रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। सियासत में हर बात और मुलाकात के मायने होते हैं। झारखंड में शनिवार को ऐसी ही दो सियासी मुलाकातों को लेकर तरह-तरह की चर्चा गर्म है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री-विधायक बंधु तिर्की ने शनिवार को पटना में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और झारखंड सरकार के कांग्रेसी कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता ने ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल रघुवर दास से जमशेदपुर में मुलाकात की।
इन दोनों मुलाकातों को भले औपचारिक तौर पर शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन राज्य के सियासी हलकों में इन्हें भावी राजनीतिक समीकरणों का संकेतक माना जा रहा है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की गिनती राज्य के कद्दावर आदिवासी नेताओं में होती है। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में राजद से ही हुई थी, लेकिन बाद में वह राजद छोड़कर कई पार्टियों से होते हुए वर्ष 2020 से कांग्रेस में हैं।
बंधु वर्ष 2019 में रांची के मांडर विधानसभा से विधायक चुने गए थे, लेकिन एक आपराधिक मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हो जाने की वजह से उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद उनकी सीट से उनकी पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की विधायक चुनी गईं। बंधु झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए लंबे समय से लॉबिंग कर रहे हैं।
लालू यादव से पटना जाकर उनकी मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि लालू यादव के जरिए उनकी दावेदारी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई जा सकती है।
लालू यादव और राहुल गांधी के बीच हाल के महीनों में बेहतरीन केमिस्ट्री विकसित हुई है। ऐसे में लालू ने कांग्रेस में बंधु के लिए पैरवी की तो बंधु की ख्वाहिश पूरी हो सकती है। संभव यह भी है कि कांग्रेस ने अगर बंधु तिर्की की इच्छा का सम्मान नहीं किया तो वे राजद का रुख कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इसके आसार कम लगते हैं।
जिस दूसरी सियासी मुलाकात से झारखंड की राजनीति में खूब चर्चा है, वह है हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता का ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल एवं भाजपा नेता रघुवर दास से मिलना। बन्ना गुप्ता एक बड़ा गुलदस्ता लेकर रघुवर के जमशेदपुर स्थित आवास पहुंचे।
इस मुलाकात के बाद बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड गठन के बाद संभवतः यह पहला अवसर है कि यहां के किसी विधायक को राज्यपाल का महत्ती दायित्व प्रदान किया गया है। यह ना केवल रघुवर जी बल्कि पूरे कोल्हान प्रमंडल एवं झारखंड प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
दरअसल, बन्ना गुप्ता और रघुवर दास के बीच हाल के वर्षों में नजदीकियां तेजी से बढ़ी हैं। बीच-बीच में बन्ना गुप्ता के भाजपा में शामिल होने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं। रघुवर और बन्ना दोनों राज्य में वैश्य राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं। रघुवर के ओडिशा जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर बन्ना वैश्य राजनीति के सबसे बड़े झंडाबरदार माने जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि बन्ना ही रघुवर की वैश्य राजनीति की विरासत को आगे बढ़ाएंगे।
–आईएएनएस
एसएनसी/एबीएम
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रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। सियासत में हर बात और मुलाकात के मायने होते हैं। झारखंड में शनिवार को ऐसी ही दो सियासी मुलाकातों को लेकर तरह-तरह की चर्चा गर्म है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री-विधायक बंधु तिर्की ने शनिवार को पटना में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और झारखंड सरकार के कांग्रेसी कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता ने ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल रघुवर दास से जमशेदपुर में मुलाकात की।
इन दोनों मुलाकातों को भले औपचारिक तौर पर शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन राज्य के सियासी हलकों में इन्हें भावी राजनीतिक समीकरणों का संकेतक माना जा रहा है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की गिनती राज्य के कद्दावर आदिवासी नेताओं में होती है। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में राजद से ही हुई थी, लेकिन बाद में वह राजद छोड़कर कई पार्टियों से होते हुए वर्ष 2020 से कांग्रेस में हैं।
बंधु वर्ष 2019 में रांची के मांडर विधानसभा से विधायक चुने गए थे, लेकिन एक आपराधिक मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हो जाने की वजह से उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद उनकी सीट से उनकी पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की विधायक चुनी गईं। बंधु झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए लंबे समय से लॉबिंग कर रहे हैं।
लालू यादव से पटना जाकर उनकी मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि लालू यादव के जरिए उनकी दावेदारी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई जा सकती है।
लालू यादव और राहुल गांधी के बीच हाल के महीनों में बेहतरीन केमिस्ट्री विकसित हुई है। ऐसे में लालू ने कांग्रेस में बंधु के लिए पैरवी की तो बंधु की ख्वाहिश पूरी हो सकती है। संभव यह भी है कि कांग्रेस ने अगर बंधु तिर्की की इच्छा का सम्मान नहीं किया तो वे राजद का रुख कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इसके आसार कम लगते हैं।
जिस दूसरी सियासी मुलाकात से झारखंड की राजनीति में खूब चर्चा है, वह है हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता का ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल एवं भाजपा नेता रघुवर दास से मिलना। बन्ना गुप्ता एक बड़ा गुलदस्ता लेकर रघुवर के जमशेदपुर स्थित आवास पहुंचे।
इस मुलाकात के बाद बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड गठन के बाद संभवतः यह पहला अवसर है कि यहां के किसी विधायक को राज्यपाल का महत्ती दायित्व प्रदान किया गया है। यह ना केवल रघुवर जी बल्कि पूरे कोल्हान प्रमंडल एवं झारखंड प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
दरअसल, बन्ना गुप्ता और रघुवर दास के बीच हाल के वर्षों में नजदीकियां तेजी से बढ़ी हैं। बीच-बीच में बन्ना गुप्ता के भाजपा में शामिल होने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं। रघुवर और बन्ना दोनों राज्य में वैश्य राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं। रघुवर के ओडिशा जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर बन्ना वैश्य राजनीति के सबसे बड़े झंडाबरदार माने जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि बन्ना ही रघुवर की वैश्य राजनीति की विरासत को आगे बढ़ाएंगे।
