जयपुर, 29 मार्च (आईएएनएस)। राजस्थान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर विधानसभा में 21 मार्च को ध्वनि मत से पारित स्वास्थ्य के अधिकार विधेयक के विरोध में डॉक्टरों द्वारा बनाए गए गतिरोध को हल करने का आग्रह किया है।
विधेयक राज्य के प्रत्येक निवासी को किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठान (निजी सहित) और निर्दिष्ट स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा अपेक्षित शुल्क या शुल्क के पूर्व भुगतान के बिना आपातकालीन उपचार और देखभाल का अधिकार देता है। निजी डॉक्टर बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके काम में नौकरशाही का दखल बढ़ेगा।
स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के खिलाफ चल रहे डॉक्टरों के विरोध के चलते बुधवार को राजस्थान में ओपीडी सेवाएं बंद रहेंगी।
पूनिया ने अपने पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य सेवा चौबीसों घंटे चलने वाली सेवा है, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अहंकार से काम नहीं लेना चाहिए, बल्कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए।
पूनिया ने कहा कि सरकार ने डॉक्टरों की समस्याओं को समझने की कोशिश नहीं की, जिसके कारण स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है, उन्होंने कहा कि गहलोत को आंदोलनकारी डॉक्टरों के साथ बातचीत करनी चाहिए।
पूनिया ने यह भी कहा कि गहलोत ब्रांडिंग जरूर करेंगे कि वे देश में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक को सबसे पहले लागू करने वाले हैं, लेकिन उन्हें विधेयक पारित होने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करना चाहिए था।
सरकार को जनता के हित के साथ-साथ चिकित्सा बिरादरी के हित को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों में संतुलन बनाना होगा। लेकिन सरकार ऐसा करने में पूरी तरह विफल रही है।
पूनिया ने यह भी कहा कि विधानसभा में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पारित होने के बावजूद पिछले कुछ दिनों से निजी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर हैं। नतीजतन, राज्य के आम लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
निजी अस्पतालों के डॉक्टरों के समर्थन में अखिल भारतीय सेवारत डॉक्टर्स संस्थान ने बुधवार को सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया है।
पूनिया ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि कोविड महामारी की पहली और दूसरी लहर में चिकित्सा समुदाय ने समाज की सेवा के लिए अपने जीवन को जोखिम में डाल दिया था। इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों के साथ समन्वय करें और काम करें। कोई उचित और त्वरित समाधान खोजें, ताकि राजस्थान के आम लोगों को कुछ राहत मिल सके।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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जयपुर, 29 मार्च (आईएएनएस)। राजस्थान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर विधानसभा में 21 मार्च को ध्वनि मत से पारित स्वास्थ्य के अधिकार विधेयक के विरोध में डॉक्टरों द्वारा बनाए गए गतिरोध को हल करने का आग्रह किया है।
विधेयक राज्य के प्रत्येक निवासी को किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठान (निजी सहित) और निर्दिष्ट स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा अपेक्षित शुल्क या शुल्क के पूर्व भुगतान के बिना आपातकालीन उपचार और देखभाल का अधिकार देता है। निजी डॉक्टर बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके काम में नौकरशाही का दखल बढ़ेगा।
स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के खिलाफ चल रहे डॉक्टरों के विरोध के चलते बुधवार को राजस्थान में ओपीडी सेवाएं बंद रहेंगी।
पूनिया ने अपने पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य सेवा चौबीसों घंटे चलने वाली सेवा है, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अहंकार से काम नहीं लेना चाहिए, बल्कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए।
पूनिया ने कहा कि सरकार ने डॉक्टरों की समस्याओं को समझने की कोशिश नहीं की, जिसके कारण स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है, उन्होंने कहा कि गहलोत को आंदोलनकारी डॉक्टरों के साथ बातचीत करनी चाहिए।
पूनिया ने यह भी कहा कि गहलोत ब्रांडिंग जरूर करेंगे कि वे देश में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक को सबसे पहले लागू करने वाले हैं, लेकिन उन्हें विधेयक पारित होने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करना चाहिए था।
सरकार को जनता के हित के साथ-साथ चिकित्सा बिरादरी के हित को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों में संतुलन बनाना होगा। लेकिन सरकार ऐसा करने में पूरी तरह विफल रही है।
