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Home राष्ट्रीय

झारखंड में भाजपा को झटका, तीन पूर्व विधायकों सहित कई नेता झामुमो में शामिल

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October 21, 2024
in राष्ट्रीय
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झारखंड में भाजपा को झटका, तीन पूर्व विधायकों सहित कई नेता झामुमो में शामिल
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रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका दिया है। सोमवार देर रात भाजपा के तीन पूर्व विधायक लुईस मरांडी, लक्ष्मण टुडू, कुणाल षाड़ंगी, और कोल्हान प्रमंडल के कद्दावर नेता गणेश महली सोमवार झामुमो में शामिल हो गए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने आवास में उन्हें पार्टी में शामिल कराया।

डॉ लुईस मरांडी दुमका की पूर्व विधायक हैं। वह रघुवर दास की सरकार में मंत्री भी रही हैं और फिलहाल झारखंड भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष थीं। वह इस बार भी दुमका से भाजपा टिकट की दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने यहां पूर्व सांसद सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही वह नाराज थीं। भाजपा उन्हें बरहेट सीट पर झामुमो के हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रत्याशी बनाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने दुमका छोड़कर बरहेट जाने से इनकार कर दिया। संभावना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें जामा सीट से प्रत्याशी बनाएगा।

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लुईस मरांडी दुमका सीट पर एक बार हेमंत सोरेन को पराजित कर चुकी हैं। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में वह हेमंत सोरेन से पराजित हुई थीं। इसके बाद हेमंत सोरेन के दुमका सीट से इस्तीफा देने की वजह से 2020 में हुए उपचुनाव में भी उन्हें झामुमो प्रत्याशी हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने पराजित किया था।

लक्ष्मण टुडू घाटशिला से वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह इस बार भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन इस सीट पर पार्टी ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। इससे नाराज होकर उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया है।

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी कुछ महीने पहले तक भाजपा में थे। वह 2019 में बहरागोड़ा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया था। अब झामुमो उन्हें इस सीट पर उम्मीदवार बनाएगा।

भाजपा से इस्तीफा देकर सीएम सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे नेताओं में गणेश महली भी हैं, जो पिछले चुनाव में सरायकेला सीट पर भाजपा के प्रत्याशी थे। वह झामुमो उम्मीदवार चंपई सोरेन से कुछ हजार वोटों से पराजित हुए थे। अब झामुमो उन्हें इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी चंपई सोरेन के खिलाफ मैदान में उतारेगा।

संथाल परगना की सारठ सीट से विधायक रह चुके उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह भी झामुमो में शामिल हो गए हैं। यह तय माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें भी उम्मीदवार बनाएगी।

–आईएएनएस

एसएनसी/एकेजे

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रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका दिया है। सोमवार देर रात भाजपा के तीन पूर्व विधायक लुईस मरांडी, लक्ष्मण टुडू, कुणाल षाड़ंगी, और कोल्हान प्रमंडल के कद्दावर नेता गणेश महली सोमवार झामुमो में शामिल हो गए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने आवास में उन्हें पार्टी में शामिल कराया।

डॉ लुईस मरांडी दुमका की पूर्व विधायक हैं। वह रघुवर दास की सरकार में मंत्री भी रही हैं और फिलहाल झारखंड भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष थीं। वह इस बार भी दुमका से भाजपा टिकट की दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने यहां पूर्व सांसद सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही वह नाराज थीं। भाजपा उन्हें बरहेट सीट पर झामुमो के हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रत्याशी बनाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने दुमका छोड़कर बरहेट जाने से इनकार कर दिया। संभावना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें जामा सीट से प्रत्याशी बनाएगा।

लुईस मरांडी दुमका सीट पर एक बार हेमंत सोरेन को पराजित कर चुकी हैं। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में वह हेमंत सोरेन से पराजित हुई थीं। इसके बाद हेमंत सोरेन के दुमका सीट से इस्तीफा देने की वजह से 2020 में हुए उपचुनाव में भी उन्हें झामुमो प्रत्याशी हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने पराजित किया था।

लक्ष्मण टुडू घाटशिला से वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह इस बार भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन इस सीट पर पार्टी ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। इससे नाराज होकर उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया है।

