नई दिल्ली, 25 अगस्त (आईएएनएस)। वैज्ञानिकों की एक टीम ने पाया कि ‘प्लेसबो’ भी लोगों में तनाव, चिंता और अवसाद को दूर करने में मदद कर सकता है।
एप्लाइड साइकोलॉजी: हेल्थ एंड वेल-बीइंग, नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने क्लिनिकल ट्रायल में भाग लिया था उनमें केवल दो सप्ताह में तनाव, चिंता और अवसाद में उल्लेखनीय कमी देखी गई। दूसरा ग्रुप ऐसा था जिसे ऐसा कोई उपचार नहीं दिया गया। इनमें ऐसा कोई सुधार नहीं देखा गया।
प्रतिभागियों ने यह भी बताया कि नॉन डिसेप्टिव प्लेसबो का उपयोग करना आसान और स्थिति के हिसाब से था।
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने महामारी के कारण लंबे समय से तनाव का सामना कर रहे प्रतिभागियों को दो सप्ताह के रैंडमाइज्ड कंट्रोल ट्रायल के लिए भर्ती किया।
प्रतिभागियों ने जूम पर चार वर्चुअल सेशन के माध्यम से एक शोधकर्ता के साथ ऑनलाइन बातचीत की।
नॉन-डिसेप्टिव प्लेसबो ग्रुप के लोगों को प्लेसबो प्रभाव के बारे में जानकारी मिली और उन्हें प्लेसबो गोलियां लेने की सलाह दी गई।
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग में लेखक और प्रोफेसर जेसन मोजर ने कहा कि लंबे समय तक तनाव के संपर्क में रहने से व्यक्ति की भावनाओं को रोकने की क्षमता खराब हो सकती है और लंबे समय तक मानसिक स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
मोजर ने कहा, “हम यह देखकर उत्साहित हैं कि न्यूनतम प्रयास करने वाला हस्तक्षेप अभी भी महत्वपूर्ण लाभ दे सकता है। यह नॉन-डिसेप्टिव प्लेसबो को तनाव, चिंता और अवसाद वाले लोगों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाता है।”
शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि पीड़ित लोगों को दूर से भी यह उपचार उपलब्ध कराया जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि दूर से दिए जाने वाले नॉन-डिसेप्टिव प्लेसबो में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे व्यक्तियों की मदद करने की क्षमता है।
–आईएएनएस
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