू के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक, कहा- पत्रकारिता को दिया अनमोल योगदान

महाअष्टमी की रात शख्स की गोली मारकर हत्या, एक घायल

एडवोकेट जेनरल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के सभी अधिवक्ता 6 जनवरी को कोर्ट जाएंगे और निर्धारित मामलों में पैरवी करेंगे। बार काउंसिल और एडवोकेट जेनरल के परस्पर विरोधी स्टैंड की वजह से इस मामले को बार बनाम स्टेट के विवाद के रूप में देखा जा रहा है। एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और इस हैसियत से वह जो भी पक्ष रखते हैं, उसे स्टेट का पक्ष माना जाता है।

एडवोकेट जनरल ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं, स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों और ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित संवाद में हिस्सा लेने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के जीपी (गवरनमेंट प्लीडर्स) खुद एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर प्रत्येक जिले से कम से कम दस अधिवक्ताओं की उपस्थिति इस संवाद कार्यक्रम में सुनिश्चित कराएं।

दूसरी तरफ, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है। इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी। काउंसिल ने कहा कि सरकार कोर्ट फीस बढ़ाने के संबंध में पारित के गए बिल को वापस ले।

काउंसिल अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिवक्ता सीएम द्वारा सात जनवरी को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। इसे लेकर काउंसिल की ओर से गुरुवार को सभी जिला बार संघ के अध्यक्ष, सचिव और एडहॉक कमेटी को भी पत्र लिखा गया है।

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक वापसी एवं अन्य मांगों को लेकर सीएम से मिलने के लिए 11 सदस्य वाली एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि वे आज नहीं मिलेंगे। इस मुद्दे पर 7 जनवरी को राज्य के सभी अधिवक्ताओं के साथ सीएम की बैठक तय है। इससे काउंसिल के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों ने एतराज जताया।

काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की सूचना न तो जिला बार संघों को थी और न ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को। इसके बाद काउंसिल ने आपात बैठक कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया।

–आईएएनएस

एसएनसी/एसजीके

ADVERTISEMENT

रांची, 5 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलित हैं। इस फैसले पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में बार काउंसिल और स्टेट गवर्नमेंट एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। बार काउंसिल ने एलान किया है कि सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के 35 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ता 6 और 7 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर आगामी 7 जनवरी को राज्य भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों के साथ संवाद के लिए बैठक बुलाई है। बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं से सीएम के संवाद कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है।

गुरुवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपना-अपना स्टैंड रखा। काउंसिल ने एक तरफ कार्य बहिष्कार के निर्णय का एलान किया, तो दूसरी तरफ एडवोकेट जनरल ने इस एलान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया।

एडवोकेट जेनरल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के सभी अधिवक्ता 6 जनवरी को कोर्ट जाएंगे और निर्धारित मामलों में पैरवी करेंगे। बार काउंसिल और एडवोकेट जेनरल के परस्पर विरोधी स्टैंड की वजह से इस मामले को बार बनाम स्टेट के विवाद के रूप में देखा जा रहा है। एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और इस हैसियत से वह जो भी पक्ष रखते हैं, उसे स्टेट का पक्ष माना जाता है।

एडवोकेट जनरल ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं, स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों और ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित संवाद में हिस्सा लेने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के जीपी (गवरनमेंट प्लीडर्स) खुद एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर प्रत्येक जिले से कम से कम दस अधिवक्ताओं की उपस्थिति इस संवाद कार्यक्रम में सुनिश्चित कराएं।

दूसरी तरफ, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है। इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी। काउंसिल ने कहा कि सरकार कोर्ट फीस बढ़ाने के संबंध में पारित के गए बिल को वापस ले।

काउंसिल अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिवक्ता सीएम द्वारा सात जनवरी को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। इसे लेकर काउंसिल की ओर से गुरुवार को सभी जिला बार संघ के अध्यक्ष, सचिव और एडहॉक कमेटी को भी पत्र लिखा गया है।

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक वापसी एवं अन्य मांगों को लेकर सीएम से मिलने के लिए 11 सदस्य वाली एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि वे आज नहीं मिलेंगे। इस मुद्दे पर 7 जनवरी को राज्य के सभी अधिवक्ताओं के साथ सीएम की बैठक तय है। इससे काउंसिल के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों ने एतराज जताया।

काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की सूचना न तो जिला बार संघों को थी और न ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को। इसके बाद काउंसिल ने आपात बैठक कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया।

–आईएएनएस

एसएनसी/एसजीके

ADVERTISEMENT

रांची, 5 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलित हैं। इस फैसले पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में बार काउंसिल और स्टेट गवर्नमेंट एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। बार काउंसिल ने एलान किया है कि सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के 35 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ता 6 और 7 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर आगामी 7 जनवरी को राज्य भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों के साथ संवाद के लिए बैठक बुलाई है। बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं से सीएम के संवाद कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है।

गुरुवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपना-अपना स्टैंड रखा। काउंसिल ने एक तरफ कार्य बहिष्कार के निर्णय का एलान किया, तो दूसरी तरफ एडवोकेट जनरल ने इस एलान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया।