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी कुछ महीने पहले तक भाजपा में थे। वह 2019 में बहरागोड़ा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया था। अब झामुमो उन्हें इस सीट पर उम्मीदवार बनाएगा।

भाजपा से इस्तीफा देकर सीएम सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे नेताओं में गणेश महली भी हैं, जो पिछले चुनाव में सरायकेला सीट पर भाजपा के प्रत्याशी थे। वह झामुमो उम्मीदवार चंपई सोरेन से कुछ हजार वोटों से पराजित हुए थे। अब झामुमो उन्हें इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी चंपई सोरेन के खिलाफ मैदान में उतारेगा।

संथाल परगना की सारठ सीट से विधायक रह चुके उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह भी झामुमो में शामिल हो गए हैं। यह तय माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें भी उम्मीदवार बनाएगी।

–आईएएनएस

एसएनसी/एकेजे

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रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका दिया है। सोमवार देर रात भाजपा के तीन पूर्व विधायक लुईस मरांडी, लक्ष्मण टुडू, कुणाल षाड़ंगी, और कोल्हान प्रमंडल के कद्दावर नेता गणेश महली सोमवार झामुमो में शामिल हो गए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने आवास में उन्हें पार्टी में शामिल कराया।

डॉ लुईस मरांडी दुमका की पूर्व विधायक हैं। वह रघुवर दास की सरकार में मंत्री भी रही हैं और फिलहाल झारखंड भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष थीं। वह इस बार भी दुमका से भाजपा टिकट की दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने यहां पूर्व सांसद सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही वह नाराज थीं। भाजपा उन्हें बरहेट सीट पर झामुमो के हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रत्याशी बनाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने दुमका छोड़कर बरहेट जाने से इनकार कर दिया। संभावना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें जामा सीट से प्रत्याशी बनाएगा।

लुईस मरांडी दुमका सीट पर एक बार हेमंत सोरेन को पराजित कर चुकी हैं। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में वह हेमंत सोरेन से पराजित हुई थीं। इसके बाद हेमंत सोरेन के दुमका सीट से इस्तीफा देने की वजह से 2020 में हुए उपचुनाव में भी उन्हें झामुमो प्रत्याशी हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने पराजित किया था।

लक्ष्मण टुडू घाटशिला से वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह इस बार भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन इस सीट पर पार्टी ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। इससे नाराज होकर उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया है।

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी कुछ महीने पहले तक भाजपा में थे। वह 2019 में बहरागोड़ा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया था। अब झामुमो उन्हें इस सीट पर उम्मीदवार बनाएगा।

भाजपा से इस्तीफा देकर सीएम सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे नेताओं में गणेश महली भी हैं, जो पिछले चुनाव में सरायकेला सीट पर भाजपा के प्रत्याशी थे। वह झामुमो उम्मीदवार चंपई सोरेन से कुछ हजार वोटों से पराजित हुए थे। अब झामुमो उन्हें इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी चंपई सोरेन के खिलाफ मैदान में उतारेगा।

संथाल परगना की सारठ सीट से विधायक रह चुके उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह भी झामुमो में शामिल हो गए हैं। यह तय माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें भी उम्मीदवार बनाएगी।

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डॉ लुईस मरांडी दुमका की पूर्व विधायक हैं। वह रघुवर दास की सरकार में मंत्री भी रही हैं और फिलहाल झारखंड भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष थीं। वह इस बार भी दुमका से भाजपा टिकट की दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने यहां पूर्व सांसद सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही वह नाराज थीं। भाजपा उन्हें बरहेट सीट पर झामुमो के हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रत्याशी बनाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने दुमका छोड़कर बरहेट जाने से इनकार कर दिया। संभावना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें जामा सीट से प्रत्याशी बनाएगा।

लुईस मरांडी दुमका सीट पर एक बार हेमंत सोरेन को पराजित कर चुकी हैं। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में वह हेमंत सोरेन से पराजित हुई थीं। इसके बाद हेमंत सोरेन के दुमका सीट से इस्तीफा देने की वजह से 2020 में हुए उपचुनाव में भी उन्हें झामुमो प्रत्याशी हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने पराजित किया था।