पूनिया ने यह भी कहा कि विधानसभा में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पारित होने के बावजूद पिछले कुछ दिनों से निजी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर हैं। नतीजतन, राज्य के आम लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
निजी अस्पतालों के डॉक्टरों के समर्थन में अखिल भारतीय सेवारत डॉक्टर्स संस्थान ने बुधवार को सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया है।
पूनिया ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि कोविड महामारी की पहली और दूसरी लहर में चिकित्सा समुदाय ने समाज की सेवा के लिए अपने जीवन को जोखिम में डाल दिया था। इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों के साथ समन्वय करें और काम करें। कोई उचित और त्वरित समाधान खोजें, ताकि राजस्थान के आम लोगों को कुछ राहत मिल सके।
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विधेयक राज्य के प्रत्येक निवासी को किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठान (निजी सहित) और निर्दिष्ट स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा अपेक्षित शुल्क या शुल्क के पूर्व भुगतान के बिना आपातकालीन उपचार और देखभाल का अधिकार देता है। निजी डॉक्टर बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके काम में नौकरशाही का दखल बढ़ेगा।
स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के खिलाफ चल रहे डॉक्टरों के विरोध के चलते बुधवार को राजस्थान में ओपीडी सेवाएं बंद रहेंगी।
पूनिया ने अपने पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य सेवा चौबीसों घंटे चलने वाली सेवा है, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अहंकार से काम नहीं लेना चाहिए, बल्कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए।
पूनिया ने कहा कि सरकार ने डॉक्टरों की समस्याओं को समझने की कोशिश नहीं की, जिसके कारण स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है, उन्होंने कहा कि गहलोत को आंदोलनकारी डॉक्टरों के साथ बातचीत करनी चाहिए।
पूनिया ने यह भी कहा कि गहलोत ब्रांडिंग जरूर करेंगे कि वे देश में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक को सबसे पहले लागू करने वाले हैं, लेकिन उन्हें विधेयक पारित होने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करना चाहिए था।
सरकार को जनता के हित के साथ-साथ चिकित्सा बिरादरी के हित को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों में संतुलन बनाना होगा। लेकिन सरकार ऐसा करने में पूरी तरह विफल रही है।
पूनिया ने यह भी कहा कि विधानसभा में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पारित होने के बावजूद पिछले कुछ दिनों से निजी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर हैं। नतीजतन, राज्य के आम लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
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पूनिया ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि कोविड महामारी की पहली और दूसरी लहर में चिकित्सा समुदाय ने समाज की सेवा के लिए अपने जीवन को जोखिम में डाल दिया था। इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों के साथ समन्वय करें और काम करें। कोई उचित और त्वरित समाधान खोजें, ताकि राजस्थान के आम लोगों को कुछ राहत मिल सके।
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विधेयक राज्य के प्रत्येक निवासी को किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठान (निजी सहित) और निर्दिष्ट स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा अपेक्षित शुल्क या शुल्क के पूर्व भुगतान के बिना आपातकालीन उपचार और देखभाल का अधिकार देता है। निजी डॉक्टर बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके काम में नौकरशाही का दखल बढ़ेगा।
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पूनिया ने कहा कि सरकार ने डॉक्टरों की समस्याओं को समझने की कोशिश नहीं की, जिसके कारण स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है, उन्होंने कहा कि गहलोत को आंदोलनकारी डॉक्टरों के साथ बातचीत करनी चाहिए।
पूनिया ने यह भी कहा कि गहलोत ब्रांडिंग जरूर करेंगे कि वे देश में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक को सबसे पहले लागू करने वाले हैं, लेकिन उन्हें विधेयक पारित होने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करना चाहिए था।
