अगरतला, 12 जून (आईएएनएस)। त्रिपुरा में मणिपुर के लोगों ने अपने गृह राज्य में लोगों से शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने का आग्रह करने के लिए यहां मोमबत्ती जलाकर धरना-प्रदर्शन किया।
3 मई से मणिपुर में जातीय हिंसा की निंदा करते हुए हजारों पुरुषों और महिलाओं ने हाथों में तख्तियां और बैनर लिए और नारे लगाते हुए, पीड़ितों के परिवारों और विनाशकारी हिंसा से प्रभावित अन्य लोगों के साथ अपनी एकजुटता जताई।
मणिपुर में बेगुनाह लोगों की हत्या रोकने और शांति और सामान्य स्थिति लाने के लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों द्वारा तत्काल कार्रवाई और उचित कदम उठाने की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने नागरिक समाज संगठनों से संकट की इस घड़ी में सकारात्मक भूमिका निभाने का भी आग्रह किया।
वे हाथों में मोमबत्तियां और कोई अलग प्रशासन नहीं और मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बचाओ जैसे नारे लिखे हुए तख्तियां लिए हुए थे। उन्होंने सभी समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व की बहाली के लिए जोश से आग्रह किया, जैसा कि अतीत में देखा गया था।
कैंडललाइट प्रदर्शन पुथिबा वेलफेयर एंड कल्चरल सोसाइटी और ऑल त्रिपुरा मेइती समुदाय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया।
शिक्षा, नौकरी और अन्य विभिन्न कार्यो के लिए त्रिपुरा में रह रहे मणिपुर के लोगों ने भी राजधानी शहर के बाहरी इलाके अबोयनगर में आयोजित प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
त्रिपुरा में लगभग 30,000 मणिपुरी लोग दशकों से रह रहे हैं, जिनमें ज्यादातर मेइती समुदाय से हैं।
–आईएएनएस
एसजीके
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अगरतला, 12 जून (आईएएनएस)। त्रिपुरा में मणिपुर के लोगों ने अपने गृह राज्य में लोगों से शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने का आग्रह करने के लिए यहां मोमबत्ती जलाकर धरना-प्रदर्शन किया।
3 मई से मणिपुर में जातीय हिंसा की निंदा करते हुए हजारों पुरुषों और महिलाओं ने हाथों में तख्तियां और बैनर लिए और नारे लगाते हुए, पीड़ितों के परिवारों और विनाशकारी हिंसा से प्रभावित अन्य लोगों के साथ अपनी एकजुटता जताई।
मणिपुर में बेगुनाह लोगों की हत्या रोकने और शांति और सामान्य स्थिति लाने के लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों द्वारा तत्काल कार्रवाई और उचित कदम उठाने की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने नागरिक समाज संगठनों से संकट की इस घड़ी में सकारात्मक भूमिका निभाने का भी आग्रह किया।
वे हाथों में मोमबत्तियां और कोई अलग प्रशासन नहीं और मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बचाओ जैसे नारे लिखे हुए तख्तियां लिए हुए थे। उन्होंने सभी समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व की बहाली के लिए जोश से आग्रह किया, जैसा कि अतीत में देखा गया था।
कैंडललाइट प्रदर्शन पुथिबा वेलफेयर एंड कल्चरल सोसाइटी और ऑल त्रिपुरा मेइती समुदाय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया।
शिक्षा, नौकरी और अन्य विभिन्न कार्यो के लिए त्रिपुरा में रह रहे मणिपुर के लोगों ने भी राजधानी शहर के बाहरी इलाके अबोयनगर में आयोजित प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
त्रिपुरा में लगभग 30,000 मणिपुरी लोग दशकों से रह रहे हैं, जिनमें ज्यादातर मेइती समुदाय से हैं।
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अगरतला, 12 जून (आईएएनएस)। त्रिपुरा में मणिपुर के लोगों ने अपने गृह राज्य में लोगों से शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने का आग्रह करने के लिए यहां मोमबत्ती जलाकर धरना-प्रदर्शन किया।
3 मई से मणिपुर में जातीय हिंसा की निंदा करते हुए हजारों पुरुषों और महिलाओं ने हाथों में तख्तियां और बैनर लिए और नारे लगाते हुए, पीड़ितों के परिवारों और विनाशकारी हिंसा से प्रभावित अन्य लोगों के साथ अपनी एकजुटता जताई।
मणिपुर में बेगुनाह लोगों की हत्या रोकने और शांति और सामान्य स्थिति लाने के लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों द्वारा तत्काल कार्रवाई और उचित कदम उठाने की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने नागरिक समाज संगठनों से संकट की इस घड़ी में सकारात्मक भूमिका निभाने का भी आग्रह किया।
वे हाथों में मोमबत्तियां और कोई अलग प्रशासन नहीं और मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बचाओ जैसे नारे लिखे हुए तख्तियां लिए हुए थे। उन्होंने सभी समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व की बहाली के लिए जोश से आग्रह किया, जैसा कि अतीत में देखा गया था।
कैंडललाइट प्रदर्शन पुथिबा वेलफेयर एंड कल्चरल सोसाइटी और ऑल त्रिपुरा मेइती समुदाय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया।
