नई दिल्ली, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेज का अंबेडकर विश्वविद्यालय में विलय करने का प्रस्ताव दिया गया है। इस संबंध में दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के ये सभी 12 कॉलेज दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं। दिल्ली सरकार का मानना है कि लंबे समय से इन कॉलेज में वित्तीय अनियमिता सामने आ रही है। यही कारण है कि अब इन कॉलेजों को दिल्ली कि राज्य स्तरीय यूनिवर्सिटी ‘अंबेडकर विश्वविद्यालय’ या दिल्ली स्किल एंड एंत्रप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी में शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया है। हालांकि, छात्रों के कुछ समूहों व छात्र संगठनों ने इस फैसले का विरोध किया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष तुषार डेढ़ा ने कहा कि दिल्ली सरकार के 12 कॉलेज को अंबेडकर विश्वविद्यालय में विलय करने का निर्णय पूर्णत: गलत है। इस प्रस्ताव के विरुद्ध हम छात्रों के बीच एक सर्वेक्षण आयोजित करेंगे क्योंकि यह सीधे उनकी शैक्षिक यात्रा को प्रभावित करेगा। आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा उचित प्रक्रिया की अवहेलना चिंताजनक है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी दिल्ली सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध किया है। अभाविप का मानना है कि इस प्रस्ताव के माध्यम से विश्वविद्यालय की संप्रभुता और स्वायत्तता समाप्त हो जाएगी। दरअसल, वर्ष 1986-94 के दौरान केन्द्र सरकार ने दिल्ली सरकार के शिक्षा बजट का उपयोग करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के तहत इन 12 कॉलेजो की स्थापना की थी।
विद्यार्थी परिषद का कहना है कि दिल्ली सरकार प्रारंभ से ही दिल्ली विश्वविद्यालय और उसके कॉलेजों की जरूरतों को पूरा करने में विफल रही है- चाहे वह स्थाई प्रधानाध्यापक की नियुक्ति का वर्षों से लंबित विषय हो, कॉलेजों की चरमराई हुई व्यवस्था। अभाविप का स्पष्ट मानना है कि दिल्ली सरकार की डीयू के इन 12 कॉलेजों से संबंधित कार्रवाई सर्वथा अनुचित है, जिससे इन कॉलेजों और उसमें पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य अधर में लटक जायेगा।
अभाविप के हर्ष अत्री ने कहा कि आप सरकार का यह कदम डीयू की स्वायत्तता पर कुठाराघात है। निश्चय ही यह 12 कॉलेज डीयू के घटक हैं। वर्तमान में कॉलेजों का रखरखाव कर सकने में विफल दिल्ली सरकार के इस प्रस्ताव से इन कॉलेजों का भविष्य अधर में लटक जाएगा। इसके अलावा, यह हैरान करने वाला है कि सरकार हितधारकों-छात्रों से व्यापक चर्चा किए बिना ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय कैसे ले सकती है।
अभाविप छात्रों के दृष्टिकोण को समझने तथा उनकी राय जानने के लिए एक सर्वेक्षण करेगा, क्योंकि इस फैसले से छात्र सर्वाधिक प्रभावित होंगे, एवं उनका भविष्य दांव पर है। अभाविप की मांग है कि सरकार अपने दायित्वों का छात्रों के भविष्य को प्राथमिकता देते हुए निर्वहन करे।
–आईएएनएस
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