नई दिल्ली, 1 मार्च (आईएएनएस)। थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कानूनों के अनुपालन के बावजूद 180 दिनों की अवधि के लिए विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के तहत उनका पंजीकरण निलंबित कर दिया है।
सीपीआर ने कहा, सितंबर 2022 में आईटी विभाग ने सीपीआर परिसर में एक आयकर सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण अनुवर्ती प्रक्रिया के हिस्से के रूप में सीपीआर को विभाग से कई नोटिस प्राप्त हुए। उचित प्रक्रिया के बाद विभाग को विस्तृत और संपूर्ण प्रतिक्रियाएं प्रस्तुत की गई हैं।
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की बेटी यामिनी अय्यर की अध्यक्षता वाली सीपीआर ने कहा, सीपीआर ने अधिकारियों के साथ पूर्ण सहयोग किया है और करना जारी रखे हुए है। हम कानून के पूर्ण अनुपालन में हैं और भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक सहित सरकारी अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से जांच और लेखा परीक्षा की जाती है। हमारे पास वार्षिक वैधानिक ऑडिट हैं, और हमारे सभी वार्षिक ऑडिट किए गए हैं। बैलेंस शीट सार्वजनिक डोमेन में हैं। ऐसी कोई भी गतिविधि करने का कोई सवाल ही नहीं है जो हमारे एसोसिएशन की वस्तुओं और कानून द्वारा अनिवार्य अनुपालन से परे है।
थिंक टैंक ने कहा कि इसका काम और संस्थागत उद्देश्य संवैधानिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाना और संवैधानिक गारंटी की रक्षा करना है। उसने कहा कि वर्तमान एमएचए आदेश के आलोक में वे हमारे लिए उपलब्ध सहारा के सभी रास्ते तलाशेंगे।
उसने कहा, हमें पूरा विश्वास है कि इस मामले को तेजी से, निष्पक्षता से और हमारे संवैधानिक मूल्यों की भावना से हल किया जाएगा।
पिछले साल सितंबर में आयकर विभाग ने सीपीआर के कार्यालय और दो अन्य एनजीओ – ऑक्सफैम इंडिया, और बेंगलुरु स्थित गैर-लाभकारी स्वतंत्र और सार्वजनिक-उत्साही मीडिया फाउंडेशन (आईपीएसएमएफ) के कार्यालय में तीन दिनों तक तलाशी अभियान चलाया।
सभी फर्मो ने कहा था कि उन्होंने कुछ भी गैरकानूनी नहीं किया और सीपीआर ने कहा कि उसने छापे में पूरा सहयोग किया है।
आयकर विभाग के सूत्रों ने दावा किया कि उनके द्वारा राजनीतिक दलों को चंदे की आड़ में करोड़ों रुपये की कर चोरी का पता चला। आईटी टीम को चुनाव आयोग की एक रिपोर्ट से पता चला था कि कुछ राजनीतिक दलों को नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए डेटा एंट्री ऑपरेटर के जरिए चंदा दिया गया था।
यामिनी अय्यर ने उस समय कहा था, आयकर विभाग ने 7 और 8 सितंबर, 2022 को सीपीआर का सर्वेक्षण करने के लिए हमारे कार्यालय का दौरा किया। हमने सर्वे के दौरान विभाग को पूरा सहयोग दिया और आगे भी करते रहेंगे।
आई-टी विभाग के सूत्रों ने दावा किया था कि राजनीतिक दलों को चंदे की आड़ में करोड़ों रुपये की कर चोरी का पता चला था। एंट्री ऑपरेटर आई-टी अधिकारियों के रडार पर थे। आई-टी टीम को भारत के चुनाव आयोग की एक रिपोर्ट से पता चला था कि कुछ राजनीतिक दलों को नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए डेटा एंट्री ऑपरेटरों के माध्यम से चंदा दिया गया था।
आई-टी सूत्रों ने उस समय दावा किया था, जो धन राजनीतिक दलों को दान के नाम पर दिया गया था, वह मूल रूप से धोखाधड़ी के साथ कर चोरी थी।
–आईएएनएस
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