रांची, 10 मार्च (आईएएनएस)। झारखंड के नौ जिलों में मिजिल्स यानी खसरा के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में महाराष्ट्र, झारखंड, गुजरात और हरियाणा उन राज्यों में हैं, जहां खसरे के मरीज सबसे ज्यादा हैं। संसद में भी सरकार ने हाल में स्वीकार किया था कि वर्ष 2022 में पूरे देश में खसरे से करीब 40 बच्चों की मौत हुई, जिनमें 9 बच्चे झारखंड के थे। पूरे देश में खसरे के 230 मामले सामने आए, जिनमें से 120 झारखंड के थे। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने 15 अप्रैल से पांच हफ्ते तक राज्य के नौ जिलों में मिजिल्स-रूबेला विशेष टीकाकरण अभियान चलाने का निर्णय लिया है।
इस अभियान के तहत 9 माह से 15 वर्ष तक के 45 लाख 62 हजार 492 बच्चों को टीका दिया जाएगा। राज्य के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने नौ जिलों के उपायुक्तों, सिविल सर्जन और विभाग के अधिकारियों को इस अभियान को शत-प्रतिशत सफल बनाने का निर्देश दिया है। जिन नौ जिलों को इस अभियान के लिए चुना गया है, उनमें संथाल परगना के दुमका, पाकुड़, साहिबगंज, गोड्डा, जामताड़ा, देवघर के अलावा उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के धनबाद, कोडरमा और गिरिडीह जिले हैं। इन सभी जिलों में स्कूलों में कैंप लगाकर बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा। जिन बच्चों का पूर्व में टीकाकरण हो गया है, उन्हें भी पुन: टीका लगाया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख डॉ बीरेंद्र प्रसाद सिंह के मुताबिक मिजिल्स-रूबेला टीकाकरण के जरिए जब सभी बच्चे प्रतिरक्षित हो जाएंगे, तो इस बीमारी के प्रसार की संभावना कम हो जाएगी। इस टीकाकरण अभियान की मॉनिटरिंग डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ के माध्यम से सीधे केंद्र सरकार करेगी। अभियान में स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा व समाज कल्याण विभाग को शामिल किया गया है।
रांची के गांधीनगर स्थित सीसीएल हॉस्पिटल के डॉ जितेंद्र कुमार बताते हैं कि खसरा वायरस से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है। इसका असर छोटे बच्चों पर सबसे ज्यादा होता है। ग्रामीण इलाकों में इसे छोटी माता के नाम से भी जाना जाता है। इसके लक्षणों में शरीर पर दाने निकलना, बुखार, बहती हुई नाक, लाल आंखें, खांसी और शरीर पर चकत्ते का दिखना शामिल हैं। इसे अंग्रेजी में मिजिल्स कहा जाता है। संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने के अलावा उसके मुंह और नाक से बहते द्रव के हवा के संपर्क में आने से यह फैलती है।
–आईएएनएस
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