तिरुवनंतपुरम, 10 फरवरी (आईएएनएस)। माकपा की वही केरल इकाई जिसने कभी 70 और 80 के दशक में ट्रैक्टरों और कंप्यूटरों का विरोध करने वाली माकपा की केरल इकाई ने अब मशीनीकरण, कम्प्यूटरीकरण और विदेशी शिक्षण संस्थानों के लिए केरल के दरवाजे खोल रही है। पार्टी ने महसूस किया है कि जिसे वह राज्य के हितों के लिए हानिकारक मानती थी, वह वास्तव में समय की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने गुरुवार को कहा, वर्तमान परिस्थितियां पूरी तरह से अलग हैं और कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
नाम न छापने की शर्त पर एक मीडिया आलोचक ने कहा कि सीपीआई (एम) बयानबाजी पर फलती-फूलती है और वे यह महसूस करने में विफल रहते हैं कि इसने उन्हें पहले पश्चिम बंगाल में बुरी तरह से नीचा दिखाया है, जहां उन्होंने तीन दशकों से अधिक समय तक शासन किया और अब त्रिपुरा में भी।
आलोचक ने कहा, उनका सबसे बड़ा फायदा उनके अनुशासित कैडर हैं, जिनके पास मुद्दों पर अपने नेताओं का अनुसरण करने और लोगों तक संदेश पहुंचाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। किसी भी स्तर से असंतोष का कोई शब्द नहीं है। क्या यह घटना कभी भी पार्टियों की तरह हो सकती है। भोले-भाले लोगों का मानना है कि देखिए सीपीआई (एम) के पास कोई मुद्दा नहीं है, जबकि कांग्रेस में सिर्फ अराजकता है और किसी भी मुद्दे पर एकमत नहीं है, कई लोगों को लगता है कि चीजें उनके लिए अच्छी नहीं होंगी। सीपीआई (एम) इसी का फायदा उठाती है और इसे अच्छे से करती है।
छात्र के रूप में विरोध प्रदर्शनोंे में सबसे आगे रहने वाले वित्त मंत्री के.एन. बालगोपाल ने हाल ही में दो रुपये का ईंधन उपकर का समर्थन किया है।
जब उनसे इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, हम जो भी करते हैं, सिर्फ लोगों के लिए करते हैं और वे इसे अच्छी तरह जानते हैं।
इसलिए, पार्टी को लगता है कि विजयन और अन्य नेता सिर्फ लोगों के लिए एक ही मुद्दे पर अलग-अलग स्थिति रखते हैं।
–आईएएनएस
सीबीटी
तिरुवनंतपुरम, 10 फरवरी (आईएएनएस)। माकपा की वही केरल इकाई जिसने कभी 70 और 80 के दशक में ट्रैक्टरों और कंप्यूटरों का विरोध करने वाली माकपा की केरल इकाई ने अब मशीनीकरण, कम्प्यूटरीकरण और विदेशी शिक्षण संस्थानों के लिए केरल के दरवाजे खोल रही है। पार्टी ने महसूस किया है कि जिसे वह राज्य के हितों के लिए हानिकारक मानती थी, वह वास्तव में समय की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने गुरुवार को कहा, वर्तमान परिस्थितियां पूरी तरह से अलग हैं और कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
नाम न छापने की शर्त पर एक मीडिया आलोचक ने कहा कि सीपीआई (एम) बयानबाजी पर फलती-फूलती है और वे यह महसूस करने में विफल रहते हैं कि इसने उन्हें पहले पश्चिम बंगाल में बुरी तरह से नीचा दिखाया है, जहां उन्होंने तीन दशकों से अधिक समय तक शासन किया और अब त्रिपुरा में भी।
आलोचक ने कहा, उनका सबसे बड़ा फायदा उनके अनुशासित कैडर हैं, जिनके पास मुद्दों पर अपने नेताओं का अनुसरण करने और लोगों तक संदेश पहुंचाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। किसी भी स्तर से असंतोष का कोई शब्द नहीं है। क्या यह घटना कभी भी पार्टियों की तरह हो सकती है। भोले-भाले लोगों का मानना है कि देखिए सीपीआई (एम) के पास कोई मुद्दा नहीं है, जबकि कांग्रेस में सिर्फ अराजकता है और किसी भी मुद्दे पर एकमत नहीं है, कई लोगों को लगता है कि चीजें उनके लिए अच्छी नहीं होंगी। सीपीआई (एम) इसी का फायदा उठाती है और इसे अच्छे से करती है।
छात्र के रूप में विरोध प्रदर्शनोंे में सबसे आगे रहने वाले वित्त मंत्री के.एन. बालगोपाल ने हाल ही में दो रुपये का ईंधन उपकर का समर्थन किया है।
जब उनसे इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, हम जो भी करते हैं, सिर्फ लोगों के लिए करते हैं और वे इसे अच्छी तरह जानते हैं।
इसलिए, पार्टी को लगता है कि विजयन और अन्य नेता सिर्फ लोगों के लिए एक ही मुद्दे पर अलग-अलग स्थिति रखते हैं।
–आईएएनएस
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