शिक्षा, नौकरी और अन्य विभिन्न कार्यो के लिए त्रिपुरा में रह रहे मणिपुर के लोगों ने भी राजधानी शहर के बाहरी इलाके अबोयनगर में आयोजित प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
त्रिपुरा में लगभग 30,000 मणिपुरी लोग दशकों से रह रहे हैं, जिनमें ज्यादातर मेइती समुदाय से हैं।
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3 मई से मणिपुर में जातीय हिंसा की निंदा करते हुए हजारों पुरुषों और महिलाओं ने हाथों में तख्तियां और बैनर लिए और नारे लगाते हुए, पीड़ितों के परिवारों और विनाशकारी हिंसा से प्रभावित अन्य लोगों के साथ अपनी एकजुटता जताई।
मणिपुर में बेगुनाह लोगों की हत्या रोकने और शांति और सामान्य स्थिति लाने के लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों द्वारा तत्काल कार्रवाई और उचित कदम उठाने की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने नागरिक समाज संगठनों से संकट की इस घड़ी में सकारात्मक भूमिका निभाने का भी आग्रह किया।
वे हाथों में मोमबत्तियां और कोई अलग प्रशासन नहीं और मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बचाओ जैसे नारे लिखे हुए तख्तियां लिए हुए थे। उन्होंने सभी समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व की बहाली के लिए जोश से आग्रह किया, जैसा कि अतीत में देखा गया था।
कैंडललाइट प्रदर्शन पुथिबा वेलफेयर एंड कल्चरल सोसाइटी और ऑल त्रिपुरा मेइती समुदाय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया।
शिक्षा, नौकरी और अन्य विभिन्न कार्यो के लिए त्रिपुरा में रह रहे मणिपुर के लोगों ने भी राजधानी शहर के बाहरी इलाके अबोयनगर में आयोजित प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
त्रिपुरा में लगभग 30,000 मणिपुरी लोग दशकों से रह रहे हैं, जिनमें ज्यादातर मेइती समुदाय से हैं।
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3 मई से मणिपुर में जातीय हिंसा की निंदा करते हुए हजारों पुरुषों और महिलाओं ने हाथों में तख्तियां और बैनर लिए और नारे लगाते हुए, पीड़ितों के परिवारों और विनाशकारी हिंसा से प्रभावित अन्य लोगों के साथ अपनी एकजुटता जताई।
मणिपुर में बेगुनाह लोगों की हत्या रोकने और शांति और सामान्य स्थिति लाने के लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों द्वारा तत्काल कार्रवाई और उचित कदम उठाने की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने नागरिक समाज संगठनों से संकट की इस घड़ी में सकारात्मक भूमिका निभाने का भी आग्रह किया।
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3 मई से मणिपुर में जातीय हिंसा की निंदा करते हुए हजारों पुरुषों और महिलाओं ने हाथों में तख्तियां और बैनर लिए और नारे लगाते हुए, पीड़ितों के परिवारों और विनाशकारी हिंसा से प्रभावित अन्य लोगों के साथ अपनी एकजुटता जताई।
मणिपुर में बेगुनाह लोगों की हत्या रोकने और शांति और सामान्य स्थिति लाने के लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों द्वारा तत्काल कार्रवाई और उचित कदम उठाने की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने नागरिक समाज संगठनों से संकट की इस घड़ी में सकारात्मक भूमिका निभाने का भी आग्रह किया।
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त्रिपुरा में लगभग 30,000 मणिपुरी लोग दशकों से रह रहे हैं, जिनमें ज्यादातर मेइती समुदाय से हैं।
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3 मई से मणिपुर में जातीय हिंसा की निंदा करते हुए हजारों पुरुषों और महिलाओं ने हाथों में तख्तियां और बैनर लिए और नारे लगाते हुए, पीड़ितों के परिवारों और विनाशकारी हिंसा से प्रभावित अन्य लोगों के साथ अपनी एकजुटता जताई।
मणिपुर में बेगुनाह लोगों की हत्या रोकने और शांति और सामान्य स्थिति लाने के लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों द्वारा तत्काल कार्रवाई और उचित कदम उठाने की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने नागरिक समाज संगठनों से संकट की इस घड़ी में सकारात्मक भूमिका निभाने का भी आग्रह किया।
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कैंडललाइट प्रदर्शन पुथिबा वेलफेयर एंड कल्चरल सोसाइटी और ऑल त्रिपुरा मेइती समुदाय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया।
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मणिपुर में बेगुनाह लोगों की हत्या रोकने और शांति और सामान्य स्थिति लाने के लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों द्वारा तत्काल कार्रवाई और उचित कदम उठाने की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने नागरिक समाज संगठनों से संकट की इस घड़ी में सकारात्मक भूमिका निभाने का भी आग्रह किया।
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त्रिपुरा में लगभग 30,000 मणिपुरी लोग दशकों से रह रहे हैं, जिनमें ज्यादातर मेइती समुदाय से हैं।
