मुंबई, 28 अगस्त (आईएएनएस)। भारत सरकार यूपीआई को वैश्विक भुगतान सिस्टम बनाने पर जोर दे रही है। इस सब के बीच अमेरिका के फेडरल रिजर्व गवर्नर क्रिस्टोफर वालर ने बुधवार को कहा कि निजी अमेरिकी बैंक भारत के यूपीआई सिस्टम के साथ तीव्र भुगतान के लिए जुड़ सकते हैं।
साथ ही कहा कि क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट इंटरलिंकिंग जी-20 में तय किए गए मुख्य लक्ष्य में से एक है।
मुंबई में ‘ग्लोबल फिनटेक फेस्ट’ में कहा कि अमेरिका के पास इसे एक फुल-सर्विस प्रोडक्ट्स बनाने के लिए पर्याप्त बैंक नहीं है, लेकिन हमारे पास कुछ प्राइवेट बैंक है, जो यूपीआई से जुड़ सकते हैं। इस तरह के एकीकरण के लिए हमें एक अलग सिस्टम बनाना होगा।
वालर ने भारत के डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) की सराहना की और कहा कि इससे करोड़ों लोगों की जिंदगी में बदलाव आया है और वित्तीय सेवाएं अंतिम व्यक्ति तक पहुंची हैं।
वालर आगे कहा कि टेक्नोलॉजी आधारित क्रांति ने भारत में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के साथ ‘टेक्नोलॉजी स्टैक’ बनाने में मदद की है। इसके काफी कम लागत में वित्तीय सेवाओं को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में सफलता मिली है।
यूएस फेड अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंटरलिंकिंग पेमेंट सिस्टम की स्पीड बढ़ाने और सिस्टम को सुधारने के लिए काम करता रहेगा।
आगे उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि क्रॉस-बॉर्डर लेनदेन को तेज करने के लिए भविष्य में नई टेक्निकल क्षमताएं विकसित होंगी।”
लेनदेन के लिए यूपीआई का इस्तेमाल पूरे देश में हो रहा है। यूपीआई से हर महीने करीब 60 लाख लोग जुड़ रहे हैं। एनपीसीआई की ओर से एक अरब यूपीआई लेनदेन प्रतिदिन का लक्ष्य आने वाले वर्षों के लिए तय किया है।
यूपीआई से लेनदेन को बढ़ाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से हाल ही में टैक्स भुगतान की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है।
–आईएएनएस
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