लक्ष्मण टुडू घाटशिला से वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह इस बार भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन इस सीट पर पार्टी ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। इससे नाराज होकर उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया है।

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी कुछ महीने पहले तक भाजपा में थे। वह 2019 में बहरागोड़ा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया था। अब झामुमो उन्हें इस सीट पर उम्मीदवार बनाएगा।

भाजपा से इस्तीफा देकर सीएम सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे नेताओं में गणेश महली भी हैं, जो पिछले चुनाव में सरायकेला सीट पर भाजपा के प्रत्याशी थे। वह झामुमो उम्मीदवार चंपई सोरेन से कुछ हजार वोटों से पराजित हुए थे। अब झामुमो उन्हें इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी चंपई सोरेन के खिलाफ मैदान में उतारेगा।

संथाल परगना की सारठ सीट से विधायक रह चुके उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह भी झामुमो में शामिल हो गए हैं। यह तय माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें भी उम्मीदवार बनाएगी।

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डॉ लुईस मरांडी दुमका की पूर्व विधायक हैं। वह रघुवर दास की सरकार में मंत्री भी रही हैं और फिलहाल झारखंड भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष थीं। वह इस बार भी दुमका से भाजपा टिकट की दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने यहां पूर्व सांसद सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही वह नाराज थीं। भाजपा उन्हें बरहेट सीट पर झामुमो के हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रत्याशी बनाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने दुमका छोड़कर बरहेट जाने से इनकार कर दिया। संभावना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें जामा सीट से प्रत्याशी बनाएगा।

लुईस मरांडी दुमका सीट पर एक बार हेमंत सोरेन को पराजित कर चुकी हैं। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में वह हेमंत सोरेन से पराजित हुई थीं। इसके बाद हेमंत सोरेन के दुमका सीट से इस्तीफा देने की वजह से 2020 में हुए उपचुनाव में भी उन्हें झामुमो प्रत्याशी हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने पराजित किया था।

लक्ष्मण टुडू घाटशिला से वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह इस बार भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन इस सीट पर पार्टी ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। इससे नाराज होकर उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया है।

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी कुछ महीने पहले तक भाजपा में थे। वह 2019 में बहरागोड़ा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया था। अब झामुमो उन्हें इस सीट पर उम्मीदवार बनाएगा।

भाजपा से इस्तीफा देकर सीएम सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे नेताओं में गणेश महली भी हैं, जो पिछले चुनाव में सरायकेला सीट पर भाजपा के प्रत्याशी थे। वह झामुमो उम्मीदवार चंपई सोरेन से कुछ हजार वोटों से पराजित हुए थे। अब झामुमो उन्हें इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी चंपई सोरेन के खिलाफ मैदान में उतारेगा।

संथाल परगना की सारठ सीट से विधायक रह चुके उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह भी झामुमो में शामिल हो गए हैं। यह तय माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें भी उम्मीदवार बनाएगी।

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डॉ लुईस मरांडी दुमका की पूर्व विधायक हैं। वह रघुवर दास की सरकार में मंत्री भी रही हैं और फिलहाल झारखंड भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष थीं। वह इस बार भी दुमका से भाजपा टिकट की दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने यहां पूर्व सांसद सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही वह नाराज थीं। भाजपा उन्हें बरहेट सीट पर झामुमो के हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रत्याशी बनाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने दुमका छोड़कर बरहेट जाने से इनकार कर दिया। संभावना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें जामा सीट से प्रत्याशी बनाएगा।

लुईस मरांडी दुमका सीट पर एक बार हेमंत सोरेन को पराजित कर चुकी हैं। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में वह हेमंत सोरेन से पराजित हुई थीं। इसके बाद हेमंत सोरेन के दुमका सीट से इस्तीफा देने की वजह से 2020 में हुए उपचुनाव में भी उन्हें झामुमो प्रत्याशी हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने पराजित किया था।

लक्ष्मण टुडू घाटशिला से वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह इस बार भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन इस सीट पर पार्टी ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। इससे नाराज होकर उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया है।