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पूनिया ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि कोविड महामारी की पहली और दूसरी लहर में चिकित्सा समुदाय ने समाज की सेवा के लिए अपने जीवन को जोखिम में डाल दिया था। इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों के साथ समन्वय करें और काम करें। कोई उचित और त्वरित समाधान खोजें, ताकि राजस्थान के आम लोगों को कुछ राहत मिल सके।
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विधेयक राज्य के प्रत्येक निवासी को किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठान (निजी सहित) और निर्दिष्ट स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा अपेक्षित शुल्क या शुल्क के पूर्व भुगतान के बिना आपातकालीन उपचार और देखभाल का अधिकार देता है। निजी डॉक्टर बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके काम में नौकरशाही का दखल बढ़ेगा।
स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के खिलाफ चल रहे डॉक्टरों के विरोध के चलते बुधवार को राजस्थान में ओपीडी सेवाएं बंद रहेंगी।
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पूनिया ने कहा कि सरकार ने डॉक्टरों की समस्याओं को समझने की कोशिश नहीं की, जिसके कारण स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है, उन्होंने कहा कि गहलोत को आंदोलनकारी डॉक्टरों के साथ बातचीत करनी चाहिए।
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पूनिया ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि कोविड महामारी की पहली और दूसरी लहर में चिकित्सा समुदाय ने समाज की सेवा के लिए अपने जीवन को जोखिम में डाल दिया था। इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों के साथ समन्वय करें और काम करें। कोई उचित और त्वरित समाधान खोजें, ताकि राजस्थान के आम लोगों को कुछ राहत मिल सके।
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विधेयक राज्य के प्रत्येक निवासी को किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठान (निजी सहित) और निर्दिष्ट स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा अपेक्षित शुल्क या शुल्क के पूर्व भुगतान के बिना आपातकालीन उपचार और देखभाल का अधिकार देता है। निजी डॉक्टर बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके काम में नौकरशाही का दखल बढ़ेगा।
स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के खिलाफ चल रहे डॉक्टरों के विरोध के चलते बुधवार को राजस्थान में ओपीडी सेवाएं बंद रहेंगी।
पूनिया ने अपने पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य सेवा चौबीसों घंटे चलने वाली सेवा है, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अहंकार से काम नहीं लेना चाहिए, बल्कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए।
पूनिया ने कहा कि सरकार ने डॉक्टरों की समस्याओं को समझने की कोशिश नहीं की, जिसके कारण स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है, उन्होंने कहा कि गहलोत को आंदोलनकारी डॉक्टरों के साथ बातचीत करनी चाहिए।
पूनिया ने यह भी कहा कि गहलोत ब्रांडिंग जरूर करेंगे कि वे देश में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक को सबसे पहले लागू करने वाले हैं, लेकिन उन्हें विधेयक पारित होने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करना चाहिए था।
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पूनिया ने यह भी कहा कि विधानसभा में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पारित होने के बावजूद पिछले कुछ दिनों से निजी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर हैं। नतीजतन, राज्य के आम लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
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पूनिया ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि कोविड महामारी की पहली और दूसरी लहर में चिकित्सा समुदाय ने समाज की सेवा के लिए अपने जीवन को जोखिम में डाल दिया था। इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों के साथ समन्वय करें और काम करें। कोई उचित और त्वरित समाधान खोजें, ताकि राजस्थान के आम लोगों को कुछ राहत मिल सके।
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विधेयक राज्य के प्रत्येक निवासी को किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठान (निजी सहित) और निर्दिष्ट स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा अपेक्षित शुल्क या शुल्क के पूर्व भुगतान के बिना आपातकालीन उपचार और देखभाल का अधिकार देता है। निजी डॉक्टर बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके काम में नौकरशाही का दखल बढ़ेगा।
स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के खिलाफ चल रहे डॉक्टरों के विरोध के चलते बुधवार को राजस्थान में ओपीडी सेवाएं बंद रहेंगी।
