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टाइप-2 मधुमेह रोगियों के लिए चीनी के साथ अब नमक भी जहर : शोध

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November 2, 2023
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टाइप-2 मधुमेह रोगियों के लिए चीनी के साथ अब नमक भी जहर : शोध
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न्यूयॉर्क, 2 नवंबर (आईएएनएस)। एक नए शोध से यह बात सामने आई है कि टाइप-2 मधुमेह के जोखिम वाले मरीजाें के लिए चीनी के साथ-साथ नमक छोडने का भी समय आ गया है।

अमेरिका में तुलाने यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह पता चला है कि भोजन में बार-बार नमक जोड़ने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

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पत्रिका ‘मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स’ में प्रकाशित अध्ययन में 400,000 से अधिक वयस्कों से उनके नमक सेवन के बारे में सर्वे किया गया। औसतन 11.8 वर्षों के फॉलो-अप में, प्रतिभागियों के बीच टाइप-2 मधुमेह के 13,000 से अधिक मामले विकसित हुए।

जो “कभी नहीं” या “शायद ही कभी” नमक का उपयोग करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो “कभी-कभी”, “आमतौर पर” या “हमेशा” नमक जोड़ते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम क्रमशः 13 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 39 प्रतिशत था।

तुलाने यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर, प्रमुख लेखक डॉ. लू क्यूई ने कहा, “हम पहले से ही जानते हैं कि नमक को सीमित करने से हृदय संबंधी बीमारियों और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो सकता है, लेकिन यह अध्ययन पहली बार दिखाता है कि टेबल से साल्टशेकर हटाने से टाइप -2 मधुमेह को रोकने में भी मदद मिल सकती है।”

यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि उच्च नमक का सेवन टाइप 2 मधुमेह के उच्च जोखिम से क्यों जुड़ा हो सकता है। हालांकि, क्यूई का मानना है कि नमक बड़ी मात्रा में खाने से मोटापा और सूजन जैसे जोखिम कारक विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

अध्ययन में नमक के लगातार सेवन और उच्च बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) और कमर से कूल्हे के अनुपात के बीच संबंध पाया गया।

क्यूई ने कहा कि अगला कदम प्रतिभागियों द्वारा उपभोग किए जाने वाले नमक की मात्रा को नियंत्रित करने और प्रभावों को देखने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण करना है।

क्यूई ने कहा कि अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने के लिए कम सोडियम वाले तरीकों की खोज शुरू करना कभी भी जल्दी नहीं है। क्यूई ने कहा, “यह बदलाव करना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसका आपके स्वास्थ्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ सकता है।”

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

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न्यूयॉर्क, 2 नवंबर (आईएएनएस)। एक नए शोध से यह बात सामने आई है कि टाइप-2 मधुमेह के जोखिम वाले मरीजाें के लिए चीनी के साथ-साथ नमक छोडने का भी समय आ गया है।

अमेरिका में तुलाने यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह पता चला है कि भोजन में बार-बार नमक जोड़ने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

पत्रिका ‘मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स’ में प्रकाशित अध्ययन में 400,000 से अधिक वयस्कों से उनके नमक सेवन के बारे में सर्वे किया गया। औसतन 11.8 वर्षों के फॉलो-अप में, प्रतिभागियों के बीच टाइप-2 मधुमेह के 13,000 से अधिक मामले विकसित हुए।

जो “कभी नहीं” या “शायद ही कभी” नमक का उपयोग करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो “कभी-कभी”, “आमतौर पर” या “हमेशा” नमक जोड़ते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम क्रमशः 13 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 39 प्रतिशत था।

तुलाने यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर, प्रमुख लेखक डॉ. लू क्यूई ने कहा, “हम पहले से ही जानते हैं कि नमक को सीमित करने से हृदय संबंधी बीमारियों और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो सकता है, लेकिन यह अध्ययन पहली बार दिखाता है कि टेबल से साल्टशेकर हटाने से टाइप -2 मधुमेह को रोकने में भी मदद मिल सकती है।”

यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि उच्च नमक का सेवन टाइप 2 मधुमेह के उच्च जोखिम से क्यों जुड़ा हो सकता है। हालांकि, क्यूई का मानना है कि नमक बड़ी मात्रा में खाने से मोटापा और सूजन जैसे जोखिम कारक विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

अध्ययन में नमक के लगातार सेवन और उच्च बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) और कमर से कूल्हे के अनुपात के बीच संबंध पाया गया।

