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Home ताज़ा समाचार

डब्ल्यूएफआई-मंत्रालय विवाद के बीच विश्व कुश्ती चैंपियनशिप से हटा भारत

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October 24, 2024
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने 28 अक्टूबर से अल्बानिया के तिराना में होने वाली आगामी सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप से भारतीय टीम का नाम वापस ले लिया है।

खेल की वैश्विक नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) को भेजे गए पत्र के अनुसार, युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के साथ चल रहे विवाद के कारण यह फैसला लिया है। डब्ल्यूएफआई ने मंत्रालय पर उसके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।

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डब्ल्यूएफआई के एक करीबी सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “हम अपनी टीम नहीं भेज पाएंगे, क्योंकि पिछले साल मंत्रालय ने हमें निलंबित कर दिया था। इसके अलावा डब्ल्यूएफआई के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के कुछ मामले भी हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।”

मुख्य मुद्दा युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई पर जारी निलंबन है। यह निलंबन पहली बार 24 दिसंबर, 2023 को महासंघ में नए पदाधिकारियों के चुनाव के बाद लगाया गया था। तब से डब्ल्यूएफआई सवालों में घिरी और अधर में लटकी हुई है।

इस साल की विश्व चैंपियनशिप, जिसमें 12 गैर-ओलंपिक श्रेणियां शामिल हैं, भारतीय कुश्ती टीम के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होने की उम्मीद थी। हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब डब्ल्यूएफआई ने अंडर-23 और विश्व चैंपियनशिप के लिए चयन ट्रायल की हाल ही में की गई घोषणा को विरोध करने वाले पहलवानों ने अदालत में चुनौती दी।

बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे प्रमुख नामों सहित एथलीटों ने निलंबित डब्ल्यूएफआई द्वारा आयोजित ट्रायल की वैधता पर सवाल उठाया।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू अध्यक्ष नेनाद लालोविच को संबोधित एक औपचारिक पत्र में, डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह ने स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, एमवाईएएस डब्ल्यूएफआई की अधिकारों में हस्तक्षेप करना जारी रखता है।”

उन्होंने कहा कि महासंघ के प्रबंधन के लिए एक एडहॉक कमेटी बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को मंत्रालय के निर्देश ने और मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

फरवरी में यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद आईओए ने इस साल मार्च में अपनी एडहॉक कमेटी को भंग कर दिया था, लेकिन मंत्रालय के निलंबन आदेश ने प्रगति को बाधित करना जारी रखा है।

डब्ल्यूएफआई और एमवाईएएस के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष ने कानूनी गतिरोध को जन्म दिया है, जिसमें अदालत ने कहा है कि निलंबन हटाए जाने तक महासंघ के मामलों को एडहॉक कमेटी द्वारा प्रबंधित किया जाना चाहिए। हालांकि, आईओए ने कहा है कि वह पैनल का पुनर्गठन नहीं कर सकता।

डब्ल्यूएफआई ने अब यूडब्ल्यूडब्ल्यू से अपने नियमों के अनुच्छेद 6.3 को लागू करने का आह्वान किया है, जो राष्ट्रीय महासंघों के अधिकार को राजनीतिक और सरकारी हस्तक्षेप से बचाता है।

डब्ल्यूएफआई ने यूडब्ल्यूडब्ल्यू से उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है और आगे के हस्तक्षेप के लिए इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के समक्ष उठाया है।

–आईएएनएस

एएमजे/आरआर

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने 28 अक्टूबर से अल्बानिया के तिराना में होने वाली आगामी सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप से भारतीय टीम का नाम वापस ले लिया है।

खेल की वैश्विक नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) को भेजे गए पत्र के अनुसार, युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के साथ चल रहे विवाद के कारण यह फैसला लिया है। डब्ल्यूएफआई ने मंत्रालय पर उसके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।

डब्ल्यूएफआई के एक करीबी सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “हम अपनी टीम नहीं भेज पाएंगे, क्योंकि पिछले साल मंत्रालय ने हमें निलंबित कर दिया था। इसके अलावा डब्ल्यूएफआई के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के कुछ मामले भी हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।”

मुख्य मुद्दा युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई पर जारी निलंबन है। यह निलंबन पहली बार 24 दिसंबर, 2023 को महासंघ में नए पदाधिकारियों के चुनाव के बाद लगाया गया था। तब से डब्ल्यूएफआई सवालों में घिरी और अधर में लटकी हुई है।

इस साल की विश्व चैंपियनशिप, जिसमें 12 गैर-ओलंपिक श्रेणियां शामिल हैं, भारतीय कुश्ती टीम के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होने की उम्मीद थी। हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब डब्ल्यूएफआई ने अंडर-23 और विश्व चैंपियनशिप के लिए चयन ट्रायल की हाल ही में की गई घोषणा को विरोध करने वाले पहलवानों ने अदालत में चुनौती दी।

बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे प्रमुख नामों सहित एथलीटों ने निलंबित डब्ल्यूएफआई द्वारा आयोजित ट्रायल की वैधता पर सवाल उठाया।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू अध्यक्ष नेनाद लालोविच को संबोधित एक औपचारिक पत्र में, डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह ने स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, एमवाईएएस डब्ल्यूएफआई की अधिकारों में हस्तक्षेप करना जारी रखता है।”

उन्होंने कहा कि महासंघ के प्रबंधन के लिए एक एडहॉक कमेटी बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को मंत्रालय के निर्देश ने और मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

फरवरी में यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद आईओए ने इस साल मार्च में अपनी एडहॉक कमेटी को भंग कर दिया था, लेकिन मंत्रालय के निलंबन आदेश ने प्रगति को बाधित करना जारी रखा है।

डब्ल्यूएफआई और एमवाईएएस के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष ने कानूनी गतिरोध को जन्म दिया है, जिसमें अदालत ने कहा है कि निलंबन हटाए जाने तक महासंघ के मामलों को एडहॉक कमेटी द्वारा प्रबंधित किया जाना चाहिए। हालांकि, आईओए ने कहा है कि वह पैनल का पुनर्गठन नहीं कर सकता।

डब्ल्यूएफआई ने अब यूडब्ल्यूडब्ल्यू से अपने नियमों के अनुच्छेद 6.3 को लागू करने का आह्वान किया है, जो राष्ट्रीय महासंघों के अधिकार को राजनीतिक और सरकारी हस्तक्षेप से बचाता है।