पूनिया ने अपने पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य सेवा चौबीसों घंटे चलने वाली सेवा है, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अहंकार से काम नहीं लेना चाहिए, बल्कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए।
पूनिया ने कहा कि सरकार ने डॉक्टरों की समस्याओं को समझने की कोशिश नहीं की, जिसके कारण स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है, उन्होंने कहा कि गहलोत को आंदोलनकारी डॉक्टरों के साथ बातचीत करनी चाहिए।
पूनिया ने यह भी कहा कि गहलोत ब्रांडिंग जरूर करेंगे कि वे देश में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक को सबसे पहले लागू करने वाले हैं, लेकिन उन्हें विधेयक पारित होने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करना चाहिए था।
सरकार को जनता के हित के साथ-साथ चिकित्सा बिरादरी के हित को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों में संतुलन बनाना होगा। लेकिन सरकार ऐसा करने में पूरी तरह विफल रही है।
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पूनिया ने यह भी कहा कि गहलोत ब्रांडिंग जरूर करेंगे कि वे देश में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक को सबसे पहले लागू करने वाले हैं, लेकिन उन्हें विधेयक पारित होने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करना चाहिए था।
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पूनिया ने अपने पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य सेवा चौबीसों घंटे चलने वाली सेवा है, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अहंकार से काम नहीं लेना चाहिए, बल्कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए।
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जयपुर, 29 मार्च (आईएएनएस)। राजस्थान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर विधानसभा में 21 मार्च को ध्वनि मत से पारित स्वास्थ्य के अधिकार विधेयक के विरोध में डॉक्टरों द्वारा बनाए गए गतिरोध को हल करने का आग्रह किया है।
विधेयक राज्य के प्रत्येक निवासी को किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठान (निजी सहित) और निर्दिष्ट स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा अपेक्षित शुल्क या शुल्क के पूर्व भुगतान के बिना आपातकालीन उपचार और देखभाल का अधिकार देता है। निजी डॉक्टर बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके काम में नौकरशाही का दखल बढ़ेगा।
स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के खिलाफ चल रहे डॉक्टरों के विरोध के चलते बुधवार को राजस्थान में ओपीडी सेवाएं बंद रहेंगी।
पूनिया ने अपने पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य सेवा चौबीसों घंटे चलने वाली सेवा है, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अहंकार से काम नहीं लेना चाहिए, बल्कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए।
पूनिया ने कहा कि सरकार ने डॉक्टरों की समस्याओं को समझने की कोशिश नहीं की, जिसके कारण स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है, उन्होंने कहा कि गहलोत को आंदोलनकारी डॉक्टरों के साथ बातचीत करनी चाहिए।
पूनिया ने यह भी कहा कि गहलोत ब्रांडिंग जरूर करेंगे कि वे देश में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक को सबसे पहले लागू करने वाले हैं, लेकिन उन्हें विधेयक पारित होने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करना चाहिए था।
सरकार को जनता के हित के साथ-साथ चिकित्सा बिरादरी के हित को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों में संतुलन बनाना होगा। लेकिन सरकार ऐसा करने में पूरी तरह विफल रही है।
पूनिया ने यह भी कहा कि विधानसभा में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पारित होने के बावजूद पिछले कुछ दिनों से निजी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर हैं। नतीजतन, राज्य के आम लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
निजी अस्पतालों के डॉक्टरों के समर्थन में अखिल भारतीय सेवारत डॉक्टर्स संस्थान ने बुधवार को सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया है।
पूनिया ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि कोविड महामारी की पहली और दूसरी लहर में चिकित्सा समुदाय ने समाज की सेवा के लिए अपने जीवन को जोखिम में डाल दिया था। इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों के साथ समन्वय करें और काम करें। कोई उचित और त्वरित समाधान खोजें, ताकि राजस्थान के आम लोगों को कुछ राहत मिल सके।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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जयपुर, 29 मार्च (आईएएनएस)। राजस्थान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर विधानसभा में 21 मार्च को ध्वनि मत से पारित स्वास्थ्य के अधिकार विधेयक के विरोध में डॉक्टरों द्वारा बनाए गए गतिरोध को हल करने का आग्रह किया है।