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रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। सियासत में हर बात और मुलाकात के मायने होते हैं। झारखंड में शनिवार को ऐसी ही दो सियासी मुलाकातों को लेकर तरह-तरह की चर्चा गर्म है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री-विधायक बंधु तिर्की ने शनिवार को पटना में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और झारखंड सरकार के कांग्रेसी कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता ने ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल रघुवर दास से जमशेदपुर में मुलाकात की।
इन दोनों मुलाकातों को भले औपचारिक तौर पर शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन राज्य के सियासी हलकों में इन्हें भावी राजनीतिक समीकरणों का संकेतक माना जा रहा है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की गिनती राज्य के कद्दावर आदिवासी नेताओं में होती है। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में राजद से ही हुई थी, लेकिन बाद में वह राजद छोड़कर कई पार्टियों से होते हुए वर्ष 2020 से कांग्रेस में हैं।
बंधु वर्ष 2019 में रांची के मांडर विधानसभा से विधायक चुने गए थे, लेकिन एक आपराधिक मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हो जाने की वजह से उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद उनकी सीट से उनकी पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की विधायक चुनी गईं। बंधु झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए लंबे समय से लॉबिंग कर रहे हैं।
लालू यादव से पटना जाकर उनकी मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि लालू यादव के जरिए उनकी दावेदारी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई जा सकती है।
लालू यादव और राहुल गांधी के बीच हाल के महीनों में बेहतरीन केमिस्ट्री विकसित हुई है। ऐसे में लालू ने कांग्रेस में बंधु के लिए पैरवी की तो बंधु की ख्वाहिश पूरी हो सकती है। संभव यह भी है कि कांग्रेस ने अगर बंधु तिर्की की इच्छा का सम्मान नहीं किया तो वे राजद का रुख कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इसके आसार कम लगते हैं।
जिस दूसरी सियासी मुलाकात से झारखंड की राजनीति में खूब चर्चा है, वह है हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता का ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल एवं भाजपा नेता रघुवर दास से मिलना। बन्ना गुप्ता एक बड़ा गुलदस्ता लेकर रघुवर के जमशेदपुर स्थित आवास पहुंचे।
इस मुलाकात के बाद बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड गठन के बाद संभवतः यह पहला अवसर है कि यहां के किसी विधायक को राज्यपाल का महत्ती दायित्व प्रदान किया गया है। यह ना केवल रघुवर जी बल्कि पूरे कोल्हान प्रमंडल एवं झारखंड प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
दरअसल, बन्ना गुप्ता और रघुवर दास के बीच हाल के वर्षों में नजदीकियां तेजी से बढ़ी हैं। बीच-बीच में बन्ना गुप्ता के भाजपा में शामिल होने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं। रघुवर और बन्ना दोनों राज्य में वैश्य राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं। रघुवर के ओडिशा जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर बन्ना वैश्य राजनीति के सबसे बड़े झंडाबरदार माने जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि बन्ना ही रघुवर की वैश्य राजनीति की विरासत को आगे बढ़ाएंगे।
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रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। सियासत में हर बात और मुलाकात के मायने होते हैं। झारखंड में शनिवार को ऐसी ही दो सियासी मुलाकातों को लेकर तरह-तरह की चर्चा गर्म है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री-विधायक बंधु तिर्की ने शनिवार को पटना में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और झारखंड सरकार के कांग्रेसी कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता ने ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल रघुवर दास से जमशेदपुर में मुलाकात की।
इन दोनों मुलाकातों को भले औपचारिक तौर पर शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन राज्य के सियासी हलकों में इन्हें भावी राजनीतिक समीकरणों का संकेतक माना जा रहा है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की गिनती राज्य के कद्दावर आदिवासी नेताओं में होती है। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में राजद से ही हुई थी, लेकिन बाद में वह राजद छोड़कर कई पार्टियों से होते हुए वर्ष 2020 से कांग्रेस में हैं।
बंधु वर्ष 2019 में रांची के मांडर विधानसभा से विधायक चुने गए थे, लेकिन एक आपराधिक मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हो जाने की वजह से उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद उनकी सीट से उनकी पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की विधायक चुनी गईं। बंधु झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए लंबे समय से लॉबिंग कर रहे हैं।
लालू यादव से पटना जाकर उनकी मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि लालू यादव के जरिए उनकी दावेदारी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई जा सकती है।
लालू यादव और राहुल गांधी के बीच हाल के महीनों में बेहतरीन केमिस्ट्री विकसित हुई है। ऐसे में लालू ने कांग्रेस में बंधु के लिए पैरवी की तो बंधु की ख्वाहिश पूरी हो सकती है। संभव यह भी है कि कांग्रेस ने अगर बंधु तिर्की की इच्छा का सम्मान नहीं किया तो वे राजद का रुख कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इसके आसार कम लगते हैं।
जिस दूसरी सियासी मुलाकात से झारखंड की राजनीति में खूब चर्चा है, वह है हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता का ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल एवं भाजपा नेता रघुवर दास से मिलना। बन्ना गुप्ता एक बड़ा गुलदस्ता लेकर रघुवर के जमशेदपुर स्थित आवास पहुंचे।
इस मुलाकात के बाद बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड गठन के बाद संभवतः यह पहला अवसर है कि यहां के किसी विधायक को राज्यपाल का महत्ती दायित्व प्रदान किया गया है। यह ना केवल रघुवर जी बल्कि पूरे कोल्हान प्रमंडल एवं झारखंड प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
दरअसल, बन्ना गुप्ता और रघुवर दास के बीच हाल के वर्षों में नजदीकियां तेजी से बढ़ी हैं। बीच-बीच में बन्ना गुप्ता के भाजपा में शामिल होने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं। रघुवर और बन्ना दोनों राज्य में वैश्य राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं। रघुवर के ओडिशा जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर बन्ना वैश्य राजनीति के सबसे बड़े झंडाबरदार माने जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि बन्ना ही रघुवर की वैश्य राजनीति की विरासत को आगे बढ़ाएंगे।