डब्ल्यूएफआई ने यूडब्ल्यूडब्ल्यू से उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है और आगे के हस्तक्षेप के लिए इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के समक्ष उठाया है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने 28 अक्टूबर से अल्बानिया के तिराना में होने वाली आगामी सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप से भारतीय टीम का नाम वापस ले लिया है।

खेल की वैश्विक नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) को भेजे गए पत्र के अनुसार, युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के साथ चल रहे विवाद के कारण यह फैसला लिया है। डब्ल्यूएफआई ने मंत्रालय पर उसके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।

डब्ल्यूएफआई के एक करीबी सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “हम अपनी टीम नहीं भेज पाएंगे, क्योंकि पिछले साल मंत्रालय ने हमें निलंबित कर दिया था। इसके अलावा डब्ल्यूएफआई के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के कुछ मामले भी हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।”

मुख्य मुद्दा युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई पर जारी निलंबन है। यह निलंबन पहली बार 24 दिसंबर, 2023 को महासंघ में नए पदाधिकारियों के चुनाव के बाद लगाया गया था। तब से डब्ल्यूएफआई सवालों में घिरी और अधर में लटकी हुई है।

इस साल की विश्व चैंपियनशिप, जिसमें 12 गैर-ओलंपिक श्रेणियां शामिल हैं, भारतीय कुश्ती टीम के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होने की उम्मीद थी। हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब डब्ल्यूएफआई ने अंडर-23 और विश्व चैंपियनशिप के लिए चयन ट्रायल की हाल ही में की गई घोषणा को विरोध करने वाले पहलवानों ने अदालत में चुनौती दी।

बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे प्रमुख नामों सहित एथलीटों ने निलंबित डब्ल्यूएफआई द्वारा आयोजित ट्रायल की वैधता पर सवाल उठाया।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू अध्यक्ष नेनाद लालोविच को संबोधित एक औपचारिक पत्र में, डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह ने स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, एमवाईएएस डब्ल्यूएफआई की अधिकारों में हस्तक्षेप करना जारी रखता है।”

उन्होंने कहा कि महासंघ के प्रबंधन के लिए एक एडहॉक कमेटी बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को मंत्रालय के निर्देश ने और मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

फरवरी में यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद आईओए ने इस साल मार्च में अपनी एडहॉक कमेटी को भंग कर दिया था, लेकिन मंत्रालय के निलंबन आदेश ने प्रगति को बाधित करना जारी रखा है।

डब्ल्यूएफआई और एमवाईएएस के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष ने कानूनी गतिरोध को जन्म दिया है, जिसमें अदालत ने कहा है कि निलंबन हटाए जाने तक महासंघ के मामलों को एडहॉक कमेटी द्वारा प्रबंधित किया जाना चाहिए। हालांकि, आईओए ने कहा है कि वह पैनल का पुनर्गठन नहीं कर सकता।

डब्ल्यूएफआई ने अब यूडब्ल्यूडब्ल्यू से अपने नियमों के अनुच्छेद 6.3 को लागू करने का आह्वान किया है, जो राष्ट्रीय महासंघों के अधिकार को राजनीतिक और सरकारी हस्तक्षेप से बचाता है।

डब्ल्यूएफआई ने यूडब्ल्यूडब्ल्यू से उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है और आगे के हस्तक्षेप के लिए इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के समक्ष उठाया है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने 28 अक्टूबर से अल्बानिया के तिराना में होने वाली आगामी सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप से भारतीय टीम का नाम वापस ले लिया है।

खेल की वैश्विक नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) को भेजे गए पत्र के अनुसार, युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के साथ चल रहे विवाद के कारण यह फैसला लिया है। डब्ल्यूएफआई ने मंत्रालय पर उसके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।

डब्ल्यूएफआई के एक करीबी सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “हम अपनी टीम नहीं भेज पाएंगे, क्योंकि पिछले साल मंत्रालय ने हमें निलंबित कर दिया था। इसके अलावा डब्ल्यूएफआई के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के कुछ मामले भी हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।”

मुख्य मुद्दा युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई पर जारी निलंबन है। यह निलंबन पहली बार 24 दिसंबर, 2023 को महासंघ में नए पदाधिकारियों के चुनाव के बाद लगाया गया था। तब से डब्ल्यूएफआई सवालों में घिरी और अधर में लटकी हुई है।

इस साल की विश्व चैंपियनशिप, जिसमें 12 गैर-ओलंपिक श्रेणियां शामिल हैं, भारतीय कुश्ती टीम के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होने की उम्मीद थी। हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब डब्ल्यूएफआई ने अंडर-23 और विश्व चैंपियनशिप के लिए चयन ट्रायल की हाल ही में की गई घोषणा को विरोध करने वाले पहलवानों ने अदालत में चुनौती दी।

बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे प्रमुख नामों सहित एथलीटों ने निलंबित डब्ल्यूएफआई द्वारा आयोजित ट्रायल की वैधता पर सवाल उठाया।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू अध्यक्ष नेनाद लालोविच को संबोधित एक औपचारिक पत्र में, डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह ने स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, एमवाईएएस डब्ल्यूएफआई की अधिकारों में हस्तक्षेप करना जारी रखता है।”

उन्होंने कहा कि महासंघ के प्रबंधन के लिए एक एडहॉक कमेटी बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को मंत्रालय के निर्देश ने और मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

फरवरी में यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद आईओए ने इस साल मार्च में अपनी एडहॉक कमेटी को भंग कर दिया था, लेकिन मंत्रालय के निलंबन आदेश ने प्रगति को बाधित करना जारी रखा है।

डब्ल्यूएफआई और एमवाईएएस के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष ने कानूनी गतिरोध को जन्म दिया है, जिसमें अदालत ने कहा है कि निलंबन हटाए जाने तक महासंघ के मामलों को एडहॉक कमेटी द्वारा प्रबंधित किया जाना चाहिए। हालांकि, आईओए ने कहा है कि वह पैनल का पुनर्गठन नहीं कर सकता।

डब्ल्यूएफआई ने अब यूडब्ल्यूडब्ल्यू से अपने नियमों के अनुच्छेद 6.3 को लागू करने का आह्वान किया है, जो राष्ट्रीय महासंघों के अधिकार को राजनीतिक और सरकारी हस्तक्षेप से बचाता है।

