रांची, 28 मार्च (आईएएनएस)। वर्ष 2005 से वर्ष 2007 के बीच में झारखंड विधानसभा में करीब डेढ़ सौ लोगों की अवैध नियुक्ति की जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और विधानसभा सचिव से जवाब मांगा है।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने विधानसभा सचिव से पूछा है कि इस प्रकरण की जांच के बाद जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता वाले वन मैन कमीशन की रिपोर्ट पर क्या एक्शन लिया गया? कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की कमीशन की जांच में क्या आया है, उसके स्टेटस पर रिपोर्ट फाइल करें।
पीआईएल दाखिल करने वाले शिवशंकर शर्मा के अधिवक्ता राजीव कुमार की ओर से कोर्ट को बताया कि मामले की जांच को लेकर पहले जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता वाली वन मैन कमीशन बनी थी। इसने मामले की जांच कर राज्यपाल को वर्ष 2018 में रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके आधार पर राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को एक्शन लेने का निर्देश दिया था। लेकिन वर्ष 2021 के बाद से अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है। इस पर विधानसभा की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार ने कोर्ट को बताया कि मामले में विधानसभा की ओर से जवाब दाखिल किया गया है। जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की कमीशन की रिपोर्ट पूरी तरीके से स्पेसिफिक नहीं थी। यही कारण है कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद कमीशन की रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए एक और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली कमीशन बनी है। इस कमीशन की रिपोर्ट अभी लंबित है। इसके बाद खंडपीठ ने मामले में विधानसभा एवं राज्य सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई 2 मई निर्धारित की है।
–आईएएनएस
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