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी कुछ महीने पहले तक भाजपा में थे। वह 2019 में बहरागोड़ा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया था। अब झामुमो उन्हें इस सीट पर उम्मीदवार बनाएगा।

भाजपा से इस्तीफा देकर सीएम सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे नेताओं में गणेश महली भी हैं, जो पिछले चुनाव में सरायकेला सीट पर भाजपा के प्रत्याशी थे। वह झामुमो उम्मीदवार चंपई सोरेन से कुछ हजार वोटों से पराजित हुए थे। अब झामुमो उन्हें इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी चंपई सोरेन के खिलाफ मैदान में उतारेगा।

संथाल परगना की सारठ सीट से विधायक रह चुके उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह भी झामुमो में शामिल हो गए हैं। यह तय माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें भी उम्मीदवार बनाएगी।

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डॉ लुईस मरांडी दुमका की पूर्व विधायक हैं। वह रघुवर दास की सरकार में मंत्री भी रही हैं और फिलहाल झारखंड भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष थीं। वह इस बार भी दुमका से भाजपा टिकट की दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने यहां पूर्व सांसद सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही वह नाराज थीं। भाजपा उन्हें बरहेट सीट पर झामुमो के हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रत्याशी बनाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने दुमका छोड़कर बरहेट जाने से इनकार कर दिया। संभावना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें जामा सीट से प्रत्याशी बनाएगा।

लुईस मरांडी दुमका सीट पर एक बार हेमंत सोरेन को पराजित कर चुकी हैं। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में वह हेमंत सोरेन से पराजित हुई थीं। इसके बाद हेमंत सोरेन के दुमका सीट से इस्तीफा देने की वजह से 2020 में हुए उपचुनाव में भी उन्हें झामुमो प्रत्याशी हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने पराजित किया था।

लक्ष्मण टुडू घाटशिला से वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह इस बार भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन इस सीट पर पार्टी ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। इससे नाराज होकर उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया है।

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी कुछ महीने पहले तक भाजपा में थे। वह 2019 में बहरागोड़ा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया था। अब झामुमो उन्हें इस सीट पर उम्मीदवार बनाएगा।

भाजपा से इस्तीफा देकर सीएम सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे नेताओं में गणेश महली भी हैं, जो पिछले चुनाव में सरायकेला सीट पर भाजपा के प्रत्याशी थे। वह झामुमो उम्मीदवार चंपई सोरेन से कुछ हजार वोटों से पराजित हुए थे। अब झामुमो उन्हें इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी चंपई सोरेन के खिलाफ मैदान में उतारेगा।

संथाल परगना की सारठ सीट से विधायक रह चुके उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह भी झामुमो में शामिल हो गए हैं। यह तय माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें भी उम्मीदवार बनाएगी।

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डॉ लुईस मरांडी दुमका की पूर्व विधायक हैं। वह रघुवर दास की सरकार में मंत्री भी रही हैं और फिलहाल झारखंड भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष थीं। वह इस बार भी दुमका से भाजपा टिकट की दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने यहां पूर्व सांसद सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही वह नाराज थीं। भाजपा उन्हें बरहेट सीट पर झामुमो के हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रत्याशी बनाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने दुमका छोड़कर बरहेट जाने से इनकार कर दिया। संभावना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें जामा सीट से प्रत्याशी बनाएगा।

लुईस मरांडी दुमका सीट पर एक बार हेमंत सोरेन को पराजित कर चुकी हैं। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में वह हेमंत सोरेन से पराजित हुई थीं। इसके बाद हेमंत सोरेन के दुमका सीट से इस्तीफा देने की वजह से 2020 में हुए उपचुनाव में भी उन्हें झामुमो प्रत्याशी हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने पराजित किया था।

लक्ष्मण टुडू घाटशिला से वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह इस बार भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन इस सीट पर पार्टी ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। इससे नाराज होकर उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया है।

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी कुछ महीने पहले तक भाजपा में थे। वह 2019 में बहरागोड़ा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया था। अब झामुमो उन्हें इस सीट पर उम्मीदवार बनाएगा।