एडवोकेट जेनरल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के सभी अधिवक्ता 6 जनवरी को कोर्ट जाएंगे और निर्धारित मामलों में पैरवी करेंगे। बार काउंसिल और एडवोकेट जेनरल के परस्पर विरोधी स्टैंड की वजह से इस मामले को बार बनाम स्टेट के विवाद के रूप में देखा जा रहा है। एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और इस हैसियत से वह जो भी पक्ष रखते हैं, उसे स्टेट का पक्ष माना जाता है।

एडवोकेट जनरल ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं, स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों और ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित संवाद में हिस्सा लेने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के जीपी (गवरनमेंट प्लीडर्स) खुद एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर प्रत्येक जिले से कम से कम दस अधिवक्ताओं की उपस्थिति इस संवाद कार्यक्रम में सुनिश्चित कराएं।

दूसरी तरफ, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है। इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी। काउंसिल ने कहा कि सरकार कोर्ट फीस बढ़ाने के संबंध में पारित के गए बिल को वापस ले।

काउंसिल अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिवक्ता सीएम द्वारा सात जनवरी को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। इसे लेकर काउंसिल की ओर से गुरुवार को सभी जिला बार संघ के अध्यक्ष, सचिव और एडहॉक कमेटी को भी पत्र लिखा गया है।

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक वापसी एवं अन्य मांगों को लेकर सीएम से मिलने के लिए 11 सदस्य वाली एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि वे आज नहीं मिलेंगे। इस मुद्दे पर 7 जनवरी को राज्य के सभी अधिवक्ताओं के साथ सीएम की बैठक तय है। इससे काउंसिल के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों ने एतराज जताया।

काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की सूचना न तो जिला बार संघों को थी और न ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को। इसके बाद काउंसिल ने आपात बैठक कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया।

–आईएएनएस

एसएनसी/एसजीके

ADVERTISEMENT

रांची, 5 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलित हैं। इस फैसले पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में बार काउंसिल और स्टेट गवर्नमेंट एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। बार काउंसिल ने एलान किया है कि सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के 35 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ता 6 और 7 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर आगामी 7 जनवरी को राज्य भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों के साथ संवाद के लिए बैठक बुलाई है। बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं से सीएम के संवाद कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है।

गुरुवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपना-अपना स्टैंड रखा। काउंसिल ने एक तरफ कार्य बहिष्कार के निर्णय का एलान किया, तो दूसरी तरफ एडवोकेट जनरल ने इस एलान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया।

एडवोकेट जेनरल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के सभी अधिवक्ता 6 जनवरी को कोर्ट जाएंगे और निर्धारित मामलों में पैरवी करेंगे। बार काउंसिल और एडवोकेट जेनरल के परस्पर विरोधी स्टैंड की वजह से इस मामले को बार बनाम स्टेट के विवाद के रूप में देखा जा रहा है। एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और इस हैसियत से वह जो भी पक्ष रखते हैं, उसे स्टेट का पक्ष माना जाता है।

एडवोकेट जनरल ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं, स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों और ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित संवाद में हिस्सा लेने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के जीपी (गवरनमेंट प्लीडर्स) खुद एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर प्रत्येक जिले से कम से कम दस अधिवक्ताओं की उपस्थिति इस संवाद कार्यक्रम में सुनिश्चित कराएं।

दूसरी तरफ, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है। इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी। काउंसिल ने कहा कि सरकार कोर्ट फीस बढ़ाने के संबंध में पारित के गए बिल को वापस ले।

काउंसिल अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिवक्ता सीएम द्वारा सात जनवरी को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। इसे लेकर काउंसिल की ओर से गुरुवार को सभी जिला बार संघ के अध्यक्ष, सचिव और एडहॉक कमेटी को भी पत्र लिखा गया है।

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक वापसी एवं अन्य मांगों को लेकर सीएम से मिलने के लिए 11 सदस्य वाली एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि वे आज नहीं मिलेंगे। इस मुद्दे पर 7 जनवरी को राज्य के सभी अधिवक्ताओं के साथ सीएम की बैठक तय है। इससे काउंसिल के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों ने एतराज जताया।

काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की सूचना न तो जिला बार संघों को थी और न ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को। इसके बाद काउंसिल ने आपात बैठक कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया।

–आईएएनएस

एसएनसी/एसजीके

ADVERTISEMENT

रांची, 5 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलित हैं। इस फैसले पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में बार काउंसिल और स्टेट गवर्नमेंट एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। बार काउंसिल ने एलान किया है कि सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के 35 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ता 6 और 7 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर आगामी 7 जनवरी को राज्य भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों के साथ संवाद के लिए बैठक बुलाई है। बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं से सीएम के संवाद कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है।

गुरुवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपना-अपना स्टैंड रखा। काउंसिल ने एक तरफ कार्य बहिष्कार के निर्णय का एलान किया, तो दूसरी तरफ एडवोकेट जनरल ने इस एलान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया।