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रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। सियासत में हर बात और मुलाकात के मायने होते हैं। झारखंड में शनिवार को ऐसी ही दो सियासी मुलाकातों को लेकर तरह-तरह की चर्चा गर्म है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री-विधायक बंधु तिर्की ने शनिवार को पटना में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और झारखंड सरकार के कांग्रेसी कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता ने ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल रघुवर दास से जमशेदपुर में मुलाकात की।
इन दोनों मुलाकातों को भले औपचारिक तौर पर शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन राज्य के सियासी हलकों में इन्हें भावी राजनीतिक समीकरणों का संकेतक माना जा रहा है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की गिनती राज्य के कद्दावर आदिवासी नेताओं में होती है। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में राजद से ही हुई थी, लेकिन बाद में वह राजद छोड़कर कई पार्टियों से होते हुए वर्ष 2020 से कांग्रेस में हैं।
बंधु वर्ष 2019 में रांची के मांडर विधानसभा से विधायक चुने गए थे, लेकिन एक आपराधिक मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हो जाने की वजह से उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद उनकी सीट से उनकी पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की विधायक चुनी गईं। बंधु झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए लंबे समय से लॉबिंग कर रहे हैं।
लालू यादव से पटना जाकर उनकी मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि लालू यादव के जरिए उनकी दावेदारी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई जा सकती है।
लालू यादव और राहुल गांधी के बीच हाल के महीनों में बेहतरीन केमिस्ट्री विकसित हुई है। ऐसे में लालू ने कांग्रेस में बंधु के लिए पैरवी की तो बंधु की ख्वाहिश पूरी हो सकती है। संभव यह भी है कि कांग्रेस ने अगर बंधु तिर्की की इच्छा का सम्मान नहीं किया तो वे राजद का रुख कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इसके आसार कम लगते हैं।
जिस दूसरी सियासी मुलाकात से झारखंड की राजनीति में खूब चर्चा है, वह है हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता का ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल एवं भाजपा नेता रघुवर दास से मिलना। बन्ना गुप्ता एक बड़ा गुलदस्ता लेकर रघुवर के जमशेदपुर स्थित आवास पहुंचे।
इस मुलाकात के बाद बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड गठन के बाद संभवतः यह पहला अवसर है कि यहां के किसी विधायक को राज्यपाल का महत्ती दायित्व प्रदान किया गया है। यह ना केवल रघुवर जी बल्कि पूरे कोल्हान प्रमंडल एवं झारखंड प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
दरअसल, बन्ना गुप्ता और रघुवर दास के बीच हाल के वर्षों में नजदीकियां तेजी से बढ़ी हैं। बीच-बीच में बन्ना गुप्ता के भाजपा में शामिल होने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं। रघुवर और बन्ना दोनों राज्य में वैश्य राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं। रघुवर के ओडिशा जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर बन्ना वैश्य राजनीति के सबसे बड़े झंडाबरदार माने जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि बन्ना ही रघुवर की वैश्य राजनीति की विरासत को आगे बढ़ाएंगे।
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रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। सियासत में हर बात और मुलाकात के मायने होते हैं। झारखंड में शनिवार को ऐसी ही दो सियासी मुलाकातों को लेकर तरह-तरह की चर्चा गर्म है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री-विधायक बंधु तिर्की ने शनिवार को पटना में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और झारखंड सरकार के कांग्रेसी कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता ने ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल रघुवर दास से जमशेदपुर में मुलाकात की।
इन दोनों मुलाकातों को भले औपचारिक तौर पर शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन राज्य के सियासी हलकों में इन्हें भावी राजनीतिक समीकरणों का संकेतक माना जा रहा है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की गिनती राज्य के कद्दावर आदिवासी नेताओं में होती है। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में राजद से ही हुई थी, लेकिन बाद में वह राजद छोड़कर कई पार्टियों से होते हुए वर्ष 2020 से कांग्रेस में हैं।
बंधु वर्ष 2019 में रांची के मांडर विधानसभा से विधायक चुने गए थे, लेकिन एक आपराधिक मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हो जाने की वजह से उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद उनकी सीट से उनकी पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की विधायक चुनी गईं। बंधु झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए लंबे समय से लॉबिंग कर रहे हैं।
लालू यादव से पटना जाकर उनकी मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि लालू यादव के जरिए उनकी दावेदारी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई जा सकती है।
लालू यादव और राहुल गांधी के बीच हाल के महीनों में बेहतरीन केमिस्ट्री विकसित हुई है। ऐसे में लालू ने कांग्रेस में बंधु के लिए पैरवी की तो बंधु की ख्वाहिश पूरी हो सकती है। संभव यह भी है कि कांग्रेस ने अगर बंधु तिर्की की इच्छा का सम्मान नहीं किया तो वे राजद का रुख कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इसके आसार कम लगते हैं।
जिस दूसरी सियासी मुलाकात से झारखंड की राजनीति में खूब चर्चा है, वह है हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता का ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल एवं भाजपा नेता रघुवर दास से मिलना। बन्ना गुप्ता एक बड़ा गुलदस्ता लेकर रघुवर के जमशेदपुर स्थित आवास पहुंचे।
इस मुलाकात के बाद बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड गठन के बाद संभवतः यह पहला अवसर है कि यहां के किसी विधायक को राज्यपाल का महत्ती दायित्व प्रदान किया गया है। यह ना केवल रघुवर जी बल्कि पूरे कोल्हान प्रमंडल एवं झारखंड प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
