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तिब्बती परंपरागत नववर्ष का आगमन

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February 19, 2023
in अंतरराष्ट्रीय
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तिब्बती परंपरागत नववर्ष का आगमन
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बीजिंग, 19 फरवरी (आईएएनएस)। तिब्बती परंपरागत पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 में तिब्बती नया साल 21 फरवरी को पड़ता है। अब विश्व की छत पर स्थित चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में खुशी का माहौल छाया हुआ है। राजधानी ल्हासा की मुख्य सड़कों पर लालटेन लगाए गए हैं और लोग नए साल के लिए वस्तुएं खरीदने में व्यस्त हैं। बाजारों में भीड़-भाड़ दिखाई दे रही है। स्थानीय सरकार ने पहले की तरह 20 से 26 फरवरी तक सात दिन की छुट्टियां घोषित की हैं।

तिब्बत का नया साल तिब्बतियों का सबसे भव्य परंपरागत त्योहार है। इसका स्रोत ईसा पूर्व से हुआ था। शुरू में उसकी कोई निश्चित तिथि नहीं थी। लोग वसंत के आगमन की अगवानी के लिए एकत्र होकर त्योहार मनाते थे। 13वीं सदी यानी साग्या प्रशासन काल में तिब्बती पंचांग के एक जनवरी को नया साल तय किया गया और तब से अब तक तिब्बती नया साल तिब्बत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार बना हुआ है।

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तिब्बती नव वर्ष मनाने में तिब्बतियों की पुरानी और विशिष्ट संस्कृति निहित है। नए साल से पहले हर परिवार खासे, छेमा और जिजा तैयार करते हैं। खासे आटे से बना खाना है, जो जलेबी की तरह होता है, पर खासे के आकार भिन्न भिन्न होते हैं। कुछ लंबे होते हैं, कुछ गोल और कुछ तितली जैसे आकार के होते हैं। तले हुई खासे पर चीनी भी डाली जाती है। अभी-अभी कड़ाही से निकाले गए खासे स्वर्ण रंग के होते हैं और बहुत मीठे, सुगंधित तथा कोमल होते हैं। छेमा तिब्बत में शुभ का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं हैं, जो विशेष तौर पर बने लकड़ी बॉक्स में रखे जाते हैं।

छेमा बॉक्स आयताकार होता है, और उसके अंदर दो भाग होते हैं। एक भाग में मिश्रित घी और पक्की चेनपा (तली हुई पठारीय जौ) भरा है, जबकि दूसरे भाग में गेहूं भरा होता है। छेमा बॉक्स में कई रंगीन पठारीय जौ की बालियां भी गाढ़ी जाती हैं। नए साल में जब आप किसी तिब्बती परिवार में जाते हैं, तो मेजबान आपको छेमा भेट करते हैं। इस समय आप को छेमा से चेनपा या गेहूं के दाने निकाल कर आकाश में तीन बार छिड़कने के साथ चाशीदरे (शुभकामनाएं) कहना होता है। जिजा तो तिब्बतियों की विशिष्ट नक्काशी कला है। वह घी से बना फूल, पशु, पात्र और अन्य आकार वाली प्रतिमाएं हैं। नए साल में जिजा अकसर छेमा के साथ रखे जाते हैं।

तिब्बती लोग परंपरागत पंचांग के बारहवें महीने के 29वें दिन में औपचारिक रूप से नया साल मनाना शुरू करते हैं। उस दिन की रात तिब्बती लोग कुथु नामक विशिष्ट भोजन खाते हैं। कुथु आटे, याक बीफ व मटन, पठारीय जौ जैसे पदार्थो को एक साथ उबालकर बनाया जाता है। कुथु खाने के बाद लोग पटाखे व आतिशबाजी छोड़कर भूत भगाते हैं, ताकि नए साल में सब अच्छे ढंग से चले। नए साल की पूर्व बेला में घर के सभी लोग एक साथ खाना खाते हैं और नये साल की अगवानी करते हैं। नए साल के पहले दिन लोग जल्दी से उठते हैं और आसपास के मठ जाते हैं। लोग पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। घर लौटकर पूरे परिवार के लोग एक साथ खाना खाते हैं और मनोरंजन करते हैं, जैसे गाना व नाचना आदि। दूसरे दिन से लोग अपने सगे-संबंधियों के घर जाकर नए साल की बधाई देते हैं और विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। नववर्ष मनाने की गतिविधियां आम तौर पर पहले महीने के 15वें दिन तक जारी रहती हैं।

(वेइतुंग, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

–आईएएनएस

एसजीके

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बीजिंग, 19 फरवरी (आईएएनएस)। तिब्बती परंपरागत पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 में तिब्बती नया साल 21 फरवरी को पड़ता है। अब विश्व की छत पर स्थित चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में खुशी का माहौल छाया हुआ है। राजधानी ल्हासा की मुख्य सड़कों पर लालटेन लगाए गए हैं और लोग नए साल के लिए वस्तुएं खरीदने में व्यस्त हैं। बाजारों में भीड़-भाड़ दिखाई दे रही है। स्थानीय सरकार ने पहले की तरह 20 से 26 फरवरी तक सात दिन की छुट्टियां घोषित की हैं।

तिब्बत का नया साल तिब्बतियों का सबसे भव्य परंपरागत त्योहार है। इसका स्रोत ईसा पूर्व से हुआ था। शुरू में उसकी कोई निश्चित तिथि नहीं थी। लोग वसंत के आगमन की अगवानी के लिए एकत्र होकर त्योहार मनाते थे। 13वीं सदी यानी साग्या प्रशासन काल में तिब्बती पंचांग के एक जनवरी को नया साल तय किया गया और तब से अब तक तिब्बती नया साल तिब्बत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार बना हुआ है।

तिब्बती नव वर्ष मनाने में तिब्बतियों की पुरानी और विशिष्ट संस्कृति निहित है। नए साल से पहले हर परिवार खासे, छेमा और जिजा तैयार करते हैं। खासे आटे से बना खाना है, जो जलेबी की तरह होता है, पर खासे के आकार भिन्न भिन्न होते हैं। कुछ लंबे होते हैं, कुछ गोल और कुछ तितली जैसे आकार के होते हैं। तले हुई खासे पर चीनी भी डाली जाती है। अभी-अभी कड़ाही से निकाले गए खासे स्वर्ण रंग के होते हैं और बहुत मीठे, सुगंधित तथा कोमल होते हैं। छेमा तिब्बत में शुभ का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं हैं, जो विशेष तौर पर बने लकड़ी बॉक्स में रखे जाते हैं।

छेमा बॉक्स आयताकार होता है, और उसके अंदर दो भाग होते हैं। एक भाग में मिश्रित घी और पक्की चेनपा (तली हुई पठारीय जौ) भरा है, जबकि दूसरे भाग में गेहूं भरा होता है। छेमा बॉक्स में कई रंगीन पठारीय जौ की बालियां भी गाढ़ी जाती हैं। नए साल में जब आप किसी तिब्बती परिवार में जाते हैं, तो मेजबान आपको छेमा भेट करते हैं। इस समय आप को छेमा से चेनपा या गेहूं के दाने निकाल कर आकाश में तीन बार छिड़कने के साथ चाशीदरे (शुभकामनाएं) कहना होता है। जिजा तो तिब्बतियों की विशिष्ट नक्काशी कला है। वह घी से बना फूल, पशु, पात्र और अन्य आकार वाली प्रतिमाएं हैं। नए साल में जिजा अकसर छेमा के साथ रखे जाते हैं।

तिब्बती लोग परंपरागत पंचांग के बारहवें महीने के 29वें दिन में औपचारिक रूप से नया साल मनाना शुरू करते हैं। उस दिन की रात तिब्बती लोग कुथु नामक विशिष्ट भोजन खाते हैं। कुथु आटे, याक बीफ व मटन, पठारीय जौ जैसे पदार्थो को एक साथ उबालकर बनाया जाता है। कुथु खाने के बाद लोग पटाखे व आतिशबाजी छोड़कर भूत भगाते हैं, ताकि नए साल में सब अच्छे ढंग से चले। नए साल की पूर्व बेला में घर के सभी लोग एक साथ खाना खाते हैं और नये साल की अगवानी करते हैं। नए साल के पहले दिन लोग जल्दी से उठते हैं और आसपास के मठ जाते हैं। लोग पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। घर लौटकर पूरे परिवार के लोग एक साथ खाना खाते हैं और मनोरंजन करते हैं, जैसे गाना व नाचना आदि। दूसरे दिन से लोग अपने सगे-संबंधियों के घर जाकर नए साल की बधाई देते हैं और विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। नववर्ष मनाने की गतिविधियां आम तौर पर पहले महीने के 15वें दिन तक जारी रहती हैं।