डब्ल्यूएफआई ने यूडब्ल्यूडब्ल्यू से उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है और आगे के हस्तक्षेप के लिए इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के समक्ष उठाया है।

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने 28 अक्टूबर से अल्बानिया के तिराना में होने वाली आगामी सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप से भारतीय टीम का नाम वापस ले लिया है।

खेल की वैश्विक नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) को भेजे गए पत्र के अनुसार, युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के साथ चल रहे विवाद के कारण यह फैसला लिया है। डब्ल्यूएफआई ने मंत्रालय पर उसके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।

डब्ल्यूएफआई के एक करीबी सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “हम अपनी टीम नहीं भेज पाएंगे, क्योंकि पिछले साल मंत्रालय ने हमें निलंबित कर दिया था। इसके अलावा डब्ल्यूएफआई के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के कुछ मामले भी हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।”

मुख्य मुद्दा युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई पर जारी निलंबन है। यह निलंबन पहली बार 24 दिसंबर, 2023 को महासंघ में नए पदाधिकारियों के चुनाव के बाद लगाया गया था। तब से डब्ल्यूएफआई सवालों में घिरी और अधर में लटकी हुई है।

इस साल की विश्व चैंपियनशिप, जिसमें 12 गैर-ओलंपिक श्रेणियां शामिल हैं, भारतीय कुश्ती टीम के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होने की उम्मीद थी। हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब डब्ल्यूएफआई ने अंडर-23 और विश्व चैंपियनशिप के लिए चयन ट्रायल की हाल ही में की गई घोषणा को विरोध करने वाले पहलवानों ने अदालत में चुनौती दी।

बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे प्रमुख नामों सहित एथलीटों ने निलंबित डब्ल्यूएफआई द्वारा आयोजित ट्रायल की वैधता पर सवाल उठाया।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू अध्यक्ष नेनाद लालोविच को संबोधित एक औपचारिक पत्र में, डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह ने स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, एमवाईएएस डब्ल्यूएफआई की अधिकारों में हस्तक्षेप करना जारी रखता है।”

उन्होंने कहा कि महासंघ के प्रबंधन के लिए एक एडहॉक कमेटी बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को मंत्रालय के निर्देश ने और मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

फरवरी में यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद आईओए ने इस साल मार्च में अपनी एडहॉक कमेटी को भंग कर दिया था, लेकिन मंत्रालय के निलंबन आदेश ने प्रगति को बाधित करना जारी रखा है।

डब्ल्यूएफआई और एमवाईएएस के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष ने कानूनी गतिरोध को जन्म दिया है, जिसमें अदालत ने कहा है कि निलंबन हटाए जाने तक महासंघ के मामलों को एडहॉक कमेटी द्वारा प्रबंधित किया जाना चाहिए। हालांकि, आईओए ने कहा है कि वह पैनल का पुनर्गठन नहीं कर सकता।

डब्ल्यूएफआई ने अब यूडब्ल्यूडब्ल्यू से अपने नियमों के अनुच्छेद 6.3 को लागू करने का आह्वान किया है, जो राष्ट्रीय महासंघों के अधिकार को राजनीतिक और सरकारी हस्तक्षेप से बचाता है।

डब्ल्यूएफआई ने यूडब्ल्यूडब्ल्यू से उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है और आगे के हस्तक्षेप के लिए इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के समक्ष उठाया है।

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने 28 अक्टूबर से अल्बानिया के तिराना में होने वाली आगामी सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप से भारतीय टीम का नाम वापस ले लिया है।

खेल की वैश्विक नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) को भेजे गए पत्र के अनुसार, युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के साथ चल रहे विवाद के कारण यह फैसला लिया है। डब्ल्यूएफआई ने मंत्रालय पर उसके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।

डब्ल्यूएफआई के एक करीबी सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “हम अपनी टीम नहीं भेज पाएंगे, क्योंकि पिछले साल मंत्रालय ने हमें निलंबित कर दिया था। इसके अलावा डब्ल्यूएफआई के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के कुछ मामले भी हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।”

मुख्य मुद्दा युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई पर जारी निलंबन है। यह निलंबन पहली बार 24 दिसंबर, 2023 को महासंघ में नए पदाधिकारियों के चुनाव के बाद लगाया गया था। तब से डब्ल्यूएफआई सवालों में घिरी और अधर में लटकी हुई है।

इस साल की विश्व चैंपियनशिप, जिसमें 12 गैर-ओलंपिक श्रेणियां शामिल हैं, भारतीय कुश्ती टीम के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होने की उम्मीद थी। हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब डब्ल्यूएफआई ने अंडर-23 और विश्व चैंपियनशिप के लिए चयन ट्रायल की हाल ही में की गई घोषणा को विरोध करने वाले पहलवानों ने अदालत में चुनौती दी।

बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे प्रमुख नामों सहित एथलीटों ने निलंबित डब्ल्यूएफआई द्वारा आयोजित ट्रायल की वैधता पर सवाल उठाया।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू अध्यक्ष नेनाद लालोविच को संबोधित एक औपचारिक पत्र में, डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह ने स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, एमवाईएएस डब्ल्यूएफआई की अधिकारों में हस्तक्षेप करना जारी रखता है।”

उन्होंने कहा कि महासंघ के प्रबंधन के लिए एक एडहॉक कमेटी बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को मंत्रालय के निर्देश ने और मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

फरवरी में यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद आईओए ने इस साल मार्च में अपनी एडहॉक कमेटी को भंग कर दिया था, लेकिन मंत्रालय के निलंबन आदेश ने प्रगति को बाधित करना जारी रखा है।

डब्ल्यूएफआई और एमवाईएएस के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष ने कानूनी गतिरोध को जन्म दिया है, जिसमें अदालत ने कहा है कि निलंबन हटाए जाने तक महासंघ के मामलों को एडहॉक कमेटी द्वारा प्रबंधित किया जाना चाहिए। हालांकि, आईओए ने कहा है कि वह पैनल का पुनर्गठन नहीं कर सकता।

डब्ल्यूएफआई ने अब यूडब्ल्यूडब्ल्यू से अपने नियमों के अनुच्छेद 6.3 को लागू करने का आह्वान किया है, जो राष्ट्रीय महासंघों के अधिकार को राजनीतिक और सरकारी हस्तक्षेप से बचाता है।

डब्ल्यूएफआई ने यूडब्ल्यूडब्ल्यू से उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है और आगे के हस्तक्षेप के लिए इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के समक्ष उठाया है।

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खेल की वैश्विक नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) को भेजे गए पत्र के अनुसार, युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के साथ चल रहे विवाद के कारण यह फैसला लिया है। डब्ल्यूएफआई ने मंत्रालय पर उसके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।

डब्ल्यूएफआई के एक करीबी सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “हम अपनी टीम नहीं भेज पाएंगे, क्योंकि पिछले साल मंत्रालय ने हमें निलंबित कर दिया था। इसके अलावा डब्ल्यूएफआई के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के कुछ मामले भी हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।”

मुख्य मुद्दा युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई पर जारी निलंबन है। यह निलंबन पहली बार 24 दिसंबर, 2023 को महासंघ में नए पदाधिकारियों के चुनाव के बाद लगाया गया था। तब से डब्ल्यूएफआई सवालों में घिरी और अधर में लटकी हुई है।

इस साल की विश्व चैंपियनशिप, जिसमें 12 गैर-ओलंपिक श्रेणियां शामिल हैं, भारतीय कुश्ती टीम के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होने की उम्मीद थी। हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब डब्ल्यूएफआई ने अंडर-23 और विश्व चैंपियनशिप के लिए चयन ट्रायल की हाल ही में की गई घोषणा को विरोध करने वाले पहलवानों ने अदालत में चुनौती दी।

बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे प्रमुख नामों सहित एथलीटों ने निलंबित डब्ल्यूएफआई द्वारा आयोजित ट्रायल की वैधता पर सवाल उठाया।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू अध्यक्ष नेनाद लालोविच को संबोधित एक औपचारिक पत्र में, डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह ने स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, एमवाईएएस डब्ल्यूएफआई की अधिकारों में हस्तक्षेप करना जारी रखता है।”

उन्होंने कहा कि महासंघ के प्रबंधन के लिए एक एडहॉक कमेटी बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को मंत्रालय के निर्देश ने और मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

फरवरी में यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद आईओए ने इस साल मार्च में अपनी एडहॉक कमेटी को भंग कर दिया था, लेकिन मंत्रालय के निलंबन आदेश ने प्रगति को बाधित करना जारी रखा है।

डब्ल्यूएफआई और एमवाईएएस के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष ने कानूनी गतिरोध को जन्म दिया है, जिसमें अदालत ने कहा है कि निलंबन हटाए जाने तक महासंघ के मामलों को एडहॉक कमेटी द्वारा प्रबंधित किया जाना चाहिए। हालांकि, आईओए ने कहा है कि वह पैनल का पुनर्गठन नहीं कर सकता।

डब्ल्यूएफआई ने अब यूडब्ल्यूडब्ल्यू से अपने नियमों के अनुच्छेद 6.3 को लागू करने का आह्वान किया है, जो राष्ट्रीय महासंघों के अधिकार को राजनीतिक और सरकारी हस्तक्षेप से बचाता है।

डब्ल्यूएफआई ने यूडब्ल्यूडब्ल्यू से उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है और आगे के हस्तक्षेप के लिए इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के समक्ष उठाया है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने 28 अक्टूबर से अल्बानिया के तिराना में होने वाली आगामी सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप से भारतीय टीम का नाम वापस ले लिया है।

खेल की वैश्विक नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) को भेजे गए पत्र के अनुसार, युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के साथ चल रहे विवाद के कारण यह फैसला लिया है। डब्ल्यूएफआई ने मंत्रालय पर उसके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।

डब्ल्यूएफआई के एक करीबी सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “हम अपनी टीम नहीं भेज पाएंगे, क्योंकि पिछले साल मंत्रालय ने हमें निलंबित कर दिया था। इसके अलावा डब्ल्यूएफआई के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के कुछ मामले भी हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।”

मुख्य मुद्दा युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई पर जारी निलंबन है। यह निलंबन पहली बार 24 दिसंबर, 2023 को महासंघ में नए पदाधिकारियों के चुनाव के बाद लगाया गया था। तब से डब्ल्यूएफआई सवालों में घिरी और अधर में लटकी हुई है।

इस साल की विश्व चैंपियनशिप, जिसमें 12 गैर-ओलंपिक श्रेणियां शामिल हैं, भारतीय कुश्ती टीम के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होने की उम्मीद थी। हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब डब्ल्यूएफआई ने अंडर-23 और विश्व चैंपियनशिप के लिए चयन ट्रायल की हाल ही में की गई घोषणा को विरोध करने वाले पहलवानों ने अदालत में चुनौती दी।

बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे प्रमुख नामों सहित एथलीटों ने निलंबित डब्ल्यूएफआई द्वारा आयोजित ट्रायल की वैधता पर सवाल उठाया।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू अध्यक्ष नेनाद लालोविच को संबोधित एक औपचारिक पत्र में, डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह ने स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, एमवाईएएस डब्ल्यूएफआई की अधिकारों में हस्तक्षेप करना जारी रखता है।”

उन्होंने कहा कि महासंघ के प्रबंधन के लिए एक एडहॉक कमेटी बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को मंत्रालय के निर्देश ने और मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

फरवरी में यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद आईओए ने इस साल मार्च में अपनी एडहॉक कमेटी को भंग कर दिया था, लेकिन मंत्रालय के निलंबन आदेश ने प्रगति को बाधित करना जारी रखा है।

डब्ल्यूएफआई और एमवाईएएस के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष ने कानूनी गतिरोध को जन्म दिया है, जिसमें अदालत ने कहा है कि निलंबन हटाए जाने तक महासंघ के मामलों को एडहॉक कमेटी द्वारा प्रबंधित किया जाना चाहिए। हालांकि, आईओए ने कहा है कि वह पैनल का पुनर्गठन नहीं कर सकता।

डब्ल्यूएफआई ने अब यूडब्ल्यूडब्ल्यू से अपने नियमों के अनुच्छेद 6.3 को लागू करने का आह्वान किया है, जो राष्ट्रीय महासंघों के अधिकार को राजनीतिक और सरकारी हस्तक्षेप से बचाता है।

डब्ल्यूएफआई ने यूडब्ल्यूडब्ल्यू से उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है और आगे के हस्तक्षेप के लिए इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के समक्ष उठाया है।

–आईएएनएस

एएमजे/आरआर

नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने 28 अक्टूबर से अल्बानिया के तिराना में होने वाली आगामी सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप से भारतीय टीम का नाम वापस ले लिया है।

खेल की वैश्विक नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) को भेजे गए पत्र के अनुसार, युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के साथ चल रहे विवाद के कारण यह फैसला लिया है। डब्ल्यूएफआई ने मंत्रालय पर उसके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।

डब्ल्यूएफआई के एक करीबी सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “हम अपनी टीम नहीं भेज पाएंगे, क्योंकि पिछले साल मंत्रालय ने हमें निलंबित कर दिया था। इसके अलावा डब्ल्यूएफआई के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के कुछ मामले भी हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।”

मुख्य मुद्दा युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई पर जारी निलंबन है। यह निलंबन पहली बार 24 दिसंबर, 2023 को महासंघ में नए पदाधिकारियों के चुनाव के बाद लगाया गया था। तब से डब्ल्यूएफआई सवालों में घिरी और अधर में लटकी हुई है।

इस साल की विश्व चैंपियनशिप, जिसमें 12 गैर-ओलंपिक श्रेणियां शामिल हैं, भारतीय कुश्ती टीम के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होने की उम्मीद थी। हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब डब्ल्यूएफआई ने अंडर-23 और विश्व चैंपियनशिप के लिए चयन ट्रायल की हाल ही में की गई घोषणा को विरोध करने वाले पहलवानों ने अदालत में चुनौती दी।

बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे प्रमुख नामों सहित एथलीटों ने निलंबित डब्ल्यूएफआई द्वारा आयोजित ट्रायल की वैधता पर सवाल उठाया।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू अध्यक्ष नेनाद लालोविच को संबोधित एक औपचारिक पत्र में, डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह ने स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, एमवाईएएस डब्ल्यूएफआई की अधिकारों में हस्तक्षेप करना जारी रखता है।”

उन्होंने कहा कि महासंघ के प्रबंधन के लिए एक एडहॉक कमेटी बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को मंत्रालय के निर्देश ने और मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

फरवरी में यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद आईओए ने इस साल मार्च में अपनी एडहॉक कमेटी को भंग कर दिया था, लेकिन मंत्रालय के निलंबन आदेश ने प्रगति को बाधित करना जारी रखा है।

डब्ल्यूएफआई और एमवाईएएस के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष ने कानूनी गतिरोध को जन्म दिया है, जिसमें अदालत ने कहा है कि निलंबन हटाए जाने तक महासंघ के मामलों को एडहॉक कमेटी द्वारा प्रबंधित किया जाना चाहिए। हालांकि, आईओए ने कहा है कि वह पैनल का पुनर्गठन नहीं कर सकता।

डब्ल्यूएफआई ने अब यूडब्ल्यूडब्ल्यू से अपने नियमों के अनुच्छेद 6.3 को लागू करने का आह्वान किया है, जो राष्ट्रीय महासंघों के अधिकार को राजनीतिक और सरकारी हस्तक्षेप से बचाता है।

डब्ल्यूएफआई ने यूडब्ल्यूडब्ल्यू से उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है और आगे के हस्तक्षेप के लिए इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के समक्ष उठाया है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने 28 अक्टूबर से अल्बानिया के तिराना में होने वाली आगामी सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप से भारतीय टीम का नाम वापस ले लिया है।

खेल की वैश्विक नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) को भेजे गए पत्र के अनुसार, युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के साथ चल रहे विवाद के कारण यह फैसला लिया है। डब्ल्यूएफआई ने मंत्रालय पर उसके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।

डब्ल्यूएफआई के एक करीबी सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “हम अपनी टीम नहीं भेज पाएंगे, क्योंकि पिछले साल मंत्रालय ने हमें निलंबित कर दिया था। इसके अलावा डब्ल्यूएफआई के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के कुछ मामले भी हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।”

मुख्य मुद्दा युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई पर जारी निलंबन है। यह निलंबन पहली बार 24 दिसंबर, 2023 को महासंघ में नए पदाधिकारियों के चुनाव के बाद लगाया गया था। तब से डब्ल्यूएफआई सवालों में घिरी और अधर में लटकी हुई है।

इस साल की विश्व चैंपियनशिप, जिसमें 12 गैर-ओलंपिक श्रेणियां शामिल हैं, भारतीय कुश्ती टीम के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होने की उम्मीद थी। हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब डब्ल्यूएफआई ने अंडर-23 और विश्व चैंपियनशिप के लिए चयन ट्रायल की हाल ही में की गई घोषणा को विरोध करने वाले पहलवानों ने अदालत में चुनौती दी।

बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे प्रमुख नामों सहित एथलीटों ने निलंबित डब्ल्यूएफआई द्वारा आयोजित ट्रायल की वैधता पर सवाल उठाया।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू अध्यक्ष नेनाद लालोविच को संबोधित एक औपचारिक पत्र में, डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह ने स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, एमवाईएएस डब्ल्यूएफआई की अधिकारों में हस्तक्षेप करना जारी रखता है।”

उन्होंने कहा कि महासंघ के प्रबंधन के लिए एक एडहॉक कमेटी बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को मंत्रालय के निर्देश ने और मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

फरवरी में यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद आईओए ने इस साल मार्च में अपनी एडहॉक कमेटी को भंग कर दिया था, लेकिन मंत्रालय के निलंबन आदेश ने प्रगति को बाधित करना जारी रखा है।

डब्ल्यूएफआई और एमवाईएएस के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष ने कानूनी गतिरोध को जन्म दिया है, जिसमें अदालत ने कहा है कि निलंबन हटाए जाने तक महासंघ के मामलों को एडहॉक कमेटी द्वारा प्रबंधित किया जाना चाहिए। हालांकि, आईओए ने कहा है कि वह पैनल का पुनर्गठन नहीं कर सकता।

डब्ल्यूएफआई ने अब यूडब्ल्यूडब्ल्यू से अपने नियमों के अनुच्छेद 6.3 को लागू करने का आह्वान किया है, जो राष्ट्रीय महासंघों के अधिकार को राजनीतिक और सरकारी हस्तक्षेप से बचाता है।

डब्ल्यूएफआई ने यूडब्ल्यूडब्ल्यू से उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है और आगे के हस्तक्षेप के लिए इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के समक्ष उठाया है।

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने 28 अक्टूबर से अल्बानिया के तिराना में होने वाली आगामी सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप से भारतीय टीम का नाम वापस ले लिया है।

खेल की वैश्विक नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) को भेजे गए पत्र के अनुसार, युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के साथ चल रहे विवाद के कारण यह फैसला लिया है। डब्ल्यूएफआई ने मंत्रालय पर उसके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।

डब्ल्यूएफआई के एक करीबी सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “हम अपनी टीम नहीं भेज पाएंगे, क्योंकि पिछले साल मंत्रालय ने हमें निलंबित कर दिया था। इसके अलावा डब्ल्यूएफआई के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के कुछ मामले भी हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।”

मुख्य मुद्दा युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई पर जारी निलंबन है। यह निलंबन पहली बार 24 दिसंबर, 2023 को महासंघ में नए पदाधिकारियों के चुनाव के बाद लगाया गया था। तब से डब्ल्यूएफआई सवालों में घिरी और अधर में लटकी हुई है।

इस साल की विश्व चैंपियनशिप, जिसमें 12 गैर-ओलंपिक श्रेणियां शामिल हैं, भारतीय कुश्ती टीम के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होने की उम्मीद थी। हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब डब्ल्यूएफआई ने अंडर-23 और विश्व चैंपियनशिप के लिए चयन ट्रायल की हाल ही में की गई घोषणा को विरोध करने वाले पहलवानों ने अदालत में चुनौती दी।

बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे प्रमुख नामों सहित एथलीटों ने निलंबित डब्ल्यूएफआई द्वारा आयोजित ट्रायल की वैधता पर सवाल उठाया।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू अध्यक्ष नेनाद लालोविच को संबोधित एक औपचारिक पत्र में, डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह ने स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, एमवाईएएस डब्ल्यूएफआई की अधिकारों में हस्तक्षेप करना जारी रखता है।”

उन्होंने कहा कि महासंघ के प्रबंधन के लिए एक एडहॉक कमेटी बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को मंत्रालय के निर्देश ने और मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

फरवरी में यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद आईओए ने इस साल मार्च में अपनी एडहॉक कमेटी को भंग कर दिया था, लेकिन मंत्रालय के निलंबन आदेश ने प्रगति को बाधित करना जारी रखा है।

डब्ल्यूएफआई और एमवाईएएस के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष ने कानूनी गतिरोध को जन्म दिया है, जिसमें अदालत ने कहा है कि निलंबन हटाए जाने तक महासंघ के मामलों को एडहॉक कमेटी द्वारा प्रबंधित किया जाना चाहिए। हालांकि, आईओए ने कहा है कि वह पैनल का पुनर्गठन नहीं कर सकता।

डब्ल्यूएफआई ने अब यूडब्ल्यूडब्ल्यू से अपने नियमों के अनुच्छेद 6.3 को लागू करने का आह्वान किया है, जो राष्ट्रीय महासंघों के अधिकार को राजनीतिक और सरकारी हस्तक्षेप से बचाता है।

डब्ल्यूएफआई ने यूडब्ल्यूडब्ल्यू से उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है और आगे के हस्तक्षेप के लिए इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के समक्ष उठाया है।

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने 28 अक्टूबर से अल्बानिया के तिराना में होने वाली आगामी सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप से भारतीय टीम का नाम वापस ले लिया है।

खेल की वैश्विक नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) को भेजे गए पत्र के अनुसार, युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के साथ चल रहे विवाद के कारण यह फैसला लिया है। डब्ल्यूएफआई ने मंत्रालय पर उसके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।

डब्ल्यूएफआई के एक करीबी सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “हम अपनी टीम नहीं भेज पाएंगे, क्योंकि पिछले साल मंत्रालय ने हमें निलंबित कर दिया था। इसके अलावा डब्ल्यूएफआई के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के कुछ मामले भी हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।”

मुख्य मुद्दा युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई पर जारी निलंबन है। यह निलंबन पहली बार 24 दिसंबर, 2023 को महासंघ में नए पदाधिकारियों के चुनाव के बाद लगाया गया था। तब से डब्ल्यूएफआई सवालों में घिरी और अधर में लटकी हुई है।

इस साल की विश्व चैंपियनशिप, जिसमें 12 गैर-ओलंपिक श्रेणियां शामिल हैं, भारतीय कुश्ती टीम के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होने की उम्मीद थी। हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब डब्ल्यूएफआई ने अंडर-23 और विश्व चैंपियनशिप के लिए चयन ट्रायल की हाल ही में की गई घोषणा को विरोध करने वाले पहलवानों ने अदालत में चुनौती दी।

बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे प्रमुख नामों सहित एथलीटों ने निलंबित डब्ल्यूएफआई द्वारा आयोजित ट्रायल की वैधता पर सवाल उठाया।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू अध्यक्ष नेनाद लालोविच को संबोधित एक औपचारिक पत्र में, डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह ने स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, एमवाईएएस डब्ल्यूएफआई की अधिकारों में हस्तक्षेप करना जारी रखता है।”

उन्होंने कहा कि महासंघ के प्रबंधन के लिए एक एडहॉक कमेटी बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को मंत्रालय के निर्देश ने और मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

फरवरी में यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद आईओए ने इस साल मार्च में अपनी एडहॉक कमेटी को भंग कर दिया था, लेकिन मंत्रालय के निलंबन आदेश ने प्रगति को बाधित करना जारी रखा है।

डब्ल्यूएफआई और एमवाईएएस के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष ने कानूनी गतिरोध को जन्म दिया है, जिसमें अदालत ने कहा है कि निलंबन हटाए जाने तक महासंघ के मामलों को एडहॉक कमेटी द्वारा प्रबंधित किया जाना चाहिए। हालांकि, आईओए ने कहा है कि वह पैनल का पुनर्गठन नहीं कर सकता।

डब्ल्यूएफआई ने अब यूडब्ल्यूडब्ल्यू से अपने नियमों के अनुच्छेद 6.3 को लागू करने का आह्वान किया है, जो राष्ट्रीय महासंघों के अधिकार को राजनीतिक और सरकारी हस्तक्षेप से बचाता है।

डब्ल्यूएफआई ने यूडब्ल्यूडब्ल्यू से उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है और आगे के हस्तक्षेप के लिए इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के समक्ष उठाया है।

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने 28 अक्टूबर से अल्बानिया के तिराना में होने वाली आगामी सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप से भारतीय टीम का नाम वापस ले लिया है।

खेल की वैश्विक नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) को भेजे गए पत्र के अनुसार, युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के साथ चल रहे विवाद के कारण यह फैसला लिया है। डब्ल्यूएफआई ने मंत्रालय पर उसके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।

डब्ल्यूएफआई के एक करीबी सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “हम अपनी टीम नहीं भेज पाएंगे, क्योंकि पिछले साल मंत्रालय ने हमें निलंबित कर दिया था। इसके अलावा डब्ल्यूएफआई के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के कुछ मामले भी हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।”

मुख्य मुद्दा युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई पर जारी निलंबन है। यह निलंबन पहली बार 24 दिसंबर, 2023 को महासंघ में नए पदाधिकारियों के चुनाव के बाद लगाया गया था। तब से डब्ल्यूएफआई सवालों में घिरी और अधर में लटकी हुई है।

इस साल की विश्व चैंपियनशिप, जिसमें 12 गैर-ओलंपिक श्रेणियां शामिल हैं, भारतीय कुश्ती टीम के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होने की उम्मीद थी। हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब डब्ल्यूएफआई ने अंडर-23 और विश्व चैंपियनशिप के लिए चयन ट्रायल की हाल ही में की गई घोषणा को विरोध करने वाले पहलवानों ने अदालत में चुनौती दी।

बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे प्रमुख नामों सहित एथलीटों ने निलंबित डब्ल्यूएफआई द्वारा आयोजित ट्रायल की वैधता पर सवाल उठाया।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू अध्यक्ष नेनाद लालोविच को संबोधित एक औपचारिक पत्र में, डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह ने स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, एमवाईएएस डब्ल्यूएफआई की अधिकारों में हस्तक्षेप करना जारी रखता है।”

उन्होंने कहा कि महासंघ के प्रबंधन के लिए एक एडहॉक कमेटी बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को मंत्रालय के निर्देश ने और मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

फरवरी में यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद आईओए ने इस साल मार्च में अपनी एडहॉक कमेटी को भंग कर दिया था, लेकिन मंत्रालय के निलंबन आदेश ने प्रगति को बाधित करना जारी रखा है।

डब्ल्यूएफआई और एमवाईएएस के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष ने कानूनी गतिरोध को जन्म दिया है, जिसमें अदालत ने कहा है कि निलंबन हटाए जाने तक महासंघ के मामलों को एडहॉक कमेटी द्वारा प्रबंधित किया जाना चाहिए। हालांकि, आईओए ने कहा है कि वह पैनल का पुनर्गठन नहीं कर सकता।

डब्ल्यूएफआई ने अब यूडब्ल्यूडब्ल्यू से अपने नियमों के अनुच्छेद 6.3 को लागू करने का आह्वान किया है, जो राष्ट्रीय महासंघों के अधिकार को राजनीतिक और सरकारी हस्तक्षेप से बचाता है।

डब्ल्यूएफआई ने यूडब्ल्यूडब्ल्यू से उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है और आगे के हस्तक्षेप के लिए इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के समक्ष उठाया है।

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खेल की वैश्विक नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) को भेजे गए पत्र के अनुसार, युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के साथ चल रहे विवाद के कारण यह फैसला लिया है। डब्ल्यूएफआई ने मंत्रालय पर उसके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।

डब्ल्यूएफआई के एक करीबी सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “हम अपनी टीम नहीं भेज पाएंगे, क्योंकि पिछले साल मंत्रालय ने हमें निलंबित कर दिया था। इसके अलावा डब्ल्यूएफआई के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के कुछ मामले भी हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।”

मुख्य मुद्दा युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई पर जारी निलंबन है। यह निलंबन पहली बार 24 दिसंबर, 2023 को महासंघ में नए पदाधिकारियों के चुनाव के बाद लगाया गया था। तब से डब्ल्यूएफआई सवालों में घिरी और अधर में लटकी हुई है।

इस साल की विश्व चैंपियनशिप, जिसमें 12 गैर-ओलंपिक श्रेणियां शामिल हैं, भारतीय कुश्ती टीम के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होने की उम्मीद थी। हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब डब्ल्यूएफआई ने अंडर-23 और विश्व चैंपियनशिप के लिए चयन ट्रायल की हाल ही में की गई घोषणा को विरोध करने वाले पहलवानों ने अदालत में चुनौती दी।

बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे प्रमुख नामों सहित एथलीटों ने निलंबित डब्ल्यूएफआई द्वारा आयोजित ट्रायल की वैधता पर सवाल उठाया।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू अध्यक्ष नेनाद लालोविच को संबोधित एक औपचारिक पत्र में, डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह ने स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, एमवाईएएस डब्ल्यूएफआई की अधिकारों में हस्तक्षेप करना जारी रखता है।”

उन्होंने कहा कि महासंघ के प्रबंधन के लिए एक एडहॉक कमेटी बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को मंत्रालय के निर्देश ने और मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

फरवरी में यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद आईओए ने इस साल मार्च में अपनी एडहॉक कमेटी को भंग कर दिया था, लेकिन मंत्रालय के निलंबन आदेश ने प्रगति को बाधित करना जारी रखा है।

डब्ल्यूएफआई और एमवाईएएस के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष ने कानूनी गतिरोध को जन्म दिया है, जिसमें अदालत ने कहा है कि निलंबन हटाए जाने तक महासंघ के मामलों को एडहॉक कमेटी द्वारा प्रबंधित किया जाना चाहिए। हालांकि, आईओए ने कहा है कि वह पैनल का पुनर्गठन नहीं कर सकता।

डब्ल्यूएफआई ने अब यूडब्ल्यूडब्ल्यू से अपने नियमों के अनुच्छेद 6.3 को लागू करने का आह्वान किया है, जो राष्ट्रीय महासंघों के अधिकार को राजनीतिक और सरकारी हस्तक्षेप से बचाता है।

डब्ल्यूएफआई ने यूडब्ल्यूडब्ल्यू से उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है और आगे के हस्तक्षेप के लिए इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के समक्ष उठाया है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने 28 अक्टूबर से अल्बानिया के तिराना में होने वाली आगामी सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप से भारतीय टीम का नाम वापस ले लिया है।

