नई दिल्ली, 14 मई (आईएएनएस)। एक शोध में डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों की आदतों के बारे में खुलासा हुआ है। इसमें कहा गया कि इससे प्रभावित लोग व्हाट्सएप प्रोफाइल फोटो में अपनी पूरी तस्वीर लगाने से बचते हैं।
बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर (बीडीडी) एक तरह की मानसिक बीमारी है। इसमें पीड़ित को अपनी कमियों के बारे में चिंता सताती है।
बॉडी डिस्मोर्फिक विकार वाले लोग अपनी शारीरिक बनावट से असंतुष्ट महसूस करते हैं और अपने शरीर के बारे में शर्म या चिंता का अनुभव कर सकते हैं। मोटे और इस विकार से ग्रस्त लोगों को लगता है कि वो जितने मोटे नहीं हैं, उससे कहीं अधिक दिखते हैं।
इटली में यूनीकैमिलस इंटरनेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के लीड एंटोनेला फ्रांसेशेली ने कहा, ”इस शोध से यह पता चलता है कि व्हाट्सएप प्रोफाइल तस्वीर जैसी सरल चीज डॉक्टरों को यह जानकारी दे सकती है कि क्या मोटापे से ग्रस्त किसी व्यक्ति को बॉडी डिस्मॉर्फिया है।”
शोध में 59 मोटे मरीज (49 महिलाएं, 10 पुरुष, औसत आयु 53 वर्ष) शामिल थे, टीम ने बॉडी डिस्मोर्फिया के स्पष्ट सबूत प्रदान किए, जिसमें 90 प्रतिशत पुरुष और 86 प्रतिशत महिलाएं प्रोफाइल फोटो का उपयोग कर रहे थे जिसमें वह अपने आप को पूरी तरह नहीं दिखा रहे थे।
फ्रांसेशेल्ली ने कहा, “पालतू जानवरों, परिवार के सदस्यों, फूलों और कार्टून वाली प्रोफाइल फोटोज यह संकेत दे सकती है कि व्यक्ति बॉडी डिस्मॉर्फिक से पीड़ित है।”
शोध में यह भी पाया गया कि सोशल मीडिया शारीरिक बनावट के बारे में अत्यधिक चिंता को बढ़ाता है।
फ्रांसेशेली ने कहा, “बॉडी डिस्मोर्फिक विकार वाले लोग इन प्रभावों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील हो सकते हैं, वह लगातार दूसरों से अपनी तुलना करते रहते हैं और तुलना में अपने लिए बुरा महसूस करते हैं।”
टीम ने पाया कि मोटापे की गंभीरता के साथ ऐसी प्रोफाइल तस्वीरों का उपयोग करने की संभावना बढ़ जाती है जो भौतिक वास्तविकता का प्रतिनिधित्व नहीं करती। फ़्रांसेशेली ने मोटापे के उपचार के एक भाग के रूप में शरीर की जांच करने का आह्वान किया।
यह शोध वेनिस, इटली (12-15 मई) में मोटापे पर यूरोपीय कांग्रेस (ईसीओ) में प्रस्तुत किया गया था।
–आईएएनएस
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