एडवोकेट जेनरल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के सभी अधिवक्ता 6 जनवरी को कोर्ट जाएंगे और निर्धारित मामलों में पैरवी करेंगे। बार काउंसिल और एडवोकेट जेनरल के परस्पर विरोधी स्टैंड की वजह से इस मामले को बार बनाम स्टेट के विवाद के रूप में देखा जा रहा है। एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और इस हैसियत से वह जो भी पक्ष रखते हैं, उसे स्टेट का पक्ष माना जाता है।

एडवोकेट जनरल ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं, स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों और ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित संवाद में हिस्सा लेने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के जीपी (गवरनमेंट प्लीडर्स) खुद एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर प्रत्येक जिले से कम से कम दस अधिवक्ताओं की उपस्थिति इस संवाद कार्यक्रम में सुनिश्चित कराएं।

दूसरी तरफ, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है। इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी। काउंसिल ने कहा कि सरकार कोर्ट फीस बढ़ाने के संबंध में पारित के गए बिल को वापस ले।

काउंसिल अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिवक्ता सीएम द्वारा सात जनवरी को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। इसे लेकर काउंसिल की ओर से गुरुवार को सभी जिला बार संघ के अध्यक्ष, सचिव और एडहॉक कमेटी को भी पत्र लिखा गया है।

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक वापसी एवं अन्य मांगों को लेकर सीएम से मिलने के लिए 11 सदस्य वाली एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि वे आज नहीं मिलेंगे। इस मुद्दे पर 7 जनवरी को राज्य के सभी अधिवक्ताओं के साथ सीएम की बैठक तय है। इससे काउंसिल के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों ने एतराज जताया।

काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की सूचना न तो जिला बार संघों को थी और न ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को। इसके बाद काउंसिल ने आपात बैठक कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया।

–आईएएनएस

एसएनसी/एसजीके

ADVERTISEMENT

रांची, 5 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलित हैं। इस फैसले पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में बार काउंसिल और स्टेट गवर्नमेंट एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। बार काउंसिल ने एलान किया है कि सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के 35 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ता 6 और 7 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर आगामी 7 जनवरी को राज्य भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों के साथ संवाद के लिए बैठक बुलाई है। बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं से सीएम के संवाद कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है।

गुरुवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपना-अपना स्टैंड रखा। काउंसिल ने एक तरफ कार्य बहिष्कार के निर्णय का एलान किया, तो दूसरी तरफ एडवोकेट जनरल ने इस एलान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया।

एडवोकेट जेनरल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के सभी अधिवक्ता 6 जनवरी को कोर्ट जाएंगे और निर्धारित मामलों में पैरवी करेंगे। बार काउंसिल और एडवोकेट जेनरल के परस्पर विरोधी स्टैंड की वजह से इस मामले को बार बनाम स्टेट के विवाद के रूप में देखा जा रहा है। एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और इस हैसियत से वह जो भी पक्ष रखते हैं, उसे स्टेट का पक्ष माना जाता है।

एडवोकेट जनरल ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं, स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों और ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित संवाद में हिस्सा लेने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के जीपी (गवरनमेंट प्लीडर्स) खुद एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर प्रत्येक जिले से कम से कम दस अधिवक्ताओं की उपस्थिति इस संवाद कार्यक्रम में सुनिश्चित कराएं।

दूसरी तरफ, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है। इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी। काउंसिल ने कहा कि सरकार कोर्ट फीस बढ़ाने के संबंध में पारित के गए बिल को वापस ले।

काउंसिल अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिवक्ता सीएम द्वारा सात जनवरी को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। इसे लेकर काउंसिल की ओर से गुरुवार को सभी जिला बार संघ के अध्यक्ष, सचिव और एडहॉक कमेटी को भी पत्र लिखा गया है।

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक वापसी एवं अन्य मांगों को लेकर सीएम से मिलने के लिए 11 सदस्य वाली एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि वे आज नहीं मिलेंगे। इस मुद्दे पर 7 जनवरी को राज्य के सभी अधिवक्ताओं के साथ सीएम की बैठक तय है। इससे काउंसिल के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों ने एतराज जताया।

काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की सूचना न तो जिला बार संघों को थी और न ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को। इसके बाद काउंसिल ने आपात बैठक कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया।

–आईएएनएस

एसएनसी/एसजीके

ADVERTISEMENT

रांची, 5 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलित हैं। इस फैसले पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में बार काउंसिल और स्टेट गवर्नमेंट एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। बार काउंसिल ने एलान किया है कि सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के 35 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ता 6 और 7 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर आगामी 7 जनवरी को राज्य भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों के साथ संवाद के लिए बैठक बुलाई है। बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं से सीएम के संवाद कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है।

गुरुवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपना-अपना स्टैंड रखा। काउंसिल ने एक तरफ कार्य बहिष्कार के निर्णय का एलान किया, तो दूसरी तरफ एडवोकेट जनरल ने इस एलान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया।

एडवोकेट जेनरल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के सभी अधिवक्ता 6 जनवरी को कोर्ट जाएंगे और निर्धारित मामलों में पैरवी करेंगे। बार काउंसिल और एडवोकेट जेनरल के परस्पर विरोधी स्टैंड की वजह से इस मामले को बार बनाम स्टेट के विवाद के रूप में देखा जा रहा है। एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और इस हैसियत से वह जो भी पक्ष रखते हैं, उसे स्टेट का पक्ष माना जाता है।