(वेइतुंग, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

–आईएएनएस

एसजीके

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बीजिंग, 19 फरवरी (आईएएनएस)। तिब्बती परंपरागत पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 में तिब्बती नया साल 21 फरवरी को पड़ता है। अब विश्व की छत पर स्थित चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में खुशी का माहौल छाया हुआ है। राजधानी ल्हासा की मुख्य सड़कों पर लालटेन लगाए गए हैं और लोग नए साल के लिए वस्तुएं खरीदने में व्यस्त हैं। बाजारों में भीड़-भाड़ दिखाई दे रही है। स्थानीय सरकार ने पहले की तरह 20 से 26 फरवरी तक सात दिन की छुट्टियां घोषित की हैं।

तिब्बत का नया साल तिब्बतियों का सबसे भव्य परंपरागत त्योहार है। इसका स्रोत ईसा पूर्व से हुआ था। शुरू में उसकी कोई निश्चित तिथि नहीं थी। लोग वसंत के आगमन की अगवानी के लिए एकत्र होकर त्योहार मनाते थे। 13वीं सदी यानी साग्या प्रशासन काल में तिब्बती पंचांग के एक जनवरी को नया साल तय किया गया और तब से अब तक तिब्बती नया साल तिब्बत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार बना हुआ है।

तिब्बती नव वर्ष मनाने में तिब्बतियों की पुरानी और विशिष्ट संस्कृति निहित है। नए साल से पहले हर परिवार खासे, छेमा और जिजा तैयार करते हैं। खासे आटे से बना खाना है, जो जलेबी की तरह होता है, पर खासे के आकार भिन्न भिन्न होते हैं। कुछ लंबे होते हैं, कुछ गोल और कुछ तितली जैसे आकार के होते हैं। तले हुई खासे पर चीनी भी डाली जाती है। अभी-अभी कड़ाही से निकाले गए खासे स्वर्ण रंग के होते हैं और बहुत मीठे, सुगंधित तथा कोमल होते हैं। छेमा तिब्बत में शुभ का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं हैं, जो विशेष तौर पर बने लकड़ी बॉक्स में रखे जाते हैं।

छेमा बॉक्स आयताकार होता है, और उसके अंदर दो भाग होते हैं। एक भाग में मिश्रित घी और पक्की चेनपा (तली हुई पठारीय जौ) भरा है, जबकि दूसरे भाग में गेहूं भरा होता है। छेमा बॉक्स में कई रंगीन पठारीय जौ की बालियां भी गाढ़ी जाती हैं। नए साल में जब आप किसी तिब्बती परिवार में जाते हैं, तो मेजबान आपको छेमा भेट करते हैं। इस समय आप को छेमा से चेनपा या गेहूं के दाने निकाल कर आकाश में तीन बार छिड़कने के साथ चाशीदरे (शुभकामनाएं) कहना होता है। जिजा तो तिब्बतियों की विशिष्ट नक्काशी कला है। वह घी से बना फूल, पशु, पात्र और अन्य आकार वाली प्रतिमाएं हैं। नए साल में जिजा अकसर छेमा के साथ रखे जाते हैं।

तिब्बती लोग परंपरागत पंचांग के बारहवें महीने के 29वें दिन में औपचारिक रूप से नया साल मनाना शुरू करते हैं। उस दिन की रात तिब्बती लोग कुथु नामक विशिष्ट भोजन खाते हैं। कुथु आटे, याक बीफ व मटन, पठारीय जौ जैसे पदार्थो को एक साथ उबालकर बनाया जाता है। कुथु खाने के बाद लोग पटाखे व आतिशबाजी छोड़कर भूत भगाते हैं, ताकि नए साल में सब अच्छे ढंग से चले। नए साल की पूर्व बेला में घर के सभी लोग एक साथ खाना खाते हैं और नये साल की अगवानी करते हैं। नए साल के पहले दिन लोग जल्दी से उठते हैं और आसपास के मठ जाते हैं। लोग पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। घर लौटकर पूरे परिवार के लोग एक साथ खाना खाते हैं और मनोरंजन करते हैं, जैसे गाना व नाचना आदि। दूसरे दिन से लोग अपने सगे-संबंधियों के घर जाकर नए साल की बधाई देते हैं और विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। नववर्ष मनाने की गतिविधियां आम तौर पर पहले महीने के 15वें दिन तक जारी रहती हैं।

(वेइतुंग, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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बीजिंग, 19 फरवरी (आईएएनएस)। तिब्बती परंपरागत पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 में तिब्बती नया साल 21 फरवरी को पड़ता है। अब विश्व की छत पर स्थित चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में खुशी का माहौल छाया हुआ है। राजधानी ल्हासा की मुख्य सड़कों पर लालटेन लगाए गए हैं और लोग नए साल के लिए वस्तुएं खरीदने में व्यस्त हैं। बाजारों में भीड़-भाड़ दिखाई दे रही है। स्थानीय सरकार ने पहले की तरह 20 से 26 फरवरी तक सात दिन की छुट्टियां घोषित की हैं।

तिब्बत का नया साल तिब्बतियों का सबसे भव्य परंपरागत त्योहार है। इसका स्रोत ईसा पूर्व से हुआ था। शुरू में उसकी कोई निश्चित तिथि नहीं थी। लोग वसंत के आगमन की अगवानी के लिए एकत्र होकर त्योहार मनाते थे। 13वीं सदी यानी साग्या प्रशासन काल में तिब्बती पंचांग के एक जनवरी को नया साल तय किया गया और तब से अब तक तिब्बती नया साल तिब्बत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार बना हुआ है।

तिब्बती नव वर्ष मनाने में तिब्बतियों की पुरानी और विशिष्ट संस्कृति निहित है। नए साल से पहले हर परिवार खासे, छेमा और जिजा तैयार करते हैं। खासे आटे से बना खाना है, जो जलेबी की तरह होता है, पर खासे के आकार भिन्न भिन्न होते हैं। कुछ लंबे होते हैं, कुछ गोल और कुछ तितली जैसे आकार के होते हैं। तले हुई खासे पर चीनी भी डाली जाती है। अभी-अभी कड़ाही से निकाले गए खासे स्वर्ण रंग के होते हैं और बहुत मीठे, सुगंधित तथा कोमल होते हैं। छेमा तिब्बत में शुभ का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं हैं, जो विशेष तौर पर बने लकड़ी बॉक्स में रखे जाते हैं।

छेमा बॉक्स आयताकार होता है, और उसके अंदर दो भाग होते हैं। एक भाग में मिश्रित घी और पक्की चेनपा (तली हुई पठारीय जौ) भरा है, जबकि दूसरे भाग में गेहूं भरा होता है। छेमा बॉक्स में कई रंगीन पठारीय जौ की बालियां भी गाढ़ी जाती हैं। नए साल में जब आप किसी तिब्बती परिवार में जाते हैं, तो मेजबान आपको छेमा भेट करते हैं। इस समय आप को छेमा से चेनपा या गेहूं के दाने निकाल कर आकाश में तीन बार छिड़कने के साथ चाशीदरे (शुभकामनाएं) कहना होता है। जिजा तो तिब्बतियों की विशिष्ट नक्काशी कला है। वह घी से बना फूल, पशु, पात्र और अन्य आकार वाली प्रतिमाएं हैं। नए साल में जिजा अकसर छेमा के साथ रखे जाते हैं।