विधेयक राज्य के प्रत्येक निवासी को किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठान (निजी सहित) और निर्दिष्ट स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा अपेक्षित शुल्क या शुल्क के पूर्व भुगतान के बिना आपातकालीन उपचार और देखभाल का अधिकार देता है। निजी डॉक्टर बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके काम में नौकरशाही का दखल बढ़ेगा।
स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के खिलाफ चल रहे डॉक्टरों के विरोध के चलते बुधवार को राजस्थान में ओपीडी सेवाएं बंद रहेंगी।
पूनिया ने अपने पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य सेवा चौबीसों घंटे चलने वाली सेवा है, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अहंकार से काम नहीं लेना चाहिए, बल्कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए।
पूनिया ने कहा कि सरकार ने डॉक्टरों की समस्याओं को समझने की कोशिश नहीं की, जिसके कारण स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है, उन्होंने कहा कि गहलोत को आंदोलनकारी डॉक्टरों के साथ बातचीत करनी चाहिए।
पूनिया ने यह भी कहा कि गहलोत ब्रांडिंग जरूर करेंगे कि वे देश में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक को सबसे पहले लागू करने वाले हैं, लेकिन उन्हें विधेयक पारित होने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करना चाहिए था।
सरकार को जनता के हित के साथ-साथ चिकित्सा बिरादरी के हित को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों में संतुलन बनाना होगा। लेकिन सरकार ऐसा करने में पूरी तरह विफल रही है।
पूनिया ने यह भी कहा कि विधानसभा में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पारित होने के बावजूद पिछले कुछ दिनों से निजी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर हैं। नतीजतन, राज्य के आम लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
निजी अस्पतालों के डॉक्टरों के समर्थन में अखिल भारतीय सेवारत डॉक्टर्स संस्थान ने बुधवार को सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया है।
पूनिया ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि कोविड महामारी की पहली और दूसरी लहर में चिकित्सा समुदाय ने समाज की सेवा के लिए अपने जीवन को जोखिम में डाल दिया था। इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों के साथ समन्वय करें और काम करें। कोई उचित और त्वरित समाधान खोजें, ताकि राजस्थान के आम लोगों को कुछ राहत मिल सके।
–आईएएनएस
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जयपुर, 29 मार्च (आईएएनएस)। राजस्थान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर विधानसभा में 21 मार्च को ध्वनि मत से पारित स्वास्थ्य के अधिकार विधेयक के विरोध में डॉक्टरों द्वारा बनाए गए गतिरोध को हल करने का आग्रह किया है।
विधेयक राज्य के प्रत्येक निवासी को किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठान (निजी सहित) और निर्दिष्ट स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा अपेक्षित शुल्क या शुल्क के पूर्व भुगतान के बिना आपातकालीन उपचार और देखभाल का अधिकार देता है। निजी डॉक्टर बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके काम में नौकरशाही का दखल बढ़ेगा।
स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के खिलाफ चल रहे डॉक्टरों के विरोध के चलते बुधवार को राजस्थान में ओपीडी सेवाएं बंद रहेंगी।
पूनिया ने अपने पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य सेवा चौबीसों घंटे चलने वाली सेवा है, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अहंकार से काम नहीं लेना चाहिए, बल्कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए।
पूनिया ने कहा कि सरकार ने डॉक्टरों की समस्याओं को समझने की कोशिश नहीं की, जिसके कारण स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है, उन्होंने कहा कि गहलोत को आंदोलनकारी डॉक्टरों के साथ बातचीत करनी चाहिए।
पूनिया ने यह भी कहा कि गहलोत ब्रांडिंग जरूर करेंगे कि वे देश में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक को सबसे पहले लागू करने वाले हैं, लेकिन उन्हें विधेयक पारित होने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करना चाहिए था।
सरकार को जनता के हित के साथ-साथ चिकित्सा बिरादरी के हित को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों में संतुलन बनाना होगा। लेकिन सरकार ऐसा करने में पूरी तरह विफल रही है।