क्यूई ने कहा कि अगला कदम प्रतिभागियों द्वारा उपभोग किए जाने वाले नमक की मात्रा को नियंत्रित करने और प्रभावों को देखने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण करना है।

क्यूई ने कहा कि अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने के लिए कम सोडियम वाले तरीकों की खोज शुरू करना कभी भी जल्दी नहीं है। क्यूई ने कहा, “यह बदलाव करना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसका आपके स्वास्थ्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ सकता है।”

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

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न्यूयॉर्क, 2 नवंबर (आईएएनएस)। एक नए शोध से यह बात सामने आई है कि टाइप-2 मधुमेह के जोखिम वाले मरीजाें के लिए चीनी के साथ-साथ नमक छोडने का भी समय आ गया है।

अमेरिका में तुलाने यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह पता चला है कि भोजन में बार-बार नमक जोड़ने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

पत्रिका ‘मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स’ में प्रकाशित अध्ययन में 400,000 से अधिक वयस्कों से उनके नमक सेवन के बारे में सर्वे किया गया। औसतन 11.8 वर्षों के फॉलो-अप में, प्रतिभागियों के बीच टाइप-2 मधुमेह के 13,000 से अधिक मामले विकसित हुए।

जो “कभी नहीं” या “शायद ही कभी” नमक का उपयोग करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो “कभी-कभी”, “आमतौर पर” या “हमेशा” नमक जोड़ते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम क्रमशः 13 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 39 प्रतिशत था।

तुलाने यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर, प्रमुख लेखक डॉ. लू क्यूई ने कहा, “हम पहले से ही जानते हैं कि नमक को सीमित करने से हृदय संबंधी बीमारियों और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो सकता है, लेकिन यह अध्ययन पहली बार दिखाता है कि टेबल से साल्टशेकर हटाने से टाइप -2 मधुमेह को रोकने में भी मदद मिल सकती है।”

यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि उच्च नमक का सेवन टाइप 2 मधुमेह के उच्च जोखिम से क्यों जुड़ा हो सकता है। हालांकि, क्यूई का मानना है कि नमक बड़ी मात्रा में खाने से मोटापा और सूजन जैसे जोखिम कारक विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

अध्ययन में नमक के लगातार सेवन और उच्च बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) और कमर से कूल्हे के अनुपात के बीच संबंध पाया गया।

क्यूई ने कहा कि अगला कदम प्रतिभागियों द्वारा उपभोग किए जाने वाले नमक की मात्रा को नियंत्रित करने और प्रभावों को देखने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण करना है।

क्यूई ने कहा कि अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने के लिए कम सोडियम वाले तरीकों की खोज शुरू करना कभी भी जल्दी नहीं है। क्यूई ने कहा, “यह बदलाव करना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसका आपके स्वास्थ्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ सकता है।”

–आईएएनएस

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न्यूयॉर्क, 2 नवंबर (आईएएनएस)। एक नए शोध से यह बात सामने आई है कि टाइप-2 मधुमेह के जोखिम वाले मरीजाें के लिए चीनी के साथ-साथ नमक छोडने का भी समय आ गया है।

अमेरिका में तुलाने यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह पता चला है कि भोजन में बार-बार नमक जोड़ने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

पत्रिका ‘मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स’ में प्रकाशित अध्ययन में 400,000 से अधिक वयस्कों से उनके नमक सेवन के बारे में सर्वे किया गया। औसतन 11.8 वर्षों के फॉलो-अप में, प्रतिभागियों के बीच टाइप-2 मधुमेह के 13,000 से अधिक मामले विकसित हुए।

जो “कभी नहीं” या “शायद ही कभी” नमक का उपयोग करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो “कभी-कभी”, “आमतौर पर” या “हमेशा” नमक जोड़ते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम क्रमशः 13 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 39 प्रतिशत था।

तुलाने यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर, प्रमुख लेखक डॉ. लू क्यूई ने कहा, “हम पहले से ही जानते हैं कि नमक को सीमित करने से हृदय संबंधी बीमारियों और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो सकता है, लेकिन यह अध्ययन पहली बार दिखाता है कि टेबल से साल्टशेकर हटाने से टाइप -2 मधुमेह को रोकने में भी मदद मिल सकती है।”

यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि उच्च नमक का सेवन टाइप 2 मधुमेह के उच्च जोखिम से क्यों जुड़ा हो सकता है। हालांकि, क्यूई का मानना है कि नमक बड़ी मात्रा में खाने से मोटापा और सूजन जैसे जोखिम कारक विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

