रांची, 8 जून (आईएएनएस)। झारखंड के गांडेय विधानसभा क्षेत्र के लिए हुए उपचुनाव में जीत हासिल करने वाली कल्पना सोरेन सदन में मुश्किल से दो हफ्ते के लिए अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाएंगी। विधायक के रूप में उनका कार्यकाल अधिकतम छह महीने का है और विधानसभा का आगामी मानसून सत्र उनके लिए इस कार्यकाल का पहला और आखिरी सत्र होगा।
मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल जनवरी, 2025 के पहले हफ्ते में पूरा हो रहा है, लेकिन नई विधानसभा के गठन के लिए चुनाव अक्टूबर-नवंबर में ही कराए जाने हैं। ऐसे में विधायक के तौर पर उनके पास काम करने के लिए तीन-चार महीने का ही वक्त है।
विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही राज्य में एक बार फिर आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी और उस दौरान उनके पास काम करने के मौके नहीं के बराबर होंगे।
विधानसभा का मॉनसून सत्र जुलाई-अगस्त के महीने में संभावित है। आम तौर पर यह सत्र न्यूनतम एक और अधिकतम दो हफ्ते का होता है। मसलन, पिछले साल यानी वर्ष 2023 में मानसून सत्र 25 जुलाई से शुरू होकर 4 अगस्त तक चला था। शीतकालीन सत्र नवंबर-दिसंबर में आयोजित होता है, लेकिन उसके पहले चुनाव का ऐलान होना तय है।
कल्पना सोरेन ने अपने पति झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद 4 मार्च को औपचारिक तौर पर राजनीति में एंट्री की और इसके तीन महीने के बाद विधायक बन गईं।
बहरहाल, विधानसभा के मॉनसून सत्र में जब वह विधायक के तौर पर पहली बार सदन में पहुंचेंगी, तो कई दिलचस्प संयोग दिख सकते हैं। उनके पति हेमंत सोरेन जेल में बंद हैं। अगर इस सत्र के पहले उन्हें जमानत मिल जाती है या फिर न्यायिक हिरासत में रहते हुए सत्र में भाग लेने की इजाजत कोर्ट से मिल जाती है तो झारखंड के इतिहास में पहली बार कोई पति-पत्नी एक साथ सदन में दिखेगा।
कल्पना सोरेन की जेठानी सीता सोरेन की विधानसभा सदस्यता भी फिलहाल बरकरार है। उनका इस्तीफा स्पीकर ने तकनीकी वजहों से स्वीकार नहीं किया है।
संभव है कि वह भी मॉनसून सत्र में सदन पहुंच सकती हैं। इसके अलावा कल्पना सोरेन के देवर बसंत सोरेन भी बतौर मंत्री-विधायक सदन में मौजूद रहेंगे।
ऐसे में विधानसभा में एक साथ पति-पत्नी, जेठानी-देवरानी, भाभी-देवर की मौजूदगी का दिलचस्प ‘रिकॉर्ड’ बन सकता है।
–आईएएनएस
एसएनसी/एसकेपी