नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्र को यह तय करने का निर्देश दिया कि क्या वह दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) की चल और अचल संपत्तियों की कुर्की के लिए मंजूरी देने का प्रस्ताव रखेगा, ताकि दिल्ली हवाईअड्डे को उसके अनपेड आर्बिट्रल अवार्ड (पंचाट) का भुगतान किया जा सके। मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) का स्वामित्व रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के पास है।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की एकल-न्यायाधीश पीठ ने केंद्र को अपना निर्णय रिकॉर्ड करने के लिए समय दिया।
पीठ ने कहा, .. इससे पहले कि अदालत इस मुद्दे पर शासन करे कि क्या परिस्थितियों के कारण डीएमआरसी के कॉर्पोरेट आवरण को हटा दिया जाना चाहिए, यह समीचीन प्रतीत होगा कि केंद्र सरकार से यह निर्णय लेने के लिए कहा जाए कि क्या वह पंचाट के तहत देय राशि की संतुष्टि के उद्देश्य से निगम की चल और अचल संपत्ति की कुर्की के लिए मंजूरी देने का प्रस्ताव करती है?
अदालत ने मामले को अगली सुनवाई 2 मार्च को होनी तय की।
हाईकोर्ट ने 17 फरवरी को मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था।
न्यायमूर्ति वर्मा ने 11 मई, 2017 को पंचाट लागू करने की मांग वाली डीएएमईपीएल की याचिका में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय और दिल्ली सरकार के खिलाफ कार्यवाही शुरू की थी।
पीठ ने कहा, निर्विवाद रूप से, इस मामले में दो आवश्यक हितधारक आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) हैं। निष्पादन याचिकाकर्ता को मध्यस्थ पुरस्कार का भुगतान करने के साधनों के लिए प्रस्तुत करना।
पंचाट के 1,678.42 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही किया जा चुका है और डीएमआरसी द्वारा 6,330.96 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना बाकी है।
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने 31 जनवरी को उच्च न्यायालय को बताया था कि अगर केंद्र डीएमआरसी की ओर से रिलायंस इंफ्रा को भुगतान करने के लिए ब्याज मुक्त अधीनस्थ ऋण के लिए सहमत होता है, तो दिल्ली सरकार इसका पालन करेगी।
इससे पहले इस साल जनवरी में डीएमआरसी ने अदालत को सूचित किया था कि उसने केंद्र और दिल्ली सरकार से डीएएमईपीएल चुकाने के लिए प्रत्येक से 3,565.64 करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त अधीनस्थ ऋण के लिए अनुरोध किया है।
–आईएएनएस
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