अध्ययन में नमक के लगातार सेवन और उच्च बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) और कमर से कूल्हे के अनुपात के बीच संबंध पाया गया।

क्यूई ने कहा कि अगला कदम प्रतिभागियों द्वारा उपभोग किए जाने वाले नमक की मात्रा को नियंत्रित करने और प्रभावों को देखने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण करना है।

क्यूई ने कहा कि अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने के लिए कम सोडियम वाले तरीकों की खोज शुरू करना कभी भी जल्दी नहीं है। क्यूई ने कहा, “यह बदलाव करना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसका आपके स्वास्थ्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ सकता है।”

–आईएएनएस

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न्यूयॉर्क, 2 नवंबर (आईएएनएस)। एक नए शोध से यह बात सामने आई है कि टाइप-2 मधुमेह के जोखिम वाले मरीजाें के लिए चीनी के साथ-साथ नमक छोडने का भी समय आ गया है।

अमेरिका में तुलाने यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह पता चला है कि भोजन में बार-बार नमक जोड़ने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

पत्रिका ‘मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स’ में प्रकाशित अध्ययन में 400,000 से अधिक वयस्कों से उनके नमक सेवन के बारे में सर्वे किया गया। औसतन 11.8 वर्षों के फॉलो-अप में, प्रतिभागियों के बीच टाइप-2 मधुमेह के 13,000 से अधिक मामले विकसित हुए।

जो “कभी नहीं” या “शायद ही कभी” नमक का उपयोग करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो “कभी-कभी”, “आमतौर पर” या “हमेशा” नमक जोड़ते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम क्रमशः 13 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 39 प्रतिशत था।

तुलाने यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर, प्रमुख लेखक डॉ. लू क्यूई ने कहा, “हम पहले से ही जानते हैं कि नमक को सीमित करने से हृदय संबंधी बीमारियों और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो सकता है, लेकिन यह अध्ययन पहली बार दिखाता है कि टेबल से साल्टशेकर हटाने से टाइप -2 मधुमेह को रोकने में भी मदद मिल सकती है।”

यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि उच्च नमक का सेवन टाइप 2 मधुमेह के उच्च जोखिम से क्यों जुड़ा हो सकता है। हालांकि, क्यूई का मानना है कि नमक बड़ी मात्रा में खाने से मोटापा और सूजन जैसे जोखिम कारक विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

अध्ययन में नमक के लगातार सेवन और उच्च बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) और कमर से कूल्हे के अनुपात के बीच संबंध पाया गया।

क्यूई ने कहा कि अगला कदम प्रतिभागियों द्वारा उपभोग किए जाने वाले नमक की मात्रा को नियंत्रित करने और प्रभावों को देखने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण करना है।

क्यूई ने कहा कि अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने के लिए कम सोडियम वाले तरीकों की खोज शुरू करना कभी भी जल्दी नहीं है। क्यूई ने कहा, “यह बदलाव करना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसका आपके स्वास्थ्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ सकता है।”

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अमेरिका में तुलाने यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह पता चला है कि भोजन में बार-बार नमक जोड़ने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

पत्रिका ‘मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स’ में प्रकाशित अध्ययन में 400,000 से अधिक वयस्कों से उनके नमक सेवन के बारे में सर्वे किया गया। औसतन 11.8 वर्षों के फॉलो-अप में, प्रतिभागियों के बीच टाइप-2 मधुमेह के 13,000 से अधिक मामले विकसित हुए।

जो “कभी नहीं” या “शायद ही कभी” नमक का उपयोग करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो “कभी-कभी”, “आमतौर पर” या “हमेशा” नमक जोड़ते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम क्रमशः 13 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 39 प्रतिशत था।

तुलाने यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर, प्रमुख लेखक डॉ. लू क्यूई ने कहा, “हम पहले से ही जानते हैं कि नमक को सीमित करने से हृदय संबंधी बीमारियों और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो सकता है, लेकिन यह अध्ययन पहली बार दिखाता है कि टेबल से साल्टशेकर हटाने से टाइप -2 मधुमेह को रोकने में भी मदद मिल सकती है।”

यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि उच्च नमक का सेवन टाइप 2 मधुमेह के उच्च जोखिम से क्यों जुड़ा हो सकता है। हालांकि, क्यूई का मानना है कि नमक बड़ी मात्रा में खाने से मोटापा और सूजन जैसे जोखिम कारक विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

