रांची, 3 मार्च (आईएएनएस)। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हेमंत सरकार के बजट को गंधहीन, रंगहीन और दिशाहीन बताया है। उन्होंने कहा कि बजट किसी राज्य का सिर्फ लेखा-जोखा नहीं होता है, बल्कि वह राज्य की अर्थव्यवस्था को गति देने वाला होता है। हेमंत सोरेन सरकार अब दिन में सपने देख रही है। अबुआ बजट में अबुआ को ही किनारे कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार ने 2030 तक राज्य की अर्थव्यवस्था 10 ट्रिलियन यानी 10 लाख करोड़ करने की बात कही है। लेकिन, ये होगा कैसे, ये सरकार ने बताया ही नहीं है। क्या झारखंड सरकार 15 प्रतिशत की दर से विकास दर प्राप्त करने वाली है? इस बजट से सबसे अधिक निराश किसान और ग्रामीण हुए हैं। किसानों की ऋण माफी पर सरकार चुप है। ग्रामीण विकास का बजट सरकार ने घटा दिया है।
उन्होंने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में पेश कुल 1.28 लाख करोड़ के बजट में जनवरी तक 61 प्रतिशत राशि ही खर्च हुई है। इसका जवाब सरकार के पास नहीं है। महिलाओं को 450 रुपए में गैस सिलेंडर देने का वादा किया गया था, लेकिन सरकार अब इस पर कुछ नहीं बोल रही है। वृद्धा और विधवा पेंशन सरकार दे नहीं पा रही है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधायक अमित मंडल ने प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बजट भाषण में केंद्र सरकार पर लगाए गए आरोपों की तीखी भर्त्सना की।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपनी विफलताओं के लिए केंद्र के पास 1.36 लाख करोड़ के बकाए का रोना बंद करे। सच्चाई ये है कि झारखंड कोयला उत्पादन में तीसरे स्थान पर है, लेकिन केंद्र की ओर से सर्वाधिक 22 प्रतिशत का राजस्व झारखंड को मिलता है। झारखंड के जीडीपी में सेकेंडरी सेक्टर का योगदान सर्वाधिक है और इसका आधार केंद्र की ओर से संचालित योजनाएं हैं। एयरपोर्ट, रेल, हाईवे, सेज (स्पेशल इकोनॉमिक जोन) निर्माण से राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।
मंडल ने कहा कि चुनाव के दौरान जनता को सत्तारूढ़ गठबंधन ने जो सात गारंटी दी थी, उनमें से कोई गारंटी सरकार पूरी नहीं कर पाई है। न तो धान क्रय में 3,200 रुपए एमएसपी मिला और न 450 रुपए में सिलेंडर।
–आईएएनएस
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