दरअसल, बन्ना गुप्ता और रघुवर दास के बीच हाल के वर्षों में नजदीकियां तेजी से बढ़ी हैं। बीच-बीच में बन्ना गुप्ता के भाजपा में शामिल होने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं। रघुवर और बन्ना दोनों राज्य में वैश्य राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं। रघुवर के ओडिशा जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर बन्ना वैश्य राजनीति के सबसे बड़े झंडाबरदार माने जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि बन्ना ही रघुवर की वैश्य राजनीति की विरासत को आगे बढ़ाएंगे।
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इन दोनों मुलाकातों को भले औपचारिक तौर पर शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन राज्य के सियासी हलकों में इन्हें भावी राजनीतिक समीकरणों का संकेतक माना जा रहा है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की गिनती राज्य के कद्दावर आदिवासी नेताओं में होती है। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में राजद से ही हुई थी, लेकिन बाद में वह राजद छोड़कर कई पार्टियों से होते हुए वर्ष 2020 से कांग्रेस में हैं।
बंधु वर्ष 2019 में रांची के मांडर विधानसभा से विधायक चुने गए थे, लेकिन एक आपराधिक मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हो जाने की वजह से उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद उनकी सीट से उनकी पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की विधायक चुनी गईं। बंधु झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए लंबे समय से लॉबिंग कर रहे हैं।
लालू यादव से पटना जाकर उनकी मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि लालू यादव के जरिए उनकी दावेदारी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई जा सकती है।
लालू यादव और राहुल गांधी के बीच हाल के महीनों में बेहतरीन केमिस्ट्री विकसित हुई है। ऐसे में लालू ने कांग्रेस में बंधु के लिए पैरवी की तो बंधु की ख्वाहिश पूरी हो सकती है। संभव यह भी है कि कांग्रेस ने अगर बंधु तिर्की की इच्छा का सम्मान नहीं किया तो वे राजद का रुख कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इसके आसार कम लगते हैं।
जिस दूसरी सियासी मुलाकात से झारखंड की राजनीति में खूब चर्चा है, वह है हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता का ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल एवं भाजपा नेता रघुवर दास से मिलना। बन्ना गुप्ता एक बड़ा गुलदस्ता लेकर रघुवर के जमशेदपुर स्थित आवास पहुंचे।
इस मुलाकात के बाद बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड गठन के बाद संभवतः यह पहला अवसर है कि यहां के किसी विधायक को राज्यपाल का महत्ती दायित्व प्रदान किया गया है। यह ना केवल रघुवर जी बल्कि पूरे कोल्हान प्रमंडल एवं झारखंड प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
दरअसल, बन्ना गुप्ता और रघुवर दास के बीच हाल के वर्षों में नजदीकियां तेजी से बढ़ी हैं। बीच-बीच में बन्ना गुप्ता के भाजपा में शामिल होने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं। रघुवर और बन्ना दोनों राज्य में वैश्य राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं। रघुवर के ओडिशा जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर बन्ना वैश्य राजनीति के सबसे बड़े झंडाबरदार माने जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि बन्ना ही रघुवर की वैश्य राजनीति की विरासत को आगे बढ़ाएंगे।
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रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। सियासत में हर बात और मुलाकात के मायने होते हैं। झारखंड में शनिवार को ऐसी ही दो सियासी मुलाकातों को लेकर तरह-तरह की चर्चा गर्म है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री-विधायक बंधु तिर्की ने शनिवार को पटना में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और झारखंड सरकार के कांग्रेसी कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता ने ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल रघुवर दास से जमशेदपुर में मुलाकात की।
इन दोनों मुलाकातों को भले औपचारिक तौर पर शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन राज्य के सियासी हलकों में इन्हें भावी राजनीतिक समीकरणों का संकेतक माना जा रहा है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की गिनती राज्य के कद्दावर आदिवासी नेताओं में होती है। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में राजद से ही हुई थी, लेकिन बाद में वह राजद छोड़कर कई पार्टियों से होते हुए वर्ष 2020 से कांग्रेस में हैं।
बंधु वर्ष 2019 में रांची के मांडर विधानसभा से विधायक चुने गए थे, लेकिन एक आपराधिक मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हो जाने की वजह से उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद उनकी सीट से उनकी पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की विधायक चुनी गईं। बंधु झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए लंबे समय से लॉबिंग कर रहे हैं।
लालू यादव से पटना जाकर उनकी मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि लालू यादव के जरिए उनकी दावेदारी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई जा सकती है।
लालू यादव और राहुल गांधी के बीच हाल के महीनों में बेहतरीन केमिस्ट्री विकसित हुई है। ऐसे में लालू ने कांग्रेस में बंधु के लिए पैरवी की तो बंधु की ख्वाहिश पूरी हो सकती है। संभव यह भी है कि कांग्रेस ने अगर बंधु तिर्की की इच्छा का सम्मान नहीं किया तो वे राजद का रुख कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इसके आसार कम लगते हैं।
जिस दूसरी सियासी मुलाकात से झारखंड की राजनीति में खूब चर्चा है, वह है हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता का ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल एवं भाजपा नेता रघुवर दास से मिलना। बन्ना गुप्ता एक बड़ा गुलदस्ता लेकर रघुवर के जमशेदपुर स्थित आवास पहुंचे।
इस मुलाकात के बाद बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड गठन के बाद संभवतः यह पहला अवसर है कि यहां के किसी विधायक को राज्यपाल का महत्ती दायित्व प्रदान किया गया है। यह ना केवल रघुवर जी बल्कि पूरे कोल्हान प्रमंडल एवं झारखंड प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
दरअसल, बन्ना गुप्ता और रघुवर दास के बीच हाल के वर्षों में नजदीकियां तेजी से बढ़ी हैं। बीच-बीच में बन्ना गुप्ता के भाजपा में शामिल होने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं। रघुवर और बन्ना दोनों राज्य में वैश्य राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं। रघुवर के ओडिशा जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर बन्ना वैश्य राजनीति के सबसे बड़े झंडाबरदार माने जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि बन्ना ही रघुवर की वैश्य राजनीति की विरासत को आगे बढ़ाएंगे।