खेल की वैश्विक नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) को भेजे गए पत्र के अनुसार, युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के साथ चल रहे विवाद के कारण यह फैसला लिया है। डब्ल्यूएफआई ने मंत्रालय पर उसके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।

डब्ल्यूएफआई के एक करीबी सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “हम अपनी टीम नहीं भेज पाएंगे, क्योंकि पिछले साल मंत्रालय ने हमें निलंबित कर दिया था। इसके अलावा डब्ल्यूएफआई के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के कुछ मामले भी हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।”

मुख्य मुद्दा युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई पर जारी निलंबन है। यह निलंबन पहली बार 24 दिसंबर, 2023 को महासंघ में नए पदाधिकारियों के चुनाव के बाद लगाया गया था। तब से डब्ल्यूएफआई सवालों में घिरी और अधर में लटकी हुई है।

इस साल की विश्व चैंपियनशिप, जिसमें 12 गैर-ओलंपिक श्रेणियां शामिल हैं, भारतीय कुश्ती टीम के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होने की उम्मीद थी। हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब डब्ल्यूएफआई ने अंडर-23 और विश्व चैंपियनशिप के लिए चयन ट्रायल की हाल ही में की गई घोषणा को विरोध करने वाले पहलवानों ने अदालत में चुनौती दी।

बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे प्रमुख नामों सहित एथलीटों ने निलंबित डब्ल्यूएफआई द्वारा आयोजित ट्रायल की वैधता पर सवाल उठाया।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू अध्यक्ष नेनाद लालोविच को संबोधित एक औपचारिक पत्र में, डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह ने स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, एमवाईएएस डब्ल्यूएफआई की अधिकारों में हस्तक्षेप करना जारी रखता है।”

उन्होंने कहा कि महासंघ के प्रबंधन के लिए एक एडहॉक कमेटी बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को मंत्रालय के निर्देश ने और मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

फरवरी में यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद आईओए ने इस साल मार्च में अपनी एडहॉक कमेटी को भंग कर दिया था, लेकिन मंत्रालय के निलंबन आदेश ने प्रगति को बाधित करना जारी रखा है।

डब्ल्यूएफआई और एमवाईएएस के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष ने कानूनी गतिरोध को जन्म दिया है, जिसमें अदालत ने कहा है कि निलंबन हटाए जाने तक महासंघ के मामलों को एडहॉक कमेटी द्वारा प्रबंधित किया जाना चाहिए। हालांकि, आईओए ने कहा है कि वह पैनल का पुनर्गठन नहीं कर सकता।

डब्ल्यूएफआई ने अब यूडब्ल्यूडब्ल्यू से अपने नियमों के अनुच्छेद 6.3 को लागू करने का आह्वान किया है, जो राष्ट्रीय महासंघों के अधिकार को राजनीतिक और सरकारी हस्तक्षेप से बचाता है।

डब्ल्यूएफआई ने यूडब्ल्यूडब्ल्यू से उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है और आगे के हस्तक्षेप के लिए इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के समक्ष उठाया है।

–आईएएनएस

एएमजे/आरआर

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने 28 अक्टूबर से अल्बानिया के तिराना में होने वाली आगामी सीनियर विश्व कुश्ती चैंपियनशिप से भारतीय टीम का नाम वापस ले लिया है।

खेल की वैश्विक नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) को भेजे गए पत्र के अनुसार, युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के साथ चल रहे विवाद के कारण यह फैसला लिया है। डब्ल्यूएफआई ने मंत्रालय पर उसके अधिकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।

डब्ल्यूएफआई के एक करीबी सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “हम अपनी टीम नहीं भेज पाएंगे, क्योंकि पिछले साल मंत्रालय ने हमें निलंबित कर दिया था। इसके अलावा डब्ल्यूएफआई के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के कुछ मामले भी हैं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।”

मुख्य मुद्दा युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई पर जारी निलंबन है। यह निलंबन पहली बार 24 दिसंबर, 2023 को महासंघ में नए पदाधिकारियों के चुनाव के बाद लगाया गया था। तब से डब्ल्यूएफआई सवालों में घिरी और अधर में लटकी हुई है।

इस साल की विश्व चैंपियनशिप, जिसमें 12 गैर-ओलंपिक श्रेणियां शामिल हैं, भारतीय कुश्ती टीम के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होने की उम्मीद थी। हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब डब्ल्यूएफआई ने अंडर-23 और विश्व चैंपियनशिप के लिए चयन ट्रायल की हाल ही में की गई घोषणा को विरोध करने वाले पहलवानों ने अदालत में चुनौती दी।

बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे प्रमुख नामों सहित एथलीटों ने निलंबित डब्ल्यूएफआई द्वारा आयोजित ट्रायल की वैधता पर सवाल उठाया।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू अध्यक्ष नेनाद लालोविच को संबोधित एक औपचारिक पत्र में, डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह ने स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, एमवाईएएस डब्ल्यूएफआई की अधिकारों में हस्तक्षेप करना जारी रखता है।”

उन्होंने कहा कि महासंघ के प्रबंधन के लिए एक एडहॉक कमेटी बनाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को मंत्रालय के निर्देश ने और मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

फरवरी में यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद आईओए ने इस साल मार्च में अपनी एडहॉक कमेटी को भंग कर दिया था, लेकिन मंत्रालय के निलंबन आदेश ने प्रगति को बाधित करना जारी रखा है।

डब्ल्यूएफआई और एमवाईएएस के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष ने कानूनी गतिरोध को जन्म दिया है, जिसमें अदालत ने कहा है कि निलंबन हटाए जाने तक महासंघ के मामलों को एडहॉक कमेटी द्वारा प्रबंधित किया जाना चाहिए। हालांकि, आईओए ने कहा है कि वह पैनल का पुनर्गठन नहीं कर सकता।

डब्ल्यूएफआई ने अब यूडब्ल्यूडब्ल्यू से अपने नियमों के अनुच्छेद 6.3 को लागू करने का आह्वान किया है, जो राष्ट्रीय महासंघों के अधिकार को राजनीतिक और सरकारी हस्तक्षेप से बचाता है।

डब्ल्यूएफआई ने यूडब्ल्यूडब्ल्यू से उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है और आगे के हस्तक्षेप के लिए इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के समक्ष उठाया है।

–आईएएनएस

एएमजे/आरआर

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