अध्ययन में नमक के लगातार सेवन और उच्च बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) और कमर से कूल्हे के अनुपात के बीच संबंध पाया गया।

क्यूई ने कहा कि अगला कदम प्रतिभागियों द्वारा उपभोग किए जाने वाले नमक की मात्रा को नियंत्रित करने और प्रभावों को देखने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण करना है।

क्यूई ने कहा कि अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने के लिए कम सोडियम वाले तरीकों की खोज शुरू करना कभी भी जल्दी नहीं है। क्यूई ने कहा, “यह बदलाव करना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसका आपके स्वास्थ्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ सकता है।”

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न्यूयॉर्क, 2 नवंबर (आईएएनएस)। एक नए शोध से यह बात सामने आई है कि टाइप-2 मधुमेह के जोखिम वाले मरीजाें के लिए चीनी के साथ-साथ नमक छोडने का भी समय आ गया है।

अमेरिका में तुलाने यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह पता चला है कि भोजन में बार-बार नमक जोड़ने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

पत्रिका ‘मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स’ में प्रकाशित अध्ययन में 400,000 से अधिक वयस्कों से उनके नमक सेवन के बारे में सर्वे किया गया। औसतन 11.8 वर्षों के फॉलो-अप में, प्रतिभागियों के बीच टाइप-2 मधुमेह के 13,000 से अधिक मामले विकसित हुए।

जो “कभी नहीं” या “शायद ही कभी” नमक का उपयोग करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो “कभी-कभी”, “आमतौर पर” या “हमेशा” नमक जोड़ते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम क्रमशः 13 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 39 प्रतिशत था।

तुलाने यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर, प्रमुख लेखक डॉ. लू क्यूई ने कहा, “हम पहले से ही जानते हैं कि नमक को सीमित करने से हृदय संबंधी बीमारियों और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो सकता है, लेकिन यह अध्ययन पहली बार दिखाता है कि टेबल से साल्टशेकर हटाने से टाइप -2 मधुमेह को रोकने में भी मदद मिल सकती है।”

यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि उच्च नमक का सेवन टाइप 2 मधुमेह के उच्च जोखिम से क्यों जुड़ा हो सकता है। हालांकि, क्यूई का मानना है कि नमक बड़ी मात्रा में खाने से मोटापा और सूजन जैसे जोखिम कारक विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

अध्ययन में नमक के लगातार सेवन और उच्च बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) और कमर से कूल्हे के अनुपात के बीच संबंध पाया गया।

क्यूई ने कहा कि अगला कदम प्रतिभागियों द्वारा उपभोग किए जाने वाले नमक की मात्रा को नियंत्रित करने और प्रभावों को देखने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण करना है।

क्यूई ने कहा कि अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने के लिए कम सोडियम वाले तरीकों की खोज शुरू करना कभी भी जल्दी नहीं है। क्यूई ने कहा, “यह बदलाव करना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसका आपके स्वास्थ्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ सकता है।”

–आईएएनएस

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अमेरिका में तुलाने यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह पता चला है कि भोजन में बार-बार नमक जोड़ने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

पत्रिका ‘मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स’ में प्रकाशित अध्ययन में 400,000 से अधिक वयस्कों से उनके नमक सेवन के बारे में सर्वे किया गया। औसतन 11.8 वर्षों के फॉलो-अप में, प्रतिभागियों के बीच टाइप-2 मधुमेह के 13,000 से अधिक मामले विकसित हुए।

जो “कभी नहीं” या “शायद ही कभी” नमक का उपयोग करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो “कभी-कभी”, “आमतौर पर” या “हमेशा” नमक जोड़ते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम क्रमशः 13 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 39 प्रतिशत था।

तुलाने यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर, प्रमुख लेखक डॉ. लू क्यूई ने कहा, “हम पहले से ही जानते हैं कि नमक को सीमित करने से हृदय संबंधी बीमारियों और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो सकता है, लेकिन यह अध्ययन पहली बार दिखाता है कि टेबल से साल्टशेकर हटाने से टाइप -2 मधुमेह को रोकने में भी मदद मिल सकती है।”

यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि उच्च नमक का सेवन टाइप 2 मधुमेह के उच्च जोखिम से क्यों जुड़ा हो सकता है। हालांकि, क्यूई का मानना है कि नमक बड़ी मात्रा में खाने से मोटापा और सूजन जैसे जोखिम कारक विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