–आईएएनएस
एसएनसी/एबीएम
रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। सियासत में हर बात और मुलाकात के मायने होते हैं। झारखंड में शनिवार को ऐसी ही दो सियासी मुलाकातों को लेकर तरह-तरह की चर्चा गर्म है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री-विधायक बंधु तिर्की ने शनिवार को पटना में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और झारखंड सरकार के कांग्रेसी कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता ने ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल रघुवर दास से जमशेदपुर में मुलाकात की।
इन दोनों मुलाकातों को भले औपचारिक तौर पर शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन राज्य के सियासी हलकों में इन्हें भावी राजनीतिक समीकरणों का संकेतक माना जा रहा है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की गिनती राज्य के कद्दावर आदिवासी नेताओं में होती है। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में राजद से ही हुई थी, लेकिन बाद में वह राजद छोड़कर कई पार्टियों से होते हुए वर्ष 2020 से कांग्रेस में हैं।
बंधु वर्ष 2019 में रांची के मांडर विधानसभा से विधायक चुने गए थे, लेकिन एक आपराधिक मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हो जाने की वजह से उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद उनकी सीट से उनकी पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की विधायक चुनी गईं। बंधु झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए लंबे समय से लॉबिंग कर रहे हैं।
लालू यादव से पटना जाकर उनकी मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि लालू यादव के जरिए उनकी दावेदारी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई जा सकती है।
लालू यादव और राहुल गांधी के बीच हाल के महीनों में बेहतरीन केमिस्ट्री विकसित हुई है। ऐसे में लालू ने कांग्रेस में बंधु के लिए पैरवी की तो बंधु की ख्वाहिश पूरी हो सकती है। संभव यह भी है कि कांग्रेस ने अगर बंधु तिर्की की इच्छा का सम्मान नहीं किया तो वे राजद का रुख कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इसके आसार कम लगते हैं।
जिस दूसरी सियासी मुलाकात से झारखंड की राजनीति में खूब चर्चा है, वह है हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता का ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल एवं भाजपा नेता रघुवर दास से मिलना। बन्ना गुप्ता एक बड़ा गुलदस्ता लेकर रघुवर के जमशेदपुर स्थित आवास पहुंचे।
इस मुलाकात के बाद बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड गठन के बाद संभवतः यह पहला अवसर है कि यहां के किसी विधायक को राज्यपाल का महत्ती दायित्व प्रदान किया गया है। यह ना केवल रघुवर जी बल्कि पूरे कोल्हान प्रमंडल एवं झारखंड प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
दरअसल, बन्ना गुप्ता और रघुवर दास के बीच हाल के वर्षों में नजदीकियां तेजी से बढ़ी हैं। बीच-बीच में बन्ना गुप्ता के भाजपा में शामिल होने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं। रघुवर और बन्ना दोनों राज्य में वैश्य राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं। रघुवर के ओडिशा जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर बन्ना वैश्य राजनीति के सबसे बड़े झंडाबरदार माने जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि बन्ना ही रघुवर की वैश्य राजनीति की विरासत को आगे बढ़ाएंगे।
–आईएएनएस
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रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। सियासत में हर बात और मुलाकात के मायने होते हैं। झारखंड में शनिवार को ऐसी ही दो सियासी मुलाकातों को लेकर तरह-तरह की चर्चा गर्म है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री-विधायक बंधु तिर्की ने शनिवार को पटना में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और झारखंड सरकार के कांग्रेसी कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता ने ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल रघुवर दास से जमशेदपुर में मुलाकात की।
इन दोनों मुलाकातों को भले औपचारिक तौर पर शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन राज्य के सियासी हलकों में इन्हें भावी राजनीतिक समीकरणों का संकेतक माना जा रहा है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की गिनती राज्य के कद्दावर आदिवासी नेताओं में होती है। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में राजद से ही हुई थी, लेकिन बाद में वह राजद छोड़कर कई पार्टियों से होते हुए वर्ष 2020 से कांग्रेस में हैं।
बंधु वर्ष 2019 में रांची के मांडर विधानसभा से विधायक चुने गए थे, लेकिन एक आपराधिक मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हो जाने की वजह से उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद उनकी सीट से उनकी पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की विधायक चुनी गईं। बंधु झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए लंबे समय से लॉबिंग कर रहे हैं।
लालू यादव से पटना जाकर उनकी मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि लालू यादव के जरिए उनकी दावेदारी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई जा सकती है।
लालू यादव और राहुल गांधी के बीच हाल के महीनों में बेहतरीन केमिस्ट्री विकसित हुई है। ऐसे में लालू ने कांग्रेस में बंधु के लिए पैरवी की तो बंधु की ख्वाहिश पूरी हो सकती है। संभव यह भी है कि कांग्रेस ने अगर बंधु तिर्की की इच्छा का सम्मान नहीं किया तो वे राजद का रुख कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इसके आसार कम लगते हैं।
जिस दूसरी सियासी मुलाकात से झारखंड की राजनीति में खूब चर्चा है, वह है हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता का ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल एवं भाजपा नेता रघुवर दास से मिलना। बन्ना गुप्ता एक बड़ा गुलदस्ता लेकर रघुवर के जमशेदपुर स्थित आवास पहुंचे।
इस मुलाकात के बाद बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड गठन के बाद संभवतः यह पहला अवसर है कि यहां के किसी विधायक को राज्यपाल का महत्ती दायित्व प्रदान किया गया है। यह ना केवल रघुवर जी बल्कि पूरे कोल्हान प्रमंडल एवं झारखंड प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
दरअसल, बन्ना गुप्ता और रघुवर दास के बीच हाल के वर्षों में नजदीकियां तेजी से बढ़ी हैं। बीच-बीच में बन्ना गुप्ता के भाजपा में शामिल होने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं। रघुवर और बन्ना दोनों राज्य में वैश्य राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं। रघुवर के ओडिशा जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर बन्ना वैश्य राजनीति के सबसे बड़े झंडाबरदार माने जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि बन्ना ही रघुवर की वैश्य राजनीति की विरासत को आगे बढ़ाएंगे।