पूनिया ने यह भी कहा कि विधानसभा में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पारित होने के बावजूद पिछले कुछ दिनों से निजी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर हैं। नतीजतन, राज्य के आम लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
निजी अस्पतालों के डॉक्टरों के समर्थन में अखिल भारतीय सेवारत डॉक्टर्स संस्थान ने बुधवार को सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया है।
पूनिया ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि कोविड महामारी की पहली और दूसरी लहर में चिकित्सा समुदाय ने समाज की सेवा के लिए अपने जीवन को जोखिम में डाल दिया था। इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों के साथ समन्वय करें और काम करें। कोई उचित और त्वरित समाधान खोजें, ताकि राजस्थान के आम लोगों को कुछ राहत मिल सके।
–आईएएनएस
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जयपुर, 29 मार्च (आईएएनएस)। राजस्थान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर विधानसभा में 21 मार्च को ध्वनि मत से पारित स्वास्थ्य के अधिकार विधेयक के विरोध में डॉक्टरों द्वारा बनाए गए गतिरोध को हल करने का आग्रह किया है।
विधेयक राज्य के प्रत्येक निवासी को किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठान (निजी सहित) और निर्दिष्ट स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा अपेक्षित शुल्क या शुल्क के पूर्व भुगतान के बिना आपातकालीन उपचार और देखभाल का अधिकार देता है। निजी डॉक्टर बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके काम में नौकरशाही का दखल बढ़ेगा।
स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के खिलाफ चल रहे डॉक्टरों के विरोध के चलते बुधवार को राजस्थान में ओपीडी सेवाएं बंद रहेंगी।
पूनिया ने अपने पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य सेवा चौबीसों घंटे चलने वाली सेवा है, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अहंकार से काम नहीं लेना चाहिए, बल्कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए।
पूनिया ने कहा कि सरकार ने डॉक्टरों की समस्याओं को समझने की कोशिश नहीं की, जिसके कारण स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है, उन्होंने कहा कि गहलोत को आंदोलनकारी डॉक्टरों के साथ बातचीत करनी चाहिए।
पूनिया ने यह भी कहा कि गहलोत ब्रांडिंग जरूर करेंगे कि वे देश में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक को सबसे पहले लागू करने वाले हैं, लेकिन उन्हें विधेयक पारित होने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करना चाहिए था।
सरकार को जनता के हित के साथ-साथ चिकित्सा बिरादरी के हित को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों में संतुलन बनाना होगा। लेकिन सरकार ऐसा करने में पूरी तरह विफल रही है।
पूनिया ने यह भी कहा कि विधानसभा में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पारित होने के बावजूद पिछले कुछ दिनों से निजी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर हैं। नतीजतन, राज्य के आम लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
निजी अस्पतालों के डॉक्टरों के समर्थन में अखिल भारतीय सेवारत डॉक्टर्स संस्थान ने बुधवार को सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया है।
पूनिया ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि कोविड महामारी की पहली और दूसरी लहर में चिकित्सा समुदाय ने समाज की सेवा के लिए अपने जीवन को जोखिम में डाल दिया था। इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों के साथ समन्वय करें और काम करें। कोई उचित और त्वरित समाधान खोजें, ताकि राजस्थान के आम लोगों को कुछ राहत मिल सके।
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जयपुर, 29 मार्च (आईएएनएस)। राजस्थान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर विधानसभा में 21 मार्च को ध्वनि मत से पारित स्वास्थ्य के अधिकार विधेयक के विरोध में डॉक्टरों द्वारा बनाए गए गतिरोध को हल करने का आग्रह किया है।
विधेयक राज्य के प्रत्येक निवासी को किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठान (निजी सहित) और निर्दिष्ट स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा अपेक्षित शुल्क या शुल्क के पूर्व भुगतान के बिना आपातकालीन उपचार और देखभाल का अधिकार देता है। निजी डॉक्टर बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके काम में नौकरशाही का दखल बढ़ेगा।
स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के खिलाफ चल रहे डॉक्टरों के विरोध के चलते बुधवार को राजस्थान में ओपीडी सेवाएं बंद रहेंगी।