एडवोकेट जनरल ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं, स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों और ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित संवाद में हिस्सा लेने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के जीपी (गवरनमेंट प्लीडर्स) खुद एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर प्रत्येक जिले से कम से कम दस अधिवक्ताओं की उपस्थिति इस संवाद कार्यक्रम में सुनिश्चित कराएं।

दूसरी तरफ, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है। इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी। काउंसिल ने कहा कि सरकार कोर्ट फीस बढ़ाने के संबंध में पारित के गए बिल को वापस ले।

काउंसिल अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिवक्ता सीएम द्वारा सात जनवरी को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। इसे लेकर काउंसिल की ओर से गुरुवार को सभी जिला बार संघ के अध्यक्ष, सचिव और एडहॉक कमेटी को भी पत्र लिखा गया है।

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक वापसी एवं अन्य मांगों को लेकर सीएम से मिलने के लिए 11 सदस्य वाली एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि वे आज नहीं मिलेंगे। इस मुद्दे पर 7 जनवरी को राज्य के सभी अधिवक्ताओं के साथ सीएम की बैठक तय है। इससे काउंसिल के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों ने एतराज जताया।

काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की सूचना न तो जिला बार संघों को थी और न ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को। इसके बाद काउंसिल ने आपात बैठक कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया।

–आईएएनएस

एसएनसी/एसजीके

ADVERTISEMENT

रांची, 5 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलित हैं। इस फैसले पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में बार काउंसिल और स्टेट गवर्नमेंट एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। बार काउंसिल ने एलान किया है कि सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के 35 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ता 6 और 7 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर आगामी 7 जनवरी को राज्य भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों के साथ संवाद के लिए बैठक बुलाई है। बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं से सीएम के संवाद कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है।

गुरुवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपना-अपना स्टैंड रखा। काउंसिल ने एक तरफ कार्य बहिष्कार के निर्णय का एलान किया, तो दूसरी तरफ एडवोकेट जनरल ने इस एलान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया।

एडवोकेट जेनरल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के सभी अधिवक्ता 6 जनवरी को कोर्ट जाएंगे और निर्धारित मामलों में पैरवी करेंगे। बार काउंसिल और एडवोकेट जेनरल के परस्पर विरोधी स्टैंड की वजह से इस मामले को बार बनाम स्टेट के विवाद के रूप में देखा जा रहा है। एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और इस हैसियत से वह जो भी पक्ष रखते हैं, उसे स्टेट का पक्ष माना जाता है।

एडवोकेट जनरल ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं, स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों और ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित संवाद में हिस्सा लेने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के जीपी (गवरनमेंट प्लीडर्स) खुद एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर प्रत्येक जिले से कम से कम दस अधिवक्ताओं की उपस्थिति इस संवाद कार्यक्रम में सुनिश्चित कराएं।

दूसरी तरफ, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है। इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी। काउंसिल ने कहा कि सरकार कोर्ट फीस बढ़ाने के संबंध में पारित के गए बिल को वापस ले।

काउंसिल अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिवक्ता सीएम द्वारा सात जनवरी को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। इसे लेकर काउंसिल की ओर से गुरुवार को सभी जिला बार संघ के अध्यक्ष, सचिव और एडहॉक कमेटी को भी पत्र लिखा गया है।

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक वापसी एवं अन्य मांगों को लेकर सीएम से मिलने के लिए 11 सदस्य वाली एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि वे आज नहीं मिलेंगे। इस मुद्दे पर 7 जनवरी को राज्य के सभी अधिवक्ताओं के साथ सीएम की बैठक तय है। इससे काउंसिल के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों ने एतराज जताया।

काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की सूचना न तो जिला बार संघों को थी और न ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को। इसके बाद काउंसिल ने आपात बैठक कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया।

–आईएएनएस

एसएनसी/एसजीके

रांची, 5 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलित हैं। इस फैसले पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में बार काउंसिल और स्टेट गवर्नमेंट एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। बार काउंसिल ने एलान किया है कि सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के 35 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ता 6 और 7 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर आगामी 7 जनवरी को राज्य भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों के साथ संवाद के लिए बैठक बुलाई है। बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं से सीएम के संवाद कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है।

गुरुवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपना-अपना स्टैंड रखा। काउंसिल ने एक तरफ कार्य बहिष्कार के निर्णय का एलान किया, तो दूसरी तरफ एडवोकेट जनरल ने इस एलान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया।

एडवोकेट जेनरल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के सभी अधिवक्ता 6 जनवरी को कोर्ट जाएंगे और निर्धारित मामलों में पैरवी करेंगे। बार काउंसिल और एडवोकेट जेनरल के परस्पर विरोधी स्टैंड की वजह से इस मामले को बार बनाम स्टेट के विवाद के रूप में देखा जा रहा है। एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और इस हैसियत से वह जो भी पक्ष रखते हैं, उसे स्टेट का पक्ष माना जाता है।