तिब्बती लोग परंपरागत पंचांग के बारहवें महीने के 29वें दिन में औपचारिक रूप से नया साल मनाना शुरू करते हैं। उस दिन की रात तिब्बती लोग कुथु नामक विशिष्ट भोजन खाते हैं। कुथु आटे, याक बीफ व मटन, पठारीय जौ जैसे पदार्थो को एक साथ उबालकर बनाया जाता है। कुथु खाने के बाद लोग पटाखे व आतिशबाजी छोड़कर भूत भगाते हैं, ताकि नए साल में सब अच्छे ढंग से चले। नए साल की पूर्व बेला में घर के सभी लोग एक साथ खाना खाते हैं और नये साल की अगवानी करते हैं। नए साल के पहले दिन लोग जल्दी से उठते हैं और आसपास के मठ जाते हैं। लोग पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। घर लौटकर पूरे परिवार के लोग एक साथ खाना खाते हैं और मनोरंजन करते हैं, जैसे गाना व नाचना आदि। दूसरे दिन से लोग अपने सगे-संबंधियों के घर जाकर नए साल की बधाई देते हैं और विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। नववर्ष मनाने की गतिविधियां आम तौर पर पहले महीने के 15वें दिन तक जारी रहती हैं।

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तिब्बत का नया साल तिब्बतियों का सबसे भव्य परंपरागत त्योहार है। इसका स्रोत ईसा पूर्व से हुआ था। शुरू में उसकी कोई निश्चित तिथि नहीं थी। लोग वसंत के आगमन की अगवानी के लिए एकत्र होकर त्योहार मनाते थे। 13वीं सदी यानी साग्या प्रशासन काल में तिब्बती पंचांग के एक जनवरी को नया साल तय किया गया और तब से अब तक तिब्बती नया साल तिब्बत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार बना हुआ है।

तिब्बती नव वर्ष मनाने में तिब्बतियों की पुरानी और विशिष्ट संस्कृति निहित है। नए साल से पहले हर परिवार खासे, छेमा और जिजा तैयार करते हैं। खासे आटे से बना खाना है, जो जलेबी की तरह होता है, पर खासे के आकार भिन्न भिन्न होते हैं। कुछ लंबे होते हैं, कुछ गोल और कुछ तितली जैसे आकार के होते हैं। तले हुई खासे पर चीनी भी डाली जाती है। अभी-अभी कड़ाही से निकाले गए खासे स्वर्ण रंग के होते हैं और बहुत मीठे, सुगंधित तथा कोमल होते हैं। छेमा तिब्बत में शुभ का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं हैं, जो विशेष तौर पर बने लकड़ी बॉक्स में रखे जाते हैं।

छेमा बॉक्स आयताकार होता है, और उसके अंदर दो भाग होते हैं। एक भाग में मिश्रित घी और पक्की चेनपा (तली हुई पठारीय जौ) भरा है, जबकि दूसरे भाग में गेहूं भरा होता है। छेमा बॉक्स में कई रंगीन पठारीय जौ की बालियां भी गाढ़ी जाती हैं। नए साल में जब आप किसी तिब्बती परिवार में जाते हैं, तो मेजबान आपको छेमा भेट करते हैं। इस समय आप को छेमा से चेनपा या गेहूं के दाने निकाल कर आकाश में तीन बार छिड़कने के साथ चाशीदरे (शुभकामनाएं) कहना होता है। जिजा तो तिब्बतियों की विशिष्ट नक्काशी कला है। वह घी से बना फूल, पशु, पात्र और अन्य आकार वाली प्रतिमाएं हैं। नए साल में जिजा अकसर छेमा के साथ रखे जाते हैं।

तिब्बती लोग परंपरागत पंचांग के बारहवें महीने के 29वें दिन में औपचारिक रूप से नया साल मनाना शुरू करते हैं। उस दिन की रात तिब्बती लोग कुथु नामक विशिष्ट भोजन खाते हैं। कुथु आटे, याक बीफ व मटन, पठारीय जौ जैसे पदार्थो को एक साथ उबालकर बनाया जाता है। कुथु खाने के बाद लोग पटाखे व आतिशबाजी छोड़कर भूत भगाते हैं, ताकि नए साल में सब अच्छे ढंग से चले। नए साल की पूर्व बेला में घर के सभी लोग एक साथ खाना खाते हैं और नये साल की अगवानी करते हैं। नए साल के पहले दिन लोग जल्दी से उठते हैं और आसपास के मठ जाते हैं। लोग पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। घर लौटकर पूरे परिवार के लोग एक साथ खाना खाते हैं और मनोरंजन करते हैं, जैसे गाना व नाचना आदि। दूसरे दिन से लोग अपने सगे-संबंधियों के घर जाकर नए साल की बधाई देते हैं और विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। नववर्ष मनाने की गतिविधियां आम तौर पर पहले महीने के 15वें दिन तक जारी रहती हैं।

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तिब्बत का नया साल तिब्बतियों का सबसे भव्य परंपरागत त्योहार है। इसका स्रोत ईसा पूर्व से हुआ था। शुरू में उसकी कोई निश्चित तिथि नहीं थी। लोग वसंत के आगमन की अगवानी के लिए एकत्र होकर त्योहार मनाते थे। 13वीं सदी यानी साग्या प्रशासन काल में तिब्बती पंचांग के एक जनवरी को नया साल तय किया गया और तब से अब तक तिब्बती नया साल तिब्बत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार बना हुआ है।

तिब्बती नव वर्ष मनाने में तिब्बतियों की पुरानी और विशिष्ट संस्कृति निहित है। नए साल से पहले हर परिवार खासे, छेमा और जिजा तैयार करते हैं। खासे आटे से बना खाना है, जो जलेबी की तरह होता है, पर खासे के आकार भिन्न भिन्न होते हैं। कुछ लंबे होते हैं, कुछ गोल और कुछ तितली जैसे आकार के होते हैं। तले हुई खासे पर चीनी भी डाली जाती है। अभी-अभी कड़ाही से निकाले गए खासे स्वर्ण रंग के होते हैं और बहुत मीठे, सुगंधित तथा कोमल होते हैं। छेमा तिब्बत में शुभ का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं हैं, जो विशेष तौर पर बने लकड़ी बॉक्स में रखे जाते हैं।

छेमा बॉक्स आयताकार होता है, और उसके अंदर दो भाग होते हैं। एक भाग में मिश्रित घी और पक्की चेनपा (तली हुई पठारीय जौ) भरा है, जबकि दूसरे भाग में गेहूं भरा होता है। छेमा बॉक्स में कई रंगीन पठारीय जौ की बालियां भी गाढ़ी जाती हैं। नए साल में जब आप किसी तिब्बती परिवार में जाते हैं, तो मेजबान आपको छेमा भेट करते हैं। इस समय आप को छेमा से चेनपा या गेहूं के दाने निकाल कर आकाश में तीन बार छिड़कने के साथ चाशीदरे (शुभकामनाएं) कहना होता है। जिजा तो तिब्बतियों की विशिष्ट नक्काशी कला है। वह घी से बना फूल, पशु, पात्र और अन्य आकार वाली प्रतिमाएं हैं। नए साल में जिजा अकसर छेमा के साथ रखे जाते हैं।

तिब्बती लोग परंपरागत पंचांग के बारहवें महीने के 29वें दिन में औपचारिक रूप से नया साल मनाना शुरू करते हैं। उस दिन की रात तिब्बती लोग कुथु नामक विशिष्ट भोजन खाते हैं। कुथु आटे, याक बीफ व मटन, पठारीय जौ जैसे पदार्थो को एक साथ उबालकर बनाया जाता है। कुथु खाने के बाद लोग पटाखे व आतिशबाजी छोड़कर भूत भगाते हैं, ताकि नए साल में सब अच्छे ढंग से चले। नए साल की पूर्व बेला में घर के सभी लोग एक साथ खाना खाते हैं और नये साल की अगवानी करते हैं। नए साल के पहले दिन लोग जल्दी से उठते हैं और आसपास के मठ जाते हैं। लोग पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। घर लौटकर पूरे परिवार के लोग एक साथ खाना खाते हैं और मनोरंजन करते हैं, जैसे गाना व नाचना आदि। दूसरे दिन से लोग अपने सगे-संबंधियों के घर जाकर नए साल की बधाई देते हैं और विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। नववर्ष मनाने की गतिविधियां आम तौर पर पहले महीने के 15वें दिन तक जारी रहती हैं।

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बीजिंग, 19 फरवरी (आईएएनएस)। तिब्बती परंपरागत पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 में तिब्बती नया साल 21 फरवरी को पड़ता है। अब विश्व की छत पर स्थित चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में खुशी का माहौल छाया हुआ है। राजधानी ल्हासा की मुख्य सड़कों पर लालटेन लगाए गए हैं और लोग नए साल के लिए वस्तुएं खरीदने में व्यस्त हैं। बाजारों में भीड़-भाड़ दिखाई दे रही है। स्थानीय सरकार ने पहले की तरह 20 से 26 फरवरी तक सात दिन की छुट्टियां घोषित की हैं।

तिब्बत का नया साल तिब्बतियों का सबसे भव्य परंपरागत त्योहार है। इसका स्रोत ईसा पूर्व से हुआ था। शुरू में उसकी कोई निश्चित तिथि नहीं थी। लोग वसंत के आगमन की अगवानी के लिए एकत्र होकर त्योहार मनाते थे। 13वीं सदी यानी साग्या प्रशासन काल में तिब्बती पंचांग के एक जनवरी को नया साल तय किया गया और तब से अब तक तिब्बती नया साल तिब्बत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार बना हुआ है।

तिब्बती नव वर्ष मनाने में तिब्बतियों की पुरानी और विशिष्ट संस्कृति निहित है। नए साल से पहले हर परिवार खासे, छेमा और जिजा तैयार करते हैं। खासे आटे से बना खाना है, जो जलेबी की तरह होता है, पर खासे के आकार भिन्न भिन्न होते हैं। कुछ लंबे होते हैं, कुछ गोल और कुछ तितली जैसे आकार के होते हैं। तले हुई खासे पर चीनी भी डाली जाती है। अभी-अभी कड़ाही से निकाले गए खासे स्वर्ण रंग के होते हैं और बहुत मीठे, सुगंधित तथा कोमल होते हैं। छेमा तिब्बत में शुभ का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं हैं, जो विशेष तौर पर बने लकड़ी बॉक्स में रखे जाते हैं।

छेमा बॉक्स आयताकार होता है, और उसके अंदर दो भाग होते हैं। एक भाग में मिश्रित घी और पक्की चेनपा (तली हुई पठारीय जौ) भरा है, जबकि दूसरे भाग में गेहूं भरा होता है। छेमा बॉक्स में कई रंगीन पठारीय जौ की बालियां भी गाढ़ी जाती हैं। नए साल में जब आप किसी तिब्बती परिवार में जाते हैं, तो मेजबान आपको छेमा भेट करते हैं। इस समय आप को छेमा से चेनपा या गेहूं के दाने निकाल कर आकाश में तीन बार छिड़कने के साथ चाशीदरे (शुभकामनाएं) कहना होता है। जिजा तो तिब्बतियों की विशिष्ट नक्काशी कला है। वह घी से बना फूल, पशु, पात्र और अन्य आकार वाली प्रतिमाएं हैं। नए साल में जिजा अकसर छेमा के साथ रखे जाते हैं।

तिब्बती लोग परंपरागत पंचांग के बारहवें महीने के 29वें दिन में औपचारिक रूप से नया साल मनाना शुरू करते हैं। उस दिन की रात तिब्बती लोग कुथु नामक विशिष्ट भोजन खाते हैं। कुथु आटे, याक बीफ व मटन, पठारीय जौ जैसे पदार्थो को एक साथ उबालकर बनाया जाता है। कुथु खाने के बाद लोग पटाखे व आतिशबाजी छोड़कर भूत भगाते हैं, ताकि नए साल में सब अच्छे ढंग से चले। नए साल की पूर्व बेला में घर के सभी लोग एक साथ खाना खाते हैं और नये साल की अगवानी करते हैं। नए साल के पहले दिन लोग जल्दी से उठते हैं और आसपास के मठ जाते हैं। लोग पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। घर लौटकर पूरे परिवार के लोग एक साथ खाना खाते हैं और मनोरंजन करते हैं, जैसे गाना व नाचना आदि। दूसरे दिन से लोग अपने सगे-संबंधियों के घर जाकर नए साल की बधाई देते हैं और विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। नववर्ष मनाने की गतिविधियां आम तौर पर पहले महीने के 15वें दिन तक जारी रहती हैं।

(वेइतुंग, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

–आईएएनएस

एसजीके

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बीजिंग, 19 फरवरी (आईएएनएस)। तिब्बती परंपरागत पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 में तिब्बती नया साल 21 फरवरी को पड़ता है। अब विश्व की छत पर स्थित चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में खुशी का माहौल छाया हुआ है। राजधानी ल्हासा की मुख्य सड़कों पर लालटेन लगाए गए हैं और लोग नए साल के लिए वस्तुएं खरीदने में व्यस्त हैं। बाजारों में भीड़-भाड़ दिखाई दे रही है। स्थानीय सरकार ने पहले की तरह 20 से 26 फरवरी तक सात दिन की छुट्टियां घोषित की हैं।

तिब्बत का नया साल तिब्बतियों का सबसे भव्य परंपरागत त्योहार है। इसका स्रोत ईसा पूर्व से हुआ था। शुरू में उसकी कोई निश्चित तिथि नहीं थी। लोग वसंत के आगमन की अगवानी के लिए एकत्र होकर त्योहार मनाते थे। 13वीं सदी यानी साग्या प्रशासन काल में तिब्बती पंचांग के एक जनवरी को नया साल तय किया गया और तब से अब तक तिब्बती नया साल तिब्बत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार बना हुआ है।

तिब्बती नव वर्ष मनाने में तिब्बतियों की पुरानी और विशिष्ट संस्कृति निहित है। नए साल से पहले हर परिवार खासे, छेमा और जिजा तैयार करते हैं। खासे आटे से बना खाना है, जो जलेबी की तरह होता है, पर खासे के आकार भिन्न भिन्न होते हैं। कुछ लंबे होते हैं, कुछ गोल और कुछ तितली जैसे आकार के होते हैं। तले हुई खासे पर चीनी भी डाली जाती है। अभी-अभी कड़ाही से निकाले गए खासे स्वर्ण रंग के होते हैं और बहुत मीठे, सुगंधित तथा कोमल होते हैं। छेमा तिब्बत में शुभ का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं हैं, जो विशेष तौर पर बने लकड़ी बॉक्स में रखे जाते हैं।

छेमा बॉक्स आयताकार होता है, और उसके अंदर दो भाग होते हैं। एक भाग में मिश्रित घी और पक्की चेनपा (तली हुई पठारीय जौ) भरा है, जबकि दूसरे भाग में गेहूं भरा होता है। छेमा बॉक्स में कई रंगीन पठारीय जौ की बालियां भी गाढ़ी जाती हैं। नए साल में जब आप किसी तिब्बती परिवार में जाते हैं, तो मेजबान आपको छेमा भेट करते हैं। इस समय आप को छेमा से चेनपा या गेहूं के दाने निकाल कर आकाश में तीन बार छिड़कने के साथ चाशीदरे (शुभकामनाएं) कहना होता है। जिजा तो तिब्बतियों की विशिष्ट नक्काशी कला है। वह घी से बना फूल, पशु, पात्र और अन्य आकार वाली प्रतिमाएं हैं। नए साल में जिजा अकसर छेमा के साथ रखे जाते हैं।

तिब्बती लोग परंपरागत पंचांग के बारहवें महीने के 29वें दिन में औपचारिक रूप से नया साल मनाना शुरू करते हैं। उस दिन की रात तिब्बती लोग कुथु नामक विशिष्ट भोजन खाते हैं। कुथु आटे, याक बीफ व मटन, पठारीय जौ जैसे पदार्थो को एक साथ उबालकर बनाया जाता है। कुथु खाने के बाद लोग पटाखे व आतिशबाजी छोड़कर भूत भगाते हैं, ताकि नए साल में सब अच्छे ढंग से चले। नए साल की पूर्व बेला में घर के सभी लोग एक साथ खाना खाते हैं और नये साल की अगवानी करते हैं। नए साल के पहले दिन लोग जल्दी से उठते हैं और आसपास के मठ जाते हैं। लोग पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। घर लौटकर पूरे परिवार के लोग एक साथ खाना खाते हैं और मनोरंजन करते हैं, जैसे गाना व नाचना आदि। दूसरे दिन से लोग अपने सगे-संबंधियों के घर जाकर नए साल की बधाई देते हैं और विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। नववर्ष मनाने की गतिविधियां आम तौर पर पहले महीने के 15वें दिन तक जारी रहती हैं।

(वेइतुंग, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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बीजिंग, 19 फरवरी (आईएएनएस)। तिब्बती परंपरागत पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 में तिब्बती नया साल 21 फरवरी को पड़ता है। अब विश्व की छत पर स्थित चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में खुशी का माहौल छाया हुआ है। राजधानी ल्हासा की मुख्य सड़कों पर लालटेन लगाए गए हैं और लोग नए साल के लिए वस्तुएं खरीदने में व्यस्त हैं। बाजारों में भीड़-भाड़ दिखाई दे रही है। स्थानीय सरकार ने पहले की तरह 20 से 26 फरवरी तक सात दिन की छुट्टियां घोषित की हैं।

तिब्बत का नया साल तिब्बतियों का सबसे भव्य परंपरागत त्योहार है। इसका स्रोत ईसा पूर्व से हुआ था। शुरू में उसकी कोई निश्चित तिथि नहीं थी। लोग वसंत के आगमन की अगवानी के लिए एकत्र होकर त्योहार मनाते थे। 13वीं सदी यानी साग्या प्रशासन काल में तिब्बती पंचांग के एक जनवरी को नया साल तय किया गया और तब से अब तक तिब्बती नया साल तिब्बत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार बना हुआ है।

तिब्बती नव वर्ष मनाने में तिब्बतियों की पुरानी और विशिष्ट संस्कृति निहित है। नए साल से पहले हर परिवार खासे, छेमा और जिजा तैयार करते हैं। खासे आटे से बना खाना है, जो जलेबी की तरह होता है, पर खासे के आकार भिन्न भिन्न होते हैं। कुछ लंबे होते हैं, कुछ गोल और कुछ तितली जैसे आकार के होते हैं। तले हुई खासे पर चीनी भी डाली जाती है। अभी-अभी कड़ाही से निकाले गए खासे स्वर्ण रंग के होते हैं और बहुत मीठे, सुगंधित तथा कोमल होते हैं। छेमा तिब्बत में शुभ का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं हैं, जो विशेष तौर पर बने लकड़ी बॉक्स में रखे जाते हैं।

छेमा बॉक्स आयताकार होता है, और उसके अंदर दो भाग होते हैं। एक भाग में मिश्रित घी और पक्की चेनपा (तली हुई पठारीय जौ) भरा है, जबकि दूसरे भाग में गेहूं भरा होता है। छेमा बॉक्स में कई रंगीन पठारीय जौ की बालियां भी गाढ़ी जाती हैं। नए साल में जब आप किसी तिब्बती परिवार में जाते हैं, तो मेजबान आपको छेमा भेट करते हैं। इस समय आप को छेमा से चेनपा या गेहूं के दाने निकाल कर आकाश में तीन बार छिड़कने के साथ चाशीदरे (शुभकामनाएं) कहना होता है। जिजा तो तिब्बतियों की विशिष्ट नक्काशी कला है। वह घी से बना फूल, पशु, पात्र और अन्य आकार वाली प्रतिमाएं हैं। नए साल में जिजा अकसर छेमा के साथ रखे जाते हैं।

तिब्बती लोग परंपरागत पंचांग के बारहवें महीने के 29वें दिन में औपचारिक रूप से नया साल मनाना शुरू करते हैं। उस दिन की रात तिब्बती लोग कुथु नामक विशिष्ट भोजन खाते हैं। कुथु आटे, याक बीफ व मटन, पठारीय जौ जैसे पदार्थो को एक साथ उबालकर बनाया जाता है। कुथु खाने के बाद लोग पटाखे व आतिशबाजी छोड़कर भूत भगाते हैं, ताकि नए साल में सब अच्छे ढंग से चले। नए साल की पूर्व बेला में घर के सभी लोग एक साथ खाना खाते हैं और नये साल की अगवानी करते हैं। नए साल के पहले दिन लोग जल्दी से उठते हैं और आसपास के मठ जाते हैं। लोग पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। घर लौटकर पूरे परिवार के लोग एक साथ खाना खाते हैं और मनोरंजन करते हैं, जैसे गाना व नाचना आदि। दूसरे दिन से लोग अपने सगे-संबंधियों के घर जाकर नए साल की बधाई देते हैं और विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। नववर्ष मनाने की गतिविधियां आम तौर पर पहले महीने के 15वें दिन तक जारी रहती हैं।

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बीजिंग, 19 फरवरी (आईएएनएस)। तिब्बती परंपरागत पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 में तिब्बती नया साल 21 फरवरी को पड़ता है। अब विश्व की छत पर स्थित चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में खुशी का माहौल छाया हुआ है। राजधानी ल्हासा की मुख्य सड़कों पर लालटेन लगाए गए हैं और लोग नए साल के लिए वस्तुएं खरीदने में व्यस्त हैं। बाजारों में भीड़-भाड़ दिखाई दे रही है। स्थानीय सरकार ने पहले की तरह 20 से 26 फरवरी तक सात दिन की छुट्टियां घोषित की हैं।

तिब्बत का नया साल तिब्बतियों का सबसे भव्य परंपरागत त्योहार है। इसका स्रोत ईसा पूर्व से हुआ था। शुरू में उसकी कोई निश्चित तिथि नहीं थी। लोग वसंत के आगमन की अगवानी के लिए एकत्र होकर त्योहार मनाते थे। 13वीं सदी यानी साग्या प्रशासन काल में तिब्बती पंचांग के एक जनवरी को नया साल तय किया गया और तब से अब तक तिब्बती नया साल तिब्बत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार बना हुआ है।

तिब्बती नव वर्ष मनाने में तिब्बतियों की पुरानी और विशिष्ट संस्कृति निहित है। नए साल से पहले हर परिवार खासे, छेमा और जिजा तैयार करते हैं। खासे आटे से बना खाना है, जो जलेबी की तरह होता है, पर खासे के आकार भिन्न भिन्न होते हैं। कुछ लंबे होते हैं, कुछ गोल और कुछ तितली जैसे आकार के होते हैं। तले हुई खासे पर चीनी भी डाली जाती है। अभी-अभी कड़ाही से निकाले गए खासे स्वर्ण रंग के होते हैं और बहुत मीठे, सुगंधित तथा कोमल होते हैं। छेमा तिब्बत में शुभ का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं हैं, जो विशेष तौर पर बने लकड़ी बॉक्स में रखे जाते हैं।

छेमा बॉक्स आयताकार होता है, और उसके अंदर दो भाग होते हैं। एक भाग में मिश्रित घी और पक्की चेनपा (तली हुई पठारीय जौ) भरा है, जबकि दूसरे भाग में गेहूं भरा होता है। छेमा बॉक्स में कई रंगीन पठारीय जौ की बालियां भी गाढ़ी जाती हैं। नए साल में जब आप किसी तिब्बती परिवार में जाते हैं, तो मेजबान आपको छेमा भेट करते हैं। इस समय आप को छेमा से चेनपा या गेहूं के दाने निकाल कर आकाश में तीन बार छिड़कने के साथ चाशीदरे (शुभकामनाएं) कहना होता है। जिजा तो तिब्बतियों की विशिष्ट नक्काशी कला है। वह घी से बना फूल, पशु, पात्र और अन्य आकार वाली प्रतिमाएं हैं। नए साल में जिजा अकसर छेमा के साथ रखे जाते हैं।

तिब्बती लोग परंपरागत पंचांग के बारहवें महीने के 29वें दिन में औपचारिक रूप से नया साल मनाना शुरू करते हैं। उस दिन की रात तिब्बती लोग कुथु नामक विशिष्ट भोजन खाते हैं। कुथु आटे, याक बीफ व मटन, पठारीय जौ जैसे पदार्थो को एक साथ उबालकर बनाया जाता है। कुथु खाने के बाद लोग पटाखे व आतिशबाजी छोड़कर भूत भगाते हैं, ताकि नए साल में सब अच्छे ढंग से चले। नए साल की पूर्व बेला में घर के सभी लोग एक साथ खाना खाते हैं और नये साल की अगवानी करते हैं। नए साल के पहले दिन लोग जल्दी से उठते हैं और आसपास के मठ जाते हैं। लोग पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। घर लौटकर पूरे परिवार के लोग एक साथ खाना खाते हैं और मनोरंजन करते हैं, जैसे गाना व नाचना आदि। दूसरे दिन से लोग अपने सगे-संबंधियों के घर जाकर नए साल की बधाई देते हैं और विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। नववर्ष मनाने की गतिविधियां आम तौर पर पहले महीने के 15वें दिन तक जारी रहती हैं।

