नई दिल्ली, 22 अप्रैल (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने ‘ट्रंप-टैरिफ’ से उत्पन्न व्यापार तनाव और अनिश्चितताओं का हवाला देते हुए इस साल के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था का विकास पूर्वानुमान 0.5 प्रतिशत घटाकर 2.8 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि, उसने उम्मीद जताई है कि तमाम बाधाओं के बावजूद भारत की जीडीपी वृद्धि दर छह प्रतिशत से ऊपर रहेगी।
आईएमएफ ने मंगलवार को वाशिंगटन में अप्रैल 2025 का विश्व आर्थिक परिदृश्य (डब्ल्यूईओ) जारी किया। इसमें कहा गया है, “जनवरी 2025 के डब्ल्यूईओ अपडेट के तुरंत बाद, अमेरिका ने प्रमुख व्यापारिक भागीदारों और महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर टैरिफ की कई घोषणाएं कीं। इस कारण से, हम उम्मीद करते हैं कि 2 अप्रैल को टैरिफ और अनिश्चितता दोनों में तेज वृद्धि से निकट भविष्य में वैश्विक विकास में महत्वपूर्ण कमी आएगी।”
उसने वैश्विक विकास दर 2025 में 2.8 प्रतिशत और 2026 में तीन प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, दोनों जनवरी अपडेट के 3.3 प्रतिशत से कम हैं।
आउटलुक में भारतीय अर्थव्यवस्था के 2025 में 6.2 प्रतिशत और 2026 में 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। ट्रंप प्रशासन द्वारा टैरिफ की घोषणाओं से पहले जनवरी 2025 में आईएमएफ ने दोनों वर्षों के लिए भारत का विकास अनुमान 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा था।
रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत के लिए 2025 में विकास का पूर्वानुमान 6.2 प्रतिशत पर अपेक्षाकृत अधिक स्थिर है, जिसे निजी खपत, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में समर्थन प्राप्त है।”
चीन के विकास अनुमान को घटाकर 2025 के लिए 4.0 प्रतिशत और अगले वर्ष के लिए 4.6 प्रतिशत कर दिया गया है। वहीं, इस साल 1.8 प्रतिशत और 2026 में 1.7 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि पूर्वानुमान के साथ अमेरिका पर अधिक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद जारी बयान में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.5 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया। यह अमेरिका के टैरिफ में वृद्धि से उत्पन्न वैश्विक “अनिश्चितताओं” के कारण केंद्रीय बैंक के फरवरी के पूर्वानुमान से 20 आधार अंक कम है।
आईएमएफ ने 2025 में वैश्विक व्यापार में महज 1.7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान जारी किया है, जो जनवरी 2025 के पूर्वानुमान से 1.5 प्रतिशत कम है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “यह पूर्वानुमान व्यापार प्रवाह को प्रभावित करने वाले टैरिफ प्रतिबंधों में वृद्धि को दर्शाता है और कुछ हद तक, चक्रीय कारकों के कम होते प्रभावों को भी दिखाता है, जिन्होंने हाल ही में माल व्यापार में वृद्धि को आधार बनाया है।”
–आईएएनएस
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