एडवोकेट जनरल ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं, स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों और ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित संवाद में हिस्सा लेने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के जीपी (गवरनमेंट प्लीडर्स) खुद एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर प्रत्येक जिले से कम से कम दस अधिवक्ताओं की उपस्थिति इस संवाद कार्यक्रम में सुनिश्चित कराएं।

दूसरी तरफ, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है। इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी। काउंसिल ने कहा कि सरकार कोर्ट फीस बढ़ाने के संबंध में पारित के गए बिल को वापस ले।

काउंसिल अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिवक्ता सीएम द्वारा सात जनवरी को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। इसे लेकर काउंसिल की ओर से गुरुवार को सभी जिला बार संघ के अध्यक्ष, सचिव और एडहॉक कमेटी को भी पत्र लिखा गया है।

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक वापसी एवं अन्य मांगों को लेकर सीएम से मिलने के लिए 11 सदस्य वाली एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि वे आज नहीं मिलेंगे। इस मुद्दे पर 7 जनवरी को राज्य के सभी अधिवक्ताओं के साथ सीएम की बैठक तय है। इससे काउंसिल के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों ने एतराज जताया।

काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की सूचना न तो जिला बार संघों को थी और न ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को। इसके बाद काउंसिल ने आपात बैठक कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया।

–आईएएनएस

एसएनसी/एसजीके

ADVERTISEMENT

रांची, 5 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलित हैं। इस फैसले पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में बार काउंसिल और स्टेट गवर्नमेंट एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। बार काउंसिल ने एलान किया है कि सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के 35 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ता 6 और 7 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर आगामी 7 जनवरी को राज्य भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों के साथ संवाद के लिए बैठक बुलाई है। बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं से सीएम के संवाद कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है।

गुरुवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपना-अपना स्टैंड रखा। काउंसिल ने एक तरफ कार्य बहिष्कार के निर्णय का एलान किया, तो दूसरी तरफ एडवोकेट जनरल ने इस एलान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया।

एडवोकेट जेनरल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के सभी अधिवक्ता 6 जनवरी को कोर्ट जाएंगे और निर्धारित मामलों में पैरवी करेंगे। बार काउंसिल और एडवोकेट जेनरल के परस्पर विरोधी स्टैंड की वजह से इस मामले को बार बनाम स्टेट के विवाद के रूप में देखा जा रहा है। एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और इस हैसियत से वह जो भी पक्ष रखते हैं, उसे स्टेट का पक्ष माना जाता है।

एडवोकेट जनरल ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं, स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों और ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित संवाद में हिस्सा लेने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के जीपी (गवरनमेंट प्लीडर्स) खुद एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर प्रत्येक जिले से कम से कम दस अधिवक्ताओं की उपस्थिति इस संवाद कार्यक्रम में सुनिश्चित कराएं।

दूसरी तरफ, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है। इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी। काउंसिल ने कहा कि सरकार कोर्ट फीस बढ़ाने के संबंध में पारित के गए बिल को वापस ले।

काउंसिल अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिवक्ता सीएम द्वारा सात जनवरी को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। इसे लेकर काउंसिल की ओर से गुरुवार को सभी जिला बार संघ के अध्यक्ष, सचिव और एडहॉक कमेटी को भी पत्र लिखा गया है।

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक वापसी एवं अन्य मांगों को लेकर सीएम से मिलने के लिए 11 सदस्य वाली एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि वे आज नहीं मिलेंगे। इस मुद्दे पर 7 जनवरी को राज्य के सभी अधिवक्ताओं के साथ सीएम की बैठक तय है। इससे काउंसिल के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों ने एतराज जताया।

काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की सूचना न तो जिला बार संघों को थी और न ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को। इसके बाद काउंसिल ने आपात बैठक कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया।

–आईएएनएस

एसएनसी/एसजीके

ADVERTISEMENT

रांची, 5 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलित हैं। इस फैसले पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में बार काउंसिल और स्टेट गवर्नमेंट एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। बार काउंसिल ने एलान किया है कि सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के 35 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ता 6 और 7 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर आगामी 7 जनवरी को राज्य भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों के साथ संवाद के लिए बैठक बुलाई है। बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं से सीएम के संवाद कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है।

गुरुवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपना-अपना स्टैंड रखा। काउंसिल ने एक तरफ कार्य बहिष्कार के निर्णय का एलान किया, तो दूसरी तरफ एडवोकेट जनरल ने इस एलान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया।

एडवोकेट जेनरल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के सभी अधिवक्ता 6 जनवरी को कोर्ट जाएंगे और निर्धारित मामलों में पैरवी करेंगे। बार काउंसिल और एडवोकेट जेनरल के परस्पर विरोधी स्टैंड की वजह से इस मामले को बार बनाम स्टेट के विवाद के रूप में देखा जा रहा है। एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और इस हैसियत से वह जो भी पक्ष रखते हैं, उसे स्टेट का पक्ष माना जाता है।

एडवोकेट जनरल ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं, स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों और ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित संवाद में हिस्सा लेने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के जीपी (गवरनमेंट प्लीडर्स) खुद एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर प्रत्येक जिले से कम से कम दस अधिवक्ताओं की उपस्थिति इस संवाद कार्यक्रम में सुनिश्चित कराएं।