पूनिया ने अपने पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य सेवा चौबीसों घंटे चलने वाली सेवा है, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अहंकार से काम नहीं लेना चाहिए, बल्कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए।
पूनिया ने कहा कि सरकार ने डॉक्टरों की समस्याओं को समझने की कोशिश नहीं की, जिसके कारण स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है, उन्होंने कहा कि गहलोत को आंदोलनकारी डॉक्टरों के साथ बातचीत करनी चाहिए।
पूनिया ने यह भी कहा कि गहलोत ब्रांडिंग जरूर करेंगे कि वे देश में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक को सबसे पहले लागू करने वाले हैं, लेकिन उन्हें विधेयक पारित होने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करना चाहिए था।
सरकार को जनता के हित के साथ-साथ चिकित्सा बिरादरी के हित को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों में संतुलन बनाना होगा। लेकिन सरकार ऐसा करने में पूरी तरह विफल रही है।
पूनिया ने यह भी कहा कि विधानसभा में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पारित होने के बावजूद पिछले कुछ दिनों से निजी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर हैं। नतीजतन, राज्य के आम लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
निजी अस्पतालों के डॉक्टरों के समर्थन में अखिल भारतीय सेवारत डॉक्टर्स संस्थान ने बुधवार को सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया है।
पूनिया ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि कोविड महामारी की पहली और दूसरी लहर में चिकित्सा समुदाय ने समाज की सेवा के लिए अपने जीवन को जोखिम में डाल दिया था। इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों के साथ समन्वय करें और काम करें। कोई उचित और त्वरित समाधान खोजें, ताकि राजस्थान के आम लोगों को कुछ राहत मिल सके।
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जयपुर, 29 मार्च (आईएएनएस)। राजस्थान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर विधानसभा में 21 मार्च को ध्वनि मत से पारित स्वास्थ्य के अधिकार विधेयक के विरोध में डॉक्टरों द्वारा बनाए गए गतिरोध को हल करने का आग्रह किया है।
विधेयक राज्य के प्रत्येक निवासी को किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठान (निजी सहित) और निर्दिष्ट स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा अपेक्षित शुल्क या शुल्क के पूर्व भुगतान के बिना आपातकालीन उपचार और देखभाल का अधिकार देता है। निजी डॉक्टर बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके काम में नौकरशाही का दखल बढ़ेगा।
स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के खिलाफ चल रहे डॉक्टरों के विरोध के चलते बुधवार को राजस्थान में ओपीडी सेवाएं बंद रहेंगी।
पूनिया ने अपने पत्र में लिखा है कि स्वास्थ्य सेवा चौबीसों घंटे चलने वाली सेवा है, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अहंकार से काम नहीं लेना चाहिए, बल्कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए।
पूनिया ने कहा कि सरकार ने डॉक्टरों की समस्याओं को समझने की कोशिश नहीं की, जिसके कारण स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है, उन्होंने कहा कि गहलोत को आंदोलनकारी डॉक्टरों के साथ बातचीत करनी चाहिए।
पूनिया ने यह भी कहा कि गहलोत ब्रांडिंग जरूर करेंगे कि वे देश में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक को सबसे पहले लागू करने वाले हैं, लेकिन उन्हें विधेयक पारित होने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करना चाहिए था।
सरकार को जनता के हित के साथ-साथ चिकित्सा बिरादरी के हित को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों में संतुलन बनाना होगा। लेकिन सरकार ऐसा करने में पूरी तरह विफल रही है।
पूनिया ने यह भी कहा कि विधानसभा में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पारित होने के बावजूद पिछले कुछ दिनों से निजी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर हैं। नतीजतन, राज्य के आम लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
निजी अस्पतालों के डॉक्टरों के समर्थन में अखिल भारतीय सेवारत डॉक्टर्स संस्थान ने बुधवार को सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया है।
पूनिया ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि कोविड महामारी की पहली और दूसरी लहर में चिकित्सा समुदाय ने समाज की सेवा के लिए अपने जीवन को जोखिम में डाल दिया था। इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों के साथ समन्वय करें और काम करें। कोई उचित और त्वरित समाधान खोजें, ताकि राजस्थान के आम लोगों को कुछ राहत मिल सके।