नई दिल्ली, 29 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को कश्मीरी व्यवसायी जहूर अहमद शाह वटाली की उस याचिका पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जवाब मांगा, जिसमें टेरर-फंडिंग मामले में निचली अदालत द्वारा आरोप तय करने के आदेश को चुनौती दी गई है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की खंडपीठ ने जांच एजेंसी को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई तीन मई को सूचीबद्ध कर दी।
एजेंसी ने वटाली को 2017 में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ्तार किया था।
एनआईए ने आरोप लगाया था कि लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम), जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ), जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे आतंकवादी संगठनों ने घाटी में नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमला करके पाकिस्तान के आईएसआई के समर्थन से हिंसा को अंजाम दिया।
मई 2022 में एक ट्रायल कोर्ट ने 2017 में जम्मू-कश्मीर को परेशान करने वाले कथित आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों से संबंधित एक मामले में वटाली और अन्य के खिलाफ आरोप तय किए थे।
यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत लश्कर के संस्थापक हाफिज सईद, एचएम प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन और यासीन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम सहित कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ आरोप तय किए गए थे।
इसने मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, फारूक अहमद डार, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा महराजुद्दीन कलवाल, बशीर अहमद भट, वटाली, शब्बीर अहमद शाह, मसरत आलम, अब्दुल रशीद शेख और नवल किशोर कपूर पर भी आरोप लगाए थे।
जेकेएलएफ के नेता मोहम्मद यासीन मलिक को आरोपों के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम