चेन्नई, 18 मार्च (आईएएनएस)। तमिलनाडु के ग्रामीण विकास मंत्री और डीएमके के वरिष्ठ नेता आई. पेरियास्वामी को मोगपपेयर एरी योजना के तहत हाउसिंग बोर्ड के भूखंडों के कथित अवैध आवंटन से जुड़े एक मामले में अदालत से राहत मिल गई है।
तमिलनाडु के सांसदों/विधायकों के खिलाफ मुकदमों की सुनवाई के लिए अतिरिक्त विशेष अदालत ने पेरियास्वामी को उनके खिलाफ दर्ज मामले से बरी कर दिया। एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि उस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के निजी सुरक्षा अधिकारी गणेशन को उच्च आय वर्ग का प्लॉट आवंटित करने का आरोप था।
आरोप लगाया गया था कि पेरियास्वामी ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया और सरकार के विवेकाधीन कोटे के तहत एक उच्च आय वाला भूखंड जारी किया।
चुनाव में द्रमुक सरकार की हार के बाद जब 2012 में अन्नाद्रमुक ने सत्ता संभाली थी, तब आई. पेरियास्वामी और गणेशन के खिलाफ सतर्कता और भ्रष्टाचार-विरोधी निदेशालय (डीवीएसी) द्वारा मामला दर्ज किया गया था।
मद्रास हाईकोर्ट ने 2022 में तत्कालीन मंत्री और तत्कालीन मुख्यमंत्री के पीएसओ को डिस्चार्ज करने से इनकार कर दिया था।
इसके बाद आई. पेरियास्वामी ने सांसदों/विधायकों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अतिरिक्त विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाया, ताकि उन्हें मामले से मुक्त किया जा सके।
मंत्री के वकीलों ने विशेष अदालत को बताया कि भूखंड पूर्व पीएसओ को मानदंडों के अनुसार आवंटित किया गया था, इसमें पेरियास्वामी की कोई भूमिका नहीं थी।
अधिवक्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि संपत्ति बाजार मूल्य पर बेची गई थी और तमिलनाडु हाउसिंग बोर्ड को बिक्री में कोई नुकसान नहीं हुआ।
आई. पेरियास्वामी की तरफ से पेश हुए वकील रघुनाथन और सरवनन ने कहा कि यह (मामला) अन्नाद्रमुक के पिछले शासन द्वारा एक शुद्ध राजनीतिक प्रतिशोध था।
दलीलें सुनने के बाद सांसदों और विधायकों के खिलाफ मुकदमे के मामलों की अतिरिक्त विशेष अदालत के न्यायमूर्ति जी. जयलाल ने अंतत: आई. पेरियास्वामी को मामले से मुक्त कर दिया।
–आईएएनएस
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