अध्ययन में नमक के लगातार सेवन और उच्च बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) और कमर से कूल्हे के अनुपात के बीच संबंध पाया गया।

क्यूई ने कहा कि अगला कदम प्रतिभागियों द्वारा उपभोग किए जाने वाले नमक की मात्रा को नियंत्रित करने और प्रभावों को देखने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण करना है।

क्यूई ने कहा कि अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने के लिए कम सोडियम वाले तरीकों की खोज शुरू करना कभी भी जल्दी नहीं है। क्यूई ने कहा, “यह बदलाव करना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसका आपके स्वास्थ्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ सकता है।”

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न्यूयॉर्क, 2 नवंबर (आईएएनएस)। एक नए शोध से यह बात सामने आई है कि टाइप-2 मधुमेह के जोखिम वाले मरीजाें के लिए चीनी के साथ-साथ नमक छोडने का भी समय आ गया है।

अमेरिका में तुलाने यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह पता चला है कि भोजन में बार-बार नमक जोड़ने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

पत्रिका ‘मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स’ में प्रकाशित अध्ययन में 400,000 से अधिक वयस्कों से उनके नमक सेवन के बारे में सर्वे किया गया। औसतन 11.8 वर्षों के फॉलो-अप में, प्रतिभागियों के बीच टाइप-2 मधुमेह के 13,000 से अधिक मामले विकसित हुए।

जो “कभी नहीं” या “शायद ही कभी” नमक का उपयोग करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो “कभी-कभी”, “आमतौर पर” या “हमेशा” नमक जोड़ते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम क्रमशः 13 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 39 प्रतिशत था।

तुलाने यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर, प्रमुख लेखक डॉ. लू क्यूई ने कहा, “हम पहले से ही जानते हैं कि नमक को सीमित करने से हृदय संबंधी बीमारियों और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो सकता है, लेकिन यह अध्ययन पहली बार दिखाता है कि टेबल से साल्टशेकर हटाने से टाइप -2 मधुमेह को रोकने में भी मदद मिल सकती है।”

यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि उच्च नमक का सेवन टाइप 2 मधुमेह के उच्च जोखिम से क्यों जुड़ा हो सकता है। हालांकि, क्यूई का मानना है कि नमक बड़ी मात्रा में खाने से मोटापा और सूजन जैसे जोखिम कारक विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

अध्ययन में नमक के लगातार सेवन और उच्च बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) और कमर से कूल्हे के अनुपात के बीच संबंध पाया गया।

क्यूई ने कहा कि अगला कदम प्रतिभागियों द्वारा उपभोग किए जाने वाले नमक की मात्रा को नियंत्रित करने और प्रभावों को देखने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण करना है।

क्यूई ने कहा कि अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने के लिए कम सोडियम वाले तरीकों की खोज शुरू करना कभी भी जल्दी नहीं है। क्यूई ने कहा, “यह बदलाव करना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसका आपके स्वास्थ्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ सकता है।”

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अमेरिका में तुलाने यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह पता चला है कि भोजन में बार-बार नमक जोड़ने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

पत्रिका ‘मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स’ में प्रकाशित अध्ययन में 400,000 से अधिक वयस्कों से उनके नमक सेवन के बारे में सर्वे किया गया। औसतन 11.8 वर्षों के फॉलो-अप में, प्रतिभागियों के बीच टाइप-2 मधुमेह के 13,000 से अधिक मामले विकसित हुए।

जो “कभी नहीं” या “शायद ही कभी” नमक का उपयोग करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो “कभी-कभी”, “आमतौर पर” या “हमेशा” नमक जोड़ते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम क्रमशः 13 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 39 प्रतिशत था।

तुलाने यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर, प्रमुख लेखक डॉ. लू क्यूई ने कहा, “हम पहले से ही जानते हैं कि नमक को सीमित करने से हृदय संबंधी बीमारियों और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो सकता है, लेकिन यह अध्ययन पहली बार दिखाता है कि टेबल से साल्टशेकर हटाने से टाइप -2 मधुमेह को रोकने में भी मदद मिल सकती है।”

यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि उच्च नमक का सेवन टाइप 2 मधुमेह के उच्च जोखिम से क्यों जुड़ा हो सकता है। हालांकि, क्यूई का मानना है कि नमक बड़ी मात्रा में खाने से मोटापा और सूजन जैसे जोखिम कारक विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