भाजपा से इस्तीफा देकर सीएम सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे नेताओं में गणेश महली भी हैं, जो पिछले चुनाव में सरायकेला सीट पर भाजपा के प्रत्याशी थे। वह झामुमो उम्मीदवार चंपई सोरेन से कुछ हजार वोटों से पराजित हुए थे। अब झामुमो उन्हें इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी चंपई सोरेन के खिलाफ मैदान में उतारेगा।

संथाल परगना की सारठ सीट से विधायक रह चुके उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह भी झामुमो में शामिल हो गए हैं। यह तय माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें भी उम्मीदवार बनाएगी।

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रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका दिया है। सोमवार देर रात भाजपा के तीन पूर्व विधायक लुईस मरांडी, लक्ष्मण टुडू, कुणाल षाड़ंगी, और कोल्हान प्रमंडल के कद्दावर नेता गणेश महली सोमवार झामुमो में शामिल हो गए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने आवास में उन्हें पार्टी में शामिल कराया।

डॉ लुईस मरांडी दुमका की पूर्व विधायक हैं। वह रघुवर दास की सरकार में मंत्री भी रही हैं और फिलहाल झारखंड भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष थीं। वह इस बार भी दुमका से भाजपा टिकट की दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने यहां पूर्व सांसद सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही वह नाराज थीं। भाजपा उन्हें बरहेट सीट पर झामुमो के हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रत्याशी बनाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने दुमका छोड़कर बरहेट जाने से इनकार कर दिया। संभावना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें जामा सीट से प्रत्याशी बनाएगा।

लुईस मरांडी दुमका सीट पर एक बार हेमंत सोरेन को पराजित कर चुकी हैं। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में वह हेमंत सोरेन से पराजित हुई थीं। इसके बाद हेमंत सोरेन के दुमका सीट से इस्तीफा देने की वजह से 2020 में हुए उपचुनाव में भी उन्हें झामुमो प्रत्याशी हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने पराजित किया था।

लक्ष्मण टुडू घाटशिला से वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह इस बार भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन इस सीट पर पार्टी ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। इससे नाराज होकर उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया है।

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी कुछ महीने पहले तक भाजपा में थे। वह 2019 में बहरागोड़ा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया था। अब झामुमो उन्हें इस सीट पर उम्मीदवार बनाएगा।

भाजपा से इस्तीफा देकर सीएम सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे नेताओं में गणेश महली भी हैं, जो पिछले चुनाव में सरायकेला सीट पर भाजपा के प्रत्याशी थे। वह झामुमो उम्मीदवार चंपई सोरेन से कुछ हजार वोटों से पराजित हुए थे। अब झामुमो उन्हें इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी चंपई सोरेन के खिलाफ मैदान में उतारेगा।

संथाल परगना की सारठ सीट से विधायक रह चुके उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह भी झामुमो में शामिल हो गए हैं। यह तय माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें भी उम्मीदवार बनाएगी।

–आईएएनएस

एसएनसी/एकेजे

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रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका दिया है। सोमवार देर रात भाजपा के तीन पूर्व विधायक लुईस मरांडी, लक्ष्मण टुडू, कुणाल षाड़ंगी, और कोल्हान प्रमंडल के कद्दावर नेता गणेश महली सोमवार झामुमो में शामिल हो गए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने आवास में उन्हें पार्टी में शामिल कराया।

डॉ लुईस मरांडी दुमका की पूर्व विधायक हैं। वह रघुवर दास की सरकार में मंत्री भी रही हैं और फिलहाल झारखंड भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष थीं। वह इस बार भी दुमका से भाजपा टिकट की दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने यहां पूर्व सांसद सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही वह नाराज थीं। भाजपा उन्हें बरहेट सीट पर झामुमो के हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रत्याशी बनाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने दुमका छोड़कर बरहेट जाने से इनकार कर दिया। संभावना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें जामा सीट से प्रत्याशी बनाएगा।

लुईस मरांडी दुमका सीट पर एक बार हेमंत सोरेन को पराजित कर चुकी हैं। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में वह हेमंत सोरेन से पराजित हुई थीं। इसके बाद हेमंत सोरेन के दुमका सीट से इस्तीफा देने की वजह से 2020 में हुए उपचुनाव में भी उन्हें झामुमो प्रत्याशी हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने पराजित किया था।