दूसरी तरफ, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है। इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी। काउंसिल ने कहा कि सरकार कोर्ट फीस बढ़ाने के संबंध में पारित के गए बिल को वापस ले।

काउंसिल अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिवक्ता सीएम द्वारा सात जनवरी को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। इसे लेकर काउंसिल की ओर से गुरुवार को सभी जिला बार संघ के अध्यक्ष, सचिव और एडहॉक कमेटी को भी पत्र लिखा गया है।

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक वापसी एवं अन्य मांगों को लेकर सीएम से मिलने के लिए 11 सदस्य वाली एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि वे आज नहीं मिलेंगे। इस मुद्दे पर 7 जनवरी को राज्य के सभी अधिवक्ताओं के साथ सीएम की बैठक तय है। इससे काउंसिल के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों ने एतराज जताया।

काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की सूचना न तो जिला बार संघों को थी और न ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को। इसके बाद काउंसिल ने आपात बैठक कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया।

–आईएएनएस

एसएनसी/एसजीके

ADVERTISEMENT

रांची, 5 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलित हैं। इस फैसले पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में बार काउंसिल और स्टेट गवर्नमेंट एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। बार काउंसिल ने एलान किया है कि सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के 35 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ता 6 और 7 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर आगामी 7 जनवरी को राज्य भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों के साथ संवाद के लिए बैठक बुलाई है। बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं से सीएम के संवाद कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है।

गुरुवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपना-अपना स्टैंड रखा। काउंसिल ने एक तरफ कार्य बहिष्कार के निर्णय का एलान किया, तो दूसरी तरफ एडवोकेट जनरल ने इस एलान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया।

एडवोकेट जेनरल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के सभी अधिवक्ता 6 जनवरी को कोर्ट जाएंगे और निर्धारित मामलों में पैरवी करेंगे। बार काउंसिल और एडवोकेट जेनरल के परस्पर विरोधी स्टैंड की वजह से इस मामले को बार बनाम स्टेट के विवाद के रूप में देखा जा रहा है। एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और इस हैसियत से वह जो भी पक्ष रखते हैं, उसे स्टेट का पक्ष माना जाता है।

एडवोकेट जनरल ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं, स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों और ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित संवाद में हिस्सा लेने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के जीपी (गवरनमेंट प्लीडर्स) खुद एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर प्रत्येक जिले से कम से कम दस अधिवक्ताओं की उपस्थिति इस संवाद कार्यक्रम में सुनिश्चित कराएं।

दूसरी तरफ, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है। इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी। काउंसिल ने कहा कि सरकार कोर्ट फीस बढ़ाने के संबंध में पारित के गए बिल को वापस ले।

काउंसिल अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिवक्ता सीएम द्वारा सात जनवरी को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। इसे लेकर काउंसिल की ओर से गुरुवार को सभी जिला बार संघ के अध्यक्ष, सचिव और एडहॉक कमेटी को भी पत्र लिखा गया है।

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक वापसी एवं अन्य मांगों को लेकर सीएम से मिलने के लिए 11 सदस्य वाली एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि वे आज नहीं मिलेंगे। इस मुद्दे पर 7 जनवरी को राज्य के सभी अधिवक्ताओं के साथ सीएम की बैठक तय है। इससे काउंसिल के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों ने एतराज जताया।

काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की सूचना न तो जिला बार संघों को थी और न ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को। इसके बाद काउंसिल ने आपात बैठक कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया।

–आईएएनएस

एसएनसी/एसजीके

ADVERTISEMENT

रांची, 5 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलित हैं। इस फैसले पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में बार काउंसिल और स्टेट गवर्नमेंट एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। बार काउंसिल ने एलान किया है कि सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के 35 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ता 6 और 7 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर आगामी 7 जनवरी को राज्य भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों के साथ संवाद के लिए बैठक बुलाई है। बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं से सीएम के संवाद कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है।

गुरुवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपना-अपना स्टैंड रखा। काउंसिल ने एक तरफ कार्य बहिष्कार के निर्णय का एलान किया, तो दूसरी तरफ एडवोकेट जनरल ने इस एलान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया।

एडवोकेट जेनरल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के सभी अधिवक्ता 6 जनवरी को कोर्ट जाएंगे और निर्धारित मामलों में पैरवी करेंगे। बार काउंसिल और एडवोकेट जेनरल के परस्पर विरोधी स्टैंड की वजह से इस मामले को बार बनाम स्टेट के विवाद के रूप में देखा जा रहा है। एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और इस हैसियत से वह जो भी पक्ष रखते हैं, उसे स्टेट का पक्ष माना जाता है।

एडवोकेट जनरल ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं, स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों और ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित संवाद में हिस्सा लेने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के जीपी (गवरनमेंट प्लीडर्स) खुद एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर प्रत्येक जिले से कम से कम दस अधिवक्ताओं की उपस्थिति इस संवाद कार्यक्रम में सुनिश्चित कराएं।

दूसरी तरफ, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है। इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी। काउंसिल ने कहा कि सरकार कोर्ट फीस बढ़ाने के संबंध में पारित के गए बिल को वापस ले।

