मुंबई, 16 नवंबर (आईएएनएस)। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के बुलेटिन में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के बीच देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर मौजूद वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही में बढ़ने होने की उम्मीद है। केंद्रीय बैंक के बुलेटिन में इसकी वजह “त्योहारी मांग में तेजी” बताई गई है।
नवंबर के आरबीआई बुलेटिन में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर लेख में कहा गया है कि सरकार के बुनियादी ढांचे पर खर्च, निजी पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी, स्वचालन, डिजिटलीकरण और स्वदेशीकरण को बढ़ावा मिलने से निवेश मांग लचीली दिख रही है। ओवरऑल मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2022-23 के 6.7 प्रतिशत और जुलाई-अगस्त 2023 के 7.1 प्रतिशत के औसत से घटकर अक्टूबर में 4.9 प्रतिशत रह गई।
हालाँकि, साथ ही चेतावनी भी दी गई है: “हम अभी तक संकट से बाहर नहीं निकले हैं और हमें मीलों चलना है, लेकिन सितंबर और अक्टूबर में क्रमशः लगभग पांच प्रतिशत और 4.9 प्रतिशत के आंकड़े स्वागत योग्य राहत हैं।”
लेख में कहा गया है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति कार्रवाई और आपूर्ति पक्ष के हस्तक्षेप के संयोजन से मुद्रास्फीति कम हुई है। इसमें कहा गया है, “शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ता उपकरणों की मजबूत मांग है, खासकर मध्य और प्रीमियम सेगमेंट में। ग्राहक भावना बेहतरीन है।”
लेखकों की राय में लचीले पूंजी प्रवाह, भारतीय मुद्रा की स्थिरता और विदेशी मुद्रा भंडार के उच्च स्तर द्वारा वित्तपोषित मामूली चालू खाता घाटा (सीएडी) के साथ भारत का बाहरी क्षेत्र व्यवहार्य बना हुआ है। विकास की गति तेज हो गई है, जिससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) महामारी-पूर्व के स्तर से काफी ऊपर पहुंच गया है और बाजार विनिमय दरों पर भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।
इस लेख के लेखकों में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा और केंद्रीय बैंक के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। हालाँकि, व्यक्त किए गए विचार लेखकों के हैं और आरबीआई के आधिकारिक रुख को नहीं दर्शाते हैं।
–आईएएनएस
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