रांची, 19 फरवरी (आईएएनएस)। झारखंड की चंपई सोरेन सरकार की कैबिनेट में शामिल अपनी ही पार्टी के चार मंत्रियों के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले कांग्रेस के विधायक सोमवार को तीसरे दिन भी दिल्ली में जमे हैं। इन विधायकों का कहना है कि उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे 23 फरवरी से आयोजित होने वाले विधानसभा के बजट सत्र में शामिल नहीं होंगे।
नाराज विधायकों की संख्या 12 है। इनमें से नौ एक साथ शनिवार की शाम से दिल्ली के एक रिजॉर्ट में टिके हुए हैं। वे पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल से मिलकर अपनी बात रखना चाहते हैं, लेकिन सोमवार दोपहर 12 बजे तक इन्हें मुलाकात का वक्त नहीं मिला है।
रविवार को झारखंड कांग्रेस के प्रभारी गुलाम अहमद मीर और मध्यप्रदेश कांग्रेस विधायक दल के नेता उमंग सिंघार ने नाराज कांग्रेस विधायकों से मिलकर उनसे वन-टू-वन बात की। विधायकों की नाराजगी इस बात को लेकर है कि हेमंत सोरेन की कैबिनेट में पार्टी के जिन चार विधायकों को मंत्री पद की जिम्मेदारी मिली थी, उन्हें चंपई सोरेन की सरकार में क्यों रिपीट किया गया? इनमें से किसी की परफॉर्मेंस अच्छी नहीं रही है।
उन्होंने पार्टी के दूसरे विधायकों और आम कार्यकर्ताओं की लगातार उपेक्षा की है और यह बात पहले भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक कई बार पहुंचाई गई है। नेतृत्व ने चंपई सोरेन की कैबिनेट में इन मंत्रियों के बजाय दूसरे विधायकों को मौका देने को लेकर आश्वस्त किया था, लेकिन इसके बाद भी आखिरी समय में पुराने चेहरों को ही मौका दिया गया। क्या बाकी विधायक नाकाबिल हैं?
अगर ये विधायक अपनी मांग पर अड़े रहे और बजट सत्र में गैरहाजिर रहे तो चंपई सोरेन की सरकार विधानसभा सत्र के दौरान खतरे में पड़ सकती है। बजट मनी बिल होता है और इसपर मतदान के दौरान अल्पमत में रहने से सरकार गिर सकती है।
दिल्ली में जमे कांग्रेस विधायकों में जयमंगल सिंह ऊर्फ अनूप सिंह, इरफान अंसारी, राजेश कच्छप, भूषण बाड़ा, उमाशंकर अकेला, दीपिका पांडेय सिंह, सोनाराम सिंकू, अंबा प्रसाद और पूर्णिमा नीरज सिंह शामिल हैं। दिल्ली के पहले रांची में हुई इन विक्षुब्ध विधायकों की बैठक में शिल्पी नेहा तिर्की और नमन विक्सल कोंगाड़ी भी शामिल थे।
-आईएएनएस
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