(वेइतुंग, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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बीजिंग, 19 फरवरी (आईएएनएस)। तिब्बती परंपरागत पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 में तिब्बती नया साल 21 फरवरी को पड़ता है। अब विश्व की छत पर स्थित चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में खुशी का माहौल छाया हुआ है। राजधानी ल्हासा की मुख्य सड़कों पर लालटेन लगाए गए हैं और लोग नए साल के लिए वस्तुएं खरीदने में व्यस्त हैं। बाजारों में भीड़-भाड़ दिखाई दे रही है। स्थानीय सरकार ने पहले की तरह 20 से 26 फरवरी तक सात दिन की छुट्टियां घोषित की हैं।

तिब्बत का नया साल तिब्बतियों का सबसे भव्य परंपरागत त्योहार है। इसका स्रोत ईसा पूर्व से हुआ था। शुरू में उसकी कोई निश्चित तिथि नहीं थी। लोग वसंत के आगमन की अगवानी के लिए एकत्र होकर त्योहार मनाते थे। 13वीं सदी यानी साग्या प्रशासन काल में तिब्बती पंचांग के एक जनवरी को नया साल तय किया गया और तब से अब तक तिब्बती नया साल तिब्बत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार बना हुआ है।

तिब्बती नव वर्ष मनाने में तिब्बतियों की पुरानी और विशिष्ट संस्कृति निहित है। नए साल से पहले हर परिवार खासे, छेमा और जिजा तैयार करते हैं। खासे आटे से बना खाना है, जो जलेबी की तरह होता है, पर खासे के आकार भिन्न भिन्न होते हैं। कुछ लंबे होते हैं, कुछ गोल और कुछ तितली जैसे आकार के होते हैं। तले हुई खासे पर चीनी भी डाली जाती है। अभी-अभी कड़ाही से निकाले गए खासे स्वर्ण रंग के होते हैं और बहुत मीठे, सुगंधित तथा कोमल होते हैं। छेमा तिब्बत में शुभ का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं हैं, जो विशेष तौर पर बने लकड़ी बॉक्स में रखे जाते हैं।

छेमा बॉक्स आयताकार होता है, और उसके अंदर दो भाग होते हैं। एक भाग में मिश्रित घी और पक्की चेनपा (तली हुई पठारीय जौ) भरा है, जबकि दूसरे भाग में गेहूं भरा होता है। छेमा बॉक्स में कई रंगीन पठारीय जौ की बालियां भी गाढ़ी जाती हैं। नए साल में जब आप किसी तिब्बती परिवार में जाते हैं, तो मेजबान आपको छेमा भेट करते हैं। इस समय आप को छेमा से चेनपा या गेहूं के दाने निकाल कर आकाश में तीन बार छिड़कने के साथ चाशीदरे (शुभकामनाएं) कहना होता है। जिजा तो तिब्बतियों की विशिष्ट नक्काशी कला है। वह घी से बना फूल, पशु, पात्र और अन्य आकार वाली प्रतिमाएं हैं। नए साल में जिजा अकसर छेमा के साथ रखे जाते हैं।

तिब्बती लोग परंपरागत पंचांग के बारहवें महीने के 29वें दिन में औपचारिक रूप से नया साल मनाना शुरू करते हैं। उस दिन की रात तिब्बती लोग कुथु नामक विशिष्ट भोजन खाते हैं। कुथु आटे, याक बीफ व मटन, पठारीय जौ जैसे पदार्थो को एक साथ उबालकर बनाया जाता है। कुथु खाने के बाद लोग पटाखे व आतिशबाजी छोड़कर भूत भगाते हैं, ताकि नए साल में सब अच्छे ढंग से चले। नए साल की पूर्व बेला में घर के सभी लोग एक साथ खाना खाते हैं और नये साल की अगवानी करते हैं। नए साल के पहले दिन लोग जल्दी से उठते हैं और आसपास के मठ जाते हैं। लोग पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। घर लौटकर पूरे परिवार के लोग एक साथ खाना खाते हैं और मनोरंजन करते हैं, जैसे गाना व नाचना आदि। दूसरे दिन से लोग अपने सगे-संबंधियों के घर जाकर नए साल की बधाई देते हैं और विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। नववर्ष मनाने की गतिविधियां आम तौर पर पहले महीने के 15वें दिन तक जारी रहती हैं।

(वेइतुंग, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

–आईएएनएस

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बीजिंग, 19 फरवरी (आईएएनएस)। तिब्बती परंपरागत पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 में तिब्बती नया साल 21 फरवरी को पड़ता है। अब विश्व की छत पर स्थित चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में खुशी का माहौल छाया हुआ है। राजधानी ल्हासा की मुख्य सड़कों पर लालटेन लगाए गए हैं और लोग नए साल के लिए वस्तुएं खरीदने में व्यस्त हैं। बाजारों में भीड़-भाड़ दिखाई दे रही है। स्थानीय सरकार ने पहले की तरह 20 से 26 फरवरी तक सात दिन की छुट्टियां घोषित की हैं।

तिब्बत का नया साल तिब्बतियों का सबसे भव्य परंपरागत त्योहार है। इसका स्रोत ईसा पूर्व से हुआ था। शुरू में उसकी कोई निश्चित तिथि नहीं थी। लोग वसंत के आगमन की अगवानी के लिए एकत्र होकर त्योहार मनाते थे। 13वीं सदी यानी साग्या प्रशासन काल में तिब्बती पंचांग के एक जनवरी को नया साल तय किया गया और तब से अब तक तिब्बती नया साल तिब्बत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार बना हुआ है।

तिब्बती नव वर्ष मनाने में तिब्बतियों की पुरानी और विशिष्ट संस्कृति निहित है। नए साल से पहले हर परिवार खासे, छेमा और जिजा तैयार करते हैं। खासे आटे से बना खाना है, जो जलेबी की तरह होता है, पर खासे के आकार भिन्न भिन्न होते हैं। कुछ लंबे होते हैं, कुछ गोल और कुछ तितली जैसे आकार के होते हैं। तले हुई खासे पर चीनी भी डाली जाती है। अभी-अभी कड़ाही से निकाले गए खासे स्वर्ण रंग के होते हैं और बहुत मीठे, सुगंधित तथा कोमल होते हैं। छेमा तिब्बत में शुभ का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं हैं, जो विशेष तौर पर बने लकड़ी बॉक्स में रखे जाते हैं।

छेमा बॉक्स आयताकार होता है, और उसके अंदर दो भाग होते हैं। एक भाग में मिश्रित घी और पक्की चेनपा (तली हुई पठारीय जौ) भरा है, जबकि दूसरे भाग में गेहूं भरा होता है। छेमा बॉक्स में कई रंगीन पठारीय जौ की बालियां भी गाढ़ी जाती हैं। नए साल में जब आप किसी तिब्बती परिवार में जाते हैं, तो मेजबान आपको छेमा भेट करते हैं। इस समय आप को छेमा से चेनपा या गेहूं के दाने निकाल कर आकाश में तीन बार छिड़कने के साथ चाशीदरे (शुभकामनाएं) कहना होता है। जिजा तो तिब्बतियों की विशिष्ट नक्काशी कला है। वह घी से बना फूल, पशु, पात्र और अन्य आकार वाली प्रतिमाएं हैं। नए साल में जिजा अकसर छेमा के साथ रखे जाते हैं।

तिब्बती लोग परंपरागत पंचांग के बारहवें महीने के 29वें दिन में औपचारिक रूप से नया साल मनाना शुरू करते हैं। उस दिन की रात तिब्बती लोग कुथु नामक विशिष्ट भोजन खाते हैं। कुथु आटे, याक बीफ व मटन, पठारीय जौ जैसे पदार्थो को एक साथ उबालकर बनाया जाता है। कुथु खाने के बाद लोग पटाखे व आतिशबाजी छोड़कर भूत भगाते हैं, ताकि नए साल में सब अच्छे ढंग से चले। नए साल की पूर्व बेला में घर के सभी लोग एक साथ खाना खाते हैं और नये साल की अगवानी करते हैं। नए साल के पहले दिन लोग जल्दी से उठते हैं और आसपास के मठ जाते हैं। लोग पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। घर लौटकर पूरे परिवार के लोग एक साथ खाना खाते हैं और मनोरंजन करते हैं, जैसे गाना व नाचना आदि। दूसरे दिन से लोग अपने सगे-संबंधियों के घर जाकर नए साल की बधाई देते हैं और विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। नववर्ष मनाने की गतिविधियां आम तौर पर पहले महीने के 15वें दिन तक जारी रहती हैं।

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तिब्बत का नया साल तिब्बतियों का सबसे भव्य परंपरागत त्योहार है। इसका स्रोत ईसा पूर्व से हुआ था। शुरू में उसकी कोई निश्चित तिथि नहीं थी। लोग वसंत के आगमन की अगवानी के लिए एकत्र होकर त्योहार मनाते थे। 13वीं सदी यानी साग्या प्रशासन काल में तिब्बती पंचांग के एक जनवरी को नया साल तय किया गया और तब से अब तक तिब्बती नया साल तिब्बत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार बना हुआ है।

तिब्बती नव वर्ष मनाने में तिब्बतियों की पुरानी और विशिष्ट संस्कृति निहित है। नए साल से पहले हर परिवार खासे, छेमा और जिजा तैयार करते हैं। खासे आटे से बना खाना है, जो जलेबी की तरह होता है, पर खासे के आकार भिन्न भिन्न होते हैं। कुछ लंबे होते हैं, कुछ गोल और कुछ तितली जैसे आकार के होते हैं। तले हुई खासे पर चीनी भी डाली जाती है। अभी-अभी कड़ाही से निकाले गए खासे स्वर्ण रंग के होते हैं और बहुत मीठे, सुगंधित तथा कोमल होते हैं। छेमा तिब्बत में शुभ का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं हैं, जो विशेष तौर पर बने लकड़ी बॉक्स में रखे जाते हैं।

छेमा बॉक्स आयताकार होता है, और उसके अंदर दो भाग होते हैं। एक भाग में मिश्रित घी और पक्की चेनपा (तली हुई पठारीय जौ) भरा है, जबकि दूसरे भाग में गेहूं भरा होता है। छेमा बॉक्स में कई रंगीन पठारीय जौ की बालियां भी गाढ़ी जाती हैं। नए साल में जब आप किसी तिब्बती परिवार में जाते हैं, तो मेजबान आपको छेमा भेट करते हैं। इस समय आप को छेमा से चेनपा या गेहूं के दाने निकाल कर आकाश में तीन बार छिड़कने के साथ चाशीदरे (शुभकामनाएं) कहना होता है। जिजा तो तिब्बतियों की विशिष्ट नक्काशी कला है। वह घी से बना फूल, पशु, पात्र और अन्य आकार वाली प्रतिमाएं हैं। नए साल में जिजा अकसर छेमा के साथ रखे जाते हैं।

तिब्बती लोग परंपरागत पंचांग के बारहवें महीने के 29वें दिन में औपचारिक रूप से नया साल मनाना शुरू करते हैं। उस दिन की रात तिब्बती लोग कुथु नामक विशिष्ट भोजन खाते हैं। कुथु आटे, याक बीफ व मटन, पठारीय जौ जैसे पदार्थो को एक साथ उबालकर बनाया जाता है। कुथु खाने के बाद लोग पटाखे व आतिशबाजी छोड़कर भूत भगाते हैं, ताकि नए साल में सब अच्छे ढंग से चले। नए साल की पूर्व बेला में घर के सभी लोग एक साथ खाना खाते हैं और नये साल की अगवानी करते हैं। नए साल के पहले दिन लोग जल्दी से उठते हैं और आसपास के मठ जाते हैं। लोग पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। घर लौटकर पूरे परिवार के लोग एक साथ खाना खाते हैं और मनोरंजन करते हैं, जैसे गाना व नाचना आदि। दूसरे दिन से लोग अपने सगे-संबंधियों के घर जाकर नए साल की बधाई देते हैं और विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। नववर्ष मनाने की गतिविधियां आम तौर पर पहले महीने के 15वें दिन तक जारी रहती हैं।

(वेइतुंग, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

–आईएएनएस

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बीजिंग, 19 फरवरी (आईएएनएस)। तिब्बती परंपरागत पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 में तिब्बती नया साल 21 फरवरी को पड़ता है। अब विश्व की छत पर स्थित चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में खुशी का माहौल छाया हुआ है। राजधानी ल्हासा की मुख्य सड़कों पर लालटेन लगाए गए हैं और लोग नए साल के लिए वस्तुएं खरीदने में व्यस्त हैं। बाजारों में भीड़-भाड़ दिखाई दे रही है। स्थानीय सरकार ने पहले की तरह 20 से 26 फरवरी तक सात दिन की छुट्टियां घोषित की हैं।

तिब्बत का नया साल तिब्बतियों का सबसे भव्य परंपरागत त्योहार है। इसका स्रोत ईसा पूर्व से हुआ था। शुरू में उसकी कोई निश्चित तिथि नहीं थी। लोग वसंत के आगमन की अगवानी के लिए एकत्र होकर त्योहार मनाते थे। 13वीं सदी यानी साग्या प्रशासन काल में तिब्बती पंचांग के एक जनवरी को नया साल तय किया गया और तब से अब तक तिब्बती नया साल तिब्बत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार बना हुआ है।

तिब्बती नव वर्ष मनाने में तिब्बतियों की पुरानी और विशिष्ट संस्कृति निहित है। नए साल से पहले हर परिवार खासे, छेमा और जिजा तैयार करते हैं। खासे आटे से बना खाना है, जो जलेबी की तरह होता है, पर खासे के आकार भिन्न भिन्न होते हैं। कुछ लंबे होते हैं, कुछ गोल और कुछ तितली जैसे आकार के होते हैं। तले हुई खासे पर चीनी भी डाली जाती है। अभी-अभी कड़ाही से निकाले गए खासे स्वर्ण रंग के होते हैं और बहुत मीठे, सुगंधित तथा कोमल होते हैं। छेमा तिब्बत में शुभ का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं हैं, जो विशेष तौर पर बने लकड़ी बॉक्स में रखे जाते हैं।

छेमा बॉक्स आयताकार होता है, और उसके अंदर दो भाग होते हैं। एक भाग में मिश्रित घी और पक्की चेनपा (तली हुई पठारीय जौ) भरा है, जबकि दूसरे भाग में गेहूं भरा होता है। छेमा बॉक्स में कई रंगीन पठारीय जौ की बालियां भी गाढ़ी जाती हैं। नए साल में जब आप किसी तिब्बती परिवार में जाते हैं, तो मेजबान आपको छेमा भेट करते हैं। इस समय आप को छेमा से चेनपा या गेहूं के दाने निकाल कर आकाश में तीन बार छिड़कने के साथ चाशीदरे (शुभकामनाएं) कहना होता है। जिजा तो तिब्बतियों की विशिष्ट नक्काशी कला है। वह घी से बना फूल, पशु, पात्र और अन्य आकार वाली प्रतिमाएं हैं। नए साल में जिजा अकसर छेमा के साथ रखे जाते हैं।

तिब्बती लोग परंपरागत पंचांग के बारहवें महीने के 29वें दिन में औपचारिक रूप से नया साल मनाना शुरू करते हैं। उस दिन की रात तिब्बती लोग कुथु नामक विशिष्ट भोजन खाते हैं। कुथु आटे, याक बीफ व मटन, पठारीय जौ जैसे पदार्थो को एक साथ उबालकर बनाया जाता है। कुथु खाने के बाद लोग पटाखे व आतिशबाजी छोड़कर भूत भगाते हैं, ताकि नए साल में सब अच्छे ढंग से चले। नए साल की पूर्व बेला में घर के सभी लोग एक साथ खाना खाते हैं और नये साल की अगवानी करते हैं। नए साल के पहले दिन लोग जल्दी से उठते हैं और आसपास के मठ जाते हैं। लोग पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। घर लौटकर पूरे परिवार के लोग एक साथ खाना खाते हैं और मनोरंजन करते हैं, जैसे गाना व नाचना आदि। दूसरे दिन से लोग अपने सगे-संबंधियों के घर जाकर नए साल की बधाई देते हैं और विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। नववर्ष मनाने की गतिविधियां आम तौर पर पहले महीने के 15वें दिन तक जारी रहती हैं।