अध्ययन में नमक के लगातार सेवन और उच्च बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) और कमर से कूल्हे के अनुपात के बीच संबंध पाया गया।

क्यूई ने कहा कि अगला कदम प्रतिभागियों द्वारा उपभोग किए जाने वाले नमक की मात्रा को नियंत्रित करने और प्रभावों को देखने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण करना है।

क्यूई ने कहा कि अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने के लिए कम सोडियम वाले तरीकों की खोज शुरू करना कभी भी जल्दी नहीं है। क्यूई ने कहा, “यह बदलाव करना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसका आपके स्वास्थ्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ सकता है।”

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एमकेएस/एसकेपी

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न्यूयॉर्क, 2 नवंबर (आईएएनएस)। एक नए शोध से यह बात सामने आई है कि टाइप-2 मधुमेह के जोखिम वाले मरीजाें के लिए चीनी के साथ-साथ नमक छोडने का भी समय आ गया है।

अमेरिका में तुलाने यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह पता चला है कि भोजन में बार-बार नमक जोड़ने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

पत्रिका ‘मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स’ में प्रकाशित अध्ययन में 400,000 से अधिक वयस्कों से उनके नमक सेवन के बारे में सर्वे किया गया। औसतन 11.8 वर्षों के फॉलो-अप में, प्रतिभागियों के बीच टाइप-2 मधुमेह के 13,000 से अधिक मामले विकसित हुए।

जो “कभी नहीं” या “शायद ही कभी” नमक का उपयोग करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो “कभी-कभी”, “आमतौर पर” या “हमेशा” नमक जोड़ते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम क्रमशः 13 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 39 प्रतिशत था।

तुलाने यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर, प्रमुख लेखक डॉ. लू क्यूई ने कहा, “हम पहले से ही जानते हैं कि नमक को सीमित करने से हृदय संबंधी बीमारियों और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो सकता है, लेकिन यह अध्ययन पहली बार दिखाता है कि टेबल से साल्टशेकर हटाने से टाइप -2 मधुमेह को रोकने में भी मदद मिल सकती है।”

यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि उच्च नमक का सेवन टाइप 2 मधुमेह के उच्च जोखिम से क्यों जुड़ा हो सकता है। हालांकि, क्यूई का मानना है कि नमक बड़ी मात्रा में खाने से मोटापा और सूजन जैसे जोखिम कारक विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

अध्ययन में नमक के लगातार सेवन और उच्च बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) और कमर से कूल्हे के अनुपात के बीच संबंध पाया गया।

क्यूई ने कहा कि अगला कदम प्रतिभागियों द्वारा उपभोग किए जाने वाले नमक की मात्रा को नियंत्रित करने और प्रभावों को देखने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण करना है।

क्यूई ने कहा कि अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने के लिए कम सोडियम वाले तरीकों की खोज शुरू करना कभी भी जल्दी नहीं है। क्यूई ने कहा, “यह बदलाव करना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसका आपके स्वास्थ्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ सकता है।”

–आईएएनएस

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अमेरिका में तुलाने यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह पता चला है कि भोजन में बार-बार नमक जोड़ने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

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जो “कभी नहीं” या “शायद ही कभी” नमक का उपयोग करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो “कभी-कभी”, “आमतौर पर” या “हमेशा” नमक जोड़ते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम क्रमशः 13 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 39 प्रतिशत था।

तुलाने यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर, प्रमुख लेखक डॉ. लू क्यूई ने कहा, “हम पहले से ही जानते हैं कि नमक को सीमित करने से हृदय संबंधी बीमारियों और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो सकता है, लेकिन यह अध्ययन पहली बार दिखाता है कि टेबल से साल्टशेकर हटाने से टाइप -2 मधुमेह को रोकने में भी मदद मिल सकती है।”

यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि उच्च नमक का सेवन टाइप 2 मधुमेह के उच्च जोखिम से क्यों जुड़ा हो सकता है। हालांकि, क्यूई का मानना है कि नमक बड़ी मात्रा में खाने से मोटापा और सूजन जैसे जोखिम कारक विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

अध्ययन में नमक के लगातार सेवन और उच्च बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) और कमर से कूल्हे के अनुपात के बीच संबंध पाया गया।

क्यूई ने कहा कि अगला कदम प्रतिभागियों द्वारा उपभोग किए जाने वाले नमक की मात्रा को नियंत्रित करने और प्रभावों को देखने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण करना है।