काउंसिल अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिवक्ता सीएम द्वारा सात जनवरी को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। इसे लेकर काउंसिल की ओर से गुरुवार को सभी जिला बार संघ के अध्यक्ष, सचिव और एडहॉक कमेटी को भी पत्र लिखा गया है।

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक वापसी एवं अन्य मांगों को लेकर सीएम से मिलने के लिए 11 सदस्य वाली एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि वे आज नहीं मिलेंगे। इस मुद्दे पर 7 जनवरी को राज्य के सभी अधिवक्ताओं के साथ सीएम की बैठक तय है। इससे काउंसिल के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों ने एतराज जताया।

काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की सूचना न तो जिला बार संघों को थी और न ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को। इसके बाद काउंसिल ने आपात बैठक कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया।

–आईएएनएस

एसएनसी/एसजीके

ADVERTISEMENT

रांची, 5 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलित हैं। इस फैसले पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में बार काउंसिल और स्टेट गवर्नमेंट एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। बार काउंसिल ने एलान किया है कि सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के 35 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ता 6 और 7 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर आगामी 7 जनवरी को राज्य भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों के साथ संवाद के लिए बैठक बुलाई है। बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं से सीएम के संवाद कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है।

गुरुवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपना-अपना स्टैंड रखा। काउंसिल ने एक तरफ कार्य बहिष्कार के निर्णय का एलान किया, तो दूसरी तरफ एडवोकेट जनरल ने इस एलान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया।

एडवोकेट जेनरल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के सभी अधिवक्ता 6 जनवरी को कोर्ट जाएंगे और निर्धारित मामलों में पैरवी करेंगे। बार काउंसिल और एडवोकेट जेनरल के परस्पर विरोधी स्टैंड की वजह से इस मामले को बार बनाम स्टेट के विवाद के रूप में देखा जा रहा है। एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और इस हैसियत से वह जो भी पक्ष रखते हैं, उसे स्टेट का पक्ष माना जाता है।

एडवोकेट जनरल ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं, स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों और ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित संवाद में हिस्सा लेने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के जीपी (गवरनमेंट प्लीडर्स) खुद एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर प्रत्येक जिले से कम से कम दस अधिवक्ताओं की उपस्थिति इस संवाद कार्यक्रम में सुनिश्चित कराएं।

दूसरी तरफ, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है। इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी। काउंसिल ने कहा कि सरकार कोर्ट फीस बढ़ाने के संबंध में पारित के गए बिल को वापस ले।

काउंसिल अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिवक्ता सीएम द्वारा सात जनवरी को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। इसे लेकर काउंसिल की ओर से गुरुवार को सभी जिला बार संघ के अध्यक्ष, सचिव और एडहॉक कमेटी को भी पत्र लिखा गया है।

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक वापसी एवं अन्य मांगों को लेकर सीएम से मिलने के लिए 11 सदस्य वाली एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि वे आज नहीं मिलेंगे। इस मुद्दे पर 7 जनवरी को राज्य के सभी अधिवक्ताओं के साथ सीएम की बैठक तय है। इससे काउंसिल के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों ने एतराज जताया।

काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की सूचना न तो जिला बार संघों को थी और न ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को। इसके बाद काउंसिल ने आपात बैठक कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया।

–आईएएनएस

एसएनसी/एसजीके

ADVERTISEMENT

रांची, 5 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलित हैं। इस फैसले पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में बार काउंसिल और स्टेट गवर्नमेंट एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। बार काउंसिल ने एलान किया है कि सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के 35 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ता 6 और 7 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर आगामी 7 जनवरी को राज्य भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों के साथ संवाद के लिए बैठक बुलाई है। बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं से सीएम के संवाद कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है।

गुरुवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपना-अपना स्टैंड रखा। काउंसिल ने एक तरफ कार्य बहिष्कार के निर्णय का एलान किया, तो दूसरी तरफ एडवोकेट जनरल ने इस एलान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया।

एडवोकेट जेनरल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के सभी अधिवक्ता 6 जनवरी को कोर्ट जाएंगे और निर्धारित मामलों में पैरवी करेंगे। बार काउंसिल और एडवोकेट जेनरल के परस्पर विरोधी स्टैंड की वजह से इस मामले को बार बनाम स्टेट के विवाद के रूप में देखा जा रहा है। एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और इस हैसियत से वह जो भी पक्ष रखते हैं, उसे स्टेट का पक्ष माना जाता है।

एडवोकेट जनरल ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं, स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों और ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित संवाद में हिस्सा लेने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के जीपी (गवरनमेंट प्लीडर्स) खुद एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर प्रत्येक जिले से कम से कम दस अधिवक्ताओं की उपस्थिति इस संवाद कार्यक्रम में सुनिश्चित कराएं।

दूसरी तरफ, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है। इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी। काउंसिल ने कहा कि सरकार कोर्ट फीस बढ़ाने के संबंध में पारित के गए बिल को वापस ले।

काउंसिल अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिवक्ता सीएम द्वारा सात जनवरी को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। इसे लेकर काउंसिल की ओर से गुरुवार को सभी जिला बार संघ के अध्यक्ष, सचिव और एडहॉक कमेटी को भी पत्र लिखा गया है।

