जबलपुर. प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में डिमांड वाली मेडिकल सीट में एनआरआई कोटा लागू किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. रविवार को अवकाश होने के बावजूद भी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विशाल धगट की युगलपीठ के द्वारा याचिका की सुनवाई की गयी.
युगलपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता का कोई हित प्रभावित नहीं हो रहा है. जिसके बाद याचिकाकर्ता की तरफ से याचिका वापस लेने का आग्रह किया गया. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को कानूनी प्रावधान का उपयोग करने की अनुमति देते हुए याचिका का निराकरण कर दिया.
अधिवक्ता विशाल बघेल की तरफ से दायर की गयी जनहित याचिका में कहा गया था नीट ने एनआरआई की मेरिट लिस्ट तैयार की थी. प्रदेश में संचालित प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एनआरआई कोटे के तहत 15 प्रतिशत सीट प्रदान की जाती है. मेडिकल कॉलेज ने 22 ब्रांच होती है परंतु प्रदेश सरकार द्वारा सिर्फ आठ ब्रांच में एनआरआई कोटे की सभी सीट आवंटित की गयी है. जिस ब्रांच में एनआरआई कोटे की सीट आवंटित की गयी है,उनकी मांग अधिक है.
अधिक मांग वाली ब्रांच में एनआरआई कोटे की सीट अधिक आवंटित किये जाने के कारण मेरिटोरियस छात्रों का हक प्रभावित होगा,क्योंकि सीटों की संख्या निर्धारित होती है. एनआरआई कोर्ट की सीट सभी ब्रांच में आवंटित की जानी चाहिए थी. प्रदेश सरकार के द्वारा अपनाई जा रही प्रक्रिया पूरी तरह से अवैधानिक है.
युगलपीठ ने सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा है कि प्रोफेशनल कोर्स होने के कारण मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में नहीं होती सकती है. याचिकाकर्ता का कोई हित प्रभावित नहीं हो रहा है. याचिकाकर्ता की तरफ से याचिका वापस लेने का आग्रह किया गया. युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ याचिका का निराकरण कर दिया.