क्यूई ने कहा कि अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने के लिए कम सोडियम वाले तरीकों की खोज शुरू करना कभी भी जल्दी नहीं है। क्यूई ने कहा, “यह बदलाव करना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसका आपके स्वास्थ्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ सकता है।”

–आईएएनएस

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न्यूयॉर्क, 2 नवंबर (आईएएनएस)। एक नए शोध से यह बात सामने आई है कि टाइप-2 मधुमेह के जोखिम वाले मरीजाें के लिए चीनी के साथ-साथ नमक छोडने का भी समय आ गया है।

अमेरिका में तुलाने यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह पता चला है कि भोजन में बार-बार नमक जोड़ने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

पत्रिका ‘मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स’ में प्रकाशित अध्ययन में 400,000 से अधिक वयस्कों से उनके नमक सेवन के बारे में सर्वे किया गया। औसतन 11.8 वर्षों के फॉलो-अप में, प्रतिभागियों के बीच टाइप-2 मधुमेह के 13,000 से अधिक मामले विकसित हुए।

जो “कभी नहीं” या “शायद ही कभी” नमक का उपयोग करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो “कभी-कभी”, “आमतौर पर” या “हमेशा” नमक जोड़ते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम क्रमशः 13 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 39 प्रतिशत था।

तुलाने यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर, प्रमुख लेखक डॉ. लू क्यूई ने कहा, “हम पहले से ही जानते हैं कि नमक को सीमित करने से हृदय संबंधी बीमारियों और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो सकता है, लेकिन यह अध्ययन पहली बार दिखाता है कि टेबल से साल्टशेकर हटाने से टाइप -2 मधुमेह को रोकने में भी मदद मिल सकती है।”

यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि उच्च नमक का सेवन टाइप 2 मधुमेह के उच्च जोखिम से क्यों जुड़ा हो सकता है। हालांकि, क्यूई का मानना है कि नमक बड़ी मात्रा में खाने से मोटापा और सूजन जैसे जोखिम कारक विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

अध्ययन में नमक के लगातार सेवन और उच्च बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) और कमर से कूल्हे के अनुपात के बीच संबंध पाया गया।

क्यूई ने कहा कि अगला कदम प्रतिभागियों द्वारा उपभोग किए जाने वाले नमक की मात्रा को नियंत्रित करने और प्रभावों को देखने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण करना है।

क्यूई ने कहा कि अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने के लिए कम सोडियम वाले तरीकों की खोज शुरू करना कभी भी जल्दी नहीं है। क्यूई ने कहा, “यह बदलाव करना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसका आपके स्वास्थ्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ सकता है।”

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अमेरिका में तुलाने यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह पता चला है कि भोजन में बार-बार नमक जोड़ने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

पत्रिका ‘मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स’ में प्रकाशित अध्ययन में 400,000 से अधिक वयस्कों से उनके नमक सेवन के बारे में सर्वे किया गया। औसतन 11.8 वर्षों के फॉलो-अप में, प्रतिभागियों के बीच टाइप-2 मधुमेह के 13,000 से अधिक मामले विकसित हुए।

जो “कभी नहीं” या “शायद ही कभी” नमक का उपयोग करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो “कभी-कभी”, “आमतौर पर” या “हमेशा” नमक जोड़ते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम क्रमशः 13 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 39 प्रतिशत था।

तुलाने यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर, प्रमुख लेखक डॉ. लू क्यूई ने कहा, “हम पहले से ही जानते हैं कि नमक को सीमित करने से हृदय संबंधी बीमारियों और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो सकता है, लेकिन यह अध्ययन पहली बार दिखाता है कि टेबल से साल्टशेकर हटाने से टाइप -2 मधुमेह को रोकने में भी मदद मिल सकती है।”

यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि उच्च नमक का सेवन टाइप 2 मधुमेह के उच्च जोखिम से क्यों जुड़ा हो सकता है। हालांकि, क्यूई का मानना है कि नमक बड़ी मात्रा में खाने से मोटापा और सूजन जैसे जोखिम कारक विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

अध्ययन में नमक के लगातार सेवन और उच्च बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) और कमर से कूल्हे के अनुपात के बीच संबंध पाया गया।

क्यूई ने कहा कि अगला कदम प्रतिभागियों द्वारा उपभोग किए जाने वाले नमक की मात्रा को नियंत्रित करने और प्रभावों को देखने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण करना है।