(वेइतुंग, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

–आईएएनएस

एसजीके

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बीजिंग, 19 फरवरी (आईएएनएस)। तिब्बती परंपरागत पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 में तिब्बती नया साल 21 फरवरी को पड़ता है। अब विश्व की छत पर स्थित चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में खुशी का माहौल छाया हुआ है। राजधानी ल्हासा की मुख्य सड़कों पर लालटेन लगाए गए हैं और लोग नए साल के लिए वस्तुएं खरीदने में व्यस्त हैं। बाजारों में भीड़-भाड़ दिखाई दे रही है। स्थानीय सरकार ने पहले की तरह 20 से 26 फरवरी तक सात दिन की छुट्टियां घोषित की हैं।

तिब्बत का नया साल तिब्बतियों का सबसे भव्य परंपरागत त्योहार है। इसका स्रोत ईसा पूर्व से हुआ था। शुरू में उसकी कोई निश्चित तिथि नहीं थी। लोग वसंत के आगमन की अगवानी के लिए एकत्र होकर त्योहार मनाते थे। 13वीं सदी यानी साग्या प्रशासन काल में तिब्बती पंचांग के एक जनवरी को नया साल तय किया गया और तब से अब तक तिब्बती नया साल तिब्बत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार बना हुआ है।

तिब्बती नव वर्ष मनाने में तिब्बतियों की पुरानी और विशिष्ट संस्कृति निहित है। नए साल से पहले हर परिवार खासे, छेमा और जिजा तैयार करते हैं। खासे आटे से बना खाना है, जो जलेबी की तरह होता है, पर खासे के आकार भिन्न भिन्न होते हैं। कुछ लंबे होते हैं, कुछ गोल और कुछ तितली जैसे आकार के होते हैं। तले हुई खासे पर चीनी भी डाली जाती है। अभी-अभी कड़ाही से निकाले गए खासे स्वर्ण रंग के होते हैं और बहुत मीठे, सुगंधित तथा कोमल होते हैं। छेमा तिब्बत में शुभ का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं हैं, जो विशेष तौर पर बने लकड़ी बॉक्स में रखे जाते हैं।

छेमा बॉक्स आयताकार होता है, और उसके अंदर दो भाग होते हैं। एक भाग में मिश्रित घी और पक्की चेनपा (तली हुई पठारीय जौ) भरा है, जबकि दूसरे भाग में गेहूं भरा होता है। छेमा बॉक्स में कई रंगीन पठारीय जौ की बालियां भी गाढ़ी जाती हैं। नए साल में जब आप किसी तिब्बती परिवार में जाते हैं, तो मेजबान आपको छेमा भेट करते हैं। इस समय आप को छेमा से चेनपा या गेहूं के दाने निकाल कर आकाश में तीन बार छिड़कने के साथ चाशीदरे (शुभकामनाएं) कहना होता है। जिजा तो तिब्बतियों की विशिष्ट नक्काशी कला है। वह घी से बना फूल, पशु, पात्र और अन्य आकार वाली प्रतिमाएं हैं। नए साल में जिजा अकसर छेमा के साथ रखे जाते हैं।

तिब्बती लोग परंपरागत पंचांग के बारहवें महीने के 29वें दिन में औपचारिक रूप से नया साल मनाना शुरू करते हैं। उस दिन की रात तिब्बती लोग कुथु नामक विशिष्ट भोजन खाते हैं। कुथु आटे, याक बीफ व मटन, पठारीय जौ जैसे पदार्थो को एक साथ उबालकर बनाया जाता है। कुथु खाने के बाद लोग पटाखे व आतिशबाजी छोड़कर भूत भगाते हैं, ताकि नए साल में सब अच्छे ढंग से चले। नए साल की पूर्व बेला में घर के सभी लोग एक साथ खाना खाते हैं और नये साल की अगवानी करते हैं। नए साल के पहले दिन लोग जल्दी से उठते हैं और आसपास के मठ जाते हैं। लोग पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। घर लौटकर पूरे परिवार के लोग एक साथ खाना खाते हैं और मनोरंजन करते हैं, जैसे गाना व नाचना आदि। दूसरे दिन से लोग अपने सगे-संबंधियों के घर जाकर नए साल की बधाई देते हैं और विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। नववर्ष मनाने की गतिविधियां आम तौर पर पहले महीने के 15वें दिन तक जारी रहती हैं।

(वेइतुंग, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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बीजिंग, 19 फरवरी (आईएएनएस)। तिब्बती परंपरागत पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 में तिब्बती नया साल 21 फरवरी को पड़ता है। अब विश्व की छत पर स्थित चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में खुशी का माहौल छाया हुआ है। राजधानी ल्हासा की मुख्य सड़कों पर लालटेन लगाए गए हैं और लोग नए साल के लिए वस्तुएं खरीदने में व्यस्त हैं। बाजारों में भीड़-भाड़ दिखाई दे रही है। स्थानीय सरकार ने पहले की तरह 20 से 26 फरवरी तक सात दिन की छुट्टियां घोषित की हैं।

तिब्बत का नया साल तिब्बतियों का सबसे भव्य परंपरागत त्योहार है। इसका स्रोत ईसा पूर्व से हुआ था। शुरू में उसकी कोई निश्चित तिथि नहीं थी। लोग वसंत के आगमन की अगवानी के लिए एकत्र होकर त्योहार मनाते थे। 13वीं सदी यानी साग्या प्रशासन काल में तिब्बती पंचांग के एक जनवरी को नया साल तय किया गया और तब से अब तक तिब्बती नया साल तिब्बत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार बना हुआ है।

तिब्बती नव वर्ष मनाने में तिब्बतियों की पुरानी और विशिष्ट संस्कृति निहित है। नए साल से पहले हर परिवार खासे, छेमा और जिजा तैयार करते हैं। खासे आटे से बना खाना है, जो जलेबी की तरह होता है, पर खासे के आकार भिन्न भिन्न होते हैं। कुछ लंबे होते हैं, कुछ गोल और कुछ तितली जैसे आकार के होते हैं। तले हुई खासे पर चीनी भी डाली जाती है। अभी-अभी कड़ाही से निकाले गए खासे स्वर्ण रंग के होते हैं और बहुत मीठे, सुगंधित तथा कोमल होते हैं। छेमा तिब्बत में शुभ का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं हैं, जो विशेष तौर पर बने लकड़ी बॉक्स में रखे जाते हैं।

छेमा बॉक्स आयताकार होता है, और उसके अंदर दो भाग होते हैं। एक भाग में मिश्रित घी और पक्की चेनपा (तली हुई पठारीय जौ) भरा है, जबकि दूसरे भाग में गेहूं भरा होता है। छेमा बॉक्स में कई रंगीन पठारीय जौ की बालियां भी गाढ़ी जाती हैं। नए साल में जब आप किसी तिब्बती परिवार में जाते हैं, तो मेजबान आपको छेमा भेट करते हैं। इस समय आप को छेमा से चेनपा या गेहूं के दाने निकाल कर आकाश में तीन बार छिड़कने के साथ चाशीदरे (शुभकामनाएं) कहना होता है। जिजा तो तिब्बतियों की विशिष्ट नक्काशी कला है। वह घी से बना फूल, पशु, पात्र और अन्य आकार वाली प्रतिमाएं हैं। नए साल में जिजा अकसर छेमा के साथ रखे जाते हैं।

तिब्बती लोग परंपरागत पंचांग के बारहवें महीने के 29वें दिन में औपचारिक रूप से नया साल मनाना शुरू करते हैं। उस दिन की रात तिब्बती लोग कुथु नामक विशिष्ट भोजन खाते हैं। कुथु आटे, याक बीफ व मटन, पठारीय जौ जैसे पदार्थो को एक साथ उबालकर बनाया जाता है। कुथु खाने के बाद लोग पटाखे व आतिशबाजी छोड़कर भूत भगाते हैं, ताकि नए साल में सब अच्छे ढंग से चले। नए साल की पूर्व बेला में घर के सभी लोग एक साथ खाना खाते हैं और नये साल की अगवानी करते हैं। नए साल के पहले दिन लोग जल्दी से उठते हैं और आसपास के मठ जाते हैं। लोग पूजा करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। घर लौटकर पूरे परिवार के लोग एक साथ खाना खाते हैं और मनोरंजन करते हैं, जैसे गाना व नाचना आदि। दूसरे दिन से लोग अपने सगे-संबंधियों के घर जाकर नए साल की बधाई देते हैं और विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। नववर्ष मनाने की गतिविधियां आम तौर पर पहले महीने के 15वें दिन तक जारी रहती हैं।

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