लक्ष्मण टुडू घाटशिला से वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह इस बार भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन इस सीट पर पार्टी ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। इससे नाराज होकर उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया है।

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी कुछ महीने पहले तक भाजपा में थे। वह 2019 में बहरागोड़ा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया था। अब झामुमो उन्हें इस सीट पर उम्मीदवार बनाएगा।

भाजपा से इस्तीफा देकर सीएम सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे नेताओं में गणेश महली भी हैं, जो पिछले चुनाव में सरायकेला सीट पर भाजपा के प्रत्याशी थे। वह झामुमो उम्मीदवार चंपई सोरेन से कुछ हजार वोटों से पराजित हुए थे। अब झामुमो उन्हें इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी चंपई सोरेन के खिलाफ मैदान में उतारेगा।

संथाल परगना की सारठ सीट से विधायक रह चुके उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह भी झामुमो में शामिल हो गए हैं। यह तय माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें भी उम्मीदवार बनाएगी।

–आईएएनएस

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रांची, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका दिया है। सोमवार देर रात भाजपा के तीन पूर्व विधायक लुईस मरांडी, लक्ष्मण टुडू, कुणाल षाड़ंगी, और कोल्हान प्रमंडल के कद्दावर नेता गणेश महली सोमवार झामुमो में शामिल हो गए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने आवास में उन्हें पार्टी में शामिल कराया।

डॉ लुईस मरांडी दुमका की पूर्व विधायक हैं। वह रघुवर दास की सरकार में मंत्री भी रही हैं और फिलहाल झारखंड भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष थीं। वह इस बार भी दुमका से भाजपा टिकट की दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने यहां पूर्व सांसद सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही वह नाराज थीं। भाजपा उन्हें बरहेट सीट पर झामुमो के हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रत्याशी बनाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने दुमका छोड़कर बरहेट जाने से इनकार कर दिया। संभावना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें जामा सीट से प्रत्याशी बनाएगा।

लुईस मरांडी दुमका सीट पर एक बार हेमंत सोरेन को पराजित कर चुकी हैं। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में वह हेमंत सोरेन से पराजित हुई थीं। इसके बाद हेमंत सोरेन के दुमका सीट से इस्तीफा देने की वजह से 2020 में हुए उपचुनाव में भी उन्हें झामुमो प्रत्याशी हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने पराजित किया था।

लक्ष्मण टुडू घाटशिला से वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह इस बार भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन इस सीट पर पार्टी ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। इससे नाराज होकर उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया है।

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी कुछ महीने पहले तक भाजपा में थे। वह 2019 में बहरागोड़ा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया था। अब झामुमो उन्हें इस सीट पर उम्मीदवार बनाएगा।

भाजपा से इस्तीफा देकर सीएम सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे नेताओं में गणेश महली भी हैं, जो पिछले चुनाव में सरायकेला सीट पर भाजपा के प्रत्याशी थे। वह झामुमो उम्मीदवार चंपई सोरेन से कुछ हजार वोटों से पराजित हुए थे। अब झामुमो उन्हें इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी चंपई सोरेन के खिलाफ मैदान में उतारेगा।

संथाल परगना की सारठ सीट से विधायक रह चुके उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह भी झामुमो में शामिल हो गए हैं। यह तय माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें भी उम्मीदवार बनाएगी।

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डॉ लुईस मरांडी दुमका की पूर्व विधायक हैं। वह रघुवर दास की सरकार में मंत्री भी रही हैं और फिलहाल झारखंड भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष थीं। वह इस बार भी दुमका से भाजपा टिकट की दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने यहां पूर्व सांसद सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही वह नाराज थीं। भाजपा उन्हें बरहेट सीट पर झामुमो के हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रत्याशी बनाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने दुमका छोड़कर बरहेट जाने से इनकार कर दिया। संभावना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें जामा सीट से प्रत्याशी बनाएगा।