क्यूई ने कहा कि अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने के लिए कम सोडियम वाले तरीकों की खोज शुरू करना कभी भी जल्दी नहीं है। क्यूई ने कहा, “यह बदलाव करना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसका आपके स्वास्थ्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ सकता है।”

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अमेरिका में तुलाने यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह पता चला है कि भोजन में बार-बार नमक जोड़ने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

पत्रिका ‘मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स’ में प्रकाशित अध्ययन में 400,000 से अधिक वयस्कों से उनके नमक सेवन के बारे में सर्वे किया गया। औसतन 11.8 वर्षों के फॉलो-अप में, प्रतिभागियों के बीच टाइप-2 मधुमेह के 13,000 से अधिक मामले विकसित हुए।

जो “कभी नहीं” या “शायद ही कभी” नमक का उपयोग करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो “कभी-कभी”, “आमतौर पर” या “हमेशा” नमक जोड़ते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम क्रमशः 13 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 39 प्रतिशत था।

तुलाने यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर, प्रमुख लेखक डॉ. लू क्यूई ने कहा, “हम पहले से ही जानते हैं कि नमक को सीमित करने से हृदय संबंधी बीमारियों और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो सकता है, लेकिन यह अध्ययन पहली बार दिखाता है कि टेबल से साल्टशेकर हटाने से टाइप -2 मधुमेह को रोकने में भी मदद मिल सकती है।”

यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि उच्च नमक का सेवन टाइप 2 मधुमेह के उच्च जोखिम से क्यों जुड़ा हो सकता है। हालांकि, क्यूई का मानना है कि नमक बड़ी मात्रा में खाने से मोटापा और सूजन जैसे जोखिम कारक विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

अध्ययन में नमक के लगातार सेवन और उच्च बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) और कमर से कूल्हे के अनुपात के बीच संबंध पाया गया।

क्यूई ने कहा कि अगला कदम प्रतिभागियों द्वारा उपभोग किए जाने वाले नमक की मात्रा को नियंत्रित करने और प्रभावों को देखने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण करना है।

क्यूई ने कहा कि अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने के लिए कम सोडियम वाले तरीकों की खोज शुरू करना कभी भी जल्दी नहीं है। क्यूई ने कहा, “यह बदलाव करना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसका आपके स्वास्थ्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ सकता है।”

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अमेरिका में तुलाने यूनिवर्सिटी के अध्ययन से यह पता चला है कि भोजन में बार-बार नमक जोड़ने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

पत्रिका ‘मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स’ में प्रकाशित अध्ययन में 400,000 से अधिक वयस्कों से उनके नमक सेवन के बारे में सर्वे किया गया। औसतन 11.8 वर्षों के फॉलो-अप में, प्रतिभागियों के बीच टाइप-2 मधुमेह के 13,000 से अधिक मामले विकसित हुए।

जो “कभी नहीं” या “शायद ही कभी” नमक का उपयोग करते हैं, उन लोगों की तुलना में जो “कभी-कभी”, “आमतौर पर” या “हमेशा” नमक जोड़ते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम क्रमशः 13 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 39 प्रतिशत था।

तुलाने यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में प्रोफेसर, प्रमुख लेखक डॉ. लू क्यूई ने कहा, “हम पहले से ही जानते हैं कि नमक को सीमित करने से हृदय संबंधी बीमारियों और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो सकता है, लेकिन यह अध्ययन पहली बार दिखाता है कि टेबल से साल्टशेकर हटाने से टाइप -2 मधुमेह को रोकने में भी मदद मिल सकती है।”

यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि उच्च नमक का सेवन टाइप 2 मधुमेह के उच्च जोखिम से क्यों जुड़ा हो सकता है। हालांकि, क्यूई का मानना है कि नमक बड़ी मात्रा में खाने से मोटापा और सूजन जैसे जोखिम कारक विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

अध्ययन में नमक के लगातार सेवन और उच्च बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) और कमर से कूल्हे के अनुपात के बीच संबंध पाया गया।

क्यूई ने कहा कि अगला कदम प्रतिभागियों द्वारा उपभोग किए जाने वाले नमक की मात्रा को नियंत्रित करने और प्रभावों को देखने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण करना है।

क्यूई ने कहा कि अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने के लिए कम सोडियम वाले तरीकों की खोज शुरू करना कभी भी जल्दी नहीं है। क्यूई ने कहा, “यह बदलाव करना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसका आपके स्वास्थ्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ सकता है।”

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