चेन्नई, 27 अगस्त (आईएएनएस)। तमिलनाडु के एक दलित संगठन ने तिरुनेलवेली जिले के नंगुनेरी में दलित समुदाय के एक लड़के और उसकी बहन पर लड़के के सहपाठियों द्वारा किए गए क्रूर हमले के बाद राज्य सरकार से स्कूलों में जाति-आधारित रिस्टबैंड पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है।
दलित बुद्धिजीवियों के एक संगठन, दलित इंटेलेक्चुअल कलेक्टिव ने राज्य सरकार से स्कूलों में कलाई पर रिस्टबैंड बांधने की संस्कृति पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया है। उसने कहा कि इसके कारण झगड़े होते हैं और अक्सर छात्रों के बीच दुश्मनी बढ़ती है।
उत्तरी और दक्षिणी तमिलनाडु के कई स्कूलों में छात्रों को उनके रिस्टबैंड से पहचाने जाने का चलन एक आम दृश्य है, जहां जाति संगठनों का काफी प्रभाव है। ऐसे स्कूलों में छात्र अपनी जाति के आधार पर लाल, पीले, हरे और केसरिया रंग के रिस्टबैंड पहनते हैं।
वल्लियूर, नांगुरेनी के एक सरकारी स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले लड़के पर उसके सहपाठियों के एक समूह ने उसके घर में घुसकर दरांती से बेरहमी से हमला किया था। घटना 9 अगस्त की है। अपने भाई को बचाने की कोशिश कर रही लड़के की बहन पर भी हमला किया गया।
संगठन के प्रतिनिधिमंडल ने उन स्थानों का दौरा किया जहां हिंसा हुई थी और फिर सरकार को एक रिपोर्ट दी।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रोफेसर लक्ष्मणन ने किया था जो मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज (एमआईडीएस) के पूर्व प्रोफेसर थे। उसने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दलित छात्र को स्कूल में नियमित रूप से परेशान किया गया था और वह 1 अगस्त से एक सप्ताह तक स्कूल नहीं गया था। जब शिक्षकों ने इस बारे में पूछताछ की, तो उसने अपनी आपबीती सुनाई, और शिकायत दर्ज की गई।
दलित इंटेलेक्चुअल कलेक्टिव ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि जब मध्यवर्ती जाति के छात्रों को इस शिकायत के बारे में पता चला, तो उन्होंने उसके घर में घुसकर उस पर और उसकी बहन पर हमला किया।
–आईएएनएस
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