लुईस मरांडी दुमका सीट पर एक बार हेमंत सोरेन को पराजित कर चुकी हैं। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में वह हेमंत सोरेन से पराजित हुई थीं। इसके बाद हेमंत सोरेन के दुमका सीट से इस्तीफा देने की वजह से 2020 में हुए उपचुनाव में भी उन्हें झामुमो प्रत्याशी हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने पराजित किया था।

लक्ष्मण टुडू घाटशिला से वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह इस बार भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन इस सीट पर पार्टी ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। इससे नाराज होकर उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया है।

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी कुछ महीने पहले तक भाजपा में थे। वह 2019 में बहरागोड़ा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया था। अब झामुमो उन्हें इस सीट पर उम्मीदवार बनाएगा।

भाजपा से इस्तीफा देकर सीएम सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे नेताओं में गणेश महली भी हैं, जो पिछले चुनाव में सरायकेला सीट पर भाजपा के प्रत्याशी थे। वह झामुमो उम्मीदवार चंपई सोरेन से कुछ हजार वोटों से पराजित हुए थे। अब झामुमो उन्हें इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी चंपई सोरेन के खिलाफ मैदान में उतारेगा।

संथाल परगना की सारठ सीट से विधायक रह चुके उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह भी झामुमो में शामिल हो गए हैं। यह तय माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें भी उम्मीदवार बनाएगी।

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डॉ लुईस मरांडी दुमका की पूर्व विधायक हैं। वह रघुवर दास की सरकार में मंत्री भी रही हैं और फिलहाल झारखंड भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष थीं। वह इस बार भी दुमका से भाजपा टिकट की दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने यहां पूर्व सांसद सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही वह नाराज थीं। भाजपा उन्हें बरहेट सीट पर झामुमो के हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रत्याशी बनाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने दुमका छोड़कर बरहेट जाने से इनकार कर दिया। संभावना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें जामा सीट से प्रत्याशी बनाएगा।

लुईस मरांडी दुमका सीट पर एक बार हेमंत सोरेन को पराजित कर चुकी हैं। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में वह हेमंत सोरेन से पराजित हुई थीं। इसके बाद हेमंत सोरेन के दुमका सीट से इस्तीफा देने की वजह से 2020 में हुए उपचुनाव में भी उन्हें झामुमो प्रत्याशी हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने पराजित किया था।

लक्ष्मण टुडू घाटशिला से वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह इस बार भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन इस सीट पर पार्टी ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। इससे नाराज होकर उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया है।

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी कुछ महीने पहले तक भाजपा में थे। वह 2019 में बहरागोड़ा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया था। अब झामुमो उन्हें इस सीट पर उम्मीदवार बनाएगा।

भाजपा से इस्तीफा देकर सीएम सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे नेताओं में गणेश महली भी हैं, जो पिछले चुनाव में सरायकेला सीट पर भाजपा के प्रत्याशी थे। वह झामुमो उम्मीदवार चंपई सोरेन से कुछ हजार वोटों से पराजित हुए थे। अब झामुमो उन्हें इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी चंपई सोरेन के खिलाफ मैदान में उतारेगा।

संथाल परगना की सारठ सीट से विधायक रह चुके उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह भी झामुमो में शामिल हो गए हैं। यह तय माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें भी उम्मीदवार बनाएगी।

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डॉ लुईस मरांडी दुमका की पूर्व विधायक हैं। वह रघुवर दास की सरकार में मंत्री भी रही हैं और फिलहाल झारखंड भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष थीं। वह इस बार भी दुमका से भाजपा टिकट की दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने यहां पूर्व सांसद सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही वह नाराज थीं। भाजपा उन्हें बरहेट सीट पर झामुमो के हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रत्याशी बनाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने दुमका छोड़कर बरहेट जाने से इनकार कर दिया। संभावना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें जामा सीट से प्रत्याशी बनाएगा।

लुईस मरांडी दुमका सीट पर एक बार हेमंत सोरेन को पराजित कर चुकी हैं। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में वह हेमंत सोरेन से पराजित हुई थीं। इसके बाद हेमंत सोरेन के दुमका सीट से इस्तीफा देने की वजह से 2020 में हुए उपचुनाव में भी उन्हें झामुमो प्रत्याशी हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने पराजित किया था।