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रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। सियासत में हर बात और मुलाकात के मायने होते हैं। झारखंड में शनिवार को ऐसी ही दो सियासी मुलाकातों को लेकर तरह-तरह की चर्चा गर्म है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री-विधायक बंधु तिर्की ने शनिवार को पटना में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और झारखंड सरकार के कांग्रेसी कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता ने ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल रघुवर दास से जमशेदपुर में मुलाकात की।
इन दोनों मुलाकातों को भले औपचारिक तौर पर शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन राज्य के सियासी हलकों में इन्हें भावी राजनीतिक समीकरणों का संकेतक माना जा रहा है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की गिनती राज्य के कद्दावर आदिवासी नेताओं में होती है। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में राजद से ही हुई थी, लेकिन बाद में वह राजद छोड़कर कई पार्टियों से होते हुए वर्ष 2020 से कांग्रेस में हैं।
बंधु वर्ष 2019 में रांची के मांडर विधानसभा से विधायक चुने गए थे, लेकिन एक आपराधिक मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हो जाने की वजह से उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद उनकी सीट से उनकी पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की विधायक चुनी गईं। बंधु झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए लंबे समय से लॉबिंग कर रहे हैं।
लालू यादव से पटना जाकर उनकी मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि लालू यादव के जरिए उनकी दावेदारी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई जा सकती है।
लालू यादव और राहुल गांधी के बीच हाल के महीनों में बेहतरीन केमिस्ट्री विकसित हुई है। ऐसे में लालू ने कांग्रेस में बंधु के लिए पैरवी की तो बंधु की ख्वाहिश पूरी हो सकती है। संभव यह भी है कि कांग्रेस ने अगर बंधु तिर्की की इच्छा का सम्मान नहीं किया तो वे राजद का रुख कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इसके आसार कम लगते हैं।
जिस दूसरी सियासी मुलाकात से झारखंड की राजनीति में खूब चर्चा है, वह है हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता का ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल एवं भाजपा नेता रघुवर दास से मिलना। बन्ना गुप्ता एक बड़ा गुलदस्ता लेकर रघुवर के जमशेदपुर स्थित आवास पहुंचे।
इस मुलाकात के बाद बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड गठन के बाद संभवतः यह पहला अवसर है कि यहां के किसी विधायक को राज्यपाल का महत्ती दायित्व प्रदान किया गया है। यह ना केवल रघुवर जी बल्कि पूरे कोल्हान प्रमंडल एवं झारखंड प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
दरअसल, बन्ना गुप्ता और रघुवर दास के बीच हाल के वर्षों में नजदीकियां तेजी से बढ़ी हैं। बीच-बीच में बन्ना गुप्ता के भाजपा में शामिल होने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं। रघुवर और बन्ना दोनों राज्य में वैश्य राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं। रघुवर के ओडिशा जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर बन्ना वैश्य राजनीति के सबसे बड़े झंडाबरदार माने जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि बन्ना ही रघुवर की वैश्य राजनीति की विरासत को आगे बढ़ाएंगे।
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रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। सियासत में हर बात और मुलाकात के मायने होते हैं। झारखंड में शनिवार को ऐसी ही दो सियासी मुलाकातों को लेकर तरह-तरह की चर्चा गर्म है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री-विधायक बंधु तिर्की ने शनिवार को पटना में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और झारखंड सरकार के कांग्रेसी कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता ने ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल रघुवर दास से जमशेदपुर में मुलाकात की।
इन दोनों मुलाकातों को भले औपचारिक तौर पर शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन राज्य के सियासी हलकों में इन्हें भावी राजनीतिक समीकरणों का संकेतक माना जा रहा है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की गिनती राज्य के कद्दावर आदिवासी नेताओं में होती है। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में राजद से ही हुई थी, लेकिन बाद में वह राजद छोड़कर कई पार्टियों से होते हुए वर्ष 2020 से कांग्रेस में हैं।
बंधु वर्ष 2019 में रांची के मांडर विधानसभा से विधायक चुने गए थे, लेकिन एक आपराधिक मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हो जाने की वजह से उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद उनकी सीट से उनकी पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की विधायक चुनी गईं। बंधु झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए लंबे समय से लॉबिंग कर रहे हैं।
लालू यादव से पटना जाकर उनकी मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि लालू यादव के जरिए उनकी दावेदारी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई जा सकती है।
लालू यादव और राहुल गांधी के बीच हाल के महीनों में बेहतरीन केमिस्ट्री विकसित हुई है। ऐसे में लालू ने कांग्रेस में बंधु के लिए पैरवी की तो बंधु की ख्वाहिश पूरी हो सकती है। संभव यह भी है कि कांग्रेस ने अगर बंधु तिर्की की इच्छा का सम्मान नहीं किया तो वे राजद का रुख कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इसके आसार कम लगते हैं।
जिस दूसरी सियासी मुलाकात से झारखंड की राजनीति में खूब चर्चा है, वह है हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता का ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल एवं भाजपा नेता रघुवर दास से मिलना। बन्ना गुप्ता एक बड़ा गुलदस्ता लेकर रघुवर के जमशेदपुर स्थित आवास पहुंचे।
इस मुलाकात के बाद बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड गठन के बाद संभवतः यह पहला अवसर है कि यहां के किसी विधायक को राज्यपाल का महत्ती दायित्व प्रदान किया गया है। यह ना केवल रघुवर जी बल्कि पूरे कोल्हान प्रमंडल एवं झारखंड प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
