नई दिल्ली, 27 मार्च (आईएएनएस)। डीएचएफएल, एबीजी शिपयार्ड और भूषण पावर एंड स्टील (बीपीएसएल) के मामलों में कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) शुरू की गई, डीएचएफएल और बीपीएसएल के मामलों में क्रमश: 37,167 करोड़ रुपये और 19,895 करोड़ रुपये के लेनदारों को वसूली योग्य राशि के साथ समाधान योजना को मंजूरी दी गई थी।
सोमवार को लोकसभा में वित्त मंत्रालय ने एक लिखित जवाब में कहा- वसूली के लिए विभिन्न तंत्र उपलब्ध हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ, दीवानी अदालतों या ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में मुकदमा दायर करना, वित्तीय संपत्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और सुरक्षा हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 के तहत कार्रवाई, दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के तहत राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण में कॉपोर्रेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) शुरू करने के लिए मामले दर्ज करना शामिल है।
जवाब ने कहा गया- इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सीआईआरपी को डीएचएफएल, एबीजी शिपयार्ड और भूषण पावर एंड स्टील (बीपीएसएल) के मामलों में शुरू किया गया था, और डीएचएफएल और बीपीएसएल के मामलों में समाधान योजना को मंजूरी दी गई, जिसमें लेनदारों को क्रमश: 37,167 करोड़ रुपये और 19,895 करोड़ रुपये की राशि वसूली योग्य थी।
इसके अलावा, एबीजी शिपयार्ड के मामले में परिसमापन आदेश पारित किया गया था, और परिसमापक द्वारा संपत्ति की बिक्री से 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की गई है। भारतीय रिजर्व बैंक ने सूचित किया है कि किसी भी बैंक द्वारा एच-टेक ऑटो से संबंधित कोई धोखाधड़ी की सूचना नहीं दी गई है। इसके अलावा, केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सूचित किया है कि उसके द्वारा डीएचएफएल, एबीजी शिपयार्ड और बीपीएसएल के मामलों में चार्जशीट दायर की गई है।
इसके अलावा, प्रवर्तन निदेशालय ने अवगत कराया है कि 10,232.43 करोड़ रुपये की अपराध की कार्यवाही को कुर्क किया गया है और इन मामलों में छह लोगों को धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया है।
–आईएएनएस
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