वाशिंगटन, 5 जनवरी (आईएएनएस)। दुनिया के कई देशों के साथ चीन कोरोना वायरस से जूझ रहा है। दिसंबर की शुरुआत में चीनी अधिकारियों द्वारा कोरोना वायरस के प्रसार को काबू करने के उद्देश्य से सख्त लॉकडाउन लगया गया, जिसके बाद चीन के तिब्बती क्षेत्रों में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
तिब्बत में रहने वाले एक सूत्र के मुताबिक, तिब्बत की राजधानी ल्हासा में 7 दिसंबर को बीजिंग की शून्य-कोविड नीति के तहत प्रतिबंध हटाए जाने के बाद से 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। आरएएफ ने सूत्रों के हवाले से बताया कि 2 जनवरी को माल्ड्रो गोंगकर के ड्रिगुंग शमशान में 64, त्सेमोनलिंग कब्रिस्तान में 30, सेरा शमशान में 17 और 15 शवों का अंतिम संस्कार किया गया। सूत्र ने कहा कि इससे पहले ल्हासा क्षेत्र के इन शमशानों में हर दिन केवल तीन से चार शवों का अंतिम संस्कार किया जाता था।
अन्य सूत्रों ने कहा कि सिचुआन, गांसु और किंघाई के पश्चिमी चीनी प्रांतों के कई क्षेत्रों में भी तिब्बतियों की मौत हुई है। सिचुआन में नगाबा के कीर्ति शमशान में इतने शव लाए गए कि कुछ गिद्धों को खिलाने के लिए रखे गए।
तिब्बत के एक अन्य सूत्र ने कहा कि अकेले नगाबा काउंटी के मेरुमा गांव में 7 दिसंबर से 3 जनवरी के बीच 15 बुजुर्ग तिब्बतियों की मौत हो गई थी। लेकिन चीनी सरकार ने समय पर चिकित्सा उपचार प्रदान करने के लिए किसी भी परीक्षण स्थल या सुविधाओं की पेशकश नहीं की है, जो बहुत ही चिंताजनक है।
सूत्र ने कहा कि हर दिन 10 से 15 शवों को कीर्ति मठ अंतिम संस्कार के लिए लाया जा रहा है। लेकिन पिछले चार दिनों में करीब 10 कीर्ति भिक्षुओं की मौत हो गई है। मृतकों और संक्रमितों के लिए प्रार्थना सभाओं में शामिल होने वाले कई लोग भी बीमार पड़ गए हैं।
सिचुआन के डर्ज काउंटी में रहने वाले एक तिब्बती ने अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि तिब्बत में एक भी जगह ऐसी नहीं है जहां कोरोना नहीं पहुंचा है। एक सूत्र का कहना है कि मेरे अपने क्षेत्र में लोग अब तेज बुखार जैसे लक्षणों के साथ बीमार हो रहे हैं और बच्चों को वैक्सीन की डोज देने की इजाजत नहीं है, जोकि ज्यादा चिंताजनक है।
–आईएएनएस
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