दरअसल, बन्ना गुप्ता और रघुवर दास के बीच हाल के वर्षों में नजदीकियां तेजी से बढ़ी हैं। बीच-बीच में बन्ना गुप्ता के भाजपा में शामिल होने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं। रघुवर और बन्ना दोनों राज्य में वैश्य राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं। रघुवर के ओडिशा जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर बन्ना वैश्य राजनीति के सबसे बड़े झंडाबरदार माने जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि बन्ना ही रघुवर की वैश्य राजनीति की विरासत को आगे बढ़ाएंगे।
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रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। सियासत में हर बात और मुलाकात के मायने होते हैं। झारखंड में शनिवार को ऐसी ही दो सियासी मुलाकातों को लेकर तरह-तरह की चर्चा गर्म है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री-विधायक बंधु तिर्की ने शनिवार को पटना में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और झारखंड सरकार के कांग्रेसी कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता ने ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल रघुवर दास से जमशेदपुर में मुलाकात की।
इन दोनों मुलाकातों को भले औपचारिक तौर पर शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन राज्य के सियासी हलकों में इन्हें भावी राजनीतिक समीकरणों का संकेतक माना जा रहा है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की गिनती राज्य के कद्दावर आदिवासी नेताओं में होती है। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में राजद से ही हुई थी, लेकिन बाद में वह राजद छोड़कर कई पार्टियों से होते हुए वर्ष 2020 से कांग्रेस में हैं।
बंधु वर्ष 2019 में रांची के मांडर विधानसभा से विधायक चुने गए थे, लेकिन एक आपराधिक मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हो जाने की वजह से उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद उनकी सीट से उनकी पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की विधायक चुनी गईं। बंधु झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए लंबे समय से लॉबिंग कर रहे हैं।
लालू यादव से पटना जाकर उनकी मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि लालू यादव के जरिए उनकी दावेदारी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई जा सकती है।
लालू यादव और राहुल गांधी के बीच हाल के महीनों में बेहतरीन केमिस्ट्री विकसित हुई है। ऐसे में लालू ने कांग्रेस में बंधु के लिए पैरवी की तो बंधु की ख्वाहिश पूरी हो सकती है। संभव यह भी है कि कांग्रेस ने अगर बंधु तिर्की की इच्छा का सम्मान नहीं किया तो वे राजद का रुख कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इसके आसार कम लगते हैं।
जिस दूसरी सियासी मुलाकात से झारखंड की राजनीति में खूब चर्चा है, वह है हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता का ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल एवं भाजपा नेता रघुवर दास से मिलना। बन्ना गुप्ता एक बड़ा गुलदस्ता लेकर रघुवर के जमशेदपुर स्थित आवास पहुंचे।
इस मुलाकात के बाद बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड गठन के बाद संभवतः यह पहला अवसर है कि यहां के किसी विधायक को राज्यपाल का महत्ती दायित्व प्रदान किया गया है। यह ना केवल रघुवर जी बल्कि पूरे कोल्हान प्रमंडल एवं झारखंड प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
दरअसल, बन्ना गुप्ता और रघुवर दास के बीच हाल के वर्षों में नजदीकियां तेजी से बढ़ी हैं। बीच-बीच में बन्ना गुप्ता के भाजपा में शामिल होने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं। रघुवर और बन्ना दोनों राज्य में वैश्य राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं। रघुवर के ओडिशा जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर बन्ना वैश्य राजनीति के सबसे बड़े झंडाबरदार माने जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि बन्ना ही रघुवर की वैश्य राजनीति की विरासत को आगे बढ़ाएंगे।
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रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। सियासत में हर बात और मुलाकात के मायने होते हैं। झारखंड में शनिवार को ऐसी ही दो सियासी मुलाकातों को लेकर तरह-तरह की चर्चा गर्म है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री-विधायक बंधु तिर्की ने शनिवार को पटना में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और झारखंड सरकार के कांग्रेसी कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता ने ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल रघुवर दास से जमशेदपुर में मुलाकात की।
इन दोनों मुलाकातों को भले औपचारिक तौर पर शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन राज्य के सियासी हलकों में इन्हें भावी राजनीतिक समीकरणों का संकेतक माना जा रहा है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की गिनती राज्य के कद्दावर आदिवासी नेताओं में होती है। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में राजद से ही हुई थी, लेकिन बाद में वह राजद छोड़कर कई पार्टियों से होते हुए वर्ष 2020 से कांग्रेस में हैं।
बंधु वर्ष 2019 में रांची के मांडर विधानसभा से विधायक चुने गए थे, लेकिन एक आपराधिक मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हो जाने की वजह से उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद उनकी सीट से उनकी पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की विधायक चुनी गईं। बंधु झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए लंबे समय से लॉबिंग कर रहे हैं।
लालू यादव से पटना जाकर उनकी मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि लालू यादव के जरिए उनकी दावेदारी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई जा सकती है।
लालू यादव और राहुल गांधी के बीच हाल के महीनों में बेहतरीन केमिस्ट्री विकसित हुई है। ऐसे में लालू ने कांग्रेस में बंधु के लिए पैरवी की तो बंधु की ख्वाहिश पूरी हो सकती है। संभव यह भी है कि कांग्रेस ने अगर बंधु तिर्की की इच्छा का सम्मान नहीं किया तो वे राजद का रुख कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इसके आसार कम लगते हैं।
जिस दूसरी सियासी मुलाकात से झारखंड की राजनीति में खूब चर्चा है, वह है हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता का ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल एवं भाजपा नेता रघुवर दास से मिलना। बन्ना गुप्ता एक बड़ा गुलदस्ता लेकर रघुवर के जमशेदपुर स्थित आवास पहुंचे।
इस मुलाकात के बाद बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड गठन के बाद संभवतः यह पहला अवसर है कि यहां के किसी विधायक को राज्यपाल का महत्ती दायित्व प्रदान किया गया है। यह ना केवल रघुवर जी बल्कि पूरे कोल्हान प्रमंडल एवं झारखंड प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