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3 मई से मणिपुर में जातीय हिंसा की निंदा करते हुए हजारों पुरुषों और महिलाओं ने हाथों में तख्तियां और बैनर लिए और नारे लगाते हुए, पीड़ितों के परिवारों और विनाशकारी हिंसा से प्रभावित अन्य लोगों के साथ अपनी एकजुटता जताई।
मणिपुर में बेगुनाह लोगों की हत्या रोकने और शांति और सामान्य स्थिति लाने के लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों द्वारा तत्काल कार्रवाई और उचित कदम उठाने की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने नागरिक समाज संगठनों से संकट की इस घड़ी में सकारात्मक भूमिका निभाने का भी आग्रह किया।
वे हाथों में मोमबत्तियां और कोई अलग प्रशासन नहीं और मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बचाओ जैसे नारे लिखे हुए तख्तियां लिए हुए थे। उन्होंने सभी समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व की बहाली के लिए जोश से आग्रह किया, जैसा कि अतीत में देखा गया था।
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त्रिपुरा में लगभग 30,000 मणिपुरी लोग दशकों से रह रहे हैं, जिनमें ज्यादातर मेइती समुदाय से हैं।
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3 मई से मणिपुर में जातीय हिंसा की निंदा करते हुए हजारों पुरुषों और महिलाओं ने हाथों में तख्तियां और बैनर लिए और नारे लगाते हुए, पीड़ितों के परिवारों और विनाशकारी हिंसा से प्रभावित अन्य लोगों के साथ अपनी एकजुटता जताई।
मणिपुर में बेगुनाह लोगों की हत्या रोकने और शांति और सामान्य स्थिति लाने के लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों द्वारा तत्काल कार्रवाई और उचित कदम उठाने की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने नागरिक समाज संगठनों से संकट की इस घड़ी में सकारात्मक भूमिका निभाने का भी आग्रह किया।
वे हाथों में मोमबत्तियां और कोई अलग प्रशासन नहीं और मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बचाओ जैसे नारे लिखे हुए तख्तियां लिए हुए थे। उन्होंने सभी समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व की बहाली के लिए जोश से आग्रह किया, जैसा कि अतीत में देखा गया था।
कैंडललाइट प्रदर्शन पुथिबा वेलफेयर एंड कल्चरल सोसाइटी और ऑल त्रिपुरा मेइती समुदाय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया।
शिक्षा, नौकरी और अन्य विभिन्न कार्यो के लिए त्रिपुरा में रह रहे मणिपुर के लोगों ने भी राजधानी शहर के बाहरी इलाके अबोयनगर में आयोजित प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
त्रिपुरा में लगभग 30,000 मणिपुरी लोग दशकों से रह रहे हैं, जिनमें ज्यादातर मेइती समुदाय से हैं।
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3 मई से मणिपुर में जातीय हिंसा की निंदा करते हुए हजारों पुरुषों और महिलाओं ने हाथों में तख्तियां और बैनर लिए और नारे लगाते हुए, पीड़ितों के परिवारों और विनाशकारी हिंसा से प्रभावित अन्य लोगों के साथ अपनी एकजुटता जताई।
मणिपुर में बेगुनाह लोगों की हत्या रोकने और शांति और सामान्य स्थिति लाने के लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों द्वारा तत्काल कार्रवाई और उचित कदम उठाने की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने नागरिक समाज संगठनों से संकट की इस घड़ी में सकारात्मक भूमिका निभाने का भी आग्रह किया।
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कैंडललाइट प्रदर्शन पुथिबा वेलफेयर एंड कल्चरल सोसाइटी और ऑल त्रिपुरा मेइती समुदाय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया।
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त्रिपुरा में लगभग 30,000 मणिपुरी लोग दशकों से रह रहे हैं, जिनमें ज्यादातर मेइती समुदाय से हैं।
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3 मई से मणिपुर में जातीय हिंसा की निंदा करते हुए हजारों पुरुषों और महिलाओं ने हाथों में तख्तियां और बैनर लिए और नारे लगाते हुए, पीड़ितों के परिवारों और विनाशकारी हिंसा से प्रभावित अन्य लोगों के साथ अपनी एकजुटता जताई।
मणिपुर में बेगुनाह लोगों की हत्या रोकने और शांति और सामान्य स्थिति लाने के लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारों द्वारा तत्काल कार्रवाई और उचित कदम उठाने की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने नागरिक समाज संगठनों से संकट की इस घड़ी में सकारात्मक भूमिका निभाने का भी आग्रह किया।
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कैंडललाइट प्रदर्शन पुथिबा वेलफेयर एंड कल्चरल सोसाइटी और ऑल त्रिपुरा मेइती समुदाय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया।
शिक्षा, नौकरी और अन्य विभिन्न कार्यो के लिए त्रिपुरा में रह रहे मणिपुर के लोगों ने भी राजधानी शहर के बाहरी इलाके अबोयनगर में आयोजित प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
त्रिपुरा में लगभग 30,000 मणिपुरी लोग दशकों से रह रहे हैं, जिनमें ज्यादातर मेइती समुदाय से हैं।