हैदराबाद, 21 फरवरी (आईएएनएस)। तेलंगाना हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार को पुलिस हिरासत में कथित यातना के बाद 35 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत पर एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश उज्जल भुइयां ने मीडिया रिपोर्ट को स्वप्रेरणा (स्वत) से रिट याचिका के रूप में परिवर्तित किया और मंगलवार को इसे सुनवाई के लिए ले लिया।
कादिर की मौत को लेकर तेलंगाना के मेदक जिले के चार पुलिस अधिकारियों को रविवार को निलंबित कर दिया गया है। दिहाड़ी मजदूर कादिर ने 17 फरवरी को पुलिस की प्रताड़ना की वजह लगी चोटों के कारण दम तोड़ दिया था।
पुलिस ने कादिर को चोरी के एक मामले में शामिल होने के संदेह में 29 जनवरी को हैदराबाद में स्थित उसकी बहन के घर से उठाया गया था। यहां से पुलिस कादिर को मेदक ले गई जहां पुलिस ने कथित तौर पर उसे पांच दिनों तक अवैध हिरासत में रखा और प्रताड़ित किया।
बेगुनाह साबित होने के बाद कादिर को 2 फरवरी को छोड़ दिया गया था। कादिर के परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें उसे थर्ड-डिग्री देकर प्रताड़ित किया। कथित प्रताड़ना के कारण कादिर अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सका और उसके गुर्दे भी खराब हो गए। 9 फरवरी को कादिर को मेदक के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
लगातार हालत बिगड़ने की वजह से कादिर को बेहतर इलाज के लिए हैदराबाद के गांधी अस्पताल रेफर कर दिया गया। हालांकि, 17 फरवरी को कादिर ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
मेदक के एक अस्पताल में इलाज के दौरान दिए गए एक वीडियो बयान में पीड़ित ने तीन पुलिस अधिकारियों का नाम लिया था, जिन्होंने उसे हिरासत में प्रताड़ित किया था।
काादिर ने कहा कि मेदक शहर के सब-इंस्पेक्टर राजशेखर और कांस्टेबल प्रशांत और पवन कुमार ने उसके साथ मारपीट की। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अंजनी कुमार ने हादसे की वरिष्ठ अधिकारी से जांच कराने के आदेश दिए हैं।
पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) चंद्रशेखर रेड्डी ने 19 फरवरी को सर्किल इंस्पेक्टर मधु सहित चार पुलिसकर्मियों को निलंबित करने का आदेश दिया था। पुलिस विभाग ने इसमें शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू कर दी है।
–आईएएनएस
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