दरअसल, बन्ना गुप्ता और रघुवर दास के बीच हाल के वर्षों में नजदीकियां तेजी से बढ़ी हैं। बीच-बीच में बन्ना गुप्ता के भाजपा में शामिल होने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं। रघुवर और बन्ना दोनों राज्य में वैश्य राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं। रघुवर के ओडिशा जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर बन्ना वैश्य राजनीति के सबसे बड़े झंडाबरदार माने जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि बन्ना ही रघुवर की वैश्य राजनीति की विरासत को आगे बढ़ाएंगे।
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इन दोनों मुलाकातों को भले औपचारिक तौर पर शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन राज्य के सियासी हलकों में इन्हें भावी राजनीतिक समीकरणों का संकेतक माना जा रहा है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की गिनती राज्य के कद्दावर आदिवासी नेताओं में होती है। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में राजद से ही हुई थी, लेकिन बाद में वह राजद छोड़कर कई पार्टियों से होते हुए वर्ष 2020 से कांग्रेस में हैं।
बंधु वर्ष 2019 में रांची के मांडर विधानसभा से विधायक चुने गए थे, लेकिन एक आपराधिक मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हो जाने की वजह से उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद उनकी सीट से उनकी पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की विधायक चुनी गईं। बंधु झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए लंबे समय से लॉबिंग कर रहे हैं।
लालू यादव से पटना जाकर उनकी मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि लालू यादव के जरिए उनकी दावेदारी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई जा सकती है।
लालू यादव और राहुल गांधी के बीच हाल के महीनों में बेहतरीन केमिस्ट्री विकसित हुई है। ऐसे में लालू ने कांग्रेस में बंधु के लिए पैरवी की तो बंधु की ख्वाहिश पूरी हो सकती है। संभव यह भी है कि कांग्रेस ने अगर बंधु तिर्की की इच्छा का सम्मान नहीं किया तो वे राजद का रुख कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इसके आसार कम लगते हैं।
जिस दूसरी सियासी मुलाकात से झारखंड की राजनीति में खूब चर्चा है, वह है हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता का ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल एवं भाजपा नेता रघुवर दास से मिलना। बन्ना गुप्ता एक बड़ा गुलदस्ता लेकर रघुवर के जमशेदपुर स्थित आवास पहुंचे।
इस मुलाकात के बाद बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड गठन के बाद संभवतः यह पहला अवसर है कि यहां के किसी विधायक को राज्यपाल का महत्ती दायित्व प्रदान किया गया है। यह ना केवल रघुवर जी बल्कि पूरे कोल्हान प्रमंडल एवं झारखंड प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
दरअसल, बन्ना गुप्ता और रघुवर दास के बीच हाल के वर्षों में नजदीकियां तेजी से बढ़ी हैं। बीच-बीच में बन्ना गुप्ता के भाजपा में शामिल होने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं। रघुवर और बन्ना दोनों राज्य में वैश्य राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं। रघुवर के ओडिशा जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर बन्ना वैश्य राजनीति के सबसे बड़े झंडाबरदार माने जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि बन्ना ही रघुवर की वैश्य राजनीति की विरासत को आगे बढ़ाएंगे।
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रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। सियासत में हर बात और मुलाकात के मायने होते हैं। झारखंड में शनिवार को ऐसी ही दो सियासी मुलाकातों को लेकर तरह-तरह की चर्चा गर्म है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री-विधायक बंधु तिर्की ने शनिवार को पटना में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और झारखंड सरकार के कांग्रेसी कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता ने ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल रघुवर दास से जमशेदपुर में मुलाकात की।
इन दोनों मुलाकातों को भले औपचारिक तौर पर शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन राज्य के सियासी हलकों में इन्हें भावी राजनीतिक समीकरणों का संकेतक माना जा रहा है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की गिनती राज्य के कद्दावर आदिवासी नेताओं में होती है। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में राजद से ही हुई थी, लेकिन बाद में वह राजद छोड़कर कई पार्टियों से होते हुए वर्ष 2020 से कांग्रेस में हैं।
बंधु वर्ष 2019 में रांची के मांडर विधानसभा से विधायक चुने गए थे, लेकिन एक आपराधिक मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हो जाने की वजह से उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद उनकी सीट से उनकी पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की विधायक चुनी गईं। बंधु झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए लंबे समय से लॉबिंग कर रहे हैं।
लालू यादव से पटना जाकर उनकी मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि लालू यादव के जरिए उनकी दावेदारी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई जा सकती है।
लालू यादव और राहुल गांधी के बीच हाल के महीनों में बेहतरीन केमिस्ट्री विकसित हुई है। ऐसे में लालू ने कांग्रेस में बंधु के लिए पैरवी की तो बंधु की ख्वाहिश पूरी हो सकती है। संभव यह भी है कि कांग्रेस ने अगर बंधु तिर्की की इच्छा का सम्मान नहीं किया तो वे राजद का रुख कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इसके आसार कम लगते हैं।
जिस दूसरी सियासी मुलाकात से झारखंड की राजनीति में खूब चर्चा है, वह है हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता का ओडिशा के नवनियुक्त राज्यपाल एवं भाजपा नेता रघुवर दास से मिलना। बन्ना गुप्ता एक बड़ा गुलदस्ता लेकर रघुवर के जमशेदपुर स्थित आवास पहुंचे।
इस मुलाकात के बाद बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड गठन के बाद संभवतः यह पहला अवसर है कि यहां के किसी विधायक को राज्यपाल का महत्ती दायित्व प्रदान किया गया है। यह ना केवल रघुवर जी बल्कि पूरे कोल्हान प्रमंडल एवं झारखंड प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
दरअसल, बन्ना गुप्ता और रघुवर दास के बीच हाल के वर्षों में नजदीकियां तेजी से बढ़ी हैं। बीच-बीच में बन्ना गुप्ता के भाजपा में शामिल होने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं। रघुवर और बन्ना दोनों राज्य में वैश्य राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं। रघुवर के ओडिशा जाने के बाद स्वाभाविक तौर पर बन्ना वैश्य राजनीति के सबसे बड़े झंडाबरदार माने जाएंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि बन्ना ही रघुवर की वैश्य राजनीति की विरासत को आगे बढ़ाएंगे।