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक वापसी एवं अन्य मांगों को लेकर सीएम से मिलने के लिए 11 सदस्य वाली एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि वे आज नहीं मिलेंगे। इस मुद्दे पर 7 जनवरी को राज्य के सभी अधिवक्ताओं के साथ सीएम की बैठक तय है। इससे काउंसिल के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों ने एतराज जताया।

काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की सूचना न तो जिला बार संघों को थी और न ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को। इसके बाद काउंसिल ने आपात बैठक कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया।

–आईएएनएस

एसएनसी/एसजीके

ADVERTISEMENT

रांची, 5 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में कोर्ट फीस में वृद्धि के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ राज्यभर के अधिवक्ता आंदोलित हैं। इस फैसले पर विवाद इस कदर बढ़ गया है कि राज्य में बार काउंसिल और स्टेट गवर्नमेंट एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। बार काउंसिल ने एलान किया है कि सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य के 35 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ता 6 और 7 जनवरी को अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर आगामी 7 जनवरी को राज्य भर के अधिवक्ता प्रतिनिधियों के साथ संवाद के लिए बैठक बुलाई है। बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं से सीएम के संवाद कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की अपील की है।

गुरुवार को झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण और एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे पर अपना-अपना स्टैंड रखा। काउंसिल ने एक तरफ कार्य बहिष्कार के निर्णय का एलान किया, तो दूसरी तरफ एडवोकेट जनरल ने इस एलान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और अवमानना का मामला बताया।

एडवोकेट जेनरल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के सभी अधिवक्ता 6 जनवरी को कोर्ट जाएंगे और निर्धारित मामलों में पैरवी करेंगे। बार काउंसिल और एडवोकेट जेनरल के परस्पर विरोधी स्टैंड की वजह से इस मामले को बार बनाम स्टेट के विवाद के रूप में देखा जा रहा है। एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और इस हैसियत से वह जो भी पक्ष रखते हैं, उसे स्टेट का पक्ष माना जाता है।

एडवोकेट जनरल ने बताया कि उन्होंने सभी जिलों के सरकारी अधिवक्ताओं, स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों और ट्रस्टी कमेटी के सभी सदस्यों को पत्र लिखकर आगामी 7 जनवरी को मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित संवाद में हिस्सा लेने की अपील की है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के जीपी (गवरनमेंट प्लीडर्स) खुद एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर प्रत्येक जिले से कम से कम दस अधिवक्ताओं की उपस्थिति इस संवाद कार्यक्रम में सुनिश्चित कराएं।

दूसरी तरफ, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है। इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी। काउंसिल ने कहा कि सरकार कोर्ट फीस बढ़ाने के संबंध में पारित के गए बिल को वापस ले।

काउंसिल अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कोई भी अधिवक्ता सीएम द्वारा सात जनवरी को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। इसे लेकर काउंसिल की ओर से गुरुवार को सभी जिला बार संघ के अध्यक्ष, सचिव और एडहॉक कमेटी को भी पत्र लिखा गया है।

उन्होंने बताया कि काउंसिल ने कोर्ट फी संशोधन विधेयक वापसी एवं अन्य मांगों को लेकर सीएम से मिलने के लिए 11 सदस्य वाली एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी जब मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि वे आज नहीं मिलेंगे। इस मुद्दे पर 7 जनवरी को राज्य के सभी अधिवक्ताओं के साथ सीएम की बैठक तय है। इससे काउंसिल के अध्यक्ष समेत अन्य सदस्यों ने एतराज जताया।

काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की सूचना न तो जिला बार संघों को थी और न ही स्टेट बार काउंसिल के सदस्यों को। इसके बाद काउंसिल ने आपात बैठक कर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया।

–आईएएनएस

एसएनसी/एसजीके

Related Posts

ताज़ा समाचार

एमएल. कोट्रू के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक, कहा- पत्रकारिता को दिया अनमोल योगदान

October 1, 2025
ताज़ा समाचार

महाअष्टमी की रात शख्स की गोली मारकर हत्या, एक घायल

October 1, 2025
ताज़ा समाचार

बांग्लादेश की महिलाओं को अर्थव्यवस्था में बढ़ती कमजोरी का सामना करना पड़ रहा: रिपोर्ट

October 1, 2025
ताज़ा समाचार

‘केलवा के पात’ से ‘पद्म विभूषण’ तक: शारदा सिन्हा की अनमोल यात्रा

October 1, 2025
ताज़ा समाचार

महिला वनडे विश्व कप : भारतीय टीम का विजयी आगाज, श्रीलंका को दी मात, बल्ले और गेंद से दीप्ति का कमाल

October 1, 2025
ताज़ा समाचार

लद्दाख प्रशासन ने सोनम वांगचुक पर लगे उत्पीड़न के आरोपों को नकारा

October 1, 2025
Next Post
दिल्ली : डीटीसी बस में शख्स ने महिला को दिखाया प्राइवेट पार्ट

दिल्ली : डीटीसी बस में शख्स ने महिला को दिखाया प्राइवेट पार्ट

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

116405
Total views : 6028968
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In