लक्ष्मण टुडू घाटशिला से वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह इस बार भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन इस सीट पर पार्टी ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। इससे नाराज होकर उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया है।

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी कुछ महीने पहले तक भाजपा में थे। वह 2019 में बहरागोड़ा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया था। अब झामुमो उन्हें इस सीट पर उम्मीदवार बनाएगा।

भाजपा से इस्तीफा देकर सीएम सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे नेताओं में गणेश महली भी हैं, जो पिछले चुनाव में सरायकेला सीट पर भाजपा के प्रत्याशी थे। वह झामुमो उम्मीदवार चंपई सोरेन से कुछ हजार वोटों से पराजित हुए थे। अब झामुमो उन्हें इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी चंपई सोरेन के खिलाफ मैदान में उतारेगा।

संथाल परगना की सारठ सीट से विधायक रह चुके उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह भी झामुमो में शामिल हो गए हैं। यह तय माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें भी उम्मीदवार बनाएगी।

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डॉ लुईस मरांडी दुमका की पूर्व विधायक हैं। वह रघुवर दास की सरकार में मंत्री भी रही हैं और फिलहाल झारखंड भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष थीं। वह इस बार भी दुमका से भाजपा टिकट की दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने यहां पूर्व सांसद सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही वह नाराज थीं। भाजपा उन्हें बरहेट सीट पर झामुमो के हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रत्याशी बनाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने दुमका छोड़कर बरहेट जाने से इनकार कर दिया। संभावना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें जामा सीट से प्रत्याशी बनाएगा।

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लक्ष्मण टुडू घाटशिला से वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह इस बार भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन इस सीट पर पार्टी ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। इससे नाराज होकर उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया है।

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी कुछ महीने पहले तक भाजपा में थे। वह 2019 में बहरागोड़ा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया था। अब झामुमो उन्हें इस सीट पर उम्मीदवार बनाएगा।

भाजपा से इस्तीफा देकर सीएम सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे नेताओं में गणेश महली भी हैं, जो पिछले चुनाव में सरायकेला सीट पर भाजपा के प्रत्याशी थे। वह झामुमो उम्मीदवार चंपई सोरेन से कुछ हजार वोटों से पराजित हुए थे। अब झामुमो उन्हें इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी चंपई सोरेन के खिलाफ मैदान में उतारेगा।

संथाल परगना की सारठ सीट से विधायक रह चुके उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह भी झामुमो में शामिल हो गए हैं। यह तय माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें भी उम्मीदवार बनाएगी।

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डॉ लुईस मरांडी दुमका की पूर्व विधायक हैं। वह रघुवर दास की सरकार में मंत्री भी रही हैं और फिलहाल झारखंड भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष थीं। वह इस बार भी दुमका से भाजपा टिकट की दावेदार थीं, लेकिन पार्टी ने यहां पूर्व सांसद सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही वह नाराज थीं। भाजपा उन्हें बरहेट सीट पर झामुमो के हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रत्याशी बनाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने दुमका छोड़कर बरहेट जाने से इनकार कर दिया। संभावना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा उन्हें जामा सीट से प्रत्याशी बनाएगा।

लुईस मरांडी दुमका सीट पर एक बार हेमंत सोरेन को पराजित कर चुकी हैं। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में वह हेमंत सोरेन से पराजित हुई थीं। इसके बाद हेमंत सोरेन के दुमका सीट से इस्तीफा देने की वजह से 2020 में हुए उपचुनाव में भी उन्हें झामुमो प्रत्याशी हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने पराजित किया था।

लक्ष्मण टुडू घाटशिला से वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। वह इस बार भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन इस सीट पर पार्टी ने पूर्व सीएम चंपई सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। इससे नाराज होकर उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया है।

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी कुछ महीने पहले तक भाजपा में थे। वह 2019 में बहरागोड़ा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने भाजपा से त्यागपत्र दे दिया था। अब झामुमो उन्हें इस सीट पर उम्मीदवार बनाएगा।

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संथाल परगना की सारठ सीट से विधायक रह चुके उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह भी झामुमो में शामिल हो गए हैं। यह तय माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें भी उम्मीदवार बनाएगी।

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