नई दिल्ली, 02 मार्च, (आईएएनएस)। दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के विरोध में आम आदमी पार्टी दिल्ली टीचर्स एसोसिशएन (एएडीटीए) ने गुरुवार को 12 घंटे की भूख हड़ताल की। विरोध कर रहे शिक्षकों का कहना है कि दिल्ली के 28 सरकारी कॉलेजों में गवनिर्ंग बॉडी के गठन में जानबूझकर देरी की जा रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में शिक्षकों और प्राचार्यों की भर्ती के राजनीतिकरण के विरोध में भूख हड़ताल की गई।
शिक्षकों की इस हड़ताल का डीयू की कार्यकारी समिति के सदस्य, अकादमिक परिषद, वित्त समिति, दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) और फेडरेशन ऑफ सेंट्रल-यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (फेडकूटा) सहित अन्य शिक्षकों ने समर्थन किया।
डीयू में एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के समायोजन की मांग दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन कर रहा है। जिसका समर्थन तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने किया था।
आम आदमी पार्टी दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रभारी डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा के कहा कि डीयू में 12 हजार शिक्षकों में से 6 हजार एडहॉक और अस्थायी शिक्षक हैं। डीयू प्रशासन बड़े पैमाने पर उन्हें हटाने में लिप्त है। दिल्ली सरकार की एडहॉक शिक्षकों को समायोजित करने की नीति को उलटने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। विश्वविद्यालय की वर्तमान भर्ती प्रक्रिया के कारण 70-75 फीसदी शिक्षक हटा दिए जाएंगे। हम डीयू में शिक्षक भर्ती और गवनिर्ंग बॉडी के गठन में राजनीतिकरण के एजेंडे को सफल नहीं होने देंगे।
एएडीटीए की डीयू कार्यकारी समिति की सदस्य डॉ. सीमा दास ने कहा कि भूख हड़ताल में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की भागीदारी उनके गुस्से को दिखाती है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन कॉलेजों में गवनिर्ंग बॉडी का गठन पक्षपातपूर्ण तरीके से कर भर्ती प्रक्रिया का राजनीतिकरण किया है। तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने विशेष रूप से 27 जनवरी को दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र लिखकर दिल्ली सरकार की एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों के समायोजन की नीति से अवगत कराया था। दिल्ली सरकार द्वारा गवनिर्ंग बॉडी के लिए नामित उम्मीदवारों की सूची 28 जनवरी को विश्वविद्यालय को भेजी गई थी। इसके बाद 3 फरवरी 2023 को कार्यकारी समिति की बैठक हुई, लेकिन सूची को मंजूरी के लिए वहां नहीं लाया गया। जब डीयू कार्यकारी समिति की सदस्य सीमा दास और आरएस पवार ने इसे लागू करने की मांग की तो वहां मौजूद कुलपति ने तकनीकी समस्या बताई। आखिर में 15 फरवरी को विश्वविद्यालय प्रशासन ने मनमाने ढंग से डीयू के कानून 30(1) और कार्यकारी समिति के प्रस्ताव 51 (2012) का उल्लंघन करते हुए भारती कॉलेज में तीन गवनिर्ंग बॉडी के उम्मीदवारों को भेजा।
एएडीटीए ने बताया कि तत्कालीन उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जनवरी-फरवरी 2023 में पत्रों के माध्यम से दावा किया कि गवनिर्ंग बॉडी के गठन में जानबूझकर देरी हुई थी। ऐसा दिल्ली सरकार की समायोजन नीति को बदलने के लिए किया गया था। विश्वविद्यालय प्रशासन चुनी हुई सरकार के प्रति जवाबदेही से बचने के लिए सभी प्रयास कर रहा है। डीयू प्रशासन, विश्वविद्यालय के कानून का पालन करने और दिल्ली सरकार के उम्मीदवारों को गवनिर्ंग बॉडी में शामिल करने से पहले बड़े पैमाने पर एडहॉक और अस्थायी शिक्षकों को हटाने के कार्य को तेजी से पूरा कर रहा है।
–आईएएनएस
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